Dani ki kahani - 11 books and stories free download online pdf in Hindi

दानी की कहानी - 11

धरती तो हरी हुई (दानी की कहानी )

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दानी की एक बहुत क़रीबी दोस्त हैं | उनकी दोनों बेटियाँ विदेश में रहती हैं |

जब भी उनके बच्चे भारत आते ,यहाँ का पर्यावरण देखकर बहुत दुखी हो जाते |

दानी की मित्र की बड़ी बेटी सिंगापूर में तो छोटी बेटी जेनेवा में रहती हैं | बड़ी वाली के एक बेटा ,एक बेटी हैं तो छोटी के दो बेटियाँ हैं | लगभग हर वर्ष भारत आने से वो दानी के बच्चों की दोस्त भी बन गईं हैं | इसलिए जब भी दानी अपनी दोस्त से बात करती हैं वे अपनी बेटी के बच्चों की बातें ज़रूर करती हैं |इधर दानी अपने परिवार के बच्चों के बारे में बातें करती हैं | यानि सूचनाओं का दौर एक सिरे से दूसरे सिरे पर चलता ही रहता है |

यह स्वाभाविक भी होता है | सब उम्रदराज़ मित्र अपने बच्चों की कुशल-क्षेम पूछते रहते हैं और ये कोरोना-काल तो ऐसा आया जिसने पूरे विश्व को प्रभावित किया ही है |

आदत है दानी की घंटों अपने दोस्तों से बतियाती हैं | कभी किसी बात पर चर्चा हो रही तो कभी किसी पर | कभी खाना क्या बन रहा है तो कभी कुक नहीं आई या कुक का आने का या फिर दूसरा काम करने आने वालों का समय बहुत ग़लत है , उन्हें उनके आने से बहुत असुविधा होती है |

पर,किया क्या जाए ? एक तो उम्र ऊपर से हाथ से काम करने की आदत का न होना,इस समय महीनों से बड़ी उम्र के लोगों को यह प्रताड़ना से कम नहीं लगता |

एक दिन दानी अपनी इन्हीं मित्र मधु सोसी जी से बात कर रही थीं कि थोड़ी देर में बात करते-करते ;

"ओह ! ऐसा ?यह तो खूब कहा ---" जैसे वाक्य वातावरण में तैर गए |

सारे बच्चे दानी को हमेशा की तरह घेरकर खड़े हो गए |

"क्या हुआ दानी ?"

"हमें भी बताइए न !"

"चैन तो लेने दो ,बताती हूँ ---" दानी अपने स्टाइल में बातें समाप्त करके बैठीं ,अपनी मेज़ से उठाकर दो घूँट पानी के भरे ,मुँह पोंछा | इतनी देर में तो बच्चे उथल-पुथल हो गए थे |

"दानी बताइए न ,आप हमेशा ऐसा ही करती हैं ,इतनी देर लगती हैं ---" शिकायत की पोटली खोलकर बच्चे खड़े हो गए |

" ये बताओ ,दिया तुमसे छोटी है या बड़ी ?"

"हम सबसे छोटी है दिया --" सबसे छुटकी ने बड़े अभिमान से कहा | बड़ा होने का रौब ही कुछ और होता है |

"तो सुनो ,उसने कितनी अच्छी बात सोची ---"

"क्या---?"

"उसने अपनी मम्मी से कहा कि कोरोना में धरती के लिए कितनी अच्छी बात हुई | अब धरती हरी-भरी रहेगी ,पशु-पक्षियों को सड़कें ख़ाली मिलेंगी ,नेचर कितनी खिल जाएगी ---" उन्होंने बच्चों से दिया की बात शेयर की |

"है न छोटे दिमाग़ की बड़ी सोच ? तुममें से किसीने सोचा ?"

"क्या दानी आप भी ,सोचा क्यों नहीं ? हम उस दिन आपसे बात नहीं कर रहे थे कि पक्षी कैसे पेड़ों पर चहचहा रहे हैं---"

"आप तो दानी हमें बस यूँ ही समझती हैं ,हमारे भी दिया जैसी ही बुद्धि है --"

दानी की बात से बच्चे सहमत नहीं थे कि केवल दिया ने ही यह सोचा जबकि बात यह थी कि छोटे से मस्तिष्क में यह बड़ी बात आना दानी को बहुत अच्छा लगा था |

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