मज़बूर (पार्ट 1) Shrikar Dixit द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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मज़बूर (पार्ट 1)

ये कहानी एक ऐसे मजदूर की है,जो अपने परिवार के साथ घर से बहुत दूर काम की तलाश में जाता है,अचानक से लॉकडाउन होने की वजह से कमाई और आवागमन के सारे रास्ते बंद हो जाने के कारण कुछ दिनों तक वो इस उम्मीद मे कि जल्द ही सब सही हो जायेगा और काम मिल जायेगा,वहीं ठहर जाता है धीरे-धीरे उसकी सारी जमा पूजी समाप्त हो जाती है और फिर क्या होता है यही है आज की इस कहानी में...

राहुल को घर पर बैठे हुए काफी समय निकल गया था,काफ़ी समय से उसे कोई भी काम नहीं मिल रहा था राहुल की बीबी (स्वाती) राहुल को खाना परोसते हुए :आपको घर पर बैठे हुए कितना समय गुजर गया है,स्कूल बाले बच्चों की फीस के लिए बोल रहे हैं और किराने बाला उधारी देने से इंकार कर रहा है,
राहुल :- सब्जी में मिर्च इतनी ज्यादा डाल दी है कि जीभ ही जल गई,दाल दो ज़रा सी..
स्वाती :-( दाल परोसते हुए),अब कब तक बात को अनसुना करते रहोगे,सारे पैसे समाप्त हो चुके हैं,अब तो थोड़ा बहुत सिलाई का काम जो आ जाता है उसी से खर्च चलता है..
राहुल :-खर्च तो चल रहा है ना,भूखों तो नहीं मर रही हो,..
स्वाती :- अगर ऐसे ही चलता रहा,तो एक दिन भूखों मरने की नौबत भी आ जाएगी..
राहुल :- तो क्या करूँ? जब काम नहीं मिल रहा है यहाँ,काम की तलाश में ही हूँ लगा हुआ..
स्वाती :मैं तो कहती हूँ शहर चले जाइये वहाँ काम मिल जायेगा आपको..
राहुल :- तुम सबको अकेला नहीं छोड़ सकता हूं यहाँ.. माहौल नहीं है ऐसा यहाँ का..
स्वाती :- रोटी दूँ...?
राहुल :- नहीं,पेट भर गया,..,(हांथ धोते हुए),मैं ज़रा राकेश के पास होके आता हूँ थोड़ा टहलना भी हो जाएगा और काम के बारे में अगर कुछ होगा तो वो भी जानकारी मिल जाएगी..
स्वाती :- अच्छा! जल्दी आना थोड़ा,रौशन(राहुल का बेटा) जाग गया तो पूछेगा पापा कहाँ हैं..
राहुल :- हाँ आ जाऊंगा..
राहुल घर से बाहर चला जाता है...

राहुल बाहर की तरफ टहलते हुए,(राकेश ओ राकेश)....
राकेश :- घर के अंदर से आवाज देते हुए (आया...)
राकेश (घर के बाहर आके):- अरे राहुल,कैसा है भाई तू?
राहुल :- मत पूछ यार,बहुत बुरे दिन चल रहे हैं,
राजेश :- क्यूँ,क्या हुआ?
राहुल :- यार कमाई के सारे रास्ते बंद हैं,कर्जा भी बहुत हो चुका है,बीबी भी कमाई के ताने मार रही है.. बहुत परेशान हूँ यार..
राजेश :- तेरे लिए मैंने बात की थी,लेकिन गाँव में तो कोई काम नहीं मिलेगा तुझे,अगर शहर जा सकता है तो बता?..
राहुल :- अरे भाई कोई भी काम हो कैसा भी काम हो चलेगा,बस यार घर बाली के ताने नहीं सुने जाते हैं...
राजेश :- अच्छा सही है मैं तुझे एक नंबर दे रहा हूँ इस नंबर पर कॉल कर लेना और मेरे लिए बता देना...
राहुल : अच्छा,कर लूंगा..
राजेश :- अच्छा यार चल,मैं खाना बना लूँ,बीबी मायके गई हुई है..
राहुल :- (हँसते हुए) अच्छा,बना लीजिए..
राजेश :- (अंदर जाते हुए) कॉल कर लेना..,
राहुल :- ओके.. (राहुल घर की तरफ निकल जाता है)..
घर की कुण्डी को खटखटाते हुए राहुल...
स्वाती :- कौन है?
राहुल :- अरे मैं हूँ...
स्वाती :- आती हूँ..