मोहब्बत हो गयी है तुम्हें - (भाग 8) Laiba Hasan द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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मोहब्बत हो गयी है तुम्हें - (भाग 8)

अच्छा हानिया बाजी मै चलती हुं अब आंटी जी तो सो रही हैं उनकी चाय नही बनाई मैने , हानिया को शाम की चाय का कप थमाने के बाद किरन ने घड़ी की तरफ देखते हुए कहा जो कि 6:10 वक़्त दिखा रही थी..
हां जब वो उठेंगी तो मै खुद बना दूंगी अच्छा मै ये सोच रही थी कि कल तो संडे है तुम चाहो तो ना आओ कल क्योंकि मै घर पर ही रहुंगी कापियां वगैरह भी चेक करनी है बच्चों की तो तुम कल नही भी आओगी तो कोई बात नहीं..
अच्छा बाजी अल्लाह हाफ़िज़,
अल्लाह हाफ़िज़ ख्याल से जाना, हानिया ने मुस्कुराते हुए कहा और चाय का कप होंठों से लगा लिया।

ऐना चलिए अब सो जाइए रात के 11 बज रहे हैं, सालार ने ऐना को गुड़िया से खेलते हुए देख कर कहा.
पापा कल स्कूल तो नहीं जाना है फिर मै थोड़ी देर और क्यों नहीं खेल सकती, ऐना ने हमेशा की तरह मासुमियत से पूछा था..
हां कल स्कूल नहीं जाना है तो आप कल सारा दिन खेल सकती हैं ना अभी सो जाइए बच्चों को जल्दी सोने और उठने की आदत होनी चाहिए, सालार ने ऐना को प्यार से समझाया..
पापा आप को याद है आपने प्रोमिस किया था हम कल पार्क जाएंगे ना, ऐना ने अपनी गुड़िया साइड में रख कर लेटते हुए पुछा..
हां बिल्कुल जाएंगे पापा ने कभी झूठ बोला है आप से अब आप आंखें बंद किजीए और सोने की कोशिश किजीए, सालार ने अपनी लाडली ऐना के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा और थोड़ी देर में ऐना गहरी नींद में हो गई तो‌ सालार बेड पर से उठा और रूम की लाईट ऑफ करके बाहर की तरफ चल दिया।

संडे की सुबह

सुबह बखैर.. आम्मी ये लिजीए आपकी चाय, हानिया ने चाय का मग आम्मी की तरफ बढ़ाते हुए कहा..
सुबह बखैर, आम्मी ने मुस्कुराते हुए कहा और चाय का मग थाम लिया..

आप के लिए नाश्ता क्या बनाऊं, हानिया ने पूछा
तुम्हारे हाथ का बना पोहा खाएं हुए काफी वक़्त गुज़र गया,
हां मेरा भी काफी दिनों से पोहा खाने का मन कर रहा है बस दस मिनट में बना कर लाती हूं, हानिया ने कहा और किचन की तरफ चल दी।

रोहान लगता है तुमने मेरी उस दिन की बात पर गौर नही किया, सालार ने नाश्ते की मेज पर रोहान से पूछा.
सिर्फ संडे का ही दिन होता था जब सालार आराम से नाश्ता करता था घर पर..
नही भाई ऐसी बात नहीं है मैंने सोचा उस बारे में,
ऐना दूध का ग्लास पूरा खाली किजीए.. सालार ने दूध का ग्लास वापस ऐना को थमाते हुए कहा..
तो फिर कब से आफिस आ रहे हो, फिर रोहान से मुखातिब होते हुए पुछा...
यही कल या परसों से जाएगा, सादिया बेगम ने रोहान की तरफ से जवाब दिया।
मैंने अभी तय नहीं किया है आम्मी, रोहान ने अपनी राय का इजहार करते हुए कहा..
तो तय कर लो कि तुम्हें जिंदगी में कुछ सिखना भी है या नहीं दिन भर या तो अपने कमरे में रहोगे या बाहर वक़्त बर्बाद करने से बेहतर है कि आफिस जाकर थोड़ा काम समझो बड़े भाई की मदद करो सालार तुम इसके लिए केबिन साफ करवा देना, सादिया बेगम ने हर बार की तरह रोहान को आफिस जाने के लिए मजबूर करते हुए कहा...
नही भाई मै सोच कर खुद ही बताउंगा आपको, रोहान ने अपनी आम्मी की बात को काटते हुए कहा.
ठीक है मुझे इंतेज़ार रहेगा, सालार ने कहा और अपना काफी मग उठा कर पीने लगा..
आम्मी आप ये जूस पीये, हिना ने रोहान की बेवकूफी पर अपनी आम्मी के गुस्से से लाल होते चेहरे को देखा तो उनकी तरफ जूस का गिलास बढ़ाते हुए कहा..
सादिया बेगम ने जूस का गिलास लिया और मन ही मन रोहान की बेवकूफी पर चिढ़ते हुए जूस पीने लगी।

ये लें आपका मनपसंद पोहा तैयार है, हानिया ने अपनी और अम्मी की प्लेट टेबल पर रखी और चेयर पर बैठ गयी...
कैसा बना है आम्मी, हानिया ने पुछा..
हर बार की तरह अच्छा, आम्मी ने मुस्कुराते हुए कहा
मै और लेकर आती हुं फिर आपके लिए, हानिया ने खड़े होते हुए कहा..
अभी नही थोड़ी देर बाद ले आना, हानिया की आम्मी ने उसको बैठने का इशारा करते हुए कहा...
हानि तुमने शादी के बारे में क्या सोचा है,
ये बात अचानक क्यों आम्मी, हानिया ने चम्मच प्लेट में रखते हुए कहा..
पिछले पांच सालों में मुझे नही लगा की अभी सही वक़्त है तुमसे इस बारे में बात करने का लेकिन मै ये नही चाहती की और भी कई साल गुजर जाएं मुझे लगता है अब तुम्हें इस बारे में सोचना चाहिए,
आम्मी क्या मै आपको बोझ लगने लगी हुं, हानिया ने उदास लहजे में पुछा..
नहीं मेरी जान तुम ऐसा बिल्कुल मत सोचो बेटियां कभी बोझ हो सकती हैं क्या वो तो हर बोझ को हल्का कर देती है जैसे तुम करती आ रही हो हमेशा से,
फिर आप ऐसी बातें क्यों कर रही हैं,
देखो हानिया इंसान की मौत और जिन्दगी का कोई भरोसा नहीं होता है आज मै हुं लेकिन हमेशा नही रहुंगी,
नही आम्मी, हानिया ने तड़प कर कहा और उसकी आंखें आंसुओं से भर गई उसे लगा जैसे किसी ने कोई दर्दनाक चीज उसके दिल में चुभो दी हों आम्मी के बिना जिंदगी का तसव्वुर भी नहीं किया जा सकता था उससे...
मै जानती हु हानि की मेरे बिना रहने का तसव्वुर करना भी तुम्हारे लिए आसान नहीं है लेकिन इंसान हकीकत को जितनी जल्दी तस्लीम करले उसके हक में बेहतर होता है,

हानिया ने कुछ नहीं कहा क्योंकि जब ज्यादा तकलीफ़ होती तो उसके मुंह से अल्फाज़ नही निकलते थे
पिछले पांच सालों में जो कुछ भी हुआ तुम्हारे आब्बु का हमे छोड़ कर चले जाना अलयान का तुम्हें जिंदगी भर की तकलीफ़ दे जाना मै चाहती हुं तुम इन सब बातों को छोड़ कर आगे की तरफ देखो,
अलयान का नाम सुनकर हानिया को और ज्यादा तकलीफ़ महसूस हुई ये वो हकीकत थी जो वो आज तक भुला नहीं पाई थी..
हानिया मै तुम्हे शादी के लिए मजबूर नही कर रही हुं और ना ही कभी करूंगी मै बस तुम्हें खुश देखना चाहती हुं तुम चाहे जिस तरह भी खुश रहो लेकिन बस खुश रहो मेरी जान, अम्मी ने हानिया के सिर पर हाथ रखते हुए कहा...
जानती हूं आम्मी की आप मुझसे कितना प्यार करती हैं आप हैं तभी तो मै हुं, हानिया ने अपनी आम्मी के दोनों हाथों को आंखों से लगाते हुए कहा..
अच्छा अब मुझे थोड़ा और पोहा मिलेगा कब से प्लेट खाली है,
जी जी बिल्कुल हानिया ने कहा और प्लेट लेकर किचन की तरफ चल दी कुछ सेकेंड बाद जोहर की अजान की आवाज अम्मी के कानों में पड़ी तो उन्होंने दुआ के लिए हाथ बुलंद कर दिये..
या मेरे पाक परवरदिगार आप जिसको जो चाहे वो अता कर सकते हैं मेरी और मेरी बच्ची की जो भी गुनाहे हैं उन्हे माफ करदे और मेरी बच्ची को वो सारी खुशियां दे दे जिसकी अब उसे कोई उम्मीद नहीं है मै नही जानती की मै इस दुनिया में उसके साथ कब तक हुं लेकिन बस आप उसके नसीब में एक ऐसा हमसफ़र लिख दें जिसके होते उसे किसी की भी कमी महसूस ना हो आमीन, अम्मी ने आमीन के साथ दुआ खत्म करते हुए कलमा पढ़ कर मुंह पर हाथ फेरा..
सुम्मा आमीन, हानिया कुछ मिनटों पहले ही आकर बैठ चुकी थी..
मेरे लिए दुआएं कर रही थीं ना आप क्या दुआएं की ये भी बता दें,
अभी नही जब कुबूल हो जाएंगी तब बताउंगी अभी तुम मेरे पोहे की प्लेट इधर लाओ, अम्मी ने माहौल को हल्का करने के लिए मजाकिया लहजे में कहा..
जी जी क्यों नहीं, हानिया ने प्लेट आम्मी की तरफ खिसकाते हुए कहा..
अच्छा अगर किरन आ जाती तो वो भी खुश हो जाती पोहा देखकर, हानिया ने कहा
हां ये तो हैं, अम्मी ने सहमति जताई और फिर दोनों मां बेटी बातों में मसरूफ हो गई...

क्या बात है बड़ी भाभी इतना तैयार शैयार हो कर कहा जाया जा रहा है लगता है भाई के साथ संडे मार्केट घूमने का प्लान बना है, रानिया ने आबदा को शीशे के सामने संवरते हुए देखा तो उससे पूछे बिना रहा नहीं गया...
हां बड़ा वक़्त ही होता है तुम्हारे भाई के पास जाकर देखो छत पर बैठे अपने लेपटॉप में घुसे होंगे वो क्या संडे मार्केट लेकर जाएंगे, आबदा ने दिल हल्का करते हुए शिकायती लहजे में कहा..
अच्छा तो फिर आप कहां जा रही हैं, रानिया ने बेड पर बैठते हुए पूछा..
घर जा रही हुं,
अच्छा कितने दिनों के लिए, रानिया ने खुशी से चहकते हुए कहा उसे लगा जैसे सालार से मिलने का मौका बस उसके हाथ आ ही गया...
आज भर के लिए ही जा रही हुं तुम्हें कोई जरूरी बात करनी है तो बताओ मुझे देर हो रही है ऑटो आ गयी होगी बाहर, आबदा ने कहा और अलमारी से नकाब निकाल कर पहनने लगी
जरुरी बात नहीं है,
तो फिर,
आज सुबह जब मैं किचन में गई तो मोमल और सामेआ आप के बारे में बातें कर रहीं थीं, रानिया ने हर बार की तरह आबदा के साथ जाने के लिए जाल फेंका..
अच्छा मेरे बारे में क्या बात कर रहीं थीं दोनों बुराई ही कर रही होंगी है ना,

बड़ी भाभी आ जाएं ऑटो इंतेज़ार में खड़ी है कबसे...मोमल ने बाहर से आवाज लगाई..

रूको आ रही हुं, आबदा ने अपना पर्स उठाते हुए कहा
जाने दें आपको देर हो रही है कल बता दूंगी अगर याद रहा तो, रानिया को अभी भी उम्मीद थी कि आबदा जाल में जरूर फसेंगी..
कल क्यों तुम मेरे साथ चलो रास्ते में बता देना जाओ अपना हुलिया दुरूस्त करके आओ मै ऑटो में इंतेज़ार करती हुं तुम्हारा, और अगले ही पल आबदा जाल में फस चुकी थी..
जी बस दो मिनट में आती हुं, रानिया ने कहा और मन ही मन अपनी अक्ल पर फक्र करते हुए अपने कमरे की तरफ दौड़ पड़ी उसे पता था कि ये ट्रिक जरूर काम आएगी आबदा अपने बारे में कोई बात जानने के लिए दूसरे दिन तक सब्र कर ही नहीं सकती थी अब रानिया को ये सोचना था कि वो कौन सी झूठी कहानी बनाकर आबदा को सुनाए जोकि उसके लिए कोई मुश्किल काम नहीं था..रानिया ने फटाफट कपड़े बदले और अपने भर तक सालार को लुभाने के लिए अच्छा खासा पाउडर लगा कर तैयार हो गई बाहरी खुबसूरती की जगह अगर उसने थोड़ा गौर अपनी हरकतों पर किया होता तो शायद सालार एक ही बार सही लेकिन उसके बारे में सोचता तो जरूर ही लेकिन अब रानिया को आप या मै तो समझा नही सकते की हर लड़का सिर्फ हुस्न पर ही नही फिदा होता खैर उसने ज्यादा देर ना करते हुए जल्दी से बाहर की तरफ दौड़ लगा दी की कहीं आबदा उसे छोड़ कर ही ना निकल जाए..

अम्मी कहां हैं, उसने सब्जी काटती हुई मोमल से पूछा..
सो रही हैं अंदर,
अच्छा उठेंगी तो उनसे बोल देना की भाभी अपने घर जा रहीं थी तो मुझे भी जबरदस्ती अपने साथ ले गयीं, रानिया ने कहा और घर के बाहर निकल गई..
अच्छा, मोमल ने कहा और जबरदस्ती लफ्ज़ पर गौर करते हुए उसे हंसी छूट पड़ी।

ओह ये कहां चली गई, हानिया ने कापियां ढूंढने के लिए पूरा बैंग ही खाली कर दिया..
कहीं स्नेहा को तो नही दे दी थी मैंने, हानिया ने तूरंत स्नेहा का नम्बर डायल किया...
हैलो, दूसरी रिंग जाने से पहले ही उधर से स्नेहा ने कॉल उठा लिया..
हैलो स्नेहा सुनो मैने कल तुम्हारे पास कापियां रखवाई थीं क्या,
कल कौन सी वो 4th क्लास वाले बच्चों की, स्नेहा ने याद करते हुए पूछा...
हां-हां वही सोचा था आज कोई काम नहीं है आराम से घर पर कापियां चेक कर लूंगी लेकिन अभी देख रही हुं तो है ही नहीं,
अरे कहां से मिलेंगी केंटीन से वापस आने के बाद तुमने डेस्क में से कापियां निकाली ही नहीं थी अजीब भुलक्कड़ हो तुम, स्नेहा ने हंसते हुए कहा
उफ अब क्या करूं मै आज पूरा दिन पड़ा हुआ है और कोई काम ही नहीं है, हानिया ने अफसोस भरे लहजे में कहा
कुछ नही करना क्या है जाओ बाहर थोड़ा घूमो फिरो संडे के मज़े लो,
अच्छा जैसे की तुम्हें पता ही नही है की मुझे बाहर घूमने फिरने का कोई खास शौक नहीं है, हानिया ने कहा और खिड़की के पास आकर खड़ी हो गई..
हां पता है लेकिन मौसम तो देखो बाहर निकल कर कितना मस्त हो रहा है,
हानिया ने खिड़की का शीशा खोला तो हवा का ठंडा झोंका उसके बालों को सहला कर गुजर गया.. हां लगता है कुछ दिनों में अच्छी खासी ठंड हो जाएगी,
अच्छा चलो बाय मै फोन रखती हुं किसी का कॉल आ रहा है शायद, स्नेहा ने कहा और कॉल कट कर दी..
बाय, हानिया ने भी मोबाइल टेबल पर रखा और आम्मी के कमरे की तरफ चल दी।

अस्सलाम ओ अलैहकुम आम्मा, आबदा ने घर में दाखिल होते ही सबसे पहले अपनी मां यानि सादिया बेगम को सलाम किया और उनके गले लग गयी..
पीछे ही धीरे कदमों से आबदा की जुड़वां बेटियां रिदा और अऐदा के साथ अंदर आती रानिया ने भी सलाम किया..
सादिया बेगम ने खुशी खुशी अपनी बेटी को गले लगाया और नवासियों को भी ढ़ेर सारी दुआएं दी...
रोहान और हिना नजर नहीं आ रहे हैं खाला कहीं बाहर गए हैं क्या आज तो संडे है सब घर पर ही होते हैं, चाय नाश्ता करने के बाद रानिया ने पूछा वैसे पूछना तो वो सिर्फ सालार को चाहती थी लेकिन सीधे सीधे उसको पूछ भी तो नहीं सकती थी..
नही घर पर ही हैं सब छत पर टहल रहे हैं सुबह से,
अच्छा मै भी जा सकती हुं खाला, रानिया ने मिन्नत करते हुए कहा..
हां हां क्यों नहीं इसमें भी कोई पूछने वाली बात है जरूर जाओ, सादिया बेगम भी कबसे रानिया को इधर से दफा करना चाह रहीं थीं क्योंकि उनको अपनी बेटी से उसके सुसराल वालों की खबर जो लेनी थी...
रानिया उठी और खुशी खुशी सीढ़ियां चढ़ती ऊपर चल दी..

आम्मी हम भी ऐना के साथ खेलने जाएं, आऐदा ने अपनी मां आबदा से पूछा
हां तुम जाओ सिर्फ,
मै क्यों नहीं जा सकती अम्मी, रिदा ने मुंह फुलाकर पूछा..
तुम नही जाओगी क्योंकि तुम्हारे मामूजान भी घर पर ही हैं और तुम बहोत शैतानी करती हो तुम्हें मालूम नही है क्या की वो कितने गुस्से वाले हैं,
आऐदा जाएगी तो मै भी जाउंगी, रिदा ने अपनी आदत के मुताबिक जिद की..
अरे आबदा जाने दो ना दोनों को डांट खाएगी तो खुद समझ आ जाएगा, सादिया बेगम ने चिढ़कर कहा क्योंकि उन्हें आबदा से बात करने का सही से मौका नही मिल रहा था...
अरे नही अम्मा आबदा ने कहा और अपनी बच्चियों की तरफ मुखातिब हुई तुम दोनों ही नही जा रही हो बैठो चुपचाप यहीं अगर अगली बार आना है तो, आबदा ने गुस्से में कहा था इसलिए दोनों चुपचाप बैठ गई..

रानिया ने छत पर जाने के बजाय ऐना के कमरे की तरफ का रूख किया क्योंकि बकौल उसके उसकी मंजिल सालार था जिसका रास्ता ऐना की तरफ से होकर गुजरता था वो छत पर जाती भी क्यों वो यहां रोहान और हिना के लिए थोड़ी ना आई थी..

रानिया उसके रुम मे दाखिल हुई तो ऐना डाइंग बना रही थी..

हैलो ऐना, रानिया ने वहीं उसके पास बेड पर बैठते हुए कहा..
हाऐ रानिया फुफ्फो, ऐना भी उसे देखकर मुस्कुरा कर कहा और वापस डाइंग करने में मशगूल हो गई..
लेकिन अपने लिए फुफ्फो लफ्ज़ सुनकर रानिया को तो जैसे काटो तो खून नहीं वाला हिसाब हो गया था...कितनी बार इस पागल लड़की को समझा चुकी हुं की मै इसकी कही से भी फूफ्फो नही लगती लेकिन इसने तो जैसे मेरा दिल जलाने की कसम ही खा रखी है..रानिया ने मन ही मन ऐना को काफी कुछ कहा लेकिन मजाल है जो उसके मुंह से एक भी बुरा लफ्ज़ निकला हो,
डियर ऐना मैंने आपको कितनी बार समझाया है ना कि आप मुझे फूफ्फो ना कहा कि जीए लेकिन आप हर बार भुल जाती हैं, रानिया ने लहजे में शहद घोलते हुए कहा..
फिर क्या कहुं, ऐना ने पूछा..

ऐना क्या कर रही है आप, सालार ने रानिया की तरफ गौर ही नहीं किया क्योंकि उसने दूर से ही उसे देख लिया था और हमेशा की तरह उसका मुड बिगड़ गया था..
पापा मै डाइंग कर रही हुं,
अस्सलाम ओ अलैहकुम, रानिया ने मुस्कुराते हुए कहा वो एक लगातार उसे देखे जा रही थी
बकौल सालार वो उसे घूरती ही जा रही थी,
वा अलैयहिस्सलाम अस्सलाम, सालार ने सख्त लहजे में कहा वैसे तो उसका लहजा सख्त ही होता था हमेशा लेकिन रानिया की किसी भी बात का जवाब वो कुछ ज्यादा ही कड़े लहजे में देता था वो नही चाहता था कि रानिया उसे लेकर जरा भी खुशफहमी पालें,..ऐना थोड़ी देर में नीचे आइऐ हम पार्क चल रहे हैं, उसने कहा और सीढ़ियां उतरता हुआ नीचे की तरफ चल दिया..
ऐना खुशी खुशी सारा सामान बैग में डालने लगी..
फिर हमेशा की तरह रानिया की बात सलाम दुआ से आगे ना बढ़ सकी हाए हाल ही पूछ लेते कम से कम जालिम, रानिया ने मन ही मन कहा।

क्या बात है हानि कबसे सिर्फ चैनल बदलती जा रही हो तुम्हें देखना क्या है, हानिया की अम्मी उसे बीस मिनट से सिर्फ चैनल ही बदलते हुए देख रही थी आखिर उन्होंने पूछना ही सही समझा..
कुछ नही आम्मी बोरियत हो रही है बस कुछ अच्छा आता भी तो नही है ना अब टीवी पर,
तुमने कापियां चेक करनी थी ना स्कूल की बड़ी जल्दी कर लीं,
कहां आम्मी नही किया चेक मै कापियां स्कूल में ही भूल आई, हानिया ने अफसोस भरे लहजे में कहा और टीवी बन्द करके पलंग पर लेट गई..
इसमें अफसोस करने वाली क्या बात है कल चेक कर लेना,
हां वो तो मै कर ही लूंगी लेकिन अभी सिर्फ साढ़े चार बज रहे हैं और मेरे पास करने को कुछ है ही नही पता नही बाकि टाईम कैसे कटेगा, हानिया ने खुद को काम में इतनी बूरी तरह उलझा रखा था कि आज उसके पास कोई काम ना होने पर उसे शदीद बोरियत का एहसास हो रहा था..
जाओ कहीं बाहर घूम आओ, हानिया की अम्मी ने उसकी बोरियत दूर करने के लिए सुझाव दिया..
बाहर कहां जाऊं,
शापिंग मॉल हो आओ कुछ खरीदारी कर लेना अपने लिए,
आप तो जानती ही हैं ना आम्मी के मुझे शौपिंग वगैरह करने का बिल्कुल भी शौक नहीं है जब मुझे शदीद जरूरत महसूस होती है तभी मै शौपिंग मोल्स का रूख करती हुं वो भी मजबूरी में,
हां ये तो है ऐसा करो पार्क हो आओ काफी वक़्त हो गया तुम्हें पार्क गए हुए और मौसम भी काफी अच्छा हो रहा है बाहर,
आप को अकेली छोड़ कर जाऊं,
हां तो क्या हुआ मै तो आराम से बैठ कर टीवी देख रही हुं चली जाओ थोड़ी देर में वापस आ जाना..

तभी दरवाजे पर दस्तक हुई
कौन आया होगा, हानिया ने मन ही कहा और दरवाजा खोलने चल दी..
हानिया ने दरवाजा खोला तो हाथ में डब्बा लिए किरन खड़ी थी
अरे किरन तुम आओ अंदर, हानिया ने कहा और साइड हो कर खड़ी हो गई
किरन आ कर चारपाई पर बैठ गयी
इतनी देर में आई तुम किरन मुझे लगा आज तुम भी संडे की छुट्टी मना रही हो, हानिया की अम्मी ने कहा...
छुट्टी तो ली थी आंटी जी लेकिन घर पर कोई काम ही नहीं था दिन भर.पक गयी बैठे बैठे तो सोचा और ज्यादा पकने से अच्छा है कि आप की तरफ ही हो आती हुं,
हां मै हानिया से भी यही बोल रही हुं कब से खाली बैठे रहने से अच्छा है जाकर पार्क में ही टहल आए लेकिन इसने तो एक ही रट लगा रखी है आप को अकेली छोड़ कर जाऊं,
हां तो अब मै आ गई हुं हानिया बाजी मै और आंटी जी आराम से बैठ कर टीवी देख रहे हैं आप हो आइए पार्क से,
हां सही है मै बोर ही हो रही हुं,
लेकिन जाने से पहले ये खा लें आप के और आंटी जी के लिए गर्मागर्म आलू दम बना कर लाई हुं,
अरे नही तुम सिर्फ आम्मी के लिए निकाल कर ले आओ मैने थोड़ी देर पहले ही पोहे खाएं हैं,
बाजी आप ने पोहे बनाए थे,
थे नही हैं मुझे पता है तुम्हें भी हानि के हाथों से बने पोहे बहोत पसंद है तुम्हारे लिए निकलवा कर रख दिया हैं किचन में,
अच्छा आंटी जी मै लेकर आती हुं, किरन ने कहा और डब्बा लेकर किचन की तरफ बढ़ गई..
चलें फिर आप लोग खाएं पियें मै पार्क से होकर आती हुं, हानिया ने कहा और अपने रूम में से जयश्री रॉय की लिखी अपनी पसंदीदा नावेल साथ चलते हुए उठाई और चादर ओढ़ कर आम्मी को सलाम किया फिर धीरे-धीरे चलते हुए घर से बाहर पार्क की तरफ चल दी यही एक ऐसी नावेल थी जो चाहे वो‌ जितनी बार पढ़ ले कभी बोर नही होती।

सालार सबको सलाम करके रानिया के सामने से ऐना को लेकर जा चुका था लेकिन रानिया रोनी सूरत बनाए पांच मिनट से दरवाजे को ही तकी जा रही थी उसने तय कर लिया था की अब और देर नही करनी है कुछ ना कुछ तो उसे सोचना ही पड़ेगा।

सबसे पहले तो देर करने के लिए आप सब से बहोत ज्यादा माफी चाहुंगी आप ने मेरा इतना इंतजार किया उसके लिए बहोत बहोत शुक्रिया...

तो जैसा की आप सब समझ गए होंगे कि अगले भाग में क्या होने वाला है ..

अगले भाग से कहानी और भी ज्यादा दिलचस्प होने वाली है...

जैसे सालार और हानिया के रस्ते जुड़ने वाले हैं

आगे देखते हैं इनकी किस्मत एक दूसरे से कब जुड़ती है..

आपकी समीक्षाओं का इंतेज़ार रहेगा...