हॉरर साझा उपन्यास
A Dark Night – A tale of Love, Lust and Haunt
संपादक – सर्वेश सक्सेना
भाग – 4
लेखक – सोहैल सैफी
कुछ देर बाद जब उसने होश संभाला तो खुद को एक मंदिर के बाहर पाया जहाँ वो पहले भी आ चुका था पर साफ तौर से उसको याद नहीं आ रहा था की वो कब और क्यों इस जगह आया था। उस मंदिर में किसी की शादी के लिए मंडप लगा हुआ था, मंदिर मे लोगों की लगातार चहल पहल हो रही थी पर वो काफी घबराया हुआ था।
वो अपने पास से गुजरते एक आदमी से मंदिर में हो रही इस शादी की जानकारी प्राप्त करने के लिए उसको रोकने की कोशिश करने लगा पर उस आदमी ने उसको कोई खास तवज्जो नहीं दी और अखिल को अनदेखा कर के निकल गया लेकिन अखिल रुका नहीं वो एक के बाद एक करके आने वाले कई लोगों से बात करने का प्रयास करने लगा मगर कोई उसकी बात नहीं सुन रहा था।
अंत मे थक कर वो किसी एक व्यक्ति को रोकने के लिए उसके आगे आ गया पर ये क्या??? वो व्यक्ति उसके आर पार चला गया, जैसे अखिल कोई हवा हो तब उसका दिमाग़ ठनका कि वो इस समय ऐसी स्थिति मे है जहाँ वो सबको देख सकता है पर उसको कोई नहीं देख सकता और ना ही वो किसी पर अपना कोई प्रभाव डाल सकता था।
इस बात को समझ वो मंदिर में लगे मंडप के भीतर गया और भीतर का दृश्य देख आश्चर्यचकित हो गया, क्योंकि अंदर वो खुद दूल्हे के रूप में बैठा अपने माता पिता से फोन पर बात कर रहा था। वो किसी भी तरह अपने माता पिता को अपनी शादी में लाना चाहता था पर वो नहीं माने, तभी मेघा किसी अप्सरा की भांति साजोसिंगार से सुसज्जित दुल्हन के जोड़े में अपने मेहंदी से रचे हाथ को अखिल के कंधे पर रखती है, मानो अखिल की भावना को समझ वो अखिल से बोल रही हो जब तक हम साथ हैं हमें किसी और की जरूरत नही, फिर पीछे से अखिल के कॉलेज के कुछ जिगरी दोस्त उनके पास आ कर उसको कंधे पर बिठाते है और हल्ला गुल्ला करते हुए बड़े ही जोश और उत्साह से उसको मंडप में बिठा कर फेरे करवाने लगते हैं।
पहले तो वो अपने माता पिता के ना होने के कारण थोड़ा दुखी था मगर जल्द ही वो मेघा और अपने दोस्तों के प्यार के कारण सारे दुख भूल गया। थोड़ी देर के लिए तो अदृश्य हुए अखिल का दिमाग़ चकरा सा गया था की आखिर वो किस मायाजाल में फ़ंस गया है किन्तु कुछ ही देर में वो समझ गया की वो अपने अतीत में है।
दूल्हे बने अखिल को देखकर अद्र्श्य अखिल एक गहरी साँस लेता है और भविष्य से अंजान उस अखिल को देखकर उदास हो जाता है। कितना खुश था वो उस समय, उसको लग रहा था मानो उसने संसार की सारी खुशियाँ पा ली हो। अतीत के अखिल को देख कर उसके चेहरे पर साफ जाहिर हो रहा था की जो सपने उसने संजोय थे वो आज वास्तव में पुरे हो गए थे और उसके सपनो के पुरे होने के सुख की चमक से उसका मुखड़ा खिला हुआ था। उसके भीतर हजारों सुन्दर आशाओं का जन्म हो रहा था, उसका एक सपना पूरा हो गया अब वो भविष्य के सुखो के सपनो में खोया हुआ था। उसके भीतर आने वाले कल के लिए वो ख्वाब निर्मित हो रहे थे जो इस उम्र में हर युवा के भीतर शादी के बाद जन्म लेते हैं।
अखिल अपने अतीत के चेहरे पर जो सुख देख रहा था उसे देख कर खुद भी उस सुख के सागर में गोते लगाने लगा और उसके आनंद में खो सा गया तभी अपने पास से गुजरते एक शख्स को देख कर उसका ध्यान भंग हुआ, वो व्यक्ति वहाँ उपस्थित लोगों से अलग सा लग रहा था जिस के चेहरे पर ईर्ष्या, क्रोध और दुख के भाव अखिल को साफ साफ नजर आ रहे थे, उसके लाख याद करने पर भी उसको याद नहीं आ रहा था की वो व्यक्ति कौन था।
उसने अतीत में उस व्यक्ति को कभी नहीं देखा था, वो बेबस था वो चाह कर भी पता नहीं लगा सकता था की ये अपरिचित कौन है, वो व्यक्ति उसकी और उसकी पत्नी को लगातार नफरत भरी नज़रो से देखता जा रहा था।
अभी वो अपनी दुविधाओं में फंसा हुआ था तभी वो अज्ञात व्यक्ति इस अदृश्य अखिल को ऐसे घूरने लगता है जैसे उस अज्ञात व्यक्ति को वो दिख रहा हो, वो इस बात से हैरान था इस से पहले अखिल इस गुथ्थी को सुलझाता उसी समय उसने देखा की उसका एक दोस्त उस आदमी के आर पार हो गया और ये देख अखिल को समझते देर ना लगी की वो अज्ञात व्यक्ति भी उसकी तरह ही किसी आत्मा समान अदृश्य था।
इसके बाद वो व्यक्ति अपनी भौहों को सिकोड़ कर उसको अपनी पैनी नज़रों से घूरता हुआ उसकी ओर बढ़ने लगा जिसे देख वो आश्चर्य से भर अपनी आँखो को फैला कर, अपनी सांसो को थाम कर मूर्ति समान स्थिर हो गया। वो अज्ञात व्यक्ति धीरे धीरे चलता हुआ उसके पास पंहुचा और जैसे ही उसने अद्रश्य अखिल को छूने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया तभी उसकी आँखों के सामने सब धुंधला हो गया मानो सब कुछ उसकी आंखों के आगे से गायब हो रहा हो।
कुछ ही देर मे सब धीरे धीरे समान्य होने लगा और ज़ब अखिल को सब स्पष्ट नज़र आने लगा तब उसने देखा कि वो वापिस उसी हवेली में उस शैतानी किताब के पास बैठा था।
अखिल का सर दर्द से फटा जा रहा था, वो अब अपने हवेली जाना चाहता था, वो यहां वहां भागने लगा और चिल्लाने लगा “ कोई है यहां, प्लीज मुझे यहां से निकालो।” ये कहते हुये वो हवेली का दरवाजा और खिड़कियां खोलने की कोशिश करता है पर कुछ नही खुलता। बारिश अभी भी बिजली की गड़गडाहट के साथ हुये जा रही थी।
अखिल का दम घुटने लगा था, उसे फिर उन सायों की आवाजें सुनाई देने लगी थी जो धीरे धीरे तेज हो रही थीं। जिनसे डर कर वो उठा और एक कमरे की ओर भागता हुया दरवाजे से टकराते हुये कमरे के अंदर घुस गया और सामने देख कर बर्फ की तरह जम गया। वो एक बड़े से कमरे में था जहाँ लगभग बीस साल की लड़की किसी के साथ बहेस किये जा रही थी जिससे पता लग रहा था कि उसका नाम पूजा है।
उसने गौर से देखा तो उसके होश उड़ गये क्यूं कि ये उसका खुद का घर था और पूजा उसकी माँ से बहेस कर रही थी, पर माँ अचानक इतनी बूढी कैसे हो गयी। ये सोच उसका दिमाग चकरा रहा था और वो चुपचाप कोने में खडा उन दोनों की बातें सुन रहा था।
पूजा ने ऊंची आवाज मे कहा “ नही...नही....नही.....मै आपकी ये बात नही मान सकती, बचपन से आज तक तो आपकी हर बात मानते हुये आई हूं, ये नही दादी....प्लीज दादी बात को समझो, मै डैड से तो कभी मिल नही पाई पर मम्मा ........वो तो।”
ये सुनकर अखिल चौंक गया, वो समझ ही नही पा रहा था कि आखिर पूजा माँ को दादी क्युं कह रही थी।
पूजा उदास बैठी अपने गले मे पडे लाकेट को बार बार देख रही थी, तभी अखिल की माँ ने उसके पास बैठकर कहा “देख बेटी मैने अपने बेटे और बहू को तो खो दिया पर अब तुझे किसी खतरे मे नही डाल सकती, पहले मेघा ने घर छोडा, फिर अखिल ना जाने कहां चला गया और तेरे जन्म के कुछ महीनों बाद मेघा ना जाने कहां लापता हो गयी, पर अब तू नही मेरी बात मान ले बेटी और ये आत्माओं से बात करने का विचार छोड़ दे, जो हुआ उसे हम नही बदल सकते।”
पूजा ने तपाक से जवाब दिया “ पर जान तो सकते हैं कि उनके साथ क्या हुआ?”
उन दोनों की बातें सुनकर अखिल को विश्वास ही नही हो रहा था कि माँ उसके और मेघा के बारे मे ऐसा क्यूं बोल रही थीं, और पूजा ...ये पूजा कौन है, ये मेरी बेटी तो नही हो सकती, लेकिन इनकी बातों से तो ऐसा ही लग रहा है...कहीं मेघा प्रेगनेंट तो नही थी घर छोड़ते समय....नही ..नही...ये सब मेरा वहम है, इस हवेली में कुछ तो गड़बड़ है जो मुझे कभी अतीत मे तो कभी भविष्य मे ले जा रहा है। ये सब सच नही हो सकता ....ये सच नही हो सकता... ।”
अखिल के दिमाग मे सवालों की बाढ़ सी आ रही थी कि तभी एक और आवाज आई “ हे.....पूजा... क्या यार ये मुहँ लटकाये क्युं बैठी है, हेलो दादी..... ।”
वो लड़का पूजा की ही उम्र का था और इन दोनों से ऐसे बात कर रहा था जैसे वो इन दोनो को बहुत अच्छे से जानता हो।
पूजा ने बिना उस लड़के की ओर देखे कहा “ शट उप अनुज, तुम्हे तो बस अपनी पडी है बस..... ।”
अनुज ने मुस्कुराते हुये कहा “ ओह कम ऑन ...पूजा, तुम ये सच क्यूं नही मान लेती कि तुम्हारे डैड ना ही तुम्हारी मां को प्यार करते थे और ना ही तुम्हे, जैसा कि तुम्हारी नानी बताती हैं वर्ना इतने साल हो गये, कोई तो खबर लेते..पर नही वो तो गायब ही हो गये, और मेघा आँटी .....वो तो बस....... ।”
ये कहकर अनुज चुप हो गया।
पूजा ने कोई जवाब नही दिया, कमरे मे सन्नाटा छा गया तभी अनुज फिर बोला “ अरे यार छोडो ये सब, मैने हमारे नये प्रोजेक्ट के लिये एक बढिया सी जगह ढूंढ़ ली है।”
ये सुनते ही पूजा के उदास चेहरे पर खुशी छा गयी और वो बोली “ अच्छा ..सच में, कहां है वो जगह, और प्लीज पहले की तरह कोई घटिया जगह लेकर मत चलना, मेरे किसी फोलोवर्स ने वो विडिओ लाइक नही किया था और बेकार के कमेंट्स और झेलने पडे थे।”
अनुज ने हंसते हुये कहा “ अरे नही डार्लिंग, ये वाला तो एक हांटेड हवेली है जिसमे मैने सुना हैं कि कोई शैतानी किताब भी है, जो भी वहां एक बार गया वो वापिस नही आया, इंटरनेट पर कई सारे किस्से हैं इस भूतिया हवेली के।”
“नही ...नही.... कोई जरूरत नही, ये भूत प्रेत वाली जगह पे जाके वीडिओ बनाने की, अरे जान जोखिम मे डाल कर कौन पैसे कमाता है” दादी ने मेज पर चाय रखते हुये कहा।
पूजा ने अनुज को गुस्से से देखते हुये कहा “ अगर उस हवेली से आज तक कोई बच कर बाहर नहीं आया तो ये कैसे पता चला की गायब हुए लोग उसी हवेली में गए थे और सब से जरुरी उन गायब हुए लोगों के साथ क्या हुआ ये जानकारी अन्य लोगों तक कैसे पहुंची क्योंकि जाहिर है जो लोग फंस कर मर गए वो वापस आ कर तो अपनी कहानी नहीं बता सकते” ।
बात मे दम था इसलिये अनुज और दादी चुप हो गये लेकिन अनुज खुश था कि पूजा अपने माँ बाप की बात भूलकर अपने यू टयूब चैनल के लिये नये प्रोजेक्ट पर ध्यान दे रही थी।
अखिल ये सब सुनकर घबरा गया और अपने कदमों को पीछे की ओर बढाते हुये दीवार से जा टकराया, जहां दीवार पर लगे कैलेंडेर को देख उसके रोंगटे खडे हो गये। कैलेंडर में साल 2040 चल रहा था।
उसको अब सब कुछ समझ मे आ रहा था, कि वो अपने भविष्य मे आ चुका था या ये भी कोई शैतानी साजिश थी। वो जान चुका था कि पूजा और अनुज दोनों इसी हवेली मे आने की बात कर रहे हैं जिसमे आकर वो फंस गया है, पर पूजा मेरी बेटी......कैसे......., ये सब तो बाद की बातें हैं पहले मुझे इन दोनों को आने से रोकना होगा।
यही सब सोचते हुये उसने अपने कदमों को पूजा की ओर बढाते हुये कहा “ नही ...नही...तुम दोनों कहीं नही जा रहे, मै यहीं हूं” लेकिन ये क्या अखिल की इस बात का किसी पर कोई असर नही हो रहा था, उसने जाकर पूजा को छुआ तो वो पूजा के आर पार हो गया। ये देखकर वो जोर जोर से चिल्लाकर अपना सिर पीटने लगा।
पूजा कुछ देर सोचकर बोली “ कब चलना है उस हवेली में?”
अनुज ने कहा “ अभी और कब।”
ये सुनकर दादी गुस्से मे बोलीं “ अरे रात के साढे नौ बजे तुम लोग ऐसी जगह जाओगे, तुम दोनों मिलकर मुझे मार ही डालो तो अच्छा है।”
पूजा ने उठकर दादी को गले लगाते हुये कहा “ अरे दादी ऐसी जगहों पर रात मे ही जाना पड़ता है, और देखना दादी इस बार आप की पोती कितना फेमस हो जायेगी।” ये कहकर वो दोनों घर से निकल गये और अखिल उन्हे रोकने की नाकाम कोशिश करता रहा।
अपनी बेबसी पर अखिल की आँखों से आंसू निकल आये और वो लाचार उन बच्चों को उस शापित हवेली के लिए निकलता हुआ देखता ही रहा।
अखिल की मां नम आंखों से दीवार पे लगी अखिल की फोटो देख रही थीं कि तभी उसकी फोटो अपने आप गिर कर टूट गई, जिसकी आवाज से पूरा कमरा गूंज उठा।
उस गूंज से अखिल उभरा तो उसकी आंख उसी शैतानी हवेली में खुली। वो उसी किताब के पास बैठा था, उसके सर में ज़ोरो का दर्द हो रहा था और उसे समझ नहीं आ रहा था जो कुछ उसने अभी अभी देखा वो उसका सपना था या कुछ और। इन परिस्थितियों से अखिल अभी उभरा भी नही था तभी कोई दरवाज़े को जोर जोर से पीटने लगा जिसे सुनकर उसके चहरे पर खुशी की लहर दौड़ गयी कि उसके अलावा कोई तो आया पर अगले ही पल वो डर गया, और कुछ देर तक अपनी जगह पर रुक कर दरवाज़े के बजने की आवाज़ के रुक जाने का इंतज़ार करता रहा।
अब वो नही चाहता था कि दरवाजा खोले। कुछ देर बाद आवाज आनी बंद हो गई, अखिल ने राहत की सांस लेते हुये मन ही मन कहा “ चले जाओ ....तुम लोग यहां से चले जाओ” कि तभी अचानक दरवाजा अपने आप खुल गया और उसके सामने पूजा और अनुज थे। जिन्हे देख कर अखिल के लिए विश्वास कर पाना मुश्किल हो रहा था, केवल अखिल ही नही बल्कि पूजा और अनुज के चेहरे की रंगत भी उड़ गई थी उनको देख कर लग रहा था जैसे पूजा ने कोई भूत देख लिया हो तभी बिजली की गड़गडाहट के साथ उन तीनों का ध्यान टूटा और पूजा बोली
“ ड...ड...डैड...अ...आप...आप यहां ....यहां कैसे....?” वो रोती हुई अखिल के गले लग गई पर अनुज अभी भी घबराया हुआ खडा था।
अनुज ने पूजा का हांथ पकड़ कर उसे अपनी ओर खींचते हुये एक धीमी सी आवाज मे कहा “ पूजा...कम ओन....पूजा....दूर रहो उससे।” अनुज की बात सुनकर पूजा ने बेहद गुस्से से उसकी ओर देखा। अनुज ने फिर कहा “ ये तुम्हारे डैड नही हो सकते पूजा....देखो इनको.... इनको खोये हुये बीस साल हो चुके हैं.....बीस साल....., तुम...तुम अपना लॉकेट खोलो.... ।” पूजा ने जब अपना लोकेट खोला तो उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गयी। समय के अनुसार अब अखिल को एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति होना चाहिए था पर वो तो पूजा के सामने जवान खडा था। ये सब देख पूजा और अनुज हैरान रह गये, उन्हे ये समझते देर नहीं लगी की इस शापित हवेली ने दो अलग अलग समय को मिला दिया है, भविष्य और भूतकाल को एक दूसरे के सामने खड़ा कर दिया है लेकिन क्यूं??