अमर कौस्तुभ श्रीवास्तव द्वारा कल्पित-विज्ञान में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें कल्पित-विज्ञान किताबें अमर अमर कौस्तुभ श्रीवास्तव द्वारा हिंदी कल्पित-विज्ञान 2.7k 11.1k अगस्त १६ , २५६७ आज का दिन न सिर्फ मेरे अस्तित्व का सबसे बड़ा दिन था बल्कि आज मैने अपनी नई पहचान पाई। दरासल मै ...और पढ़ेचाचा की प्रयोगशाला में घूमने जा रहा था। वह आयु बढ़ने की प्रक्रिया को धीरे करके मनुष्य की आयु कुछ सौ साल बढाना चहते थे। वह इस तकनीक से मेरा ब्लड़ कैंसर ठीक करना चाहते थे। मै सुबह - सुबह उठ गया (जो की मै रोज नही करता था) तैयार होकर मैने अपने मल्टीविटामिन और मल्टीमिनरल आदि केप्सूल खाए। मै घर से बाहर निकल चुका था। मैं सीधे प्रयोगशाला की तरफ जा रहा कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें अमर अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी कौस्तुभ श्रीवास्तव फॉलो