मोहब्बत हो गयी है तुम्हें ( भाग 4 ) Laiba Hasan द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

मोहब्बत हो गयी है तुम्हें ( भाग 4 )

अगर आप ने इस कहानी के तीसरे दूसरे और पहले भाग को नहीं पढ़ा है तो सबसे पहले उन्हें पढ़ लें फिर आगे बढ़ें...

( वैसे अगर आप ये भाग पढ़ रहें हैं तो जाहिर सी बात है पिछले भी पढ़ ही चुके होंगे )

तो फिर शुरू करते हैं ये भाग और मिलते हैं कुछ नये किरदारों से...

ऐना रेस्टोरेंट में बैठी पास्ता खा रही थी और सालार मोबाइल में जरूरी मेल्स चेक कर रहा था लेकिन उसके दिमाग में रह रह कर हिना की बात घुम रही थी.

ऐना एक बात बताइए.
जी पापा, ऐना ने सालार की तरफ देखते हुए पुछा
ऐना मैंने आपको समझाया था ना कि अनजान लोगों से बात नहीं करते फिर आप उस लड़की के साथ क्यों जा रहीं थी
आपकी हिना फुफ्फो बता रहीं थीं के वो आपको जबरदस्ती ले कर जा रही थी..
पापा मैंने उनसे कोई बात नहीं की मैंने उन्हें अपना नाम भी नहीं बताया, ऐना ने मासुमियत से जवाब दिया
अच्छा उसने आप से कोई बदतमीजी तो नहीं की थी ना.
नहीं पापा वो तो बहोत प्यार से बात कर रहीं थीं.
अच्छा आप को और कुछ खाना है, सालार ने ऐना के सिर पर हाथ फेरते हुए पुछा..
ऐना ने नहीं में गर्दन हिलाई
फिर आप इसको आराम से फिनीश कीजिए उसके बाद घर चलेंगे..सालार ने प्यार से कहा और अपने मोबाइल में कुछ देखने लगा।

टाइम देखें आम्मा साढ़े ग्यारह बज रहे हैं भाई अभी तक नहीं आए, हिना ने घड़ी की तरफ देखते हुए कहा..
ले गया होगा आपनी शहजादी को कहीं घुमाने फिराने हमसे बताता ही कब है कुछ, सादिया बेगम ने भी दिल हल्का करने की कोशिश करते हुए कहा..
हां ये ऐना भी बिल्कुल अपनी मां की तरह ही है भाई ने बदतमीज बना रखा है बिल्कुल जैसे इसकी मां न,
अरे अरे तुझे कितनी बार समझाया है मैंने की उसके बारे में बात मत किया कर, हिना की बात पुरी होने से पहले ही सादिया बेगम आंखें दिखाते हुए बोल पड़ी.
क्या है आम्मा कौन सा भाई हैं इस वक़्त घर में, हिना ने मुंह बिचकाते हुए कहा.
है नही तो आता होगा ना सुन लिया ना उसने तो होश दुरूस्त कर देगा तेरे.
अच्छा अच्छा ये तो बताइए के आबदा बाजी कब आ रही हैं आप गयी थीं ना आज कुछ बताया उन्होंने, हिना ने अपनी मां के बगल में बैठते हुए पुछा.
अब क्या बताऊं मेरी बच्ची को अपने ही घर में आने के लिए सोचना पड़ता है अब अगर आएगी तो अकेली वो आऐगी नही ना रिदा और आऐदा को लेकर आती है तो ऐना शहजादी के नखरे हैं कि दोनों बच्चियां उसको परेशान करती हैं.
लो भाई उसको क्या कोई परेशान करेगा वो खुद हमारी नाक में दम किए रहती है, हिना ने हमेशा की तरह बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा.
वही ना सालार को भी यही लगता है कि दोनों बच्चियां उसकी शहजादी को परेशान करती हैं खैर चलो एक बार को सालार कुछ नहीं भी कहता है आखिर मामू है वो दोनों का लेकिन आबदा के साथ पिछलला लग के उसकी ननद रानिया जो आ धमकती है वो सालार को एकदम नाकाबिले बर्दाश्त है, सादिया बेगम ने फिर से उदास लहजे में कहा.
आबदा बाजी भी तो हर बार उसको ही लेकर आ जाती हैं अगर लाना ही है तो कभी मोमल को लेकर आ जाया करें।

मोमल आई है, सीढ़ी उतरते रोहान ने चहकते हुए अंदाज में हिना से पुछा.
खुल गई लाड़ साहब की नींद, सादिया बेगम ने ताना मारते हुए कहा.
जी प्यारी आम्मीजान, रोहान ने सादिया बेगम के कंधों पर हाथ रखते हुए कहा.
चलो ज्यादा चोंचले मत करो किसी काम के तो हो नही बस सोते रहते हो, सादिया बेगम ने बनावटी नाराजगी दिखाते हुए कहा क्योंकि ऐसा तो कभी हो ही नहीं सकता था की वो अपने लाडले से नाराज़ हो.
अब कालेज बन्द है तो क्या करू.
ठीक है चलो खाना खा लेते हैं बारह बज रहे हैं, सादिया बेगम ने घड़ी की तरफ देखते हुए कहा
भाई किधर हैं उन्हें तो बुलाए, रोहान ने सालार की खाली कुर्सी की तरफ देखते हुए पुछा.
वो ऐना को लेकर बाहर गया है इतनी देर हो गई है अब खा पी कर ही आएगा वो, सादिया बेगम ने कुर्सी पर बैठते हुए कहा.

चार पांच बार करवटें बदलने के बाद आखिर मैं हानिया उठ कर बैठ गयी .
क्या बात है एक बजने को हैं फिर भी नींद नहीं आ रही आज, उसने घड़ी की तरफ देखते हुए सोचा
थोड़ा बालकनी का चक्कर लगा आती हुं फिर शायद नींद आ जाए, हानिया ने आम्मी की तरफ देखा वो गहरी नींद में सो रहीं थी वो चुपचाप कमरे का दरवाजा भेड़ कर बाहर निकल आई.
बरामदे में लगी चेयर पर बैठते हुए हानिया ने आसमान की तरफ देखा सितारों की वजह से आसमान रौशन था लेकिन चांद कही नजर नहीं आ रहा था काफी सन्नाटा पसरा हुआ था ये सन्नाटा उसे पिछे ले जाने के लिए काफी था.

क्या देख रही हो इस तरह आसमान में इतनी चुपचाप अच्छी नहीं लगती तुम, हानिया को चुपचाप बैठ कर आसमान को निहारते देखा तो वो भी वहीं सीढ़ियों के किनारे बैठ गया
कुछ नहीं.
कुछ तो देख रही थी.
हां मै देख रही थी के चांद कितना खूबसूरत है ना. हानिया ने चांद की तरफ देखते हुए कहा
हां है तो लेकिन मैंने तो इससे भी ज्यादा खुबसूरती देखी है. उसने मुस्कुराते हुए कहा
अच्छा मुझे भी दिखा दें ना, हानिया ने कहा.
तुम शीशा नही देखती शायद, उसने नजर भर कर हानिया को देखा और उठकर खड़ा हो गया.
आप बहोत झूठ बोलते हैं, हानिया ने भी खड़े होते हुए कहा
हां शायद बोलता हूं लेकिन तुमसे नहीं बोला कभी, उसने हानिया की तरफ देखते हुए कहा.
तो अभी थोड़ी देर पहले क्या कहा,
सच बोला था हानि तुमसे ज्यादा खुबसूरत मेरी नज़र में कोई नहीं है,
मै कैसे यकीन करूं, हानिया ने कुछ सोचते हुए कहा.
तुम अगर मुझे पहले मिली होती तो मैं ये साबित भी कर देता, अलयान ने किसी गहरी सोच में डुबते हुए कहा.
अब क्यों नहीं कर सकते, हानिया ने उसकी आंखों में देखते हुए कहा.
लेकिन अलयान ने उसकी तरफ से नजरें फेर ली और अपने कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर लिया.

तुम सच में बहोत बड़े झूठे थे अलयान, वर्तमान की दुनिया में वापस आ कर हानिया ने मन ही मन कहा और फिर सोने के इरादे से कमरे की तरफ चल पड़ी।

अच्छा हिना जब मैं नीचे आ रहा था तो मोमल के बारे में क्या बातें हो रही थी, खाना ख़त्म करने के बाद रूमाल से मुंह पोछते हुए रोहान ने पुछा.
मोमल के नही आबदा बाजी के बारे में बात हो रही थी, हिना ने जवाब दिया और और मां के सामने वाले सोफे पर बैठ गयी सादिया बेगम जोकि खाना खाने के बाद अब टीवी देखने में मसरूफ थीं
ठीक है तो फिर मै भी चलता हूं अपने रूम में, रोहान धीरे से कदम बढ़ाते हुए हिना के पास आया और उसके सिर पर जोर से मार कर हंसता हुआ सीढ़ियां चढ़ता उपर चला गया.
आम्मा देखा अपने, हिना ने सिर सहलाते हुए शिकायती लहजे में सादिया बेगम से कहा.
सादिया बेगम ने टीवी पर से नजरें हटा कर हिना की तरफ देखा और वापस टीवी पर नजरें गड़ा ली।

तभी गेट खुला और सालार सोई हुई ऐना को कंधे पर उठाएं अंदर दाखिल हुआ.

बेटे आज ज्यादा देर नहीं करदी तुमने, सादिया बेगम ने कहा
जी आम्मी ऐना को उसकी फेवरेट दुकान से आइसक्रीम दिलवाने में थोड़ा ज्यादा टाइम लग गया.
खाना तो खा कर ही आए होंगे ना.
आप सब ने खाया.
हां हम तीनों ने तो खा लिया हमने सोचा ऐना को कुछ खिलाने गए हो तो तुमने भी खा ही लिया होगा.
हुं मै सोने जा रहा हूं सुबह मुलाकात होगी शब्बा खैर.
शब्बा खैर, सादिया बेगम ने टीवी बन्द करते हुए कहा.

सालार ने ऐना को उसकी बेड पर लिटाया और लाईट बंद करके अपने रूम की तरफ चल पड़ा उसको शावर लिए बिना नींद नहीं आती थी आदत के मुताबिक उसने शावर लिया और तौलिया से बाल पोछंते हुए बेड पर बैठ गया उसे अक्सर ये घर अपना नही लगता था आज फिर उन लोगों ने उसके बिना ही खाना खा लिया जबकि उन्हें पता था कि सालार को बाहर का खाना नही पसंद वो कभी बाहर लंच या डिनर नही करता था खैर शिकवा शिकायत करने की उसकी आदत भी नहीं थी और ना ही उसे अब किसी भी बात का कोई खास दुख होता था उसने लम्बी सांस खींची और लाईट ऑफ करके आंखें बंद करके लेट गया कल सुबह खोलने के लिए कल भी कौन सा कुछ खास होने वाला था वही रोज सा रूटीन था घर से आफिस और आफिस से फिर दोबारा घर दिन भर उसको सुकून सिर्फ ऐना के पास ही मिलता था वही उसके जीने की वाहिद वजह थी

क्या सालार को उसको जीने की कोई और वजह भी मिलेगी??

क्या हानिया की जिंदगी यूंही बीते कल और आज में उलझी रह जाएगी??

इस भाग में आप मिले इस कहानी के एक नए किरदार से लेकिन कुछ किरदार और भी हैं जो आपका अगले भाग में इंतेज़ार कर रहे हैं अगला भाग भी जल्द ही लाने की कोशिश करूंगी तब तक आप लोग इस कहानी पर आपनी कीमती समीक्षा जरूर दें और अपनी दुआओं और प्रार्थनाओं में सारे देश वासियों को जरूर याद रखें...