The Author Er.Bhargav Joshi અડિયલ फॉलो Current Read बेनाम शायरी - 5 By Er.Bhargav Joshi અડિયલ हिंदी कविता Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books ज्ञान दो मित्र, अमित और सुनील, बचपन से ही साथ पढ़े और साथ खेले... इश्क इबादत - 2 इतना सबकुछ हो गया फिर भी पूनम जी अभी तक मूक दर्शक बनकर बैठी... मोमल : डायरी की गहराई - 27 पिछले भाग में हम ने देखा कि अब्राहम बेहोश हो कर गिर पड़ा था।... दरिंदा - भाग - 1 प्रिया के घर के सामने वाले खाली घर में महीनों से सन्नाटा पसर... अर्धांगिनी-अपरिभाषित प्रेम... - एपिसोड 67 रसोई मे हुये इस हंसी मजाक के बीच सब साथ मिलकर नाश्ता करने बै... श्रेणी लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी क्राइम कहानी उपन्यास Er.Bhargav Joshi અડિયલ द्वारा हिंदी कविता कुल प्रकरण : 6 शेयर करे बेनाम शायरी - 5 (26) 2.5k 9.4k बेनाम शायरी💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐हम चांद को पाने की हिमाकत लिए बैठे है।हम धरती पर रहकर आसमान लिए बैठे है।।💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐डूबने का डर लिए समन्दर किनारे बैठे है।टूटने का डर लेकर वो इश्क किए बैठे है।।💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐तुम क्या जानो चाहत की गर्दिश।दिन में भी सितारे नज़र आते है।।💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐उम्मीदों के पंख आज आसमानों पर छाए है।"बेनाम" डर से आज मेरे होंसले टकराए है।।💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐बेनाम, मै मोत का मुंह कब तलक मोडू।ये बक्षिस कुदरत ने जन्म के साथ भेज है।।💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐जाने के बाद हम दुआ सलाम का वादा नहीं करते।जीते जी चाह लेते है मौत तक तकाजा नहीं करते।।💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐भूल भी गए हमें और हमारी यादों को भी।और अब भी हमसे इश्क का दावा करते है!?💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐चाहते सिर्फ अपने मतलब से नहीं की जाती है।ये वो शमा है जिस में ताउम्र खपा दी जाती है।।💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐हर रोज नापा जाए जो अपने हिसाब से।इश्क है मोहतरमा कोई कमीज़ तो नहीं।।💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐सोच खुद की तुम इतनी छोटी बनाए बैठे हो।हरदम हरपल जैसे तुम खुद को गंवाए बैठे हो।।💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐क्यों तृष्णा थी मुझे उसे बेइंतेहा चाहने की !?क्या जरूरत थी खुद को इतना गिराने की !?💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐साफ दिलो को चैन कहां नसीब होते है।घाव खरोच के बिना दर्द नसीब होते है।।💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐वक्त भी बड़ा ही बेरहम घाव है यारों,दर्द में भी हसने की एक छांव है यारो।ये शाम है छोटी सी निकाल देना,फिरदेखना आसमान पे तेरे पांव है यारो।।💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐ये डरपोक जिंदगी तो हमसे नहीं जी सकेंगे।हम तो आखरी दिन भी बेजिझक ही रहेंगे।।💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐बुझदिलो के नाम कभी इतिहास कहा लिखता!?जीत का सहारा अक्षर सरफिरे को मिलता है।।💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐तुम साथ दोगे तो हम आएंगे जरूर,रूठ ने पर भी तुम्हे मनायेगे जरूर।एक दफा ही सही देख लेना तुम हमें,फिर तेरी राहों से लौट जाएंगे जरूर।।💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐माना कि तेरे हुस्न के आगे कमीदार हम निकले।बात दिल की आई तो बड़े जमीदार हम निकले।।💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐साकी अगर महफ़िल के जाम खाली है तो भरा कीजिए।ये दिल में जाम बाकी है तो फिर किसी पर मरा कीजिए।।💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐ये कयामत के दिन में नहीं उलझना हमें।तेरी बाहों के आंचल में सुलझना है हमें।।💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐क्या ये उम्मीद लगाई खुद के टूट जाने के लिए!?दिल क्यों जलाया गैरो के रोशन दानो के लिए।।💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 Thank you 😊 ... ✍️ Er Bhargav Joshi "benaam"💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 💐💐 [ क्रमशः ] ‹ पिछला प्रकरणबेनाम शायरी - 4 › अगला प्रकरण बेनाम शायरी - 6 Download Our App