अपने-अपने कारागृह - 14 Sudha Adesh द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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अपने-अपने कारागृह - 14

अपने-अपने कारागृह-13

सुबह नाश्ता करके उषा उठी ही थी कि पदम का फोन आ गया । वह 15 दिन के पश्चात हफ्ते भर के लिए आ रहा था । साथ में रिया भी आ रही थी । सुनकर उषा की प्रसन्नता का पारावार न रहा ।

15 दिन में ही घर सेट करना था पर जब एक टारगेट निश्चित कर ले तो सोचा हुआ काम पूरा ना हो पाए, ऐसा हो ही नहीं सकता । अनिला का कनछेदन नहीं हुआ है, क्यों न इस बार उसके कान छिदा दें । साथ में एक छोटी सी पार्टी का भी आयोजन कर लें । मन में विचार आते ही उषा ने अपने मन की बात अजय से की तो उन्होंने कहा, ' यह तो बहुत अच्छा विचार है । एक रस्म भी पूरी हो जाएगी , साथ ही नई जगह में नए लोगों को बुलाकर अपनी उपस्थिति भी दर्ज करा देंगे...जान पहचान का दायरा बढ़ेगा ।'

नई जगह, नया विचार, नई योजना मन में नई स्फूर्ति का संचार हो गया था । काम करने के लिये नौकरानी पूनम मिल ही गई थी । खाना बनाने के लिए महाराजिन की तलाश जारी थी । रामदीन को वापस भेज दिया था । आखिर वह कब तक रहता घर तो सेट हो ही गया था ,जो कुछ बचा था धीरे धीरे वह भी हो ही जाएगा । अब एक बैंक्विट हॉल की तलाश में जुट गए आखिर शैलेश और नंदिता की सलाह पर 'बंदिनी' हॉल बुक करा लिया ।

लोगों से जुड़ने के प्रयास में शनिवार को होने वाली सीनियर सिटीजन ग्रुप की गोष्ठी में जाने का भी मन बना लिया । जब सब लोग कुछ न कुछ बना कर ले जा रहे हैं तब खाली हाथ जाना अच्छा नहीं लगेगा । खाने में पता नहीं कौन क्या ला रहा है । स्नेक्स में वैरायटी चल सकती है, सोचकर उषा ने स्प्रिंग रोल बना लिए ।

डॉ रमाकांत और उषा के साथ वे प्रकाश और शशि अरोड़ा के घर गए । वहां पहले से ही कुछ लोग उपस्थित थे । प्रकाश और शासी को तो उमा और रमाकांत ने बात दिया था किंतु उनको देखकर कई आंखों में प्रश्न देखकर उमा उनका परिचय करवाने ही जा रही थी कि अजय ने कहा, ' मैं अजय रिटायर्ड प्रिंसिपल सेक्रेट्री फ्रॉम बिहार और यह है मेरी पत्नी उषा ।' कहते हुए उन दोनों ने अभिवादन में हाथ जोड़ दिए ।

' आपका स्वागत है । मैं हूँ मेजबान प्रकाश रिटायर्ड मैनेजर फ्रॉम रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एवं यह हैं मेरी अर्धांगिनी शशि अरोड़ा ।' प्रकाश ने अजय की तरफ हाथ बढ़ाया तथा शशि जी ने हाथ जोड़े ।

' मैं आनंद तथा मेरी पत्नी लीना एल्हेन्स रिटायर्ड कमिश्नर इनकम टैक्स ।'

'मैं अरविंद एवं माय बेटर हाफ नीलम झा पीसीएस '

' मैं गौतम एवं नीलिमा स्वामी हम दोनों ही प्राध्यापक रहे हैं लखनऊ यूनिवर्सिटी में ।'

मैं फरहान और मेरी पत्नी नजमा अख्तर रिटायर्ड सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस ।'

' हमें तो आप जानते ही हैं मैं डॉक्टर रमाकांत और मेरी पत्नी उमा ।' रमाकांत ने उठकर परिचय देते हुए कहा ।

आर्मी मुझसे
मैं आर्मी से
जीता रहा हरदम
इस खयशनुमा एहसास में ...
गोली सीने पर खाई
पीठ पर नहीं ,
मेडल मिले
पर अब
नाम के आगे
लग गया पुच्छला
रिटायर्ड का,
छुटाए छूटता नहीं
भुलाए भूलता नहीं,
क्यों एहसास दिलाते हो
उस जीवन का
जो हमारा रहा ही नहीं
हम आम हैं आम ही रहें
आम ही जियें, आम ही मरें
मेरी आपकी सबकी
यही कहानी ...।'

' तुरंत दिल से निकली कहिए कैसी है मेरी यह नायाब कविता । मैं कर्नल देवेंद्र एवं यह हैं मेरी धर्मपत्नी कविता ।' देवेंद्र ने मुस्कुराते हुए हाथ जोड़े थे ।

वाह एकदम सटीक... कई आवाज एक साथ उठीं ।

'हम आम हैं आम ही रहें, आम ही जियें आम ही मरें... बहुत सुंदर लाइन हैं ...।'गौतम स्वामी ने कहा ।

उषा को लगा इस छोटे से हॉल में एक मिनी भारत समा गया है । सबके आते ही कॉफी सर्व हुई ।उसके साथ ही सर्व हुए उषा के बनाएं स्प्रिंग रोल... सबने स्प्रिंग रोल की बेहद प्रशंसा की ।

' थैंक्स.. ।' कहते हुए पता नहीं उषा को ऐसा क्यों लगा कि वह यहां के लिए नई नहीं है । उसने इस ग्रुप को ज्वाइन करने का मन बना लिया । देवेंद्र के पास जहां कविताओं का भंडार था वहीं प्रकाश और शशि अच्छे गायक थे । नीलिमा अच्छी वक्ता... । ' श्री कृष्ण के बाल रूप की ' उन्होंने बहुत अच्छी व्याख्या की थी । वहीं नजमा ने स्वरचित गजल गाकर सबका मन मोह लिया था ।

अगले महीने का मीनू डिसाइड होने के साथ यह भी बता दिया गया कि किसको क्या क्या बनाना है । इसके साथ ही लीना के घर होली पर होने वाले कार्यक्रम में बना कर लाने वाले मीनू का भी निर्णय हो गया । इस दिन उसे फिर से स्प्रिंग रोल बनाने के आग्रह के साथ बच्चों को भी लेकर आने का निर्देश दिया गया । उसने भी उन सभी को अपनी पोती अनिला के कनछेदन में आने का निमंत्रण दे दिया । घर आते आते रात्रि के 12:00 बज गए थे । सोते हुए बार-बार उषा को उमा के शब्द याद आ रहे थे कि हम महीने में एक दिन अपनी जिंदगी जी लेते हैं ।

सुधा आदेश

क्रमशः