सिर्फ तुम-3
दर्द जब हद से बढ़ जाता है,
चीखना चाहते है..
चिल्लाना चाहते है.
मन में जमी धूल एक पल में निकालना चाहते है...
चाहते हैं कह दें सब हाल-ए-दिल,
पर कुछ कह नहीं पाते..
होंठ काँप उठते हैं कुछ कहने से पहले..
आंखे छलछला जाती हैं कुछ कहने से पहले..
और बहा देती हैं आसुंओ में सब,
वो दर्द जो दिल सह नहीं पता..
जो जुबां कभी कह नहीं पाती..
पर बात तो ये भी है की
इन आसुंओ की कीमत कहां जानते हैं
दर्द देने वाले..
जुबां के फ़रेब सुनने का शौक रखते है सब..
यहां कौन निग़ाहों की ख़ामोशी जानना चाहता है..
हाथ में मरहम लेकर फ़िरते तो है यहां सब,
यहां कौन दिलों का दर्द जानना चाहता है..
फ़रेब दिलों के जुबां से छुपाते हैं..
दिलों के रिश्ते दिमाग से निभाते हैं..
सबकुछ कहां समझ पाते हैं, सबकुछ समझने वाले..
दिलों की की बात नहीं जानते सब दिलों वाले..
दिलों की बात नही जानते दिलों में रहने वाले..
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वो घर बना रहे थे,
हम सपने सजा रहे थे..
एक आँगन खुशियों वाला,
हम दोनों सजा रहे थे..
पर नीव कहीं कच्ची थी,
बेबुनियाद थी दीवारें भी..
फिर वक़्त की आंधी में ,
जायज थी आनी दरारें भी...
कहीं गिर हम गए थे..
और वो भी तो टीके नहीं थे..
ढोते रहे काँधे पर,
कुछ सपने थे, जो बिके नहीं थे ..
अब दूर बहुत हैं हम..
और पास वो भी नहीं है..
कहीं बिखरे पड़े हैं टुकड़ों में हम,
पर सिमटे वो भी नहीं हैं..
इश्क़ के दरिया के हम दो मांझी,
किसी मंझदार में फंसे थे..
डुब चुकी थी कश्ती..
और हम तिनके लिए डटे थे..
ख्वाहिश फिर से मिलन की,
दोनों ही चाह रहे थे..
एक ख़ुशियों वाला आशियां,
हम दोनों सजा रहे थे..
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किसी रोज़ अगर मैं ना रहूं तो,
ढूंढ लेना मुझको खुद में ही कहीं..
महसूस करना इन हवाओं में मुझको,
किसी रोज़ तुमको मैं नहीं मिलूं तो..
जी भर के जी लेना ज़िन्दगी मेरे हिस्से की..
जो ज़िन्दगी कभी मै जी ना सकी..
बांट देना थोड़ी खुशियाँ उदास चेहरों पर,
शायद मिल जाऊंगी कहीं मैं किसी की हंसी में..
किसी दिन अगर मैं ना रहूं तो..
अपने ख़यालों में एक हिस्सा मेरा भी रखना
दिल के किसी कोने में मेरी यादों को जगह देना..
महसूस करना तुम मुझको खुद में ही..
किसी दिन अगर मैं ना रहूं तो..
अहसासों की डोर जो हमेशा रहेगी
चाहत है दिल मे जो कभी ना मिटेगी
बेशक कहीं भी मैं ना मिलूंगी,
पर यादों में हरदम साथ रहूंगी..
किसी रोज़ अगर मैं ना रहूं तो..
और भुला देना चाहोगे तो भूल जाना यूँही,
किसी बहाने की तुम तलाश मत करना..
एक पल में मिटा देना सब यादों को दिल से,
फिर से नए सफ़र की शुरुवात करना..
किसी रोज़ अगर मैं ना रहूं तो..
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ख्याल तुम्हारा अक्सर मुझे सोने नही देता..
क्या मेरे ख्याल ने भी कभी तुम्हे बैचैन किया है..
फिक्रमंद भी है अब दिल फिक्र में तुम्हारी,
क्या मेरी फिक्र ने भी कभी तुम्हे परेशान किया है..
पास नहीं सही अब दिल दूर भी है तुझसे,
पर क्या इन दुरियो ने कभी तुम्हे भी बैचैन किया है..
अक्सर रो देती हूं छुपकर तन्हाई में,
कभी मेरी याद ने तुम्हे भी तन्हा किया है..
एहसास-ए-मोहब्बत में दिल जार-जार हो गया है,
क्या कभी इस मोहब्बत का तुम्हे भी अहसास हुआ है..
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मुश्किल है बहुत तुम्हें भूल जाना,
और यूँही याद करते रहना भी तो मुश्किल है..
मुशिकल ही है तुम्हारे बिना यूँ जीना,
पर तुम्हारे बिना मर जाना भी तो मुश्किल है..
तुम आगे बढ़ तो गए हो,
हम अभी भी वही ठहरे हैं..
पर अब यूँही तन्हा ठहरे रहना मुश्किल है..
और चल भी जाएंगे हम सफर में अकेले,
पर अब अकेले सफर तय करना भी तो मुश्किल है..
कट तो रही है ज़िन्दगी तुम बिन,
पर इस ज़िन्दगी को ज़िन्दगी कहना मुश्किल है..
और जी भी लेंगे कुछ दिन यादों के सहारे,
पर अब खुद में जिंदा रहना मुश्किल है..
हर लम्हें, हर घड़ी, बदल तो रहें हैं,
ना चाहते हुए भी चल तो रहें है...
हां गुज़र तो जाएगी ही ये ज़िन्दगी यूँही,
पर अब तुम बिन एक पल का गुजरना मुश्किल है..
यूँही यादों में मरते रहना भी तो मुश्किल है..
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....✍️Sarita Sharma..🙏