वह अकेली थी और वह तीन.सभी का बदन पानी में तर-बतर था.कपड़ों से पानी की बूंदें इस तरह टपक रही थीं ,जैसे पानी का टेप अधखुला रह गया हो.
शाम का धुंधलका हो गया था. काले बादलों से घिरा आसमान रात होने का एहसास कराने लगा था.बारिश मूसलाधार हो रही थी. सड़क भी पानी से लबालब भरी थी.तेज हवा के साथ पेड़ मस्ती में झूम रहे थे.बारिश की बूंदें भी उनके साथ अठखेलियाँ कर रही थीं. वह पानी की बौछार से बचने के लिए बार-बार अपनी जगह बदल रही थी.
उसने एकबार सड़क पर तेश खाते पानी को देखा फिर गहरी सांस ली.इतने पानी में स्कूटी ले जाना सम्भव न था. साथ ही स्कूटी के इंजन ने काम करना बंद कर दिया था. हारकर उसे सिटी बस स्टांप के टीन शेड़ में शरण लेनी पड़ी.
वह अपने टॉप को हिलाकर सुखाने का प्रयत्न करने लगी जो भीग कर उसके बदन से चिपक गया था. और उसके यौवन की महीन रेखाओं को उजागर कर रहा था.भीगे टॉप से जायदा परेशानी उसे उन तीनों से थी जिनकी निगाहें उसे अपने बदन पर गढ़ती महसूस हो रही थीं. वह किसी अनहोनी के डर से कंपकपा गई और उनसे दूर शेड़ के कोने में खड़े होकर पुनः टॉप झाड़ने लगी.
"अच्छा होता, वह बूंदाबांदी में तनु के घर से न चलती. बारिश का इंतजार करती.
"आपने कुछ कहा?"उनमें से घुंघराले बालों वाला लड़का उसके कुछ पास आता हुआ बोला. उसके कंधे पर उसकी गीली शर्ट पड़ी थी.जो उसने कुछ देर पहले निचोडकर झाड़ी थी.
"नहीं, नहीं, आपसे कुछ नहीं कहा."वह सहमकर थोड़ा पीछे हट गई.
लड़का वापस अपने साथियों के पास चला गया. लेकिन, अब उसका ध्यान इन तीनों पर था. तीनों उसकी हम उम्र थे.बीस-बाईस बर्ष के.उसी की तरह किसी कालेज में पढ़ते होगें. उसी की तरह संडे सेलीब्रेट करने निकले होंगे. जैसे वह अपनी फ्रेड़ तनु के घर च ली गई थी.
उसने गौर से तीनों को देखा.उनमें से दो अभी भी अपनी शर्ट्स को सुखाने में लगे थे.उसकी निगाहें उनके चेहरों का निरीक्षण करने लगीं. चेहरे डरावने नहीं थे.लग भी भले घर के रहे थे. उनके पहनावे और टीनशेड के बाहर खड़ी मोटरसाईकिलों से यही अंदाजा लगाया जा सकता था.लेकिन, अगले ही पल उसका मन संशय से भर गया. मासूम चेहरों के पीछे भी दरिंदगी छिपी होती है. एकसाथ कई रेपिस्टों के चेहरे उसकी आँखों के आगे घूम गये. जो उसने समय-समय पर अखबारों और न्यूज चैनलों पर देखे थे.उनमें से कितने चेहरे मासूम थे,लेकिन कृत्य घिनौने. निर्भया कांड की दरिदंगी याद करके उसके रोंगटे खड़े हो गए.
डरावने ख्याल उसे परेशान कर रहे थे और बारिश रूकने का नाम नहीं ले रही थी. रह-रहकर उसे अपने ऊपर गुस्सा आ रहा था. क्या जरूरत थी उसे बारिश में निकलने की. गहराते बादलों का अंदाजा तो लगाया होता. तनु के घर ही रूक जाती .मम्मी को फोन कर देती.
फोन...अरे,तनु और मम्मी दोनों परेशान होंगी. तनु तो बहुत जायदा. उसे पता है. उसे पता है उसके घर से अपने घर दस मिनट में नहीं पहुंच सकती. स्कूटी से भी उसके घर से अपने घर पहुंचने को आधा घंटा तो चाहिए ही.उसके घर से निकले मात्र पन्द्रह मिनट ही हुए हैं. पहले तनु को फोन करती हूं-"हैलो, तनु !तुम्हारे घर से निकलते ही बारिश बहुत तेज होने लगी.मैं अम्बेडकर रोड़ पर सिटीबस स्टाप के टीनशेड में खड़ी हूं.स्कूटी का इंजन भी खराब हो गया है. बारिश कम होते ही अंकल को भेज देना. हां,मम्मी से कह देना में तुम्हारे घर पर ही हूं.वह रास्ते के नाम से परेशान हो जायेगीं. घर में अकेली हैं किसे भेजेगीं."वह बिना सांस लिए कहती चली गई. जल्दी -जल्दी बोलने से उसकी सांस फूल गई थी.
"बेचारी."तीनों के मुँह से एकसाथ निकला.उन लोगों ने उसकी बात सुन ली थी.
"आपने कुछ कहा?"वह मोबाईल जीन्स की जेब में रखते हुए पलटी.
"जी,आपके कपड़े बहुत भीग गये हैं. बेशक, मौसम बरसात का है.फिर भी जुकाम हो सकता है."उन तीन में से लम्बे कद का लड़का मुस्कुरा कर बोला. उसकी निगाहें उसके भीगे टॉप पर फिसलती चली गई,जो गीला होकर उसके बदन से और जायदा चिपक गया था.
"कपड़ें आपके भी गीले हैं. आप अपने जुकाम की परवाह करें."वह तुनक कर बोली.
"हमने अपनी शर्ट का पानी निचोड़ लिया है. आपके कपड़ों से अभी भी पानी टपक रहा है."लड़का शरारत से बोला.
"ऐ,जायदा सहानुभूति दिखाने की जरूरत नहीं है.मैंने फोन कर दिया है. अंकल बारिश कम होते ही आ जायेंगे."उसका स्वर तीनों को धमकाने वाला था.
बारिश अभी भी तेजी पकड़े हुए थी.सड़क का पानी कम होने का नाम नहीं ले रहा था. काले बादलों की अंधेरी बरकरार थी.ऊपर से बिजली का कड़कना वातावरण को और जायदा डरावना बनाये हुए था
उसने एकबार चारों तरफ निगाह डाली. हर तरफ मूसलाधार बारिश के सिवाय और कुछ न था.सड़क से कोई वाहन भी न गुजर रहा था. वैसे अम्बेडकर रोड़ कोई जी.टी.रोड़ न थी जो वाहनों की आवाजाही निश्चित होती. ऊपर से लवालव भरी सड़क .जो जहां होगा वहीं रूक गया होगा.
चारों ओर घूमकर उसकी निगाहें फिर टीनशेड में वापस आ गई. अब,वह तीनों शेड के दूसरे कोने में पास-पास खड़े थे.भीगी शर्ट्स उनके कंधों पर पड़ी थीं. उनका नंगा गठीला बदन देखकर वह सिहर गई. तीनों आपस में धीमी आवाज़ में गुफ्तगू कर रहे थे. उसे लगा तीनों उसके रेप की साजिश कर रहे हैं.
वह अपने बचने के रास्ते तलाशने लगी.सड़क की ओर भागना संभव न था.सड़क पानी से भरी थी.भागेगी भी कितनी दूर.वह अकेली और वह तीन. वह आसपास कोई पत्थर या डंडा देखने लगी.जिससे इनका कुछ मुकाबला किया जा सके.
अपनी बचाव के रास्ते वह सोच ही रही थी कि उसे अपने बहुत करीब किसी की आहट का एहसास हुआ. उसनेफुर्ती से अपना दांया हाथ हवा में घुमाया और उधर से एक चीख गूंजीं-"आह....."
उसका घूसा घुंघराले बालों वाले लड़के की नाक पर पड़ा था.वह अपनी नाक दबाए नाक से बहते खून को रोकने की कोशिश कर रहा था.
मोटा नाटा और लम्बा लड़का तेजी से उसके पास आ गए.
"ओय,मैडम, यह क्या बदतमीजी है.?"
"यह...यह....मेरे पास.....'एकबार के लिए वह हकला सी गई. तीनों को अपने इतना करीब देखकर.
वह तीनों उसके और करीब आ गए.
"अगर तुम लोगों ने मुझे हाथ लगाने की कोशिश भी की तो तुम दोनों का भी थोबड़ा बिगाड़ दूंगी. जूड़ो कराटे की स्टेट चैम्पियन हूँ."अपना डर छिपा कर वह एक्शन में आ गई.
"बहुत खुशी हुई आपसे मिलकर. लेकिन मेरे दोस्त पर दांव मारने की क्या जरूरत थी."लम्बे लड़के ने अपना दांया हाथ उससे मिलाने के लिए उसकी ओर बढ़ा दिया.
"तुम लोग मुझे बेबकूफ और बेचारी समझ रहे हो .कोने में खड़े होकर प्लानिंग की फिर यह मेरे पास आया."वह अभी भी अटैक करने को तैयार थी.
"हम आपकी हेल्प की प्लानिंग कर रहे थे.यह आपको अपनी शर्ट देने आया था. भीगे, सफेद, झीने टॉप से आपका झांकता बदन....."कहते हुए लम्बा लड़का शरारत से मुस्कुराया.
"बहन,हमारा घर सामने वाली कालोनी में है. आपको यहां अकेला और स्कूटी से उलझा देखकर हम लोगों को लगा कहीं आप किसी मुसीबत में न पड़ जायें.इसलिए हम लोगों ने यहां आपके साथ रूकने का फैसला किया."नाटा मौटा लड़का बीच में आकर बोला.
"हां,आपकी शेफ्टी के लिए यहां रूके ,बरना घर में बैठे चाय पकौड़ी का मजा ले रहे होते."लम्बा लड़का सिर हिलाकर गम्भीरता से बोला.
"बहन,हमारे मां -पापा ने यही सिखाया है, कोई मुसीबत में हो तो उसकी बिना मांगे सहायता करो."नाटा मोटा लड़का बोला.
उसने बारी-बारी तीनों के चेहरे पढ़ने की कोशिश की.उनकी आँखें सच्चाई बंया कर रही थीं. अब उसका डर कम हो गया. उसने कुछ देर के लिए राहत की सांस ली.
"यह शर्ट पहन लीजिए. आपके अंकल के सामने आपका बदन...."घुंघराले बालों वाले लड़के ने शर्ट उसकी और बढ़ा दी.वह.अपने दर्द पर काफी हद तक काबू पा चुका था.
"ले,लो,बहन.हमें अपने भाई जैसा समझो .आपके अंकल के आते ही हम लोग अपने घर चले जायेंगे."असीम स्नेह था नाटे मोटे लड़के की आँखों में.
"अरे,अब शर्ट ले भी लो .इतने बुरे नहीं हैं हम लोग जितना समझ रही हो."लम्बा लड़का हँसकर बोला.
"दुनिया में अभी भी अच्छे लोग हैं."वह शर्ट लेते हुए बुदबुदायी.
"आपने कुछ कहा?"तीनों एकसाथ बोले.
"आप लोग बहुत अच्छे हैं."उसने नम आँखों से तीनों की ओर देखा और शट पहनने लगी.
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आभा यादव
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