कर्म पथ पर - 78 Ashish Kumar Trivedi द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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कर्म पथ पर - 78





कर्म पथ पर
Chapter 78



लीना ने आज अपनी माँ की बंगाली साड़ी पहन रखी थी। वह बहुत खूबसूरत दिख रही थी। हैमिल्टन का ध्यान उसी पर था। उसे वृंदा पर बहुत गुस्सा आ रहा था। उसने उसकी एक आंख फोड़ दी थी। उसे लग रहा था कि यदि उसकी दोनों आँखें सही होती तो वह और अच्छी तरह से लीना की खूबसूरती को देख सकता था।
लीना ने केक काटा और एक टुकड़ा हैमिल्टन को खिला दिया। सबने तालियां बजाकर उसे जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। पियानो वादक ने हैप्पी बर्थडे टू यू धुन बजाई। हैमिल्टन ने तोहफे में एक खूबसूरत सा हार भेंट किया। उसने अपने हाथों से उसे लीना की गर्दन में पहनाया। उस हार को देखकर लीना खुशी से चहक उठी।
उसके बाद सभी शराब का गिलास हाथ में थामे अपने हिसाब से पार्टी का लुत्फ लेने लगे। जहाँ पियानो वादक बैठा था उसके पास एक मंच बनाया गया था। उस मंच से एक घोषणा हुई,
"लेडीज़ एंड जैन्टिलमेन में आई हैव योर अटेंशन प्लीज़। अब आपके सामने मशहूर सिंगर मारिया पिंटो कुछ गाने पेश करेंगी।"
सभी अपनी अपनी जगह पर बैठ गए। हैमिल्टन लीना के साथ बैठा था। मारिया के मंच पर आते हैं सबने जोरदार ताली बजा कर उसका स्वागत किया। मारिया अंग्रेजों की पार्टी की जान मानी जाती थी। हैमिल्टन ने उसे बुलाकर सबके मन में अपना प्रभाव जमा दिया था। मारिया ने सबका अभिवादन स्वीकार किया। उसके बाद गाना शुरू किया। सभी उसका गाना सुनने में तल्लीन थे।
जय बेअरे के रूप में पार्टी में सब को शराब परोस रहा था। वह मन ही मन सोच रहा था कि उसे सही मौका मिलेगा भी या नहीं। उसने तय कर लिया था कि यदि ऐसा कोई मौका उसके हाथ नहीं लगा तो वह अपनी जान की परवाह नहीं करेगा। किसी भी कीमत पर आज वह हैमिल्टन की हत्या करके ही रहेगा।
उसके अलावा दो और बेअरे पार्टी में लोगों को शराब और खाने की चीजें परोस रहे थे। जय जानबूझकर हैमिल्टन से दूरी बनाए हुए था। वह बस दूर से उस पर नज़र रखे हुए था।‌
एक दूसरा बेअरा शराब की ट्रे लेकर हैमिल्टन और लीना के पास गया। उसने हैमिल्टन को शराब पेश की। हैमिल्टन गिलास उठा रहा था कि ना जाने कैसे शराब छतक कर उसके कपड़ों पर गिर पड़ी। वह गुस्से से चिल्लाया,
"यू ब्लडी इंडियन्स... एक छोटा सा काम करने की तमीज नहीं है। और चाहते हो कि हम तुम्हें इस देश की बागडोर सौंप दें।"
उसने गुस्से में उस बेअरे को तमाचा जड़ दिया। मारिया गाते हुए रुक गई। सभी लोग उस तरफ देखने लगे। लीना परेशान हो गई। खुद को शांत करके हैमिल्टन बोला,
"सॉरी फॉर द डिस्टर्बेंस.. मारिया यू कैरी ऑन। आप लोग मारिया के गाने का लुत्फ उठाएं। मैं अभी आता हूँ।"
लीना भी उसके साथ जाने के लिए उठकर खड़ी हो गई। हैमिल्टन ने उसे रोक कर कहा,
"तुम यहीं रहो। मैं बस कुछ ही देर में आता हूँ।"
हैमिल्टन बंगले के अंदर चला गया। वह बहुत गुस्से में था। अंदर घुसते ही उसने आवाज़ लगाई,
"मंगल......"
उसकी आवाज़ में गुस्सा था। वह फौरन उसके सामने आकर खड़ा हो गया। हैमिल्टन ने अपना कोट उतार कर उसे देते हुए कहा,
"इसे ले जाओ। साफ करके आइरन से सुखाकर जल्दी लाओ। मैं अपने कमरे में हूँ।"
मंगल को कोट थमा कर हैमिल्टन सीढियां चढ़ कर अपने कमरे में चला गया।
बाहर मारिया ने अपना गाना दोबारा शुरू कर दिया था। जय ने सोचा कि इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा। वह भी फौरन उसके पीछे पीछे बंगले में घुसा। उसने हैमिल्टन को सीढियां चढ़ कर ऊपर जाते देखा। वह सावधानी से उसके पीछे ऊपर पहुँचा। हैमिल्टन बाईं तरफ के एक कमरे में घुस गया।
जय ने इधर उधर देखा। आसपास कोई नहीं था। उसने कमरे का दरवाज़ा खटखटाया। हैमिल्टन ने कहा,
"मंगल इतनी जल्दी आ गए। क्या बात है ? कम इन दरवाज़ा खुला है।"
जय दरवाज़ा खोल कर अंदर चला गया। उसे देखकर हैमिल्टन भड़क उठा,
"यू फूल.... तुम यहाँ क्या कर रहे हो ?"
जय ने दरवाज़ा बंद कर दिया। अपनी पगड़ी के नीचे से रिवॉल्वर निकाला। उसे देखकर हैमिल्टन चिल्लाया,
"मंगल....."
बाहर मारिया तेज़ आवाज़ में गाना गा रही थी। आवाज़ अंदर तक आ रही थी। जय ने फुर्ती एक कुशन उठाया। उसे सामने कर रिवॉल्वर से दो गोलियां हैमिल्टन के सीने में उतार दीं। खून से लथपथ हैमिल्टन वहीं ढेर हो गया।
जय ने अपनी पगड़ी ठीक की। रिवॉल्वर को कमर में बंधे कमरबंद में छुपा लिया। दरवाज़ा खोल कर इधर उधर देखा। कोई नहीं था। वह कमरे से निकल कर सीढियां उतर कर बंगले से बाहर आ गया।
मारिया का गाना समाप्त हुआ था। सब तालियां बजा रहे थे। जय भागता हुआ गेट पर पहुँचा। मेहमानों का आना जाना जारी था। इसलिए गेट खुला हुआ था। उसे देखकर दरबान ने टोका,
"तुम यहाँ क्या कर रहे हो ?"
"तुम्हें बुलाने आया था। हैमिल्टन साहब तुम्हें बुला रहे हैं।"
दरबान को आश्चर्य हुआ। जय ने कहा,
"जल्दी जाओ...."
दरबान फौरन लॉन की तरफ भागा। जय फुर्ती से बंगले के बाहर निकल गया।
मंगल कोट सुखाकर हैमिल्टन के कमरे में पहुँचा। उसने दस्तक देकर कहा,
"सर आपका कोट लाया हूँ।"
कोई जवाब नहीं मिला।
लीना परेशान हो रही थी कि हैमिल्टन वापस क्यों नहीं आया। उसने सोचा कि खुद ही अंदर जाती है। तभी दरबान ने आकर कहा,
"मेम साहब, साहब ने बुलाया था...."
दरबान की बात सुनकर लीना को अजीब लगा। उसने कहा,
"हैमिल्टन तो बंगले के अंदर है। वह कैसे बुला सकता है ?"
"पर मेम साहब वह बेअरा तो कह रहा था कि साहब बुला रहे हैं।"
लीना ने उसे डांटा,
"बेवकूफ जाकर अपनी जगह पर बैठो।"
दरबान वापस चला गया। लीना हैमिल्टन को देखने के लिए बंगले के अंदर गई। वह जैसे ही अंदर दाखिल हुई मंगल घबराया हुआ बाहर की तरफ भागते दिखाई पड़ा। लीना को देखकर वह बोला,
"मैडम....साहब का कत्ल हो गया।"
उसकी बात सुनते ही लीना ऊपर की तरफ दौड़ी। हैमिल्टन के कमरे में पहुँच कर चीख पड़ी।
कुछ ही देर में अफरा तफरी मच गई। सब घबरा गए। बंगले का गेट बंद कर दिया गया। फौरन पुलिस को बुलाया गया। शक जताया जा रहा था कि पार्टी में काम करने के लिए आए किसी आदमी ने हैमिल्टन की हत्या की है। दरबार ने बताया कि एक बेअरे ने उसे कहा था कि हैमिल्टन साहब ने उसे बुलाया है। शक उस बेअरे की तरफ गया। सभी बेअरों को एकत्र कर दरबान से पहचानने को कहा गया। पर उसने उसमें से किसी की तरफ उंगली नहीं उठाई। बात साफ थी कि हत्या के बाद वह मौका देख कर भाग गया। ‌ पुलिस उसकी तलाश के लिए जंगल की तरफ गई।

मदन पहले से ही जंगल में तैयार खड़ा था। वह एक बैलगाड़ी लेकर आया था। जय ने फौरन बेअरे की पोशाक उतारकर वही फेंक दी। बैलगाड़ी में बैठकर मदन के साथ वहाँ से निकल गया। ‌उन्हें पता था कि पुलिस जल्दी ही हरकत में आ जाएगी। इसलिए उन्होंने पहले ही तय कर दिया था कि वह लोग शहर की तरफ ना जाकर पास के गांव में छुप जाएंगे। अगले दिन वहाँ से लखनऊ के लिए रवाना होंगे। बिना कोई भी समय गंवाए वह गांव की तरफ बढ़ गए।
बैलगाड़ी मुसद्दीलाल की थी। वह भी हैमिल्टन के जुल्म का शिकार था। इसलिए उन लोगों की मदद के लिए तैयार हो गया था। जंगल के अंदर ही अंदर बैलगाड़ी चलाते हुए वह उन्हें अपने घर ले गया।
जब पुलिस जंगल में पहुँची तब तक जय और मदन बहुत दूर निकल चुके थे। पुलिस को वहाँ बेअरे की पोशाक पड़ी मिली।
मुसद्दीलाल के घर उसकी पत्नी उन लोगों का इंतजार कर रही थी। उसने उनके खाने पीने की व्यवस्था की। खाना खाते हुए मुसद्दीलाल ने बताया कि वह हैमिल्टन के बंगले पर माली का काम करता था। एक बार वह अपने बच्चे को लेकर बंगले पर गया था। उस समय हैमिल्टन भी आया हुआ था। खेलते हुए बच्चा बंगले के अंदर चला गया। इससे नाराज होकर हैमिल्टन ने उसे खूब पीटा। वह बुरी तरह घायल हो गया। पिटाई के तीन दिन बाद मौत हो गई।
रंजन मुसद्दीलाल की कहानी जानता था। उसने ही मुसद्दीलाल से मदद देने के लिए कहा था।

अगले दिन जय और मदन लखनऊ के लिए रवाना हो गए। वह उसी किराए के कमरे में पहुँचे। आगे क्या करना है इसकी योजना बनाने लगे। उन्हें पता था कि बहुत दिनों तक लखनऊ में टिकना मुसीबत खड़ी कर सकता है। मदन का कहना था कि वह दोनों वापस सिसेंदी गांव चलते हैं। पर जय का कहना था कि इस तरह वह लोग भुवनदा को भी मुसीबत में डाल देंगे। अभी कम से कम भुवनदा गांव वालों की मदद के लिए वहाँ हैं।
जय ने मदन को अपने मन की बात बताई। वह चाहता था कि अब इस विशाल देश को अपनी आँखों से देखकर समझने का प्रयास करे‌।‌ इसलिए वह चाहता है था कि लखनऊ छोड़कर वह पूरे देश का भ्रमण करे। इस देश के हालात अपनी आँखों से देखे। इस तरह ही वह वृंदा का सपना पूरा कर सकता है। उसका कहना था कि मदन यदि उसके साथ भटकने को तैयार ना हो तो वह जैसा उचित समझें कर ले। किंतु उसने अपना उद्देश्य तय कर लिया है।
मदन ने उससे कहा कि जब अब तक उसने उसका साथ निभाया है तो आगे भी निभाएगा। जहाँ वह जाएगा वहीं मदन भी जाएगा। दोनों ने तय कर दिया है कि वो अब यहाँ से कहीं दूर चले जाएंगे। उसके बाद देश का भ्रमण करेंगे। ‌
जय लखनऊ छोड़ने से पहले अपने पापा से मिलना चाहता था। इसलिए मदन और जय श्यामलाल से मिलने पहुँचे।