अनचाहा रिश्ता (रिश्ते बदलते हैं) - 6 Veena द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अनचाहा रिश्ता (रिश्ते बदलते हैं) - 6

उस रात के बाद मीरा का स्वप्निल की तरफ देखने का नजरिया बदल सा गया था। वो सोचना नहीं चाहती थी फिर भी उसी के बारे में सोचती। दूसरी तरफ स्वप्निल को लग रहा था शायद पिछली रात उसने अपने लिमिट क्रॉस कर दिए। उसे इस तरह किसी के सामने खुलना पसंद नहीं था पर उस वक़्त मीरा के सामने वो खुद को रोक नहीं पाया। इसी के चलते उसने एक फैसला लिया।
अगले ही दिन सुबह सुबह मीरा उस से मिलने केबिन में आई।
मीरा : गुड मॉर्निंग बॉस।
स्वप्निल : गुड मॉर्निंग। मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।
मीरा : कहिए में सुंन रही हूं।
स्वप्निल : मीरा कल रात हम दोनों में जो भी बाते हुई। उन्हे तुम ऑफिस के बाहर ही रहने देना। यहां ऑफिस में तुम एक स्टाफ ओर में तुम्हारा बॉस हू। ऐसा करो तुम भूल जाओ कल मैंने तुमसे कुछ कहा भी था ये।
मीरा : पर आप क्यों ऐसा चाहते है? आप कितने कूल ओर अच्छे हैै पर यहा खडूस बन कर घूमते है। आप क्यों चाहते है सब आपको बुरा समझे ?
स्वप्निल : नो मोर क्वेशचन। तुमसे जितना कहा जाए उतना करो समझी।
मीरा : येस बॉस।

स्वप्निल की इस चढ़ी हुईं आवाज और गुस्सैल मिजाज के बाद मीरा उस से नफरत करना चाहती थी। पर वो नहीं कर पा रही थी। उसे अभी भी उसका करीब होना महसूस होता था। इसी उलझन से बचने के लिए ऑफिस में उसने अपने ही बॉस को इग्नोर करना शुरू कर दिया। ये बात स्वप्निल ने नोटिस की।

समीर : कुछ भी । तुझे नहीं लगता तू मेरी बातो को कुछ ज्यादा ही सीरियस ले रहा है।
स्वप्निल : बिल्कुल नहीं। मुझे पता है। वो कर रही है।
समीर : मुझे बता ऐसा क्या हुआ जो तुझे लगता है वो तुझे इग्नोर कर रही है।
स्वप्निलने उसे बताना शुरू करता है। शादी से लौटने के बाद अगली सुबह दोनो ने हुई बहस के बारे में सब समझाया। मीरा २ दिन छुटी पर थी उसके कुछ पर्सनल काम की वजह से उसी के तुरंत २ दिन बाद। वहा से आने के बाद भी वो स्वप्निल से नहीं मिली यहां तक उसके केबिन में फाइल भी वो बॉय के हाथो भिजवा रही थी। आज सुबह जब स्वप्निल उसे लिफ्ट में मिला। उसने उसे गुड मॉर्निंग भी खुद से विश किया। लेकिन मीरा ने एक छोटी सी स्माइल की ओर चली गई।

स्वप्निल : में तुझे बता रहा हूं समीर। वो बोहोत ज्यादा परेशान है। या तो उसके डैड उसे ब्लैकमेल कर रहे है या फिर उसकी भी जबरदस्ती शादी हो रही होगी। उस से बात कर ना तू ????

समीर : पर हर बार में ही क्यों ? ओर मुझे लगता है वो तुझसे नाराज हैं जब की मुझे नाराज होना चाहिए तुम दोनों से। मतलब एक तो तू मेरी जगह उसे शादी में ले गया उपर से तूने उसे अपना फोन तक उठाने दिया। तुम दोनों में बात इतनी बढ़ भी गई की तू इसे डिनर डेट पर ले गया , वापस अब तूने बनी बनाई बात बिगाड दी तो तुझे में याद आया ? कितना सेलफिश दोस्त है तू।

स्वप्निल : क्या बकवास बाते कर रहा है। मैंने तुझे कहा ना उसने खुद फोन उठाया n शादी में उसने हेल्प की तो में उसे ट्रीट दे रहा था। लिख कर दू क्या तुझे ? और तो और मुझे कैसे पता चलेगा की मेरा भाई उसी की दोस्त से शादी कर रहा है। हा अगले दिन की बहस के लिए में जीमेदार हूं। लेकिन ऐसे झगडे तो हम दोनों रोज ही करते थे। उसने कभी इग्नोर नहीं किया। इस बार बात कुछ अलग है। तू सीधे सीधे बता मदत करेगा या नहीं ?

समीर : करूंगा। जरूर करूंगा।

दोनों मीरा को केबिन में बुलाते है। मीरा इस बार नॉक कर के आती है।

स्वप्निल : कम इन।

मीरा को देख शॉक हो जाता है। ताना मारने के हिसाब में मजाक में कहता है।

स्वप्निल : hmmm दरवाजे पर नॉक के बाद ये चेहरा देखने की आदत नहीं है। मुझे समीर इसलिए शॉक हू मै आज।

मीरा उसकी बात को अनसुना कर

मीरा : आप ने बुलाया समीर सर।

समीर : हा अंदमान वाले प्रोजेक्ट की रिपोर्ट ले आवो वहा की साइट विजिट का डिस्कशन करना है।
मीरा रिपोर्ट लेने चली जाती है।

समीर : क्या बात है ? मामला काफी ज्यादा सीरियस है।

स्वप्निल : देखा पिछले १५ दिनों से यही चल रहा है।

मीरा वापस आती है। ३ मिलकर प्रोजेक्ट का डिस्कशन खत्म करते है।

मीरा : सर प्रोजेक्ट में कोई परेशानी नहीं है। पर वहा के लोकल्स प्रॉब्लम क्रिएट कर सकते है। और जो पेड़ काटने के बारे में हम सोच रहे है। मैंने पढ़ा है उनमें वहा के आदिवासियों के भगवान बस्ते है। वो हमे उन्हे काटने की इजाजत नहीं देंगे।

स्वप्निल : मीरा जब आप बिज़नेस करते हो। कई बार आपको अपने इमोशंस को साइड में रख सिर्फ काम को पहला दर्जा देना पड़ता है। हम सबको खुश रख कर काम नहीं कर सकते। कोई ना कोई होगा जो नाराज रहेगा तुम्हे बस उसे समझाना है।

समीर : बिल्कुल सही। अब स्वप्निल को देख लो वो जब काम पर आता है । वो वैसा बिल्कुल नहीं होता जैसा तुम उसे बाहर पावोगी। क्यों की उसे पता है, की अगर हर एक के साथ वो फ्रैंडली रहा तो उनसे काम निकलवाना मुश्किल हो जाएगा।

स्वप्निल (मीरा की तरफ मुड़ता है) : मीरा हर किसी की अपनी पर्सनैलिटी होती है। में उन लोगो में से हू जो किसी को अपना माने तो हर हाल में आखिर तक साथ निभाता है। इसलिए में ज्यादा लोगो को अपने करीब नहीं आने दे सकता। उम्मीद करता हूं तुम समझ सकती हो, उस दिन के मेरे बर्ताव का कारण....

मीरा एक स्माइल के साथ हा में सर हिलाती है मानो उसके माफी मांगने से पहले ही उसने उसे माफ कर दिया हो। दोनों बस एक दूसरे को घुरे जा रहे होते है। समीर उनकी ये सारी हरकते देखता है। पर १० मिनिट हो जाने के बाद भी एक दूसरे को घुरे जा रहे थे। उत्सुकता के मारे समीर बीच में बोल पड़ता है।

समीर : इसलिए तो हम चाहते है कि तुम्हारा बॉस जाकर वहा के लोकल लोगो से बातचीत कर इस समस्या का कोई हल निकाले।

दोनों होश में आते है।

मीरा : पर मैंने सुना है, वो लोगो को मार भी डालते है।

स्वप्निल : मीरा हम २१ सेंचरी में रह रहे है। यहां कानून है। कोई किसी को यूहीं मार नहीं सकता। अब अगर तुमने पूरी रिपोर्ट समझ ली हो। तो मेरा डिस्कशन लेटर ओर इस मीटिंग के हाईलाइट ड्राफ्ट कर दो। मुझे दो दिनों में निकलना है।
मीरा : ठीक है। बॉस में कर देती हूं।

मीरा खुशी खुशी वहा से चली जाती है। मानो इन दिनों उसे इग्नोर कर के जिन सवालों की जवाब वो ढूंढ रही थी उसे मिल गए हो। उसे लग रहा था, स्वप्निल के प्रति उसका आकर्षण गलत है। वो सही इंसान नहीं है। पर स्वप्निल के आज के इस रूप के बाद वो समझ गई थी कि वो हर हालत में सही है। कभी कभी कठोर पर सही। उसे अब अपने आप को बहने देना था उसके साथ, आगे जो होगा देख लेंगे।

मीरा को उस दिन काम करते करते देर हो गई थी। स्वप्निल भी हमेशा देर तक ऑफिस में रुकता था। मीरा को देख वो उसके पास गया।

स्वप्निल : काफी देर नहीं हो गई तुम्हे???

मीरा (ऊपर देखती हैं, और एक प्यारी सी मुस्कान के साथ) : आप का अंडमान वाला पूरा शेड्यूल रेडी है। मैंने बुकिंग भी चेक कर लिए है। आपको कोई परेशानी नहीं होगी।

स्वप्निल : अच्छा। काफी ज्यादा अच्छा। पर अब अगर तुम ज्यादा देर यहां रुकी तो तुम्हे परेशानी हो सकती है। चलो तुम्हे छोड़ देता हूं।

मीरा खुशी खुशी अपना पर्स ले उसके साथ निकल पड़ती हैं।
स्वप्निल उसकी इस बैचैनी को देख समझ जाता है कि अब वो बिल्कुल ठीक है।

स्वप्निल : अगर तुम्हे देर ना हो रही हो। तो कहीं डिनर करे।

मीरा : फिर से ढाबे पे चलते है। मज्जा आएगा।

स्वप्निल : इज बार बीच पे चले। स्ट्रीट फूड फेस्टिवल में?

मीरा : वाउ मुझे बोहोत पसंद है। चलिए जल्दी ।

दोनों बीच पर जाते है। बोहोत सारा खाना लेकर एक जगह बैठते है।

स्वप्निल : मैंने पहली ऐसी लड़की देखी है। जो इतना सारा खाना खाते हुए बिल्कुल नहीं शर्माती।

मीरा : मुझे नहीं आता शर्माना एन ऑल। आप आज तक काफी गलत लड़कियोसे मिले थे। अच्छा आप से एक पर्सनल सवाल पूछू ?

स्वप्निल : हा पूछो।

मीरा : आपकी कितनी गर्लफ्रेंड्स थी???

स्वप्निल : तुम अंदाजा लगाओ।

मीरा : ७ या ८ तो होंगी।

स्वप्निल : रियली तुम्हे में प्लेब्वॉय लगता हू???

मीरा : नहीं लेकिन आपकी पर्सनैलिटी को देख बोहोत लड़कियां है आपके पीछे अभी भी।

स्वप्निल : मेरे ४ अफेयर्स थे उसमे से सिर्फ १ सीरियस था।
अंड तुम ये किसी को ना ही बताओ तो ही अच्छा है। तुम्हारे लिए।

मीरा : में क्यों बताओ ? किसी को। वैसे वो शादी वाली भी अच्छी थी। आपको क्यों नहीं करनी शादी ?

स्वप्निल उसे बस एक नजर देखता है।

मीरा : मेरा मतलब शादी तो हर किसी को करनी पड़ती है। अच्छा अनुभव होता है। मेरे डैड केहते है तो आपको क्यों नहीं करनी समझ नहीं पा रही हूं? किसी मिस परफेक्ट का इंतेज़ार कर रहे है। Oooooooooo देख लीजिए ठीक से कहीं आस पास ना हो ।

स्वप्निल : नहीं कोई मिस परफेक्ट यहां नहीं है। पर अगर तुमने और लेट किया तो तुम्हारे मि. परफेक्ट डैड यहां आ जाएंगे। जल्दी चलो अब ।

कभी अलग कभी साथ । रिश्ते सच में अजीब होते है।