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मौत की छलांग

टोनी ने जब से दुनिया देखनी शुरु की थी,उसने खुद को मीना बाज़ार मे ही पाया था,उसकी आंखे उस माहौल मे खुली थी,जहाँ की राते रंगीन और दिन की दुनिया ब्लैक एन्ड व्हाइट थी।वो जब नन्हा सा था,तभी से वो पूरा दिन एक सीमित चारदीवारी के भीतर दौड लगाता रहता,कभी किसी के साथ खेलता,तो कभी किसी और की तम्बू मे जा घुसता,सारे के सारे लोग उसके भैया,चाचा,काका,अंकल और आन्टी थे।वो माईकल और साईमा का बेटा था,माईकल जो मीनाबाजार का जियाला हीरो था,रोजाना रात का जांबाज खिलाडी,हर रात ठीक 10 बजे जिसका शो फिक्स था,"सौ फीट ऊंची सीढियों के उपरी सिरे से पूरे बदन मे आग लगा कर नीचे पानी से भरे कुंये मे छलांग लगाने का तमाशा दिखाना",जिसे मीनाबाजार ने नाम दिया था,"मौत की छलांग"।
ये एक विशेष शो था,जिसका प्रचार हर दिन होता था,ताकि रात की भीड मे इजाफा हो सके।ये एक लोकप्रिय शो था,और माईकल को इसकी वजह से अच्छे पैसे और शोहरत मिलती थी।टोनी भी इसी माहौल मे बडा हो रहा था,नगर नगर,शहर शहर उनकी टोलियां घूमती रहती,खानाबदोशों जैसा जीवन था,पर जैसे एक बडा सा परिवार था,सुख दुख सबके साथ साथ थे।धीरे धीरे टोनी जवान हो गया,और माईकल बूढा,उसने मौत की छलांग लगानी बंद कर दी,और अपने बेटे टोनी को इस काम मे एक्सपर्ट कर दिया,साईमा कुछ समय पहले ही किसी बीमारी से मर चुकी थी,बस अब बाप था और बेटा था,बाप की आंखों के सामने जब बेटा मौत की छलांग लगाता,तो बाप का सीना फख्र से चौडा हो जाता,टोनी तो एक हाथ आगे ही निकला था,वो एक सौ पच्चीस फूट उपर से छलांग लगाता था,और मीनाबाजार की आंखो का तारा था।फिर वो दिन भी आया जब माईकल ने भी इस दुनिया से किनारा कर लिया,और टोनी तन्हा रह गया,अब बस मीनाबाजार के लोग ही उसका परिवार थे।बाप का ग़म बीता तो परिवार के लोगो ने उसे रीमा से शादी करने को कहा,जिसे वो बरसों से मुहब्बत करता था,क्योंकि दुनिया तो बसानी थी,बढानी थी,और टोनी ने भी खुशी से रीमा को ब्याह लिया,और अपने तम्बू मे ले आया।दोनो मे बडा प्यार था,और रीमा भी उसके मौत की छलांग वाले तमाशे की दीवानी थी,हालांकि वो भी मीनाबाजार मे एक खिलौनो का स्टाल चलाती थी,पर दस बजते ही वो अपनी दुकान छोड कर कुंये के पास आकर सिर उठा कर खडी हो जाती,उसका दिल धक धक करता रहता,भले ही टोनी एक्सपर्ट था,पर था तो उसका पति,उसे उसकी चिन्ता रहती थी।टोनी छलांग लगाने से पहले बडे प्यार से रीमा को देखता,उसे चूमने के बाद ही सीढियां चढता,और उपर पहुंचने के बाद फिर दोनो ही एक दूसरे को फ्लाईंग किस देते,तभी तमाशा शुरु होता,यही नियम बरसों से चला आ रहा था।
तीन बरस शादी के बीत जाने के बाद,टोनी को चिन्ता सताने लगी कि वो बाप क्यों नही बन पा रहा था,उसे तमन्ना थी कि वो बाप बने और उसे भी मीना बाजार का हीरो बनाये,आखिरकार दोनो मियां बीवी ने डाक्टर की भी राय लेनी शुरु कर दी,और उनकी लिखी दवा दारु भी शुरु कर दी,कोई साल और बीता तब कहीँ जा के रीमा ने टोनी को खुशखबरी दी कि वो बाप बनने वाला है,टोनी की खुशी का ठिकाना ना रहा।बेटा पैदा हुआ,और टोनी ने प्यार से उसका नाम रौनी रखा,अब उसकी जिन्दगी मे और भी जोश,उत्साह भर आया,खुशी मे उसने और दस सीढियां छलांग मे जोड दी।देखते देखते रौनी भी एक साल का हो गया,मौत की छलांग का खेल बदस्तूर चलता रहा।
पिछले दस दिनो से शहर मे एक ही चर्चा गरम थी कि दो तारीख को मीनाबाजार मे जो मौत की छलांग का खेल होने वाला है,वो खतरनाक ही नहीं, बल्कि टोनी की जिन्दगी का सबसे बडा तमाशा है,उस दिन के टिकट रेट भी बढा दिये गये थे,क्योंकि उस रात टोनी जो छलांग लगाने वाला था,उसमे उसके साथ उसका एक साल का बच्चा रौनी भी शामिल था,रीमा ने बडा रोना धोना मचाया था,पर टोनी ने जिद ठान ली थी,कि वो कर दिखायेगा।और फिर देखते देखते वो दिन भी आ गया था,रीमा उदास थी,पर मजबूर थी,टिकट बिक चुके थे,हालांकि मीनाबाजार के अन्य सदस्यों ने भी टोनी के इस खेल का विरोध किया था,ये एक बच्चे की जिन्दगी का सवाल था।
भारी भीड के सामने टोनी ने बच्चे को सीने पर बांधा,अपना रोज़ाना का आग लगाने का सामान लिया,और सीढियों की तरफ बढ गया,पता नहीं क्यों उसने आज रीमा को गुडबाय किस नहीं किया।सीढी दर सीढियां चढते टोनी के कानों मे बस एक ही बात गूंजती रही ,जो उसने रीमा को अपने दोस्त पीटर से कहते सुना था,करीब एक महीने पहले,कि रौनी,टोनी की औलाद नहीं, बल्कि पीटर की संतान था,क्योंकि डाक्टर के मुताबिक टोनी मे संतान पैदा करने की क्षमता नहीं थी,और उसे बेटा पैदा करने की बडी चाह थी।मजबूरी मे,ना चाहते हुये भी उसने पीटर से संबंध बनाये थे कि वो टोनी को एक बच्चा दे सके,और पिछले एक महीने से टोनी ये जान कर गला जा रहा था,कि रौनी उसका बेटा नहीं था।उसे रीमा से ही नहीं, रौनी से भी घृणा हो गयी थी,फिर उसके बाद ही ये विशेष मौत की छलांग का एनाउन्समेन्ट हुआ था,ताकि ये टोनी की जिन्दगी का आखिरी खेल बन जाये,जिसमे रौनी भी जिन्दा ना रहे,टोनी मन ही मन घुटता रहा था,पर उसने रीमा से कोई शिकायत नहीं की,बस उसके लिये यही सज़ा उसने तय की थी।
वो सबसे उपर की सीढी के पास लगे तख्ते पर पहुंच गया,रौनी उसके सीने पर बंधा था,और नीचे रीमा के साथ साथ सैकडो लोगो की धडकने तेज हो गयी थी,"क्या आज भी टोनी का तमाशा सक्सेसफुल होगा?"और ये सिर्फ रौनी ही जानता था कि आज एक नहीं बल्कि दो दो जानें एक साथ जाने वाली हैं।उसने आखिरी बार अपने बाप माईकल को याद किया,और उससे माफी मांगी,क्यूंकि आज वो खेलभावना के खिलाफ कायरों वाला खेल दिखाने जा रहा था,नीचे लोग दम साध के सांसे रोके उपर की ओर ताक रहे थे,और टोनी ने अपने बदन पर आग लगा दी।
उस एक पल मे नीचे खडी रीमा समझ गयी कि आज उसने अपने पति और बेटे दोनो को खो दिया,क्योंकि उपर से आज फ्लाइंग किस नहीं आया था,ज़रुर उसकी बेवफाई टोनी समझ चुका था,उसने चिल्ला कर टोनी को आवाज़ लगायी,पर टोनी अपने जीवन की मौत की छलांग लगा चुका था।
उपर से नीचे आने के उन पलों मे टोनी ने अपने मासूम बच्चे को आखिरी बार देखा,और फिर लोगो ने एक एक्सपर्ट की छलांग का एक हैरतअंगेज कारनामा देखा कि जैसे ही कुंआ दस फीट दूर रह गया,टोनी ने बच्चे को हवा मे उछाल दिया ताकि वो लोगो के शरीर पर जा गिरे,और उसकी जान बच जाये।ऐसा पिछले दस सालो मे कभी नहीं हुआ था कि टोनी अपने निशाने से चूक जाये,और पानी से भरे कुंये मे ना गिरे,पर आज उसकी आंखे रीमा पर टिकी थी,उसकी आंखो मे शिकायत थी कि उसने उससे बेवफाई क्यों की,बच्चा नहीं भी होता तो कौन सा पहाड टूट जाता।टोनी ने छलांग ही ऐसी लगायी थी कि वो पानी मे ना गिरे,उसका सर कुंये की पत्थर की गोलाई से टकराया और तरबूज़ की तरह फट गया।
"अपने मौत की छलांग" को उसने मरने से पहले अपने बच्चे रौनी के "जीवन की छलांग"मे बदल डाला था,वो समझ गया था कि इसमे रौनी का क्या दोष था?।

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