महापुरुष के जीवन की बात - 5 - सुभाष चंद्र बोस Pandya Ravi द्वारा जीवनी में हिंदी पीडीएफ

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महापुरुष के जीवन की बात - 5 - सुभाष चंद्र बोस

मित्रों, हम दो महापुरुष पर तो लिख चुके हैं आज ओर एक महापुरुष के जीवन पर लिखने जा रहे हैं !
आप मेरी बातो को पढेगे ओर जीवन में उतारने का प्रयास करेंगे तो मेरा प्रयास सार्थक होगा ऐसा में मानता हूं! मेरी स्टोरीज को रेंटिंग नहीं देंगे तो चलेगा लेकिन पढना लास्ट तक! यही मेरी आप सबसे गुजारिश है!


आज हम महान प्रतिभाशाली नेता जी पर लिख रहे हैं ! नेता जी नाम लिया तो आप सबको पता चल ही गया होगा कि मैं किसकी बात कर रहा हूं ! में सुभाष चन्द्र बोस के जीवन के बारे में लिख रहा हूं !

हमारे इतिहास में कुछ और ही पढ़ाया गया जिसने आजादी के लिए संघर्ष किया उसका नाम मिटाने का काम किया । सुभाष चंद्र बोस को इतिहास में सही तरह से पढ़ाया ही नहीं । उसका नतीजा है कि सुभाष चंद्र बोस के बारे में हम नय के बारे में नहीं जानते ।

सुभाषचन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी सन् 1897 को ओड़िशा के कटक शहर में हुआ था । उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माँ का नाम प्रभावती था । उसके पिता जी वकील का काम करते थे ।

कटक के प्रोटेस्टेण्ट स्कूल से प्राइमरी शिक्षा पूर्ण कर 1909 में उन्होंने रेवेनशा कॉलेजियेट स्कूल में दाखिला लिया। कॉलेज के प्रिन्सिपल बेनीमाधव दास के व्यक्तित्व का सुभाष के मन पर अच्छा प्रभाव पड़ा। मात्र पन्द्रह वर्ष की आयु में सुभाष ने विवेकानन्द साहित्य का पूर्ण अध्ययन कर लिया था। 1915 में उन्होंने इण्टरमीडियेट की परीक्षा बीमार होने के बावजूद द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण की।


1920 में ICS की परीक्षा पास की यह उनका उन दिनों उसका पुरुषार्थ था। लेकिन त्यागपत्र भारत मंत्री के पास भेज दिया और देशबंधु चितरंजन दास का शिष्यत्व स्वीकार करके राजनैतिक जीवन मे प्रवेश किया। देशबंधु जब कोलकाता कॉपोरेशन के अध्यक्ष चुने गए तो उन्होंने ने सुभाष चंद्र बोस को "चीफ एक्जीक्यूटिव " नियुक्त किया । सुभाष बाबू ने आते ही दो निर्णय दिए 1 अंग्रेजों का मानपत्र बंद कर भारतीय को मानपत्र देना प्रारंभ कर दिया और दुसरा प्राथमिक शिक्षा मुफ्त को मुफ्त कर दिया ।
रवींद्रनाथ ठाकुर की सलाह के अनुसार भारत वापस आने पर वे सर्वप्रथम मुम्बई गये और महात्मा गांधी से मिले। मुम्बई में गांधी जी मणिभवन में निवास करते थे। वहाँ 20 जुलाई 1921 को गाँधी जी और सुभाषचंद्र बोस के बीच पहली मुलाकात हुई। गाँधी जी ने उन्हें कोलकाता जाकर दासबाबू के साथ काम करने की सलाह दी। इसके बाद सुभाषचंद्र बोस जी कोलकाता आकर दासबाबू से मिले। उन दिनों गाँधी जी ने अंग्रेज़ सरकार के खिलाफ असहयोग आंदोलन चला रखा था। दासबाबू इस आन्दोलन का बंगाल में नेतृत्व कर रहे थे। उनके साथ सुभाष इस आन्दोलन में सहभागी हो गये।

सुभाषचंद्र बोस देश के एक महत्वपूर्ण युवा नेता बन गये। सुभाष चंद्र बोस पहले से ही लोगों को अपने भाषण के माध्यम से प्रभावित करते थे । उन्होंने
जवाहरलाल नेहरू के साथ मिलकर कांग्रेस के अन्तर्गत युवकों की इण्डिपेण्डेंस लीग शुरू की। जब साइमन कमीशन भारत में आया तब कांग्रेस ने उसे काले झण्डे दिखाये। कोलकाता में सुभाषचंद्र बोस ने इस आन्दोलन का नेतृत्व किया था ।


सुभाष चंद्र बोस की दुसरी अनसुनी बातें दुसरे भाग में करने का प्रयास करुंगा ।

भारत माता की जय
वंदे मातरम


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