Cleverness of Chintu ... books and stories free download online pdf in Hindi

चिंटू की चतुराई...

एक बार एक गाँव में एक लड़का अपने पापा और मम्मी के साथ रहता था जिसका नाम था,चिंटू!चिंटू की उम्र ग्यारह साल थी और वो पाँचवी कक्षा में पढ़ता था।चिंटू एक बड़ा ही समझदार बच्चा था।वो पढ़ाई में भी बड़ा ही होशियार था।वो अपनी कक्षा में हमेशा प्रथम आता था मगर वो जितना समझदार और पढ़ाई में जितना होशियार था उतना ही नटखट भी था।सारा दिन उछलना और कूदना उसे बहुत पसंद था मगर उसकी जो सबसे बड़ी कमी थी वो था उसका गुस्सा!

चिंटू स्वभाव से बहुत ही गुस्सैल बच्चा था।उसे अक्सर छोटीछोटी बातों पर भी गुस्सा आ जाता था जिसकी वजह से कई बार उसके दोस्तों से उसकी लड़ाई भी हो जाती थी।अपने गुस्से की वजह से उसे खुद भी बड़ी तकलीफ उठानी पड़ती थी जैसे कि कभी कभी इस कारण उसके पापा उसकी पिटाई भी कर देते थे!फिर बाद में उसे बड़े ही प्यार से समझाते भी थे और चिंटू उनकी बात को समझ भी जाता था मगर अगले ही दिन चिंटू फिर से किसी न किसी बात पर गुस्सा हो जाता।

एक दिन चिंटू के पापा अपने बड़े भाई यानि कि चिंटू के ताऊजी के घर जाने के लिए तैयार हो रहे थे जो कि कानपुर शहर में रहते थे तभी चिंटू अपने पापा के साथ चलने की जिद्द करने लगा क्योंकि उसको शहर देखना था।चिंटू के पापा और चिंटू की मम्मी दोनों ने ही चिंटू को बहुत समझाया कि वो उसको उसकी गर्मी की छुट्टियों में शहर घुमाने ले जायेंगे मगर चिंटू उनकी बात न सुनकर बस गुस्सा करने लग गया।चिंटू के गुस्से के आगे उसके पापा उसकी बात मान गए क्योंकि ज्यादा गुस्सा करने से पिछली बार चिंटू की तबियत भी खराब हो गयी थी।

कानपुर शहर में चिंटू और उसके पापा तीन दिनों तक ठहरे।चिंटू के पापा जिस काम से चिंटू के ताऊ जी के पास आये थे वो काम अब पूरा हो चुका था।अगले दिन सुबह चिंटू और उसके पापा को वापिस गाँव जाना था।इन तीन दिनों में चिंटू नें अपने ताऊ जी के बच्चों के साथ खूब मौजमस्ती की हालांकि ताऊ जी के बच्चों के स्कूल होने की वजह से ज्यादातर उसका वक्त टीवी देखते ही बीत गया जो कि वो अपने गाँव में भी देख सकता था मगर फिर भी चिंटू इस बात की परवाह न करते हुए बहुत खुश था।आज चिंटू का आखिरी दिन था अपने ताऊ जी के घर में और इतवार भी था तो चिंटू के ताऊ जी का बड़ा बेटा रमन जो कि आठवीं कक्षा में पढ़ता था वो चिंटू को अपने दोस्त के घर घुमाने ले गया।

पहले तो चिंटू को अपने भाई रमन के दोस्त के घर मेंं बहुत मजा आ रहा था पर थोड़ी देर बाद जब रमन और उसका दोस्त अपने स्कूल से उनको मिला हुआ प्रोजेक्ट करनें में लग गए तो चिंटू वहाँ अकेला बैठा बैठा उदास हो गया।

भईया मुझे प्यास लग रही है,चिंटू नें अपने भाई रमन से कहा! पहले तो रमन नें दो बार चिंटू की बात को सुना ही नहीं और फिर जब सुना तो उसनें चिंटू को जवाब दिया कि वो खुद अंदर किचन में जाकर आँटी जी से मतलब कि रमन के दोस्त की मम्मी से पीने के लिए पानी माँग ले।चिंटू को इस बात पर बड़ा ही गुस्सा आया और वो गुस्से में ही दौड़कर रमन के दोस्त के घर से बाहर निकल गया।

गुस्से में मुँह लाल किये हुए चिंटू को ध्यान ही नहीं रहा कि वो इस शहर से अंजान है।वो यहाँ पहली बार आया है और वो यहाँ किसी को भी नहीं जानता यहाँ तक कि उसे तो यहाँ का कोई रास्ता भी नहीं पता!!

चलते चलते चिंटू को जब इस बात का ख्याल आया तो वो बहुत ही घबरा गया और अब उसकी आँखों से आँसू भी बहना शुरू हो गए!चिंटू को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था। उसे अब बस अपने गाँव और अपने मम्मी पापा की याद आ रही थी और याद आ रही थी अपने पापा की कही हुई बात जो वो चिंटू से उसके अधिक गुस्सा करने पर कहा करते थे कि बेटा चिंटू गुस्सा हमारा सबसे बड़ा दुश्मन होता है और गुस्से में हम अपना अच्छा बुरा कुछ भी नहीं समझ पाते इसलिए हम गुस्से में हमेशा अपना ही नुकसान कर लेते हैं।

आज चिंटू को अपने पापा की कही हुई बात पूरी तरह से समझ आ चुकी थी और चिंटू मन ही मन ये भी सोच रहा था कि अब वो कभी भी गुस्सा नहीं करेगा बस भगवान इस बार मेरी मदद कर दें,वो अब भगवान जी से कभी भी गुस्सा न करने का प्रॉमिस कर रहा था।

चिंटू को इस मुसीबत के समय सबसे ज्यादा याद अपनी मम्मी की आ रही थी तो वो अपनी मम्मी के बारे में सोचने लगा।चिंटू को अब अपनी मम्मी की समझायी हुई बात भी याद आने लगी जो मम्मी नें उसे परी की कहानी सुनाते हुए बतायी थी कि हमें मुसीबत के समय में कभी भी घबराना नहीं चाहिए बल्कि अपनी बुद्धि का प्रयोग करते हुए बड़ी से बड़ी मुसीबत का डटकर मुकाबला करना चाहिए!!मम्मी की इस बात को याद करते ही चिंटू एक अनोखे आत्मविश्वास से भर उठा और उसनें अपने दोनों हाथों से अपने आँसू पोछते हुए इस समस्या का हल सोचना शुरू कर दिया तभी उसकी नजर अपने पास में खड़े हुए एक आदमी पर पड़ी जो चिंटू को बड़ी ही अजीब तरह से घूर रहा था।

चिंटू वहाँ से चलने लग गया तो वो आदमी भी उसके पीछे पीछे चलने लगा!अब चिंटू को डर लगने लगा मगर उसनें अपनी मम्मी की बात को ध्यान कर बड़ी ही हिम्मत से इस परिस्थिति का मुकाबला करने की सोची और वो दौड़ने लगा।चिंटू दौड़ते-दौड़ते एक दुकान के सामने लगे हुए बोर्ड के पीछे छुपकर बैठ गया।कुछ देर बाद वो आदमी भी वहाँ आ गया और चिंटू को इधर उधर देखने लगा मगर चिंटू उसे वहाँ कहीं भी नजर नहीं आया तो गुस्से में उसनें अपना हाथ उसी बोर्ड पर मारा जिसके पीछे चिंटू छुपा था मगर चिंटू बिल्कुल भी नहीं घबराया और वो चुपचाप किसी भी तरह की हरकत किए बिना वहीं बैठा रहा।तभी उस आदमी का मोबाईल बज उठा!!

हैलो!हाँ भाई ,अरे क्या बताऊँ चिड़िया जाल में फंसते फंसते रह गयी बस उसे ही ढ़ूंढ़ रहे हैं मगर अब लगता है कि उड़ गयी!अब बस जा रहे हैं चौरंगी ढाबा!!बस अब वहीं खायेंगे,पियेंगे और बैठेंगे!हमरा तो हो गया आज का!!

बात खत्म होते ही वो आदमी वहाँ से चला गया।तब फिर चिंटू उस बोर्ड के बाहर निकल आया और गली से निकलकर सड़क की ओर चलने लगा!चिंटू अब बहुत ही सुरक्षित महसूस कर रहा था और बार बार अपने मन में भगवान जी को धन्यवाद दे रहा था मगर अभी भी उसकी परेशानी दूर नहीं हुई थी।फिर भी चिंटू अब डरने और घबराने की बजाय धैर्य से काम ले रहा था और अपने दिमाग से घर पहुंचने की तरकीब सोच रहा था तभी उसे सड़क के बीचोंबीच ट्रैफिक पुलिस का एक जवान खड़ा हुआ दिखाई दिया हालांकि चिंटू पुलिस से बहुत डरता था मगर आज उसे वो कहानी याद आ गयी जिसमें पुलिस लापता बच्चों को ढ़ूंढ़कर उनके मम्मी पापा से मिलवाती है जो कि चिंटू को उसकी कक्षा अध्यापिका नें सुनायी थी,जिसका नाम था "पुलिस हमारी रक्षक"!!

चिंटू की सबसे अच्छी आदत कि वो हमेशा अपने बड़ों की बात बहुत ही ध्यान से सुनता और समझता था नें आज उसकी इस परिस्थिति में बहुत मदद की!

चिंटू ने उस पुलिस वाले के पास जाकर अपनी पूरी बात बताई जिसको सुनने के बाद उस ट्रैफिक पुलिस के जवान ने चिंटू को अपने एक साथी के साथ वहीं नजदीक के एक पुलिस स्टेशन में भेज दिया।

अब चिंटू ने पुलिस को सारी बात बताई।उसनें अपने पापा का नाम,अपने ताऊजी का नाम,उनके व्यवसाय के बारे में भी बताया और सबसे अच्छी बात कि चिंटू को अपनी मम्मी का मोबाईल नम्बर भी याद था जो कि उसनें पुलिस वाले अंकल जी को बताया।इसके बाद पुलिस नें चिंटू की मम्मी को फोन करके चिंटू के पापा का नम्बर लिया और उनसे बात करके उन्हें वहीं पुलिस स्टेशन में बुला लिया!

आज चिंटू अपनी चतुराई से न सिर्फ इस मुसीबत से सही सलामत निकल आया बल्कि इसके साथ ही साथ चिंटू नें आज बच्चे पकड़ने वाले एक गिरोह को भी पकड़वाया क्योंकि चिंटू ने उस आदमी की बात ध्यान से सुनी थी और उसनें वो पूरी बात बिल्कुल वैसे ही पुलिस को बता दी जिसमें उस आदमी नें चौरंगी ढाबे पर जाने की बात भी कही थी।पुलिस नें चौरंगी ढाबे से उस आदमी को पकड़कर उससे सबकुछ पता कर लिया और इस तरह से आज चिंटू नें कई मासूम बच्चों को उनके मम्मी पापा से मिलवा दिया।

अरे चिंटू!चिंटू जल्दी उठो,देखो तुम्हारी फोटो अखबार में छपी है चिंटू के पापा नें चिंटू को ये कहते हुए जगाया।चिंटू ने जब देखा तो वो खुशी से उछल पड़ा।

अखबार में सच में चिंटू की फोटो छपी थी और उसमें चिंटू को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ईनाम और सम्मान दिये जाने की बात भी लिखी थी!अखबार में लिखा था कि "एक छोटे से बच्चे की चतुराई नें बचाई उसकी और अनेकों बच्चों की जान"!!

चिंटू ये पढ़कर रोने लगा!जब उसके पापा ने उससे रोने का कारण पूछा तो चिंटू ने कहा कि पापा आप मुझे हमेशा समझाते थे कि हमें गुस्सा नहीं करना चाहिए क्योंकि गुस्सा हमारी सोचने और समझने की शक्ति को खत्म कर देता है
मगर मैं आपकी बात न समझकर और भी अधिक गुस्सा करने लगता था मगर पापा अब मैं समझ गया हूँ,सॉरी पापा!आप और मम्मी मुझे माफ कर दो,अब मैं कभी भी गुस्सा या जिद्द नहीं करूंगा और चिंटू के पापा नें उसे अपने गले से लगा लिया!

सीख...बच्चों हमें इस कहानी से यही शिक्षा या सीख मिलती है कि हमें हमारे बड़ों की बातें हमेशा बहुत ध्यान से सुननी चाहिए और उनका अपने जीवन में पालन भी करना चाहिए इसके साथ ही साथ हमें कभी भी किसी भी मुसीबत से घबराना नहीं बल्कि डटकर उसका मुकाबला करना चाहिए और हाँ सबसे जरूरी बात हमें बात बात पर गुस्सा नहीं करना चाहिए क्योंकि गुस्सा हमारे सोचने व समझने की शक्ति को खत्म कर देता है!

निशा शर्मा...


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