प्रकरण : 1
मित्रों, पहले महापुरुष के जीवन पर बात करने जा रहा हूँ आप मेरी बातो को पढेगे ओर जीवन कुछ उतारने का प्रयास करेंगे तो मेरा प्रयास सार्थक होगा ऐसा में मानता हूं! मेरी स्टोरीज को रेंटिंग नहीं देंगे तो चलेगा लेकिन पढना लास्ट तक! यही मेरी आप सबसे गुजारिश है!
में जिसकी पहले महापुरुष के रूप बात करने वाला हूँ उसे अगर आपके मन में ऐसा विचार आयेगा कि सबसे पहले तो महात्मा गांधी आने चाहिए फिर दुसरे व्यक्ति क्यु बात कर रहे हैं? उसका सीधा ओर सादा जवाब ये है कि महात्मा गांधी महात्मा थे! ओर सरदार, सरदार थे वो महात्मा गांधी जैसे नहीं थे! वो सबसे अलग थे!
वल्लभभाई झवेरभाई पटेल सच्चे देशभक्त थे! पहले तो वल्लभभाई के नाम से ही जाने जाते थे! लेकिन जब देश में आजादी के लिए अंग्रेजो के सामने लडाई लडी जा रही थी! तब
प्रमुख किसान आंदोलन था जिसका नेतृत्व वल्लभभाई पटेल ने किया था। उस समय प्रांतीय सरकार ने किसानों के लगान में 22 प्रतिशत तक की वृद्धि कर दी थी। पटेल ने इस लगान वृद्धि का जमकर विरोध किया। सरकार ने इस सत्याग्रह आंदोलन को कुचलने के लिए कठोर कदम उठाए, पर विवश होकर उसे किसानों की मांगों को मानना पड़ा। एक न्यायिक अधिकारी बूमफील्ड और एक राजस्व अधिकारी मैक्सवेल ने संपूर्ण मामलों की जांच कर 22 प्रतिशत लगान वृद्धि को गलत ठहराते हुए इसे घटाकर 6.03 प्रतिशत कर दिया। उसका नाम था बारडोली सत्याग्रह! बारडोली सत्याग्रह से वल्लभभाई को एक नई पहचान मिली! वो थी सरदार!
अब पुरे देश में सरदार को लोग जानने लगे! सरदार की वाह वाही होने लगी! महात्मा गांधी ओर दुसरे बहुत से लोगों को लगा कि सरदार एक कुशल व्यक्ति है! वो देश के लिए कुछ कर सकते हैं! फिर कही सारे आँदोलन में भाग लेने लगे! जैसे जैसे समय बितता गया वैसे वैसे सरदार का कद बढने लगा!
वल्लभभाई पटेल की अब नया पहचान बन गई अब वो 'सरदार 'हो गये थे! गाँधी जी भी कही बार सरहद को सरदार साहब कहकर बूलाते थे! कई आंदोलन ओर क्रांतिकारी का आकोश से अंग्रेजों ने भारत को आजाद करने का ऐलान कर दिया! लेकिन अंग्रेजो बहुत ही चतुर थे ओर उसने आजाद तो करनी बात कही साथ में देश में बंटवारा ऐसी राजरमत खेली!
सरदार ,गाँधी जी ओर नेहरू तीनो ने भी मान लिया था कि बंटवारा तो होगा ही! बंटवारा को रोकने का एक ही तरीका था की मोहम्मद अली जिना को भारत का प्रधानमंत्री बनाया जाऐ! ये बात देश के किसी भी लोगों को मंजूर नही थी ! देश को आजाद तो करते गई लेकिन समस्याओं की जाल भी बिछाते गई!
अब खरी परीक्षा थी सभी लोगों कि! सरदार दुरदंशी थी! उसने अपनी चतुराई से काम लेना का काम किया! देश में 565 जितने रजवाडे थे! उन सबको एक करना ओर वो भी कम समय में ! वो काम सरदार ने करके दिखाया! कई ऐसे रजवाडें थे उसको मनाने के लिए साम, दंड सब अपना लिया! सरदार पटेल के पास ऐसे गुण थे! सरदार पटेल देश हित कोई भी निर्णय ले सकते थे! किसी घर्म या जात पात में नहीं मानते थे! लेकिन फिर भी उसके आलोचक लोग सरदार हिन्दु के समर्थक थे!
सरदार साहेब कि दुसरी बात अगले पार्ट में करूंगा उसको पढने के लिए बने रहे! आज का पार्ट कैसा लगा वो जरूर बतायें
आज में मेरा वोटसऐप नंबर भी लिख रहा हूँ अगर कोई सजेशन है तो मुझे जरूर बताये अगर ऐसी कोई बात जिसे मैं नहीं जानता हूँ! मेरा वोटसऐप नंबर 9586163927 है! अगर कोई सजेशन है तो जरूर बतायें!
जय हिंद!