मैं, मैसेज और तज़ीन - 6 - अंतिम भाग Pradeep Shrivastava द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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मैं, मैसेज और तज़ीन - 6 - अंतिम भाग

मैं, मैसेज और तज़ीन

- प्रदीप श्रीवास्तव

भाग -6

मैंने पूछा ‘आप पहुंच गए ?’ तो वह बड़ा खुश होकर बोला ‘हां।’ उसे खुशी इस बात की भी थी कि वह एक और कदम मेरे करीब आ गया। मेरा नंबर अब उसके मोबाइल में था। उसने तुरंत पूछा ‘कहां हो तुम ?’ मैंने तुरंत कहा ‘बस पांच मिनट में पहुंच रही हूं।’ वह एकदम उतावला हो उठा कि बताओ कहां हो मैं आ कर ले लेता हूं। मैंने कहा ‘नहीं बस पहुंच ही गई।’ फिर फ़ोन काटकर देखने लगी उसे ध्यान से कि वह वही है जिसे रिंग किया। उसका भी फ़ोन कट गया। लेकिन देखा वह कॉलबैक कर रहा है। मेरे मोबाइल में रिंग हुई मैंने काट दिया। कुछ देर में फिर रिंग कर कह दिया कि पहुंच रही हूं। जब मुझे कंफर्म हो गया कि यही वह आदमी है तो मैं उसे देखकर परेशान हो गई। फ़ोन पर खुद को इंजीनियरिंग का स्टूडेंट बताता था। लेकिन यह तो चालीस-पैंतालिस साल का प्रौढ़ आदमी है। मेहंदी में रंगे बाल। बड़ी स्टाइल में हल्की सी कटी दाढ़ी। जींस और टी-शर्ट पहने था। देखने में दो-तीन बच्चों का बाप लग रहा था। मुझे उसकी धोखा-धड़ी पर बहुत गुस्सा आया।

उसकी बार-बार आने वाली रिंग ने गुस्सा और बढ़ाया । अंततः मैंने पांच मिनट बाद रिसीव कर कह दिया कि तुम धोखेेबाज हो मैंने तुम्हें देख लिया है। मैं नहीं मिल सकती। मुझे फ़ोन नहीं करना। इस पर वह बोला ‘एक बार मिल लो मैं तुम्हें सारा सच बता दूंगा। मेरी मजबूरी को समझो। मेरी बात जानने के बाद अगर तुम्हें ठीक लगे तो आगे मिलना नहीं तो न मिलना। आखिर बताओ तो तुम किधर हो।’ मैंने जब बार-बार मिलने से मना कर दिया, जब उसे यकीन हो गया कि नहीं मिलूंगी तो वह अपने असली रूप में आ गया और ऐसी गंदी-गंदी गालियां देने लगा कि जवाब नहीं। मैंने मोबाइल ऑफ कर दिया और उस पर नज़र गड़ाए रही कि अब ये क्या करेगा है। मेरा मोबाइल ऑफ होते ही उसने किसी और को रिंग किया। मुश्किल से पांच मिनट बीते होंगे कि एक बाइक पर उसी की उमर के लफंगे जैसे दो लोग आकर रुके।

कुछ देर तीनों ने बात की और फिर लोहिया पार्क से वापस हजरतगंज की ओर चले गए। मुझे समझते देर न लगी कि मैं लफंगों के गैंग के चंगुल में फंसते-फंसते बची। भगवान को धन्यवाद देती, निशातगंज चौराहे पर बने मंदिर गई, प्रसाद चढ़ाया। घर आ गई। घर आने के पहले काव्या को बताया। तो वह बिगड़ कर बोली थी ‘यार तू खुद तो मरेगी हम सबको भी मरवाएगी। तज़ीन ने बार-बार मना किया है कि किसी साले को नंबर मत देना। और तुमने बता दिया और मिलने भी चली गई।’ इसी बीच उसका फ़ोन फिर आने लगा। मैंने काव्या से कहा तो वह बोली ‘सुन उसने तुम्हें गाली दी थी न तो हिसाब तो बराबर करना है। पहले तू फ़ोन रिसीव करके उसे खूब गाली दे। और फिर तुरंत ऑफ कर सिम निकाल कर फेंक दे नाली में। कल दूसरा सिम ले लेंगे। नहीं तो यह छोड़ने वाला नहीं।’ मैं घबरा रही थी। उसकी बराबर कॉल पर कॉल आ रही थी। पहले सोचा कमीने को गाली दूं। मुझे बड़ी गंदी-गंदी बातें कही हैं, मगर हिम्मत न पड़ी और फ़ोन ऑफ कर सिम निकाल कर फेंक दिया।

रात आई.डी. पर उसका फ़ोन फिर आया तो बड़ी शालीनता से बात करते हुए माफी मांगने लगा। मैंने उसकी बात का कोई जवाब न दिया। बस सुनती रही। जब उसे लगा कि मैं जवाब नहीं दूंगी तो उसने फिर गाली दी, फ़ोन काट दिया। उसका बिल बढ़ रहा था। पांच रुपए मिनट के हिसाब से।

अगले दिन काव्या-नमिता ने मुझे मेरी बेवकूफी पर बहुत लताड़ा। जल्दी ही इग्ज़ाम के टाइम आ गए। खींच तान कर वो भी दे दिया। मगर पर्सेंटेज बुरी तरह खराब हुई। घर में पापा-अम्मा ने अपना गुस्सा जाहिर किया कुछ न बोल कर। परसेंट् खराब होने के कारण बी.ए. में मन चाहे विषय नहीं मिले। बी.ए. की क्लासेज शुरू ही हुई थीं कि एक रात मैंने पापा-अम्मा को अपनी शादी की बात करते सुन लिया। दोनों के हिसाब से पढ़ने-लिखने में मेरा मन नहीं लग रहा है। शादी कर देनी चाहिए। मां बोली इधर देखते-देखते इसका बदन इस तेजी से भर गया है कि अभी से पचीस-छब्बीस की लग रही है। कैसे बोलूं कि खाने-पीने पर थोड़ा कंट्रोल कर ले। नहीं तो भारी शरीर के चलते शादी करनी मुश्किल हो जाएगी। उनकी बातों में शादी के लिए दहेज बटोरने से लेकर मुझ पर निगाह रखने तक की बात शामिल थी। मतलब साफ था कि मेरे मां-बाप का मुझ पर से विश्वास ही उठ गया था। मुझे बड़ा दुख हुआ। चैटिंग नहीं कर पाई। मोबाइल ऑफ करके लेटी रही बिस्तर पर। अपने भविष्य को लेकर मां-बाप की चिंता ने मुझे बहुत भावुक कर दिया था। मैंने उनका विश्वास तोड़ दिया है यह बात मुझे बहुत कचोटने लगी थी।

मेरे मन में बार-बार यह डर सताने लगा था कि आखिर मां-बाप को मेरी ऐसी कौन बात पता चल गई कि मुझ पर से उनका विश्वास इस कदर उठ गया है कि मुझ पर निगाह रखने की बात हो रही। कहीं चैटिंग की बात तो पता नहीं चल गई। लेकिन ऐसा नहीं हो सकता। चैटिंग का सच जानने के बाद तो वह मुझे घर से निकलने ही नहीं देेंगे। तो क्या यह बात है कि मेरी गतिविधियों ने उनकी नज़र में संदेह पैदा कर दिया है। और उन्हें प्रमाण का इंतजार है। और जब बात निगरानी की आ गई है तो एक दिन प्रमाण भी पा लेंगे। किसी दिन पिता का वकीलों वाला दिमाग सनक गया और कहें चलो दिखाओ कहां किन बच्चों को पढ़ा रही हो ट्यूशन तब क्या करूंगी। ऐसे तो उनका विश्वास एकदम चकनाचूर हो जाएगा। फिर सब जीवनभर मुझसे बात नहीं करेंगे। भाई-बहन भी।

तब यह भी कहा जाएगा कि तुमसे किसने कहा था कि घर की चिंता करो। इस कल्पना से ही मैं सिहर उठी। और सच तो यही था कि इस चैटिंग के कारण ही तो मैं अपनी मन-मर्जी कर रही थी। पापा-अम्मा से एक से एक झूठ बोल रही थी। ऐसे काम कर रही थी जो सही तो नहीं कहे जा सकते थे। किस्मत से दलदल में फंसते-फंसते बची थी। उस लफंगे ने फंसा ही लिया था। मगर ऐसे कितने दिन बचुंगी। किसी दिन फंस ही जाऊंगी। आखिर एक दलदल में फंसी ही काव्या-नमिता के साथ।

बीयर पार्टी, नहीं वो नमिता के शब्दों में लाईफ वेव पार्टी। यह पार्टी काव्या के यहां अमूमन हर महिने होती थी। काव्या के मां-बाप हर महीने एक दिन के लिए दिल्ली जाते हैं। रात की ट्रेन से वहां किसी गुरु की कृपा लेने। अगले दिन गोमती ट्रेन से रात में ही वापसी करते हैं। उस एक रात के लिए काव्या नमिता को उसके मां-बाप से कह कर अपने यहां सोने के लिए बुला लेती है। दोनों के घर पास हैं। फिर दोनों अगले दिन भी साथ रहती हैं।

काव्या के दो भाई भी हैं। बैंगलुरू में जल्दी ही नौकरी में लगे थे। ऐसी स्थिति में काव्या ने एक बार दिन में मुझे भी बुला लिया था। कॉलेज के लिए कह कर निकली मगर पहुंची उस के घर। वहां दोनों ने खाने-पीने के लिए के.एफ.सी. केे चिकन, पिज्जा आदि तो मंगाए ही थे साथ में बीयर भी थी। मैं अचंभे में पड़ गई थी कि यह सब क्या। दोनों के प्रेशर के आगे मेरा सारा संकोच इंकार धरा रह गया। जीवन में पहली बार न सिर्फ़ चिकन खाया बल्कि बीयर भी पी। और जब शुरूर में आ गई तो और पी गई।

होम थिएटर पर वेस्टर्न म्यूजिक सुनना ही काफी नहीं था, काव्या ने कंप्यूटर पर पॉर्न साइट भी खोल दी थी। चैटिंग कर-कर इन सब चीजों में हम तीनों पारंगत थे ही। अब वह सब देख कर तीनों और बहक गए। वह दोनों तो खैर बहुत पहले से ही बहकी थीं। बीयर के शुरूर में हम तीनों ने खूब डांस किया। उसी में एक दूसरे को पकड़ते, किस करते आखिर हम तीनों फिज़िकल रिलेशनशिप के दौर से भी गुजर गए। जब शुरूर कम हुआ तो मुझे रोना आ गया। मैंने नमिता की टॉवल ही पहन कर खूब नहाया, ब्रश किया और घर आ गई। जब कि वह दोनों यही कहती रहीं ‘जस्ट फ़न यार इसमें रोना कैसा। इट्स अ पार्ट ऑफ लाइफ यार इंज्वाय इट।’ उनकी बातों से मैं कंविंस न हो पाई। लेकिन जब अगले महीने दोनों ने फिर बुलाया तो रोक न सकी थी खुद को। मुंह से न करती रही मगर चली गई।

पार्टी का पूरा मजा लिया। मगर इस बार रोना नहीं आया। दलदल में जो फंस चुकी थी। फिर यह क्रम हर महीने चला। मैंने सोचा यह सब एक दिन खुल ही जाएगा। उधर तज़ीन एक और दलदल में फंसाने जा रही है। ‘किस ऑफ लव मूवमेंट’ में शामिल होने के लिए कह रही है। एक संगठन के ऑफ़िस के सामने मूवमेंट में शामिल लड़के-लड़कियां एक दूसरे को सबके सामने लिप-लॉक किस करेंगे। इससे वह मॉरल पुलिसिंग के खिलाफ विरोध दर्ज कराएंगे। चोरी-छिपे उसने हम सब को दो-दो हज़ार रुपए भी दिए हैं।

यह सारा काम तज़ीन और उसका एक दोस्त पैट्रिक चौधरी मिलकर कर रहे हैं। पिछले हफ्ते ही वह करने वाले थे। लेकिन लड़के-लड़कियों की कम संख्या के कारण अगले हफ्ते करने का निर्णय लिया था। यह बात तो छिप ही न पाएगी, बाकी सारी बातें खोल देगी अलग से। आखिर फायदा क्या इन सारी चीजों का, मुझे नहीं रहना अब इस दलदल में। अब ट्यूशन सच में ही पढ़ाऊंगी। सचमुच पढ़ाऊंगी अपने घर पर ही पढ़ाऊंगी। भाई-बहन को भी शामिल कर लूंगी। चैटिंग से कम पैसा नहीं आएगा। कल जाकर तज़ीन को वापस कर दूंगी मोबाइल। कह दूंगी कि नहीं करनी चैटिंग। नहीं बरबाद करनी अपनी नींद, सेहत, भविष्य और घर की इज्जत। नहीं शामिल होना तुम्हारे ‘किस ऑफ लव मूवमेंट में ’ नहीं चाहिए दो हजार रुपए, नहीं बनना किराए का टट्टू। नहीं जाना अब लाईफ वेव पार्टी में। जब मैं यह निर्णय करके लेटी बिस्तर पर तो बड़ा रिलैक्स महसूस कर रही थी। बड़ा हल्का महसूस कर रही थी। मोबाइल ऑफ कर बैग में रख दिया था।

अगले दिन सुबह नौ बजे ही घर वाले फ़ोन पर नमिता का फ़ोन आया था। वह बड़ी घबराई हुई बोली थी ‘तुमने पेपर देखा।’ मैंने कहा था ‘नहीं।’ मैंने उसे यह कभी नहीं बताया था कि मेरे यहां पैसे के कारण पेपर नहीं आता। उसने बताया कि ‘पेपर में तज़ीन की फोटो निकली है। उसकी किसी ने हत्या कर दी है। उसे बड़ी बुरी तरह से रेप करने के बाद मारा गया है। पुलिस को हॉस्टल से कई मोबाइल, करीब एक लाख रुपए और कई आपत्तिजनक कागजात मिले हैं। हम सब के पास जो चैटिंग के मोबाइल हैं यह भी उसी के हैं। क्या करा जाए।’ कुछ ही देर में हम तीनों ने आपस में बात करके सारे मोबाइल कॉलेज जाते समय रास्ते में पड़ने वाले बहुत दिन से खुले पड़े एक गटर में फेंक दिए थे। उन्हें फेंकने से पहले तोड़कर कई टुकड़े कर दिए थे। उस दिन हम तीनों शाम तक साथ थे। मगर कोई बात नहीं कर रहे थे। हम तीनों इतने सहमे हुए थे कि उसी पेपर में ‘किस ऑफ लव मूवमेंट’ के सूत्रधार की गिरफ्तारी की फोटो सहित खबर को पढ़कर भी एक शब्द नहीं बोल पाए थे। वह दोनों सेक्स रैकेट चलाने के आरोप में गिरफ्तार हुए थे। इस खबर ने हमारी दहशत और बढ़ा दी थी। मेरी नज़रों के सामने बार-बार तज़ीन की बिंदास तस्वीर आ रही थी। उसका खुलकर हंसना, बेलौस बातचीत और बोल्ड पहनावा भी। मुझे पूरा यकीन है कि उसका वह डेढ़ बरस का साथ मैं कभी भुला नहीं पाऊंगी। आखिर उसी की वजह से तो घर को आर्थिक मजबूती मिली थी। भले ही उसके कारण हतप्रभ करने वाले अनुभव मुझे जीवन भर कुरेदते रहेंगे। और अब जो घर पर ही इतने दिनों से ट्यूशन पढ़ाकर पैसा कमा रही हूं इसके पीछे भी अंततः है तो वही।

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