उड़ान, प्रेम संघर्ष और सफलता की कहानी - आधाय-4 Bhupendra Kuldeep द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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उड़ान, प्रेम संघर्ष और सफलता की कहानी - आधाय-4

शाम के 5 बजे ठीक स्कूल के सामने गाड़ी खड़ी नजर आई। प्रथम सिर झुका के गाड़ी के ड्राईवर सीट पर बैठा था। उसकी आँखे लाल थी। वह सारी रात सो नहीं सका था उसे लग रहा था कि उससे इतनी बड़ी भूल हो गई है जो क्षम्य नहीं है। पता नही अनु जी कैसे रियेक्ट करेंगी।
अचानक गेट खुला प्रथम चैक गया। अनु आकर पीछे सीट पर बैठ गई।
प्रथम ने शीशे में चुपके से देखा अनु का चेहरा कठोर दिखाई दे रहा था।
चलिए कहाँ चलना है? अनु ने कहा।
आप जहाँ कहें अनु जी।
मैं क्यों बताऊंगी, आप का जहाँ मन करे ले चलिए वैसे भी आप अपने मन की करते हैं ना ?
प्रथम चुप था उसे पता था अनु गुस्से में है।
वहीं चलते है जहाँ कल गए थे अनु जी।
आपका जहाँ मन करे चलिए।
मुझे माफ कर दिजिए अनु जी।
चुपचाप चलिए यहाँ से।
प्रथम गाड़ी चालू किया और चुपचाप चलने लगा ।
अनु देख पा रही थी कि प्रथम का चेहरा उतरा हुआ था और उसकी आँखे गीली थी।
वो कुछ नहीं बोली। रास्ते भर दोनो चुप रहे।
मंदिर पहुँच कर प्रथम ने गाड़ी रोकी। वह अपने सीट पर ही बैठा रहा। उसे मालूम था कि वह कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है। इसलिए वह चुप था। अचानक पीछे से अनु की आवाज आई।
पीछे सीट पर आईये।
जी।
मैने कहा पीछे सीट पर आइये।
जी, आता हूँ।
प्रथम सीट से उतरा और चुपचाप आकर पीछे सीट पर बैठ गया। अब भी वह अनु से नजर नहीं मिला पा रहा था। उसकी आँखे गीली थी, अनु ये देख रही थी। और नजदीक आइये, अनु ने कहा।
प्रथम धीरे से आगे सरका।
और अचानक अनु प्रथम से लिपट गई।
प्रथम चैक गया, उसकी वेदना छलक पड़ी। वो रोने लगा, आंसू झर-झर बहने लगे जो सीधे अनु के चेहरे पर गिरने लगे। उसने अनु को बांहो में भर लिया। वह कुछ बोलने के स्थिति में नहीं था।
चुप करो रोनहु, अनु ने कहा।
जी अनु जी, प्रथम के मुँह से निकला।
ये जी-जी क्या लगा रखा है। सिर्फ अनु कहो, और तुम कहो।
जी अनु जी।
फिर जी कहा, समझ में नहीं आया क्या मैनें जो बोला।
वह अब भी उसके सीने लगी हुई थी।
मैं तुमको, तुम ही कहूंगा अनु, तुमने तो मुझे डरा ही दिया अनु।
डर गये थे डरपोक ?
हाँ तो, अगर मुझे कुछ हो जाता तो ? 24 घंटे से मेरी स्थिति खराब करके रखी थी।
हा हा हा, मुझे तो बहुत मजा आया। परेशान हुए मेरी वजह से, सॉरी। मुझे माॅफ नहीं करोगे?
नहीं बिल्कुल नहीं, प्रथम ने उसे और जोर से जकड़ लिया।
तुम्हें तो सजा मिलनी चाहिए और तुम्हारी सजा ये है कि बिल्कुल हिलना नहीं
छोड़ तो नहीं दोगो मुझे, अनु ने कहा।
तुमको क्या लगता है?
अरे, एक शब्द सुनने के लिए तो मुझे इतना स्ट्रगल करना पड़ा पता नहीं आगे क्या करोगे?
क्यों? भरोसा नहीं है?
नहीं बिल्कुल नहीं है।?
तो मुझसे प्रेम क्यों करती हो।
अब दिल ही आ गया गधे पर तो क्या करूँ ?
अच्छा मैं गधा और तुम? तुम तो बड़ी सयानी हो ?
हाँ तो ? मैं ना चाहती तुम मुझे छू सकते थे क्या ?
ठीक है बाबा मैं गधा और तुम सयानी, ठीक है ?
अब आगे क्या ये बताओं ?
आगे ये कि आप अपने घर में बात करो मैं अपने घर में बात करती हूँ।
पक्का शादी करोगी मुझसे ?
नहीं ऐसे ही टाईम पास करने के लिए आई हूँ, आपके पास पागल।
मजाक की बात नहीं है अनु, अभी ना तो मेरे पास जॉब है ना स्थायित्व। निकट भविष्य में भी नौकरी की उम्मीद नहीं है और सबसे बड़ी बात तो ये है कि हम अलग-अलग समाज के हैं। हमारे माता-पिता मानेंगे ?
क्या पता? अनु गहरी सांस भरी और चुप हो गई।
मुझे तो लगता है हम अभी बात करेंगे तो कोई फायदा नहीं होने वाला क्योंकि हम दोनो ही अपने परिवार पर डिपेन्डेन्ट है।
हाँ, आप सही बोल रहे हो पर इसका पता तो चल ही जाएगा और जैसे ही मेरे पापा को इसका पता चलेगा तो जल्द से जल्द मेरी शादी कराने की कोशिश करेंगे। वैसे भी आप दूसरे समाज के हो। इतनी आसानी से वो नहीं मानेंगे, ऊपर से आपके पास कोई स्थायी नौकरी भी नहीं है। आपके पास यदि नौकरी होती तो थोड़ा बहुत चांस भी बनता, अनु ने कहा।
तो हाँ बोलने से पहले ये सब सोचना नहीं था? प्रथम ने कहा।
प्यार अंधा होता है बालक, पागल हो गई हूँ क्या करूं।
तो भुगतो और क्या?
लेकिन आप कुछ नहीं करोगे है ना ?
करूँगा ना, तुमको प्यार करूँगा।
छूना भी मत मुझे, बता दे रही हूँ जब तक नौकरी नहीं लग जाती चुपचाप दूर रहो।
तैयारी क्यों नहीं करते हो, व्यापम या पी.एस.सी. की। अनु ने कहा।
अभी कहाँ कोई वैकेन्सी आ रही है? प्रथम ने पूंछा।
क्यों व्यापम की तो आती ही रहती है उसका फार्म क्यों नही भरते ?
फार्म भरो और तैयारी करो।
वो तो करूँगा ही पर फिलहाल तो कोई नौकरी चाहिए ना। तुम्हारे पापा यदि तुम्हारी शादी करने पर ऊतारू हो गए तो? तब क्या करूंगा?
तब मुझे भूल जाना और क्या। अनु ने कहा।
मुझे परेशान मत किया करो यार ये सब बोलकर, मैं समाधान पूंछता हूँ तम समस्या बताती हो।
हाँ तो उठाकर ले जाना मुझे, हो गया समाधान।
अच्छा, ऐसे बोल रही हो जैसे मेरे साथ बिना सुविधाओं के रह लोगी।
आप मुझे अंडरएस्टीमेट कर रहे हो ले जाकर देखो फिर बोलना। पहले अपनी चिंता करो, कोई ठीक-ठाक नौकरी ढूँढो। मेरी चिंता मत करो इतनी आसानी से शादी नहीं करूंगी। आपका इंतजार करूंगी जब तक सेटल नहीं हो जाते। अनु ने कहा।
लेकिन ज्यादा टाईम नहीं है मेरे पास बता दे रही हूँ। ज्यादा से ज्यादा एकात साल फिर मैं रोक नहीं पाऊँगी।
फिर क्या दूसरे से शादी कर लोगी?
नहीं, फिर मर जाऊँगी।
अच्छा बाबा अभी से इतनी सीरियस होने की जरूरत नहीं है।
जरूरत है साहब, जल्दी सोचिए।
हाँ सही बोल रही हो सोचता हूँ, रायपुर जाकर कोई जॉब ढूँढू।
मेरा एक स्टूडेंट रहता है रायपुर में, मयंक।
वो वहाँ पी.एस.सी. की कोचिंग कर रहा है, वो शायद किराया लेकर रहता है पूछता हूँ उसको शायद एक और आदमी को अपने साथ एडजस्ट कर सके।
वहीं एक्जाम की तैयारी भी कर लूंगा और नौकरी भी ढूँढ लूंगा।
और फिर मुझसे मिलना रहा तो। अनु ने पूंछा।
तुम आना रायपुर और क्या। प्रथम ने जवाब दिया।
अच्छा, जब तक मैं हाँ नहीं बोली थी तब तक मुझे देखने भर के लिए एक-एक घंटा स्कूल के सामने खड़े रहते थे और जैसे ही हाँ बोली जनाब का नजरिया ही बदल गया, तुम आना रायपुर।
अरे ऐसा नहीं है बाबा, मैं तो आऊंगा ही पर अब तुम्हारे घर आना ज्यादा नहीं हो पायेगा।
ठीक है ठीक है जल्दी नौकरी ढूँढो और मुझे ब्याह करे ले जाओ। अनु ने कहा।
अच्छा अब वापस चले, देर हो रही है।
ये तो मेरी लाईन होनी चाहिए, लड़की तो मैं हूँ।
तुम्हारे लिये ही बोल रहा हूँ माता।
अभी तुम्हारी शादी नहीं हुई हूँ।
तुम्हारे माता-पिता चिंता कर रहे होंगे तुम्हारी।
ग्रेट! इसीलिए फंस गई मैं, चलो।
बैठो गाड़ी में, मैंने पहले ही मयंक को अपना बायोडाटा भेज दिया था। उसने बताया है कि एक होम्योपैथिक कॉलेज में इन्टरव्यू के लिए बुलाया है और उसने दो-तीन कोचिंग इन्स्टीट्यूट में भी मेरा बायोडाटा दिया हुआ है।
देखता हूँ कुछ अच्छा हो सके तो, अपना कैरियर तो आखिर बनाना ही है। प्रथम ने कहा।
तुम क्यों तैयारी नहीं करती तुम भी तो पढ़ाकू हो, कम से कम तुम ही सलेक्ट हो जाओ। तो मुझे नौकरी करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
अच्छा मैं नौकरी करूंगी, और आप क्या करोगे?
मैं घर संभालूगा, तुम्हारे लिये खाना बनाऊँगा, बच्चे खिलाऊंगा और क्या?
आपको बच्चे पंसद हैं? अनु ने पूंछा।
हाँ मुझे बच्चे बहुत पंसद हैं और मुझे बच्चे बिल्कुल तुम्हारे जैसे चाहिए। मेरे बाल घुंघराले हैं ना इसलिए बाल तुम्हारे जैसे सिल्की होने चाहिए और दिमाग मुझे मेरे जैसा चाहिए, तुम्हारे जैसा तो बिल्कुल नहीं चाहिए नकचढ़ी और गुस्सैल। बहुत सुंदर दिखेंगे मेरे बच्चे।
अनु चुप थी।
क्या हुआ अनु।
मैंने तुमको एक चीज बताई नहीं, मुझे एन्डोमेट्रोसिस की समस्या है ओवरी में गांठे हैं जिसकी वजह से गर्भधारण संबंधी परेशानियां है। पता नहीं आपको बच्चे दे पाउंगी कि नहीं।
इलाज तो होगा ना इसका। प्रथम ने पूंछा।
हाँ इलाज तो चल रहा है करीब एक साल से।
पर अब तक ठीक होने की कोई संभावना नहीं दिख रही है।
चलो कोई बात नहीं, दुखी क्यों होती हो। मैं तो ऐसे ही बोल रहा था।
मुझे मालूम है आपको बहुत दुख हो रहा है। हाँ कि नहीं?
नहीं पागल उल्टा तुमने मेरा साहस बढ़ा दिया।
चिंता मत करो सब ठीक हो जायेगा। प्रथम ने कहा।
ईश्वर पर भरोसा करना सीखो, यदि मानती हो तो।
लिखा होगा ऊपरवाले ने संघर्ष करना तो करेंगे, बिल्कुल करेंगे।
तुमको मालूम है अनु मैंने अपनी कुडंली बनवाई है और उसमें लिखा है कि मुझे बिना मेहनत के जीवन में कुछ भी हासिंल नहीं होगा।
लो इसमें क्या नई बात है। अनु ने कहा।
अरे कहने का मतलब है कि नसीब में पहले से कुछ भी नहीं लिखा है। नसीब से कुछ मिलने वाला नहीं है।
अच्छा तो मेहनत करो और हासिंल करो।
और अगर हांसिल नहीं कर पाया तो रह लोगी मेरे साथ। मालूम है ना हमारी अंतर सामाजिक विवाह होगी। इसक इफेक्ट भी पड़ता है लाईफ में।
हाँ भई, मैं सब तरीके से तैयार हूँ।
गाड़ी शहर के अंदर प्रवेश कर रही थी। प्रथम ने अनु के घर के बाहर गाड़ी रोकी और पूछा- अब कब मुलाकात होगी अनु?
कल शाम को ठीक पाँच बजे लैंडलाईन पर फोन करना। वह चली गई।
प्रथम ने अपने घर अपने पैरेन्स को कन्विंस किया कि उसके लिए रायपुर जाना आवश्यक है क्योंकि उसके अपने शहर में न तो कोई कैरियर आप्संस थे और न ही तैयारी करने के लिए कोई कोचिंग इंस्टीट्यूट।
उसके पैरेन्ट्स तैयार हो गये क्योंकि वो सही बोल रहा था।