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जादूगर जंकाल और सोनपरी (10)

जादूगर जंकाल और सोनपरी

बाल कहानी

लेखक.राजनारायण बोहरे

10

रत्नदीप भी जादुई द्वीप था । दीप पर उतरते समय चंद्र परी साथ थी।

शिवपाल ने अपने बाज को इशारा किया तो उसने एक लम्बी उड़ान भरी जिससे कि वह द्वीप के भीतर तक की खोज खबर लाकर बता सके। इधर शिवपाल ने अपने घोड़े के साथ रत्नदीप के रेतीले इलाके में चल पड़ने की तैयारी की। उसे लगा रहा था कि यहां बहुत गर्मी लगने वाली है इस लिए उसने जमीन पर फैली हुई धूल को अपने बदन पर रगड़ना शुरू किया कि उसे सूरज की तेज गर्मी न लग पाये।

दो घड़ी बाद ही बाज वापस आ गया था। उसने बताया कि द्वीप में बहुत से बाज रहते हैं, उनसे वह दोस्ती भी कर आया है। दूसरे बाजों ने बताया है कि द्वीप के सबसे ऊंचे पहाड़ में एक गुफा है, उसमें कोई बड़ा भारी अजगर रहता है। यह अजगर हर दो तीन दिन में अपना पेट भरने के लिए गुफा से निकल कर किनारे पर आता है।

अपने घोड़े पर सवार हो बाज के दिखाये अनुसार शिवपाल उस ऊंचें पहाड़ की तरफ बढ़ लिया। गर्म हवा, रेत के अंधड़ उसके चेहरे को जला और झुलसा रहे थे, लेकिन कपड़े से अपना चेहरा ढके शिवपाल निरंतर बढ़ा जा रहा था।

आखिर उस पहाड़ तक पहुंच कर बाज रूक गया, उसने इशारा किया तो शिवपाल भी रूक गया। बाज ने एक उड़ान भर कर पहाड़ की चोटी पर बनी वह गुफा बताई जहां कि अजगर रहता था।

शिवपाल ने सोचा कि गुफा के अंदर अजगर ने पता नहीं कैसे अपना जाल फैला रखा होगा इसलिए सीधा गुफा में घुस जाना ठीक नहीं होगा। तो शिवपाल एक पेड़ के नीचे रूक गया और गुफा की तरफ नजर टिका दी।

अब शिवपाल को यह इंतजार था कि अजगर कब बाहर निकलता है। मन नही मन शिवपाल उस अजगर से निपटने का उपाय भी खोज रहा था।

शिवपाल ने देखा कि पहाड़ की चोटी के ऊंपर बड़ी-बड़ी चटटान रखी हैं जिन्हें जरा सा हिला दिया जाये तो वे लुड़कने लगेंगी।

एकाएक उसने बाज को पास बुलाया और उससे पूछा कि अगर चाहं तो तुम्हारी विरादरी के बाज लोग मिल कर उस अजगर को उठा कर नही ले जा सकते क्या?

बाज ने कहा कि पक्षी लोग बिना किसी हित अनहित के किसी को परेशान नहीं करते।

यकायक शिवपाल को लगा कि किसी तरह ये सब बाज इस अजगर से परेशान हो जायें तो पक्का है कि उसे उठा ले जायेंगे। उसने तुरंत ही चंद्र परी से कहा कि वह समुद्र तट पर जाकर कुछ मछलियां ले आये, जिससे इन बाज लोगांे की दावत करा दी जाये।

फिर क्या था, परी तुरंत ही समुद्र तट तक गयी और बहुत सी मछलियां लेकर आगई ।

शिवपाल ने मछलियों की पोटली को कंधे पर लादा और पैदल पहाड़ी की चोटी की ओर चढ़ना शुरू कर दिया ।

पहाड़ की ऊंचाई पर पहुंच कर उसने वह गफा ढूढ निकाली जिसमें अजगर रहता था। उसने छिपते हुए गुफा में झांक कर देखा तो पाया कि गुफा के भीतर हल्का सा अंधेरा है, लेकिन ऐसी कोई तेज चीज रखी है जिसमें से सूरज की तरह उजाला निकल रहा है।

शिवपाल ने अपने हाथ से मछलियां निकाल कर गुफा के बाहर नीचे जाने वाले रास्ते पर फेंकना आरंभ कर दिया और खुद धीरे-धीरे चोटी के शिखर की तरफ बढ़ने लगा।

कुछ ही देर में यहां वहां बैठे बाज, गिद्ध और कौओं का दल उन मछलियां पर टूट पड़ा था, जिसे देख कर शिवपाल बहुत खुश हो गया। वह यही तो चाहता कि सारे पक्षी यह जान जायें कि उनको मछलियों की दावत कराने वाला शिवपाल है।

इधर पक्षियों की दावत चल रही थी अचानक गुफा में से तेज तेज फुसकारी के स्वर गूंजने लगे और एक चट्टान पर छिप गये शिवपाल ने देखा कि गुफा में सहसा वह अजगर बाहर निकल कर आया। शिवपाल ने अजगर को देखा तो उसकी सांस रूक सी गयी उसने इतना बड़ा अजगर कभी न देखा था।खूब बड़े मोटे घोड़े की कमर बराबर मोटा और सौ एक हाथ लम्बे इस अजगर देखते ही चट्टानों पर बैठ कर आराम से मछली खा रहे पक्षियों में हलचल मच गयी।

शिवपाल ने कल्पना की कि अगर यह अजगर उस पर गुस्सा हो गया और इस ने अगर सांस खींच ली तो वह खुद ही पूरा का पूरा समा जायेगा।

अजगर ने बाहर निकल कर यहां वहां बैठे पक्षियों की इतनी बड़ी भीड़ देखी तो खुश हो गया उसने अपना विशाल मुंह खोला और सांस खींचने लगा। उसकी सांस के साथ आसपास की झाड़ियां और छोटे पक्षी उसके खुले मुंह की ओर खिंचने लगे। फिर अजगर ने और तेज सांस ली तो शिवपाल ने देखा कि तेज उड़ती हवा के साथ खिंचते मोटे पक्षी अजगर के मुंह की तरफ खिंचे जा रहे हैं।

अब पक्षी थोड़ा जागे और अपनी सुरक्षा की चिंता करने लगे। वे मछलियों का लालच छोड़कर वहां से उड़ने लगे लेकिन इस बीच इतनी देर हो गयी थी कि कुछ पक्षी तो अजगर के मुंह में खिंचते ही चले गये थे।

कुछ साथियों को इस तरह अपना ग्रास बनाता देख बाजों को अजगर पर भारी गुस्सा आ गया । वे तेज स्वर मे चिल्लाने लगे और अजगर की पूंछ तरफ से आकर उसके मुंह के पीछे पहुंच कर अपने नुकीले पंजों और चोंच से उस पर हमले करने लगे ।

ठीक इस समय शिवपाल तेजी सी पहाड़ के शिखर पर पहुंच गया और उसने मौका देख कर ऊपर जमी उन चटटानों को नीचे की तरफ ढड़काना शुरू कर दिया। पक्षियों से परेशान अजगर ने देखा ही नही कि ऊंपर से बड़ी विपदा उसकी ओर खिंची चली आ रही है।

बात की बात में उन चट्टानों की चोट से अजगर लुहूलुहान होने लगा । कुछ देर बाद तो वह इतना घायल हो गया था कि करवटे लेता हुआ पहाड़ी के नीचे की ओर फिसल चला था। उसका सारा जोश ठण्डा पड़ गया था।

उसे लुड़कता देख पक्षियों का साहस बढ़ गया और उन सबने एक साथ अजगर पर हमला कर दिया। अजगर के पूरे बदन से खून निकलने लगा था। उसको तड़पता देख कर पक्षियों का जोश बढ़ता जा रहा था।

चट्टानों से कुचलता और कुलांटी खाते हुए फिसलता हुआ वह अजगर नीचे तलहटी में पहुंच गया तो सारे पक्षियों ने फिर एक साथ उस पर हमला किया और फिर शिवपाल के बाज के सुझाव पर उन सबने एक राय होकर उसे उठा ही लिया तथा उड़ कर वे सबके साथ उसे लटकाये हुए समुद्र तट की ओर बढ़ गये थे।

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