हम सब एक यात्रा पर है।
जन्म से मृत्यु तक कि यात्रा।
जिस क्षण जन्म होता है उसी क्षण से यह यात्रा शुरू हो जाती है।
जब तक व्यक्ति शमशान में जलकर खाक नही हो जाता है तब तक यह यात्रा चलती है।
कुछ लोग इस यात्रा में बहुत कुछ पाना चाहते है,
कुछ है जो इस यात्रा के दौरान कुछ करना चाहते है,
कुछ है जो इस यात्रा को बस बोझ समझकर ढो रहे हैं,
कुछ ऐसे भी है जो बस इस यात्रा में ऐश करना चाहते है।
एक दिन आखरी सांस के साथ ये यात्रा समाप्त होगी।
किसी का पुत्र,किसी का पिता,किसी का बेटा आपके निष्प्राण पड़े शरीर के पास ये कहता दिखेगा की जल्दी चलो लेकर।
और आप उस वक्त अपनी देह छोड़कर सबकुछ होते हुए तो देख रहे होंगे लेकिन कर कुछ नही पाओगे।
अभी तक आपकी कितनी चलती थी या नही चलती थी उसका अब कोई मतलब नही रह गया।
अब तो आपकी निष्प्राण देह को कितना सम्मान मिलता है वो इस बात पर निर्भर करेगा कि आप अपने पुत्र के लिए कितनी संपत्ति छोड़कर गये हो,आप पिता के आज्ञाकारी रहे हो या नही,आपने कितने निस्वार्थ मित्र कमाये हैं,आपने समाज के लोगो मे अपने लिए क्या विचार छोड़े है।
आपमे मन को पढ़ने की शक्ति आ चुकी होगी।
जब आपको उठाकर चलेंगे तो आप अपने पीछे चल रही भीड़ को देखेंगे,उनके मनो को पढ़ेंगे।
जब तक आप जी रहे थे तब तक आपको कोई खबर नही थी कि किसी के मन मे क्या है।
लेकिन अब आप लोगो के मन पढ़ रहे हैं।
कुछ में आपको दुख मिलेगा,कुछ में ये जल्दी की जल्दी से ये कार्यक्रम निपटे,कुछ सोच रहे होंगे कि बोझ ही था धरती पर।
आपकी देह अग्नि के हवाले करके अस्थियों को 2 दिन के लिए ठंडा होने को छोड़ दिया जायेगा।
फिर 2 दिन बाद आपकी अस्थियों को ले जाकर गंगा की शीतल धारा में प्रवाहित किया जायेगा।
माँ गंगा की शीतल धारा आपको सब बंधनो,राग,द्वेष,मोह से मुक्त करेगी और आप चित्रगुप्त के सामने पेशी के लिए चले जाओगे।
यह 2 दिन का कार्यक्रम जो आपकी मृत्यु पर हुआ,जो भावनाएं, क्रियाकलाप हुए,यह सब आपकी जीवन रूपी यात्रा का प्रतिफल है।
आपने उम्र भर क्या किया,कैसे आप जिये।
इन्ही 2 दिनों में आपका सम्पूर्ण जीवन आपकी आंखों के सामने से गुजरेगा।
किसी दृश्य को देखकर आप कहोगे की कास ये ना किया होता, किसी दूसरे दृश्य को देखकर आप वाह कह उठेंगे।
किसी तीसरे दृश्य में किसी के साथ किया हुआ आपका छल आपको दिखेगा जो पछताने पर मजबूर कर देगा।चौथे दृश्य में आप खुद को भोग विलास में डूबा हुआ भी देख सकते हो जिसके बाद आपको लगेगा कि ये ना किया होता तो जीवन मे और अधिक सफल हुआ जा सकता था।
अब मैं आपको बस दो लाइन में सारा सार बताता हूँ-
आप जन्म से मृत्यु तक कि जिस यात्रा पर है उसमे आपका लक्ष्य यही होना चाहिए कि इन दो दिनों में आपको कुछ भी ऐसा महसूस ना हो जो आपको आपके द्वारा जिये गये जीवन पर पछतावा करवाये।
कुल मिलाकर आपका जीवन कम से कम आपके लिए देखने लायक हो।
:- Sumit