डयू का सबक Abha Yadav द्वारा बाल कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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डयू का सबक


डयू और जैकी हरिमोहन की कोठी में रहते थे.दोनों हरिमोहन के पालतू कुत्ते थे.साथ रहते-रहते दोनों में दोस्ती हो गई थी.लेकिन, दोनों के स्वभाव में जमीन आसमान का अंतर था.
जैकी गुस्सैल था.उसे बिना बात से दूसरों पर भौंकने की आदत थी.लेकिन, डयू शान्त स्वभाव का था.वह दुश्मनों के अलावा किसी को नहीं सताता था.
हरिमोहन ने शादी नहीं की थी.वह कोठी में अकेले ही रहते थे. उनके आफिस जाते ही पड़ोस के बच्चे उनके लान में खेलने आ जाते. डयू को बच्चों का लान में खेलना बहुत अच्छा लगता था.
लेकिन, जैकी को बच्चों का लान में धमाचौकड़ी मचना बिल्कुल पंसद नहीं था.वैसे भी उसे डयू और हरिमोहन के अलावा कोई नहीं सुहाता था.वह बच्चों को देखते ही जोर-जोर से भौंकने लगता. बच्चे डर कर भाग जाते. पड़ोस के सभी बच्चे जैकी से बहुत घबराते थे.जैकी को देखा नहीं ,फाटक कूद कर भागे नहीं.
डयू अक्सर जैकी को समझाता-"जैकी, मासूम बच्चों पर क्यों भौंकते हो?लान में खेल ही तो लेते हैं. कुछ नुकसान तो करते नहीं."
"जैकी डयू की बात सुनकर झल्ला जाता-"कोठी हमारी है.इनकी लान में आने की हिम्मत कैसे पड़ती है. मालिक के सामने झांकते भी नहीं हैं. मालिक के जाते ही जाने कहां -कहां से आ जाते हैं. आखिर मालिक के पीछे इस कोठी की जिम्मेदारी हमारी है न!"
"तुम्हारी बात ठीक है. लेकिन, बच्चे कोई नुकसान नहीं करते. बस खेलकर चले जाते हैं."डयू ने समझाने की कोशिश की.
"लेकिन, यह कोठी हमारी है.मालिक ने हमें रखा है. बच्चों को नहीं. "जैकी गुस्से से बोला.
"तुम इतना गुस्सा क्यों करते हो?तुम्हें मालूम नहीं गुस्से में चेहरा कितना बदसूरत लगता है."डयू ने दूसरे तरीके से जैकी को समझाना चाहां.
"जानवर तो खूंखार ही होते हैं. क्या वह मनुष्य की तरह खूबसूरत हो जायेगें?या उनकी तरह प्यार करने लगेंगे?"जैकी डयू की खिल्ली उड़ाते हुए बोला.
"जैकी ,जंगली जानवर भी प्यार समझते हैं. हम लोग तो पालतू हैं. बच्चे हमारे साथ खेलना चाहते हैं और तुम गुस्सा दिखाने लगते हो."
"मुझे तुम्हारी बात समझ नहीं आती."जैकी पूँछ तानता हुआ बोला.
लेकिन, डयू जैकी को सबक देना चाहता था.
एक रोज डयू को एक तरकीब सूझी. वह जैकी को हरिमोहन के फोटोग्राफी वाले कमरे में ले गया. यह शीशे का बना कमरा था.जैकी यहां कभी नहीं आया था.हरिमोहन उसके क्रोधी स्वभाव से परिचित थे,इसीलिए उसे यहां कभी नहीं लाये थे.
आज हरिमोहन घर पर नहीं थे.अतः डयू को हरिमोहन को सबक सिखाने का मौका मिल गया.
जैकी जैसे ही हरिमोहन के कमरे में पहुंचा,उसने आदत के अनुसार भौंकना शुरू कर दिया. कमरे में चारों ओर लगे शीशों में जैकी की भंयकर शक्ल दिखाई दे रही थी.इतने सारे कुत्तों को भौंकता देख कर जैकी क्रोध में भर गया. उसने और जोर से भौंकना शुरू कर दिया.
भौंकते-भौंकते जैकी के मुँह से झाग निकलने लगे.वह चारों तरफ शीशे में अपनी भंयकर शक्ल देखकर घबरा गया.
"डयू,तुम मुझे इन भंयकर कुत्तों में क्यूँ ले आये. यह सब मुझे मार डालेंगे."जैकी रूआंसा होकर बोला.
"जैकी तुम इन लोगों से प्यार से बात करके देखो. यह सब तुम्हारे दोस्त बन जायेंगे."डयू बोला.
जैकी पूँछ हिलाता हुआ शीशे में दिख रहे कुत्तों की ओर बढ़ा. शीशे में दिख रहे कुत्ते भी दुम हिलाने लगे.जैकी उन्हें प्यार से चाटने लगा .शीशे के कुत्ते भी उसे प्यार से चाटने लगे.कुत्तों से प्यार पाकर जैकी बहुत खुश हो गया .
"आओ,जैकी वापस चलें."जैकी को प्रसन्न देखकर डयू ने कहा.
"हां,लान में बच्चे आ गये होंगे. उनके साथ खेलेंगे."जैकी कमरे से बाहर निकलते हुए बोला.
डयू जैकी के बदले स्वभाव को देखकर प्रसन्न था.

*****Abha yadav
7088729321