मज़बूर (पार्ट 2) Shrikar Dixit द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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मज़बूर (पार्ट 2)

स्वाती दरबाजा खोलती है..
राहुल :- रौशन सो रहा है जागा तो नहीं...
स्वाती :- नहीं,सो ही रहा है..
राहुल :- अच्छा,
स्वाती :क्या कहा राजेश जी ने?
राहुल :- ह्म्म, नंबर दिया है एक साहब का,कल बात करूँगा..
स्वाती :- अब सो जाइए, मैंने बिस्तर लगा दिया है..
राहुल :-अच्छा!
राहुल सोने के लिये चला जाता है...
अगली सुबह सूरज की पहली किरण के साथ सूरज की खुलती हैं..
सुबह के दैनिक कार्य से निपट कर, राहुल अपने फोन से वो नंबर डायल करता है..नंबर पर रिंग बजती है! भारी आवाज के साथ एक व्यक्ति की आवाज आती है.
व्यक्ति :- हैलो,दिस इस मेहरोत्रा स्पीकिंग,
राहुल :हाँ, हाँ सर मैं राहुल बोल रहा हूँ,आप... आपका
नंबर राजेश ने दिया है सर जी..
मेहरोत्रा :- ओके, क्यों?
राहुल :- दरअसल सर मुझे काम की बहोत ज्यादा जरूरत है,उसने बताया था कि आपके पास काम मिल
जाएगा..
मेहरोत्रा :- हाँ dear,मुझे दैनिक मजदूरों की जरूरत है,यदि आप इच्छुक हैं तो Monday से आ जाइये..
राहुल :-धन्यवाद सर,कहाँ आना होगा?
मेहरोत्रा :एड्रेस आपको मैं सेंड कर दूँगा..
राहुल : जी सर, नमस्ते सर..
दूसरी तरफ से कॉल कट हो जाता है..
स्वाती :(जो पास में खड़ी हुई सारी बातें सुन रही थी) क्या बोला उन्होंने( हताश होते हुए पूछती है).?
राहुल :-(मुस्कुराते हुए) वो एड्रेस भेज रहे हैं..
स्वाती :- ये तो बहोत अच्छी न्यूज है अपने लिये..
राहुल :-ह्म्म
राहुल :तैयारी कर लो आज शनिवार है सोमवार से कंपनी मे काम पर जाना है..
स्वाती :-ह्म्म,करती हूँ..
राहुल :- मैं ये खुश खबरी राजेश को सुनाके आता हूँ..
स्वाती :-अच्छा,ठीक है आप जाइये मै तब तक सामान तैयार करती हूँ..
राहुल :ठीक है,
राहुल बाहर की तरफ निकल जाता है..
राहुल राजेश के घर पहुंचता है घर के बाहर राहुल सूखी लकड़ी काट रहा था..
राहुल :और राजेश भाई क्या कर रहे हैं?
राजेश :अरे कुछ नहीं भाई लकड़ी बिल्कुल ना हैं घर में और खाना पकाना है इसलिये थोड़ी लकड़ी काट रहे हैं..
राहुल :-अच्छा जी,
राजेश :और तुम्हारा काम हो गया?
राहुल :-ह्म्म,आपका बहुत बहुत धन्यावाद,
राजेश :इस में धन्यवाद की क्या बात है, राहुल जी..
हमने तो अपना कर्तव्य किया है..
और हाँ ये बता जायेगा कैसे?
राहुल :बस से निकल जाऊंगा,
राजेश :- इतना पैसा क्यूँ खर्च करेगा भाई ट्रेन की टिकिट बनवा ले स्लीपर की आराम से जाना,
अच्छा मैं बनवा दूँगा, रहने दे तू..
राहुल :- कितने पैसे होंगे?
राजेश :जो भी हो बाद में दे देना, अगर अभी ना हों तों..
राहुल :ओके!
राजेश :कल सुबह 12 बजे की ट्रेन से निकल जाना,दिल्ली पहुँचते पहुँचते रात हो जायेगी!
राहुल :-अच्छा चलता हूँ भाई,तैयारी करनी है कल के लिए!
राजेश :जी बिलकुल..
अगली सुबह राहुल अपनी फैमिली के साथ तैयार होके अपने गांव के नज़दीक रेल्वे स्टेशन पर पहुंच गया,
रौशन को गोद में लिये हुए स्वाती,राहुल से पूछती है..
स्वाती :टिकिट लिया आपने?
राहुल :टिकट वो राजेश जी ने बोला है वो करवा देंगे!
स्वाती :अच्छा!
राहुल :मैं उनसे कॉल करके पूछता हूँ!
अपनी उँगलियों को कीपैड फोन पर बटन दबाते हुए राजेश का नंबर डायल करता है! हैलो! राजेश जी मैं स्टेशन पर आ चुका हूं,आपने टिकट करवा दिए हैं ना..
राजेश :ह्म्म हो गए हैं आप बहीं बैठिए मैं स्टेशन आ रहा हूँ टिकिट लेकर..
राहुल :-जी!
राहुल waiting room की एक सीट पर बैठते हुए, स्वाती को भी बैठने के लिए इशारा करता है,..