पूनम शिक्षा की एक उमंग Prahlad Pk Verma द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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पूनम शिक्षा की एक उमंग

ये कहानी 1990 के दशक की हमारे गाँव की होनहार लड़की पूनम की है जो पढ़ने में बहुत होशियार थी
गाँव मे एक सरकारी स्कूल था वो भी 5th क्लास तक लेकिन पूनम को पढ़ाई की बहुत लग्न थी और उसके 5th क्लास के नंबर्स को देख कर स्कूल के शिक्षक ने उसे आगे पढ़ाने के लिए अपने जानकर अध्यापक से मदद मांगी
एक दिन अध्यापक राजेश जी और पास के गांव की स्कूल का अध्यापक सुभाष जी पूनम के पिताजी से मिले और कहा कि पूनम एक होनहार लड़की है और आगे पढ़ेगी तो कुछ बन जाएगी
तो पूनम के पिताजी ने कहा कि पढ़ाना तो हम भी चाहते हैं पूनम को लेकिन अब गाँव में आगे कि पढ़ाई के लिए स्कूल भी तो नहीं हैं
तो सुभाष जी ने कहा कि मैं पास ही गाँव की सरकारी स्कूल में पढ़ाता हूं और रोजाना इसी गाँव से होकर गुजरता हूं
मैं हमेशा पूनम को साथ ले जाऊँगा और छोड़ दूँगा
8th क्लास तक वहां पढ़ लेगी और उसे हमेशा अपनी बेटी की तरह स्कूल ले जाऊँगा और मन लगा कर पढ़ाने की मैं गारन्टी लेता हूं और साथ ही में किसी प्रकार का पैसा भी नहीं लगेगा तो पूनम के पिता जी मान गए
अब पूनम रोजाना अपने अध्यापक सुभाष जी के साथ जाती और मन लगाकर पढ़ती
समय बीतता गया और देखते ही देखते पूनम ने 8th क्लास बहुत अच्छे नंबर्स से पास कर ली
अब पास में कोई स्कूल नहीं था और पूनम आगे पढ़ना चाहती थी
पूनम के पिताजी भी उसे आगे पढ़ाना चाहते थे लेकिन अकेली बेटी को शहर भेजे तो भी कैसे
तब उनके पुराने अध्यापक सुभाष जी ने पूनम के पिता जी से कहा कि पूनम एक होनहार स्टूडेंट है इसके लिए इसे आगे भी पढ़ाना आपका कर्तव्य है
तब उन्होंने कहा कि आपके पास के गाँव से रोजाना स्कूल के समय एक बस आती है जिसमें पूनम शहर पढ़ने चली जाएगी
अब पूनम अपने छोटे भतीजे के साथ बस में स्कूल जाती और अपने भतीजे को भी पढ़ाती
बस ड्राइवर कभी उससे पैसा नहीं लेता क्योंकि उस समय केवल वो एक ही लड़की थी जो पढ़ने शहर जाती थी
पूनम ने देखते 10th अच्छे नंबर्स से पास कर ली जिसके लिए सरकार ने उसे सम्मानित भी किया
अब तो उसे देख कर गाँव की ओर भी लड़कियाँ पढ़ने लगी थी और जब उसने 11th आर्ट में एडमिशन लिया तो उसके साथ और 4,5 लड़की भी शहर पढ़ने जाने लगी
अब थोड़ा बहुत समय निकाल पूनम अपने से छोटे बच्चों को पढ़ाने लगी
गाँव में पूनम की वज़ह से शिक्षा का माहौल बदल गया
पूनम ने 12th भी अच्छे मार्क्स से पास कर ली इसके बाद उसने Bstc करने की सोची जो उस समय बहुत बड़ी बात थी
अब उसके घर वालों ने उसकी शादी के लिए रिश्ते ढूंढने लगे तो उसने कहा कि Bstc होने के बाद में शादी कर लुंगी
Bstc होने के बाद उसकी शादी कर दी गई लेकिन उसकी वज़ह से गाँव में बहुत सी लडकियाँ पढ़ने लगी थी
शादी के कुछ महिनों बाद उसका शिक्षक भर्ती में उसे नियुक्ति मिल गई
पूनम की वज़ह से 1990 के दशक में गाँव में 3 लड़के और 5 ल़डकियों का सरकारी जॉब में सलेक्शन हुआ जिन्हें पूनम पढ़ाया करतीं थीं, साथ ही कुछ ही महिनों बाद उसके भतीजे विक्रम का भी 12th पास करते ही सरकारी नौकरी लग गई जिसे वो शहर में अपने साथ पढ़ने ले जाया करती थी
ऐसे एक छोटी सी लड़की की मेहनत और दो अच्छे अध्यापकों की मदद से गाँव में शिक्षा को एक नई पहचान मिली और आज गाँव में सेंकड़ों लोग सरकारी जॉब में है जो पूनम को हमेशा याद करते हैं
शायद पूनम गाँव के विकास और शिक्षा के लिए एक उमंग थी