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A Dark Night – A tale of Love, Lust and Haunt - 6

हॉरर साझा उपन्यास

A Dark Night – A tale of Love, Lust and Haunt

संपादक – सर्वेश सक्सेना

भाग –6

लेखक – नपेन्द्र शर्मा

आखिल पूजा की ओर आने लगा तभी उसे लगा जैसे हवेली के बाहर बहुत सारे भेड़िये गुर्रा रहे हों। वह एक बार फिर बहुत भयभीत होने लगा और बोला "है भगवान!! उन शैतानों के ये दूत यहाँ तक आ गये!! इसका मतलब अब उन शैतानों को इस जगह का पता लग जायेगा और वे दुष्ट तांत्रिक अपने शैतान को जिंदा करने के लिए ये हमारी भी बली....!!! क्या बलि के लिए वे लोग इन बच्चों को??.. नहीं!..मुझे कुछ करना होगा", अखिल ने अपने विचारों को झटका दिया और खिड़की पर आकर शीशे से बाहर देखने का प्रयास करने लगा।

बाहर बहुत सारे खुंखार भेडिये उस जगह को घेरकर खड़े हए थे।

सभी भेड़ियों के मुंह खून से सने हुये थे और उन्होनें ना जाने किसके शरीर के अंगों को अपने मुँह में पकड़ा हुआ था। अखिल ने एक बात नोटिस की कि इन भेडियो ने केवल वही टुकड़े उठाये हुये थे जिन पर खाल सुरक्षित थी। उनमे से किसी भी भेडिये के मुंह मे बिना खाल का टुकडा नही था तभी एक कानों को फाड़ देने वाली आवाज के साथ बिजली कौंधी, जिससे अखिल की सांसे और तेज हो चलीं और आंखें बन्द हो गयीं।

उसने जब दुबारा बाहर की ओर देखा तो सभी भेडिये गायब थे, “ ये ..ये भेडिये कहां चले गये...अभी...अभी तो यहीं थे।”

"इन भेड़ियों ने केवल खाल वाले टुकड़े उठाये… इसका मतलब इन्हें खाल चाहिए..? लेकिन किस लिए? और.. वहाँ मैदान में भी इन शैतानों ने उस महिला की जीते जी खाल उतार ली थी…!", अखिल कुछ टूटी कड़ियों को नजदीक लाने में कामयाब होने लगा।

"खाल…! अरे ये किताब भी तो खाल से बनी हुई है… इसका मतलब ये है कि वो शैतान किताब को बनाने के लिए..? हे भगवान!! तो क्या खाल के लिए ये लोग इंसानो की बलि..?" अखिल को कुछ बात समझ में आ रही थी।

"लेकिन मैदान में जो लोग थे उन सभी ने सदियों पहले के पहनावे जैसे कपड़े पहन रखे थे और मेघा.....आखिर वो बंजारन के जैसी वेषभूषा मे क्यूं थी, और वो लोग उसके बच्चे की बलि दे रहे थे, जबकि मेघा तो एक साल पहले तक मेरे साथ थी और उसका कोई बच्चा भी नहीं था…? तो क्या ये किताब मुझे सैकड़ो साल पहले भूत काल में ले जाती है…? क्या मेरा और मेघा का पिछले जन्मों का रिश्ता है?”

अब अखिल का दिमाग सुन्न होने लगा। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर उसका और मेघा का सदियों पहले के इन भयावह द्र्ष्यों से क्या सम्बन्ध है?

वो इन सवालों मे इतना डूब गया कि सामने खडी पूजा को भूल ही गया तभी उसे बहुत तेज़ धम्म!! की आवाज आई जैसे कोई जोर से गिरा हो। अखिल किसी अनहोनी की आशंका में बहुत तेज़ी से उधर दौड़ा जिधर से वह आवाज आई थी, पूजा भी उसके पीछे पीछे भागी।

ये आवाज उस कमरे से आई थी जहां अनुज छिपा हुआ बैठा था।

अखिल जब वहाँ पहुँचा तो उसने देखा कि अनुज उस किताब को खिड़की के पास से चुपके से उठा लाया और मेज पर पटक दी। वो उस किताब मे बने शैतान को बहुत गौर से देखे जा रहा था तभी अखिल ने जोर से कहा “ नही..!!....नही...!!! अनुज उसको मत देखना वो बहुत भयावह है।” अनुज ने मुसकुराते हुये कहा “ अंकल मुझे सब पता है आप कोई अखिल नही एक बेहरूपिया हो, जो इस किताब को पढ़ कर इस शक्तियां हासिल करना चाहते हो, पर आप ऐसा नही कर सकते, इसे तो मै पढूंगा और इसका वीडिओ यू ट्यूब पर उपलोड करूंगा।”

ये सुनकर पूजा ने भी अनुज को मना किया पर वो नही माना और उस शैतानी किताब को खोलने लगा, पर ये क्या किताब को खोलते ही अनुज उछल कर जमीन पर गिरा जैसे किसी ने उसे जोर से पटक दिया हो।

पूजा और अखिल दोनो अनुज को उठाने के लिये दौडे और पूजा ने गुस्साते हुये अनुज को काफी खरी खोटी सुनाई और बोली “ ये क्या बचपना है अनुज, जब डैड मना कर रहे हैं तो फिर तुम क़्यूं हमारी मुश्किल बढा रहे हो, जरा मै भी देखूं आखिर इस किताब मे है क्या” ??

पूजा गुस्से मे उस किताब को खोलकर पढ़ने की कोशिश करने लगी जिसे देखकर अनुज बोला " एक बात समझ में नहीं आयी!.. जिस किताब ने उसको खोलने पर मुझे उठा कर फेंक दिया उसे तुमने इतनी आसानी से कैसे खोल दिया? और ऐसे ध्यान से देख रही हो जैसे तुम्हे इसमें सब कुछ पढ़ने में भी आ रहा हो” ?

"अब मुझे भला कैसे पता होगा? मैं क्या रोज यहाँ आती हूँ? मैं भी तो इस किताब को पहली बार ही देख रही हूँ फिर मुझे कैसे पता होगा कि ये किताब कैसी है और मुझे इसने क्यों दूर नहीं फेंका", पूजा थोड़ा चिढ़कर बोली।

तभी उन दोनों ने अखिल की ओर देखा जो निर्जीव सा खडा उस किताब की ओर देख रहा था, उसे देखकर कोई भी उसके मन मे उठ रहे खौफ को भांप सकता था।

"अंकल..! आप..आप यहाँ कब से हैं?" अनुज ने कराहते हुए अखिल से सवाल किया।

"बस तुम लोगों के आने के कुछ घण्टे पहले ही मेरी भी गाड़ी का यहीं सड़क के उस पार एक्सीडेंट हुआ था और मैं आसरा ढूँढ़ता हुआ यहाँ आ गया लेकिन तुम लोग....तुम लोग तो जान बूझकर अपनी जान जोखिम मे डालने चले आये, भला कोई सिर्फ यू ट्यूब के लिये ऐसा करता है क्या...? मां ने भी तुम दोनों को कितना रोका था। यहाँ क्यों आ गये? ये जगह बिल्कुल भी ठीक नही है।” अखिल ने उन दोनों को देखते हुए सवाल किया।

अखिल की बात सुनकर उन दोनों के होश उड़ गये। पूजा ने डरते हुये पूछा “ डैड आप को ये सब कैसे पता.....इसका मतलब आप.... ।”

पूजा की बात पूरी होती इससे पहले अनुज बोल पडा “ देखा....देखा पूजा...मै तो पहले से ही कह रहा हूं कि ये तुम्हारे डैड नही कोई बहरूपिया कोई भूत है, जिसे सब कुछ पता है।” सच तो ये था किअब अनुज के साथ पूजा भी अखिल से डर रही थी।

पूजा ने एक धीमे स्वर मे डरते डरते कहा "डैड हम अपना यू ट्यूब का चैनल चलाते हैं जिस पर हम हॉन्टेड या दूसरी अजीब जगहों जो कि किसी कारण से फेमस हों और लोग वहाँ जाने से डरते हों, उनपर वीडियो बनाकर डालते हैं। हमें हमारे चैनल से ठीक-ठाक इनकम भी हो जाती है और बहुत सारा एन्जॉयमेंट भी यानी फन के साथ फंड भी।”

अखिल ने भावुक होकर कहा “ मुझे तो अब भी यकीन नही कि तुम मेरी बेटी हो....आखिर ये सब ...” !!!

"आप ही मेरे डैड हैं मेरे पास आपकी फ़ोटो भी है जो बीस साल पुरानी है लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि आप में और उस फोटो में कोई भी चेंज नहीं है। आप अभी भी बिल्कुल यंग लग रहे हैं बिल्कुल उस फोटो के जैसे", पूजा ने जवाब दिया।

"मुझे तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है बच्चों मैं जबसे यहाँ आया हूँ बहुत अजीब-अजीब सी चीजें हो रही हैं।

मैंने यहाँ अपनी पत्नी मेघा को भी देखा। लेकिन उसने मेरे साथ बहुत अजीब व्यवहार किया, मुझे समझ में ही नहीं आ रहा कि वह क्या चाहती थी और अभी कुछ ही पल हुए होंगे जब उन शैतानों से बचने के लिये मेघा ने मेरे हाथ में एक बच्चा सौंप दिया, जो कि मर चुका था लेकिन उसके बाद वह और बच्चा दोनों ही गायब हो गए और फिर...... ।”

अखिल की बात सुनकर पूजा का चेहरा चमक उठा और वो बोली “ देखा अनुज ..मै कह रही थी ना कि मम्मा भी हमे जरूर मिलेगी, कहां हैं वो डैड...बताइये...कहां हैं वो ..?”

मुझे नही पता...लगता है हम लोग किसी समय चक्र में फँस गये हैं और जिन लोगों ने हमें यहाँ फंसाया है वे बहुत खतरनाक हैं जो काली ताकतें हासिल करने के लिए हमारा इस्तेमाल कर रहे हैं", अखिल ने कुछ सोचते हुए कहा।

“ मुझे बहुत डर लग रहा है अंकल.. क्या हम लोग यहां से निकल पाएँगे? अंकल प्लीज़ आप कुछ कीजिये ना" अनुज लगभग रोते हुए बोला।

“ तुम लोग घबराओ मत, अगर हम लोग एक साथ रहेंगे तो ज़रूर इस माया जाल को तोड़ देंगे। मुझे लगता है कहीं ना कहीं इन सब का जवाब इसी किताब मे है....पर.... ।”

“ पर क्या डैड”? पूजा ने कहा।

“ ये किताब शैतानी किताब है और इस किताब ने अनुज को हाथ लगाते ही दूर फेंक दिया पर तुम्हे नही ....ऐसा क्यूं..??, मुझे इस बात का भी डर है कि कहीं इस किताब को पढ़कर हम किसी नई मुसीबत मे ना फंस जायें” अखिल ने कुछ सोचकर कहा।

"अब हमें क्या करना चाहिए अंकल? हमें जल्द से जल्द यहाँ से निकलने का कोई उपाय सोचना होगा नहीं तो हम और मुसीबतों में फँस जाएंगे", अनुज ने डरते हुए कहा।

"कुछ नहीं होगा हमें, हम ज़रूर बाहर निकलेंगे यहाँ से। बस तुम लोग शान्त रहो और कुछ भी हो जाये एक साथ ही रहना।

तुम लोग यहाँ रुको मैं बस कुछ ही देर में आता हूँ। मैं एक बार और कोशिश करता हूँ बाहर निकलने का कोई रास्ता ढूँढ़ने की। यहां के खिड़की दरवाजे भी अजीब हैं, जब मैने यहां से बाहर जाने की कोशिश की तो ये बुरी तरह बन्द हो गये जो लाख कोशिश के बाद भी नही खुले,

फिर भी मै कुछ करता हूं।” ये कहकर अखिल कमरे से बाहर निकल गया।

अखिल के जाने के कुछ ही पल बाद अचानक मेघा उस कमरे में आयी और बोली “ पूजा...! तुम ठीक हो मेरी बच्ची? यहाँ बहुत खतरा है तुम लोग चलो मेरे साथ यहाँ से, मुझे पता है हम कैसे यहाँ से बाहर जा सकते हैं।”

मेघा को देखकर पूजा खुशी से उसके गले लग गई और बोली “ मुझे पता था कि आप लोग जिन्दा हो और एक दिन मुझे मिलोगे।”

मेघा के चेहरे पर एक अजीब सा डर था जिसे छिपाते हुये उसने कहा “ ये सब बातें करने का ये सही समय नही है, तुम लोग अभी के अभी मेरे साथ चलो।”

पूजा ने मेघा को रोकते हुये कहा "लेकिन मम्मा! डैड भी यहीं हैं वे बाहर निकलने का रास्ता खोजने गए हैं, उन्हें आने दो फिर हम एक साथ इस मनहूस हवेली से बाहर चलेंगे तब तक आप यहीं बैठो, अनुज डैड को बुलाकर लाता है।”

अनुज अखिल को बुलाने कमरे से बाहर चला गया।

"नहीं!! इतना समय नहीं है, जल्दी करो तुम लोग आओ मेरे साथ “ मेघा गुस्से से चिल्लाकर बोली।

पूजा ने जोर देकर कहा “ मम्मा रुको ना डैड के लिए, हम उन्हें छोड़कर नहीं जा सकते, मुझे बहुत मुश्किल से मेरे डैड मिले हैं...प्लीज मम्मा।”

“ कोई डैड नहीं है यहाँ, तुम जानती हो पूजा तुम्हारे डैड बीस साल पहले मर चुके हैं। यहाँ जो भी दिख रहा है सब धोखा है इसलिए चुपचाप मेरे साथ चलो। हमें उस मायावी के आने से पहले यहाँ से निकलना है। तुम नहीं जानती वह मायावी तुम्हे इस किताब के प्रभाव से अपने वश में कर रहा है।

पूजा ने एक पल सोचा और फिर उसके पीछे आने लगी। वह ये भी नहीं समझ पाई की वह औरत जो मेघा जैसी दिख रही थी वह असल मे मेघा थी भी कि नही।

जब अखिल कमरे में आया तो उसे पूजा और अनुज वहाँ दिखाई नहीं दिए । वह बहुत घबरा गया और उन्हें आवाज लगाने लगा। वो शैतानी किताब मेज पर ही रखी थी तभी उसे पूजा की चीख सुनाई पड़ी- "बचाओ!! डैडी!!! अनुज!! बचाओ मुझे!!"

अखिल ये आवाज सुनकर तेजी से आवाज की दिशा में भागा।

वह अभी कमरे के दरवाजे तक पहुंचा ही था तभी सामने से अनुज बदहवास भागता हुआ उधर आया और डरते हुए बोला, "अंकल!! जल्दी चलिए वो पूजा...आंटी.. वो आंटी पूजा को जबरदस्ती अपने साथ ले जा रही हैं.. जल्दी चलिए अंकल।”

अखिल तेज़ी से अनुज के पीछे दौड़ा। मेघा पूजा का हाथ पकड़े उसे एक ओर खींच रही थी। पूजा खुद को उससे छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा रही थी, "मम्मा…! छोड़िये मुझे.. ये आप क्या कर रही हो..अहह मम्मा रुको प्लीज।”

लेकिन मेघा उसकी किसी भी बात पर कोई ध्यान ना देकर उसे लगभग घसीट रही थी।

"मेघा!!! छोड़ो उसे…!" अखिल तेज़ी से चीखा और मेघा के कदम उसकी आवाज सुनकर ठिठक गए लेकिन अगले ही पल उसने तेज़ी से जमीन पर अपना पाँव पटका और देखते ही देखते वहाँ एक बड़ा और गहरा सा कुआं दिखने लगा।

अब तक अखिल उसके पास आ चुका था, अखिल ने ध्यान से मेघा की ओर देखा। वह उसे बहुत बदली हुई और डरावनी लग रही थी।

"ये सब क्या है मेघा, तुम ये सब क्या कर रही हो?" अखिल ने चिल्लाकर पूछा।

"कुछ नहीं मैं बस अपनी बेटी को यहाँ से ले जा रही हूँ। तुम्हारी बजह से पहले ही मेरी बेटी की जिंदगी बर्बाद हो चुकी है, अब और मैं उसे तुम्हारे साये में नहीं रहने दूँगी।

तुम्हारे मनहूस कदम जबसे हमारी जिंदगी में पड़े हैं सब बर्बाद हो गया है", मेघा ने गुर्राते हुए कहा।

अब अखिल को मेघा बिल्कुल बदली हुई लग रही थी।

“ तु..तुम मेरी मेघा नहीं हो!! कौन हो तुम”? अखिल गौर से देखते हुए और पास आया और उसके चेहरे पर नज़र पड़ते ही बुरी तरह चौंक पड़ा।

“ तुम ....तुम तो वही शैतान हो जो लोगों की बली चढा रहा था, छोडो मेरी बेटी को, खबरदार जो इसे कुछ हुआ।”

ये कहकर अखिल ने पूजा का हांथ उस काले साये जैसे शैतान से छुडाने की बहुत कोशिश की पर वो असफल रहा।

"हा हा हा हा हा!!! अब तुम सब एक साथ ही मरोगे।" कहकर उस साये ने पूजा के हाथ को कसकर पकडा और उसे लेकर उस कुएं में कूद गया।

अखिल और अनुज भी एक साथ ही चीखे और कुएँ की ओर लपके।

अखिल ने अनुज से कहा "मैं तुम्हे अपने साथ इस कुएँ में नहीं ले जा सकता क्योंकि मैं नहीं चाहता कि मेरे साथ तुम्हारी जान भी खतरे में पड़े इसलिये तुम यहीं रुको, अच्छा अब मैं चलता हूँ", कहकर अखिल उस कुयें मे कूदने ही वाला था कि तभी फिर से बिजली बडी जोर से कड़की, मेज पर रखी शैतानी किताब अपने आप खुल गयी और अखिल को अपनी छाती पर कुछ महसूस हुया, जब उसने अपनी छाती पर नजर डाली तो देखा, शैतानों द्वारा उसकी छाती पर बनाया हुआ निशान आग की तरह जल रहा था जिससे अखिल को एक अजीब सी बेचैनी होने लगी थी।

किताब से खुले हुये पन्नों से सुनहरे अक्षर उड़कर हवा में तैरने लगे और अखिल की छाती मे बने निशान मे समाने लगे, अखिल का चेहरा लाल और आंखें सफेद होने लगीं।

ये देखकर अनुज को बहुत आश्चर्य हुआ वो डरकर एक दूसरे कमरे मे छिप गया।

तभी अखिल को पूजा की चीख फिर सुनाई पडी जिसे सुनकर वो और बेचैन हो गया और उसे मैदान मे होने वाले शैतानी अनुष्ठान की याद आ गयी “ वह शैतान… उफ्फ कितना डरावना था वो, अभी तो मूर्ति में ही था लेकिन अगर वह मूर्ति जिंदा हो गयी तो…? मुझे उन्हें रोकना होगा...

अब मुझे अपनी बेटी के लिए और इस जगह के रहस्य को जानने के लिए इस कुयें में जाना ही होगा…! मैं आ रहा हूँ पूजा!! घबराना मत", अखिल ने चिल्लाकर कहा और उस गहरे कुयें में कूद गया जो लगभग भरने ही वाला था।

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