उसकी भूमिका SAMIR GANGULY द्वारा बाल कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

उसकी भूमिका

3.

उसे उम्मीद ती कि ऐसा होगा. ऐन मौके पर जाने कहां से संतू टपक पड़ा औरऐलान कर बैठा कि अपना पार्ट मैं ही करूंगा.

बस हो गई चंदर की छुट्टी. ज़िन्दगी में पहली बार स्कूल के ड्रामे में पार्ट करने कामौका मिला था. जब वह मेकअप करके ड्रामा शुरू होने की प्रतीक्षा कर रहा थाकि यह कम्बख्त हाजिर हुआ.

हालांकि उसका छोटा-सा पार्ट था और भूमिका भी चोर की थी, पर चंदर को यहसब बहुत बुरा लगा. इतना बुरा कि वह ड्रामे को देखे बिना ही स्कूल चल दिया. रात अंधेरी थी, फिर घर का रास्ता भी जंगल से होकर था. अत: वह चुपचापउदास, अकेला घर लौट रहा था. अचानक ही उसे लगा कि उसके आसपास कुछदूसरी छायाएं भी चल रही हैं. घबराकर उसने पीछे देखा. पीछे देखते ही उसकीचीख निकल गई. उसके पीछे चार भयंकर गुंडे खड़े थे.

उसे पीछे मुड़ते देख उन चारों ने उसे घेर लिया और एक उसका गला दबाते हुएबोला, ‘‘खबरदार!’’

‘‘ कौन है बे तू?’’ दूसरा कड़कड़ाया.

‘‘ मैं, कलियन चोर.’’ घबराहट में चंदर के मुंह से ड्रामे का डायलाग निकल गया.

‘‘ क्या?’’ वे चारों चौंक उठे.

‘‘ नहीं...नहीं, मैं असली चोर नहीं नकली चोर....’’ उसने गलती सुधारनी चाही.

‘‘ असली चोर?.....नकली चोर?’’

उसके चेहरे पर टार्च से रोशनी करते हुए एक ने कहा, ‘‘अबे जलेबी से सीधेबालक, साफ-साफ बात क्यों नहीं करता? हम क्या पुलिसवाले हैं?

‘‘ हां..हां, बेखटके बोल. हम भी चोर है.’’ दूसरा बोला.

अब तो चंदर की घिग्घी बंध गई. वह कांपता हुआ बोला, ‘‘ मैं चंदर हूं, पांडू गांवका. हमारे स्कूल में आज ड्रामा था.मुझे चोर का पार्ट करना था. लेकिन उनहोंने ऐनवक्त पर मुझे ड्रामे से निकाल दिया और संतू को ले लिया. सो, मैंने ड्रामा नहींदेखा और घर लौट रहा था.’’यह कहते हुए चंदर रो पड़ा-मालूम नहीं डर से यादु: से.

चारों चोर उसकी बात पर खिल-खिला कर हंस पड़े. चोर पर ड्रामा?

‘‘ ड्रामे में कैसा चोर था बे तू?’’ एक चोर ने मसखरेपन में पूछा.

‘‘ बच्चे उठानेवाला.’’ वह बोला

‘‘ हें! यानी हमारे जैसा? एक चोर के मुंह से अचानक निकल ही गया.

चारों चोर उसके और निकट सिमट आए. आकाश में अब पूरा चांद निकल आयाथा और इतनी रोशनी हो गई थी कि वे एक-दूसरे को देख सकते थे.

‘‘ लड़के, तू उस ड्रामे की कहानी सुना जरा!’’ एक चोर कुछ ज़्यादा ही उतावलाहोते हुए बोला.

‘‘ हां...हां’’ बाकी तीनों भी बोल पड़े.

चंदर अच्छी मुसीबत में फंसा. मजबूर हो उसने कहानी सुनानी शुरू की:

‘‘ मातंग एक भयंकर चोर था. दया उसमें जरा-सी भी नहीं थी. एक दिन फिरौतीके चक्कर में वह बूढ़े-बुढ़िया की इकलौती बेटी कनक को उठा लाता है औरपचास हजार रूपए की मांग करता है.’’

‘‘ ताज्जुब है! बिल्कुल हमारी कहानी. पर हमने तो दो लाख रूपए मांगे हैं’’. अबतक चुप रहने वाला चोर अपना मुंह बंद रख सका और वह नाक तथा मुंह दोनोंसे बोल उठा. मालूम नहीं जल्दी के मारे या आदतन.

‘‘ चौप्प!’’ चौथे चोर ने उसे डांट कर चुप कराया, ‘‘ सब के सब अपने भेद खोलनेपर जुटे हैं. मैं कहता हूं यही लड़का कल सारे गांव में हल्ला कर देगा कि चोर वांसबागान में छिपे हैं.’’

‘‘ लड़के, आगे कहानी कहो.’’ एक चोर, ठिगने चोर की उपेक्षाकर बोला.

चंदर ने फिर से कहानी शुरू की. ‘‘ नन्ही कनक चोर की गुफा में रो-रोकर बीमारपड़ जाती है. वह चोर को चाचा कहकर घर वापस ले चलने की मिन्नत करती है. कनक की हालत देख चोर को तरस जाता है और वह उसे लेकर घर लौटता है. पर वहां जाकर पता चता है कि बेटी के गम ने माता-पिता दोनों के प्राण ले लिएहैं. वह लड़की को घर के बाहर छोड़कर वापस लौट आता है. शाम को वहां फिरजाता है तो लड़की को वहीं देखता है, लड़की रो-रोकर बतलाती है कि उसे चाचा-चाची ने मार-मारकर घर से निकाल दिया है. अब चोर कनक को लेकर जंगललौट आता है. लड़की की खातिर चोरी छोड़कर वह मेहनत मजदूरी करने लगता है. बस, इसके आगे की कहानी मुझे नहीं मालूम. मुझे तो इस चोर के साथी कीभूमिका करनी थी. जो इसको बाद में पकड़वा देता है.’’चंदर की कहानी सुन, जाने क्यों वे चोर भी उदास हो गए थे और आपस में जाने क्या-क्याफुसफुसाहट करने लगे थे. चंदर ने भी कुछ आधे-आधे वाक्य सुने थे, जैसे एक नेकहा था-तीन दिन में ही बेचारी आधी हो गई है. दूसरे की राय थी- उसे लौटा देंतो?

खैर, चोर उसे गांव के छोर तक छोड़ गए और विदा देते समय उसी ठिगने चोर नेउसे रोक कर कहा था, ‘‘ मच्छर! अगर हमारे बारे में मुंह खोला तो जबान खरंचलेंगे, याद रखना.’’

इस घटना को अरसा बीत गया है. कहते हैं कि स्कूल का ड्रामा बुरी तरह पिट गयाथा. किसी को भी अपने डॉयलाग पूरी तरह याद नहीं थे. अच्छा ही हुआ चंदर नेड्रामे में भाग नहीं लिया.

इधर पिछले दिनों अखबारों में एक विचित्र खबर छपी है, कुछ इस तरह-चोरों काहृदय परिवर्तन. चार चोरों ने एक चुराई हुई बच्ची को बिना शर्त उसके अभिभावकोंको लौटा दिया है. इस बच्ची को वापस लौटाने के लिए पहले इन्होंने दो लाखरूपए की मांग की थी. बच्ची का कहना है कि चोर उससे बहुत अच्छा व्यवहारकरते थे और उसे कभी मारा-पीटा नहीं. चोरों ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पणकरते हुए कसम खाई है कि अब कभी बुरे कामों में नहीं रहेंगे.

यह खबर पढ़कर चंदर को लगता है कि इस असली नाटक में उसकी भी एकभूमिका रही है.