बेनाम शायरी - 5 Er.Bhargav Joshi અડિયલ द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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बेनाम शायरी - 5

बेनाम शायरी

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हम चांद को पाने की हिमाकत लिए बैठे है।
हम धरती पर रहकर आसमान लिए बैठे है।।

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डूबने का डर लिए समन्दर किनारे बैठे है।
टूटने का डर लेकर वो इश्क किए बैठे है।।

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तुम क्या जानो चाहत की गर्दिश।
दिन में भी सितारे नज़र आते है।।

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उम्मीदों के पंख आज आसमानों पर छाए है।
"बेनाम" डर से आज मेरे होंसले टकराए है।।

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बेनाम, मै मोत का मुंह कब तलक मोडू।
ये बक्षिस कुदरत ने जन्म के साथ भेज है।।

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जाने के बाद हम दुआ सलाम का वादा नहीं करते।
जीते जी चाह लेते है मौत तक तकाजा नहीं करते।।

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भूल भी गए हमें और हमारी यादों को भी।
और अब भी हमसे इश्क का दावा करते है!?

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चाहते सिर्फ अपने मतलब से नहीं की जाती है।
ये वो शमा है जिस में ताउम्र खपा दी जाती है।।

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हर रोज नापा जाए जो अपने हिसाब से।
इश्क है मोहतरमा कोई कमीज़ तो नहीं।।

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सोच खुद की तुम इतनी छोटी बनाए बैठे हो।
हरदम हरपल जैसे तुम खुद को गंवाए बैठे हो।।

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क्यों तृष्णा थी मुझे उसे बेइंतेहा चाहने की !?
क्या जरूरत थी खुद को इतना गिराने की !?

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साफ दिलो को चैन कहां नसीब होते है।
घाव खरोच के बिना दर्द नसीब होते है।।

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वक्त भी बड़ा ही बेरहम घाव है यारों,
दर्द में भी हसने की एक छांव है यारो।

ये शाम है छोटी सी निकाल देना,फिर
देखना आसमान पे तेरे पांव है यारो।।

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ये डरपोक जिंदगी तो हमसे नहीं जी सकेंगे।
हम तो आखरी दिन भी बेजिझक ही रहेंगे।।

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बुझदिलो के नाम कभी इतिहास कहा लिखता!?
जीत का सहारा अक्षर सरफिरे को मिलता है।।

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तुम साथ दोगे तो हम आएंगे जरूर,
रूठ ने पर भी तुम्हे मनायेगे जरूर।

एक दफा ही सही देख लेना तुम हमें,
फिर तेरी राहों से लौट जाएंगे जरूर।।

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माना कि तेरे हुस्न के आगे कमीदार हम निकले।
बात दिल की आई तो बड़े जमीदार हम निकले।।

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साकी अगर महफ़िल के जाम खाली है तो भरा कीजिए।
ये दिल में जाम बाकी है तो फिर किसी पर मरा कीजिए।।

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ये कयामत के दिन में नहीं उलझना हमें।
तेरी बाहों के आंचल में सुलझना है हमें।।

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क्या ये उम्मीद लगाई खुद के टूट जाने के लिए!?
दिल क्यों जलाया गैरो के रोशन दानो के लिए।।

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Thank you 😊
... ✍️ Er Bhargav Joshi "benaam"

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[ क्रमशः ]