महापुरुष के जीवन की बात - 4 Pandya Ravi द्वारा जीवनी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

महापुरुष के जीवन की बात - 4

मित्रों , आज बहुत समय बाद में हमारे महापुरुषों के जीवन की बात को आगे बढ़ाने जा रहा हूं । थोड़ा टाइम की वजह से मेरी सिरीज़ को आगे नहीं बढ़ा पाया था उसके लिए सभी वाचक मित्र से क्षमा याचना मांगता हूं ।

महापुरुषों के जीवन की पार्ट में सरदार पटेल जी के बारे में आपने पढ़ा । बहुत अच्छा प्रतिसाद भी मिला ! अब मैं देश में विरपुरूष महान प्रतिभा भगत सिंह पर लिखने वाला हूं ! भगतसिंह का नाम जब हम लेते हैं तभी हमारा उसके प्रति का मान बढ जाता है और हमें भी देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा मिलती है !


भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर 1907 में हुआ था ! भगत सिंह के परिवार के सदस्य पहले से ही स्वतंत्रता की लड़ाई में शामिल थे। वहीं वजह से उसके अंदर भी देश भक्ति का जुवार लगा ! वो आग की ज्वाला आजादी के आंदोलन में ले गई !

भगत सिंह का बचपन एक ऐसा मामला है जिससे उन्हें पता चला। देश के प्रति उनकी भावना बचपन से ही प्रबल थी। एक दिन जब वह अपने पिता के साथ अपने खेत में गए, तो उन्होंने अपने पिता से पूछा कि यह क्या है? उसके पिता ने विनम्रता से उत्तर दिया कि बेटा फसल है।
भगत सिंह ने एक और सवाल उठाया कि अगर हम इसके बदले बंदूकें ल उगाते हैं, तो इस देश के लोगों को कितना काम आऐगा। जो लड़का बंदूके ठीक से बोलना नहीं जानता वो इस तरह बात करने वाले बच्चे से थोड़ा अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह बच्चा क्या सोच रहा है।उसके पिता ने मन ही मन सोचा कि उसके बच्चे में देशभक्ति प्रबल है।

भगतसिंह बचपन से ही बहादुर थे ! वह जलीवाला बाग से भगत सिंह के जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ आया । जलियावाला बाग में जहां बड़ी संख्या में लोग ब्रिटिश कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे, वहीं ब्रिटिश सरकार के एक अधिकारी ने लोगों पर गोली चलाने का आदेश दिया। जलियावाला बाग में लोगों पर अंधाधुंध फायरिंग में हजारों लोग मारे गए।भगत सिंह को जब इस बात का पता चला तो वह जलियांवाला बाग गए और उन्हें देखा।
उस समय भगत सिंह केवल 12 वर्ष के थे।भगत सिंह ने वहां से कुछ धूल उठाई और अपने साथ घर ले गए। मैं उनका बदला जरूर लूंगा। एक दिन वो समय आ गया उसने अधिकारी को गोली मार दी। उसने बदला पूरा कर लिया !

भगत सिंह ने फिर अपना वेश बदल लिया ताकि कोई उन्हें पहचान न सके। गांधीजी ने शांति के लिए एक आंदोलन शुरू किया। वे भी इसमें शामिल हो गए। लेकिन गांधीजी के लिए उनके मन में सम्मान था इसलिए उन्होंने फैसला किया कि अब उन्हें हिंसा का रास्ता अपनाना होगा।

जब साइमन कमीशन के विरोध में पंजाब में लोग जमा हुए तो भगत सिंह भी शामिल थे। वहां पर लाला लाजपतराय भी शामिल थे ! लाला लाजपतराय पर अंग्रेज अफसर ने लाठीचार्ज किया ! लाला लाजपतराय जी को ईजा हुए ! कुछ दिन बाद लाला लाजपतराय के मृत्यु का समाचार मिला ! भगतसिंह ने मन ही मन इसका बदला लूंगा।

भगत सिंह और उनके सहयोगी राजगुरु, सुखदेव सभी ने फैसला किया। भगत सिंह ने पार्लामेन्ट के अंदर बम फेंका। उनका इरादा अंग्रेजों को जगाने का था। भगत सिंह और उनके सहयोगियों को गिरफ्तार कर लिया गया
उन तीन पर मुकदमा चला ! तीनों को फांसी देने का ओर्डर दिया ! तीनों को फांसी मिलने वाली है वो समाचार देश के लोगों तक पहुंचे तब लोगों में आक्रोश दिखने को मिला ! उसके वजह से फांसी के एक दिन पहले ही फांसी पर लटका दिया ! फांसी पर लटकाया तब तीनों ने एक नारा दिया ! वो नारा था इंकिलाब जिंदाबाद ! हंसते मुंह फांसी का स्वीकार किया !

भगत सिंह जी पर तो बहुत कुछ लिखा जा सकता है लेकिन कम लिखा है ताकि दुसरे महापुरुषों के जीवन पर लिख शंकु ! मेरी बात समाप्त करता हूं

भारत माता कि जय
भगत सिंह अमर रहे