Hostel Girls (Hindi) - 4 Kamal Patadiya द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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Hostel Girls (Hindi) - 4

[दृश्य : 4 - सना from कोलकाता]

कोलकाता के हावड़ा ब्रिज पर लोगों की चहल पहल है। लोग ऑफिस से अपने घर की तरफ निकल रहे है। शाम का वक्त है, सूरज जैसे आसमान को विदा कर रहा हो ऐसे ढल रहा है। सूरज की सुनहरी किरणें नदी के पानी में पडती है तब नदी का पानी चांदी की तरह चमकता है। नदी में बहुत सी नांवे घूम रही है, आदमी का मेला है पर हर आदमी अकेला है ऐसा दृश्य हावड़ा ब्रिज पर देखने को मिलता है। फेरी वाले सब को सामान बेचने में लगे रहते हैं, सब जगह कोलाहल छाया हुआ है। ऐसे माहौल में ब्रिज के रेलिंग के पास एक लड़की खड़ी हुई है और सब तरफ देख रही है।

सना एक शांत, समजदार और बहुत ही महेनतू लड़की है। सना एक रूढिचुस्त गरीब परिवार मे से आई हुई है। उसके मां-बाप दिनभर मजदूरी करके अपने परिवार का गुजरान चलाते हैं। सना का एक छोटा भाई और एक छोटी बहन है।

सना पढ़ाई में बहुत होशियार लड़की थी और हर वर्ग में अव्वल आती थी। उसके माता-पिता ने उसको पढाने के लिए बहुत सी तकलीफे झेली होती है। उसकी मां दूसरे के घरों में जाकर झाड़ू पोछा, बर्तन वगैरह काम करती थी। सना को पढ़ाई में अच्छे नंबर मिलने के कारण मुंबई की कॉलेज ने उसे scholarship दी थी इसलिए वह event management का कोर्स करने के लिए मुंबई गई थी। सना अपने graduation complete करके कोलकाता लौट आई थी और अपने मां-बाप को मदद करने के लिए एक प्राइवेट कंपनी में as a event organizer joint हो गई थी।

उसका का काम अलग अलग functions को organize करना होता था। जैसे marriage functions, birthday parties, corporate parties वगैरा वगैरा। वह अपने job से बहुत ही खुश थी। सना कि अच्छी job लगने के कारण उसके मां-बाप भी बहुत ही खूश थे। सना अपनी मेहनत और लगन से अपनी नौकरी में तरक्की करने लगती है लेकिन उसकी तरक्की के रास्ते में एक रुकावट आती है, वह है उसकी कंपनी का मैनेजर अखिल।

जब से अखिल कंपनी में आया हुआ था, वह सना के पीछे पड़ जाता है, सना के आगे पीछे घूमता रहता हैं और सना से flirt करता है। सना को अपने प्यार के जाल में फंसाने की कोशिश करता है लेकिन सना हमेंशा उसको ignore करती रहती है। अखिल की बदतमीजीया दिन-ब-दिन बढ़ने लगती है लेकिन सना अपने भविष्य और परिवार को ध्यान में रखते हुए कुछ भी नहीं बोलती है और उसकी ज्यादतीयां बर्दाश्त करती है।

सना के माता-पिता बंगाल के एक छोटे से गांव से कोलकाता अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए आए हुए थे इसलिए सना अपना दुख बता कर उन्हें और दुखी नहीं करना चाहती थी। अखिल उसे शादी का झांसा देकर उसके साथ relationship बढाना चाहता था और सना की मजबूरी का फायदा उठाना चाहता था। जब सब हथकंडे आजमाने के बावजूद भी सना उसके झांसे में नहीं आती है तब अखिल सना को नौकरी से निकालने की धमकी देता है। पूरे परिवार की जिम्मेदारिया सना अपने सर पर उठाई हुई थी। सना के पैसों से ही पूरा परिवार का आराम से गुजारा हो सकता था, उसके भाई-बहन अच्छे स्कूल में पढ़ सकते थे, इसलिए वह किसी भी कीमत पर अपनी नौकरी खोना नहीं चाहती थी।

फिर तो क्या था? अखिल जैसा कहता जाता हैं, सना चुपचाप किए जाती है। थोड़े दिनों के बाद सना को पता चलता है कि अखिल का प्यार एक नाटक है, दरसल वो पहले से ही शादीशुदा है और उसके दो बच्चे हैं। शादी का झांसा देकर वो उसके साथ धोखा कर रहा है। सना तुरंत ही अखिल के साथ अपने सारे रिश्ते तोड़ देती है लेकिन अखिल उसका पीछा नहीं छोड़ता है। अखिल सना को समझाने की और डराने की कोशिश करता है लेकिन सना उसे छोड़ने का निश्चय कर चूकी होती है। आखिरकार, अखिल सना के ऊपर गलत इलजाम लगाकर उसे कंपनी से निकलवा देता है।

नौकरी छूट जाने के बाद सना मायूस होकर चलते चलते हावड़ा ब्रिज की ओर आती है। उसके मन में यह गडमथल चलती है कि वो घर जाकर अपने मां बाप से क्या बताएगी? कभी कभी उसको ब्रिज पर से कूदने का ख्याल भी आता है लेकिन अपने गरीब मां-बाप और भाई बहन के बारे में सोच कर उसका कलेजा कांप जाता है। उसके आंखों से आंसुओं की धारा बहने लगती है और वह जोर-जोर से रोने लगती है।

शाम ढल चुकी थी, सना धीरे धीरे चलते चलते अपने घर पर पहुंचती है। उसके मां-बाप उसके देर से आने की वजह पूछते हैं तब वह कुछ बोल नहीं पाती है, बस इतना कहती है कि आज दूसरे होटल में फंक्शन था, इसलिए देर हो गई थी और वो वहां से खाना खाकर आई है। वह बहुत ही थक चुकी है और सोने के लिए छत पर जा रही है।

सना छत पर सोते सोते सोचती है कि खुदा ने यह दुनिया क्यों बनाई? जहां पर इंसानियत का कोई नामोनिशान नहीं है। एक अकेली लड़की को देखकर सब उसका शोषण करते हैं। अखिल के बारे में सोचते सोचते उसे अपने आप से घिन्न होने लगती है और फिर से उसकी आंखों से आसूओ की धाराएं बहने लगती है। वह आसमान में देखकर खुदा से दुआ करती है कि इस दुनिया में अब वही उसका सहारा है। वह नम आखों से रोते हुए, गिड़गिड़ाकर मदद की याचना करती है। इस मुसीबत से कैसे बाहर निकला जाए ये सोचते सोचते वह सो जाती है।

सुबह जब उसकी मां उसको कंपनी में जाने के लिए उठाने के लिए आती है, तब सना उसकी मां को गले से लगा कर जोर जोर से रो देती है। अपनी बेटी को परेशान देखकर सना की मां उसे कसम देकर सब बातें बताने को कहती है तब सना रोते हुए अपनी मां को सब हकीकत बताती है। सना की बात सुनकर उसकी मां की आंखों में भी आंसूए आ जाते हैं।

थोड़ी देर बाद वह अपने आंसू पोछकर सना को समझाते हुए कहती है कि जींदगी संघर्षों से भरी हुई है और हम जैसे गरीब लोगों की जिंदगी तो संघर्षो में ही गुजरती है इसलिए संघर्षों से कभी हार मत मानो। अभी तेरी जिंदगी की शरूआत है, भूतकाल को भूल जाओ और फिर से नए सिरे से शुरुआत करो। तुम दूसरा कोई काम ढूंढ लो इसमें ही हम सबकी भलाई है। ऊपरवाला सब कुछ ठीक कर देगा।

सना को अपनी मां की बातों से कुछ हिम्मत और आश्वासन मिलता है, वह सब कुछ भूला कर, दूसरी job ढूंढने की तैयारी करने मे लग जाती है।

क्रमशः