फाईल मंत्रालय में मंत्री जी को ज्ञात हुआ कि पुराने घोटाले की एक फाईल को चूहों ने कुतर दिया , केवल इतना ही होता तो ठीक था परन्तु चूहों ने एक कमीशन की फाईल को भी नहीं छोड़ा । मामला गंभीर था इसलिए चूहा मंत्रालय को सूचित किया गया । चूहा मंत्री जो केवल जातिय समन्वय हेतु मंत्री थे, को कुछ काम मिल गया । चूहा मंत्री ने अपने एक कार्यकर्ता को इस काम हेतु उपयुक्त पाया क्योकि वो दिन भर में दो-चार लोगों से मारपीट तो करता ही था । अब जो आदमी मारने से नहीं हिचकता चूहे तो मार ही सकता है । बस उसे चूहे मारने का ठेका दे दिया गया ।
एक हफ्ते में मंत्रालय के सवा तीन लाख चूहे मारे गए , याने एक मिनट में लगभग तीन सौ चूहे । यह बात मंत्री जी को बिल से मालूम चली । मंत्री जी को चूहों की संख्या पसंद आई लेकिन बिल की राशि नहीं । उन्होने राशि को देखते हुए इस अभियान को एक हफ्ते के लिए बढा दिया । अब चूहे भी दुगने थे और राशि भी । फटाफट भुगतान हुआ , सबने अपना - अपना हिस्सा लिया और सब खुश हो गए । इतने सारे चूहे मारे जाने की खबर जब बिल्लियों को लगी तो वे नाराज हो गई । इतने चूहे मरे और उन्हें एक भी नसीब नहीं हुआ । बस उन्होने बवाल खड़ा कर दिया । बिल्लियों के अपने चैनल और अखबार थे । वे चूहा घोटाला पर अखबारों में छापने लगी और चैनलों पर विवाद करने लगी । मामला संगीन होता गया । आखिर मुख्यमंत्री को जाॅच की बात स्वीकारनी पड़ी । चूहा मंत्री मान रहे थे कि इतने चूहे मारे गए है । वहीं फाईल मंत्री कह रहे थे कि इतने चूहे मरे है या नहीं उन्हें नही मालूम लेकिन प्रति चूहा एक चूहा मार गोली क्रय की गई है , जिसका बिल लगा है ।
कुछ राष्ट्रभक्त कुत्ते भी थे । वे बिल्लियों से अलग सोच रखते थे । उनका मानना था कि पाॅच-छः लाख तो चूहा घोटाले में चले ही गए , अब यदि इसकी जाॅच की जाती है तो पचास-साठ लाख जाॅच घोटाले में भी जा सकते है । वे मानते थे कि हर बात की जाॅच करना गलत है । ऐसे मामलों में मंत्री जी को खुद ही स्वयम् को साफ सुथरा घोषित कर देना चाहिए । मुख्यमंत्री को आने वाले चुनावों की फिक्र थी इसलिए वे अपने आपको और मंत्रियों को बेदाग साबित करना चाहते थे । उन्होने निष्पक्ष जाॅच कुत्तों को सौप दी । जाॅच समिति के समक्ष अनेक प्रश्न थे । क्या चूहे मारना आवश्यक था ? क्या इतने ही चूहे थे ? क्या सही में इतने ही चूहे मारे गए ? चूहे मारने की विधि क्या थी ? मारे गए चूहों की डेडबाॅडी का क्या हुआ ? आदि ..........आदि ।
जाॅच समिति अपनी जाॅच में जुट गई । जाॅच समिति ने फाईल मंत्री , चूहा मंत्री से लेकर बिल्लियों और बचे हुए चूहों तक के बयान लिए । चुनाव को देखते हुए जाॅच समिति को रिपोर्ट जल्दी देनी थी । बस आनन- फानन में रिपोर्ट तैयार हो गई । जाॅच समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि ‘‘ मंत्रालय में चूहों की संख्या बहुत बढ़ गई थी । ये चूहे पूराने सत्ता रूढ दल के समर्थक थे इसलिए वे उनके द्वारा किये गए घोटालों की फाईलों को चुन -चुन कर खा रहे थे । भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए इन चूहों को मारना जरूरी था । इन चूहों को मारने के लिए बहुत ही अनुभवी व्यक्ति को यह कार्य सौपा गया था । इस अनुभवी व्यक्ति पर पूर्व से ही दस हत्या के आरोप है अतः उसके अनुभव पर शक नहीं किया जा सकता ।
चूहों को मारने की प्रक्रिया बहुत ही वैज्ञानिक थी । इसके लिए पहले सर्वे किया गया और चूहों की गिनती हो गई । इसके बाद चूहों को मारने के लिए गोलियों का क्रय किया गया । अब सभी चूहों की एक आमसभा माननीय चूहा मंत्री की अध्यक्षता में आयोजित की गई । इस आयोजन में चूहों को राष्ट्रहित में बलिदान करने हेतु प्ररित किया गया । उन्हे गोली देने के पहले बताया गया कि गोली तीस मिनट में असर करेगी अतः गोली खाने के बाद उन्हें मरने से पहले समुद्र तक पहुॅच कर उसमें कूदना है । इससे वे मरते- मरते भी स्वच्छता अभियान में भागीदारी भी कर सकेंगे और देष हित में उनकी डेडबाडी को फेकने का खर्च भी बचेगा ।
इस पूरी रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि यह काम राष्ट्रहित में पूरी मितव्ययता और ईमानदारी से किया गया । भ्रष्टाचार मिटाने के लिए यह कार्यवाही आवश्यक थी । रही बात बिल्लियों की तो वे राष्ट्रविरोधी है । बिल्लियों पर अलग से कार्यवाही की जानी चाहिए । ’’ सरकार इस रिर्पोट से खुश है और अब बिल्लियों को मारने की योजना बना रही है ।
आलोक मिश्रा
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