भिखारी संघ
सड़क के किनारे बैठे कुछ भिखारियों में से एक को यह ख़्याल आया कि आजकल हर वर्ग का अपना संघ है जैसे व्यापारी संघ ,कर्मचारी संघ और मजदूर संघ आदि तो क्यों न भिखारियों का एक संगठन बनाया जाए ; ऐसे ही छोटे-छोटे विचार बड़ी-बड़ी क्रांतियों को जन्म देते है । हमारा नायक याने विचारवान भिखारी तो बस जुट गया अपने विचार को अमली जामा पहनाने में । कुछ समय बाद ...... इस विचार को आगे बढाने के लिए भिखारियों का एक सम्मेलन बुलाया गया । इस सम्मेलन में देश-विदेश के अनेकों भिखरियों ने आने की स्वीकृति दी । इस सम्मेलन में अंग्रेजी , फ्रेन्च और रशियन भाषा बोलने वाले भिखारी भी पधारने वाले थे अतः दुभाषियों की भी व्यवस्था की गई । यह विचार वर्ड़ बैंक से भीख मांगने वाले देशों को भी अच्छा लगा इसलिए उन्होने भी संगठन में शामिल किए जाने हेतु अपील की । विचारवान स्वंयभू अध्यक्ष ने संगठित भिक्षावृत्ति को संगठन में स्थान न देते हुए ऐसे देशों की अपील को अस्वीकृत कर दिया ।
संगठन का नाम विश्व भिखारी संघ रखा गया और सम्मेलन की तैयारियां बहुत ही बड़ें पैमाने पर की गई । इसमें गोद में बच्चा और हाथ में कटोरा लिए भिखारिन ,गूंगे-बहरे भिखारी और विभिन्न धर्मो के परिधानों में सजे भिखारियों का आना प्रारम्भ हो गया । कुछ भिखारी तो स्कूटर ,मोटर सायकल और कारों से भी पधारे । अनेक राजनैतिक दलों की लार इतने सारे संगठित वोटरों को देख कर ही टपकने लगी । वे पर्दे के पीछे से हमारे विचारवान भिखारी पर ड़ोरे ड़ालने लगे ।
भिखारी संघ की इस प्रथम बैठक में विभिन्न देशों की सरकारों को खुल कर कोसा गया क्योकि विश्व में सभी सरकारें गरीबों के लिए ही तो योजनाएॅं बना रही है फिर भी यदि यह व्यवसाय बाकी है तो इसके पीछे सरकारों का निकम्मापन ही तो है। एक प्रतिनिधी ने भिखारियों के अधिकारों पर कहा कि " सरकारों ने अपने कानूनों में सबके अधिकारों और कर्तव्यों की व्याख्या की है लेकिन इसमें भिखरियों को उपेक्षित किया गया है । सभी कानूनों में भिखारियों को बहुत ही हिकारत भरी नज़रों से ही देखा गया है । अब समय आ गया है कि सब भिखारी एक हो कर अपने हक के लिए आवाज उठाए । " एक प्रतिनिधी ने तो इस बात पर चिन्ता जाहिर की कि" नगरों में भिखारियों को व्यवसाय करने के लिए कोई स्थान नहीं दिया जा रहा है । "
सम्मेलन में भिखारी संघ के पदाधिकारियों की घोषणा की गई । यह भी प्रस्ताव पास किया गया कि भिखारियों के अधिकारों के लिए चरणबद्ध रुप से आंदोलन किए जाएंगे। ऐसे आंदोलन देश ,काल और परिस्थिति को देखते हुए उस देश की इकाई ही रुपरेखा बनाएगी । बस अब बहुत हुआ ......... आंदोलन .............. भिखारी कहीं के............। सरकारों को आंदोलन शब्द भी कहाॅं अच्छा लगता है । आंदोलन बम ने सरकार को जगा दिया.......... आनन -फानन में फोनों की घंटियाॅं घनघनाने लगी । दूसरे ही दिन विचारवान भिखारी के घर इन्कम टैक्स का छापा पड़ गया । उसके घर से तीस हजार दो सौ तैतिस रुपये और एक हजार रुपये कि न चलने वाली चवन्नी के सिक्के मिले । एक मोबाईल और एक सायकल भी मिली । बस उसके ऊपर बन गया आय से अधिक सम्पत्ति का प्रकरण। उससे सम्मेलन पर हुए व्यय का ब्यौरा भी मांगा गया । जिसके बारे में सिवाय इसके कि सभी भिखारियों ने मिलजुल कर किया था वो कुछ भी न बता सका । इससे यह मतलब निकाला गया कि भिखारियों के आंदोलन के पीछे विदेशी ताकतों का ही हाथ है । अब संगठन के बाकी पदाधिकारी भी छुपते-छुपाते भीख मांग कर ही गुजारा कर रहे है । बड़े-बड़े अधिकारी इन भिखारियों को खोजने के लिए लाल बत्तियों में घूम-घूम कर अपनी ड्युटी पूरी करने का प्रयास कर रहे है । कुछ जेल में मिलने वाली आराम की रोटी के चक्कर में आ कर पकड़े गए । अब किसी पर आतंकवाद की ,किसी पर देषद्रोह और किसी पर लूट आदि की धाराओं में आरोप लगाए गए ।
इस पूरे के बीच किसी न्यूज एजेंसी ने खबर दी की हमारा विचारवान भिखारी स्नोडन की ही तरह भाग खड़ा हुआ । उसने अनेकों देशों से शरण देने की अपील की । बहुत से देश तो पहले से ही उसे गिरफ्तार करना चाहते थे तो शरण बहुत ही दूर की बात थी। कूटनीतिक कारणों के चलते पाकिस्तान ने उसे अपने यहाॅं पनाह दे दी । अब दोनो देशों की सीमा पर उस भिखारी के प्रत्यर्पण को लेकर तनाव है । दोनो तरफ से सेनाओं को कभी भी युद्ध में झोंका जा सकता है ।
आलोक मिश्रा
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