उड़ान, प्रेम संघर्ष और सफलता की कहानी - अध्याय 2 Bhupendra Kuldeep द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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उड़ान, प्रेम संघर्ष और सफलता की कहानी - अध्याय 2

खाने पर चर्चा:-
अरे आईये प्रथम जी। ये मेरे पापा है।
नमस्ते अंकल।
और ये मेरी मम्मी है।
नमस्ते आंटी।
बस खाना तैयार ही है आप अंदर आ जाइये और हाँथ धोकर डाइनिंग टेबल पर बैठ जाइये।
ठीक है हाथ किधर धोऊँ।
बस यहीं किचन से होकर आइये ना पीछे के आगंन में।
बेसिन उधर है हाथ धो लिजिए।
ये तो सरकारी क्वार्टर, है ना ? प्रथम ने पूछा।
हाँ हम लोग तो जीवन भर ऐसे ही सरकारी क्वार्टर मे रहते आए हैं। सब एक ही जैसा होता है।
प्रथम हाथ धोते-धोते अनु की ओर तिरछी नजर से बार-बार देख रहा था।
अनुप्रिया असल में लंबी कद काठी की, गेहूआ रंग लिए, तीखे नैन नक्श वाली सुंदर लड़की थी।
कोई भी उससे आकर्षित हुए बिना नही रह सकता था।
चेयर खीचकर बैठ जाइए, अनु ने कहा, क्या देख रहे थे महोदय ?
प्रथम एकदम झेंप गया।
कुछ नहीं अनु जी।
अच्छा, चलिए ठीक है कैसे बीता हफ्ता आपका, बच्चों को पढ़ाए-वढाए की नहीं कि ऐसे ही इंतजार में समय गुजार दिए। अनु ने सब्जी में चम्मच चलाते हुए कहा।
नहीं-नहीं, पढाऊँगा क्यों नहीं भाई। पढ़ाना तो मेरा काम ही है।
अच्छा, हमने तो सुना है कि आप पढाई के साथ-साथ काफी ज्ञान बांटते है। गाना सुनाते है, कहानी सुनाते है, और पढाई को बहुत इंट्रस्टींग बना देते हैं।
ओ हो! आपने तो मेरी पूरी रिसर्च की हुई है और बताइये क्या-क्या रिसर्च किया है आपने।
बस यही कि सर बहुत पॉपुलर है कॉलेज में। लड़कियाँ बस आपके आगे पीछे घूमती रहती हैं और सर तो बस छाए हुए है पूरे कॉलेज में।
अब आप समझ लिजिए अनु जी कि पूरी दुनिया प्रभावित है हमसे बस आप ही हैं कि प्रभावित नहीं होती।
मैं आसानी से प्रभावित नहीं होती महोदय, थाली लीजिए। रोटी डाॅलू।
खट्टी सब्जी के साथ रोटी ? प्रथम ने कहा ।
अब नखरे देखिए साहब के एक तो खाने पर बुलाओ ऊपर से नखरे भी सुनो।
अरे नहीं मेेरा मतलब खट्टी सब्जी के साथ चावल खाने का आनंद ही कुछ अलग है वो भी बिना दाल खाए।
एकात रोटी ले लिजिए फिर चावल देती हूँ।
अच्छा ठीक है दे दीजिए।
कैसी बनी है सब्जी ?
अच्छी बनी है हम छत्तीसगढ़ी लोगों का तो ये फेवरेट साग (पसंदीदा सब्जी) है, पसंद तो आनी ही है ।
वैसे खाना काफी अच्छा बनाती है आप। प्रथम ने कहा।
चलो साहब को पसंद तो आया। मैं तो रेगुलरली (रोज) ऐसे ही बनाती हूँ।
अच्छा एक बात पूछूं आपसे। अनु ने कहा।
पूछिए।
दो तीन दिन मैनें आपकी स्कूटर देखी शाम को पाँच बजे शिशु संस्कार के सामने।
वहाँ क्या करने आए थे ? प्रथम झेंप गया।
आप मेरी स्कूटर पहचानती है।
बस ऐसे ही। प्रथम ने कहा।
बस ऐसे ही क्या, कारण तो बताइये। अनु ने कहा।
बस ऐसे ही। प्रथम ने कहा।
फिर बस ऐसे ही, अरे कारण तो बताइये। अनु ने कहा।
कुछ नहीं मेरी एक स्टूडेंट (विद्यार्थी) रहती है वहीं सामने संगीता जैन, उसी के घर आता हूँ।
कैसे आते हैं उनके घर, मतलब क्या करने ?
उसको पढ़ाने आता हूँ और क्या।
सिर्फ पढ़ाने कि कुछ और कारण से आते हैं। नही बाबा, सिर्फ पढ़ाने आता हूँ।
तो हमारी छुट्टी के वक्त ही आपकी भी छुट्टी है क्या ?
मैं तो देखती हूँ कि जैसे ही हमारी छुट्टी होती है आप भी छुट्टी कर देते हैं।
प्रथम शर्म से एमदम लाल हो गया।
आप मुझे खाना खानें देंगी कि नही? मुझे खाना दीजिए फिर मैं आपके सभी सवालों के जवाब दूंगा।
हाँ क्या पूछ रही थी आप ?
दुबारा नहीं पूछूगीं। अनु ने कहा।
हाँ, वो क्या है कि मै 2 बजे तक तो कॉलेज में ही रहता हूँ फिर घर जाता हूँ, 3:30 तो खाना-वाना खाते ही बज जाते हैं फिर 4 बजे तक उसे पढ़ानें आता हूँ और एक घंटा पढ़ा के छोड़ देता हूँ ।
वो तो सिर्फ इत्तेफाक से ऐसा होता है कि आपकी और मेरी छुट्टी एक साथ होती है।
ऐसा मत समझिए कि मैं किसी विशेष कारण से आता हूँ ।
डरपोक कहीं के।
क्या कहा आपने ? हांलाकि प्रथम ने सुन लिया था।
कुछ नही, खाना खा लिजिए बोली। बहुत देर से आपने मुँह में निवाला नहीं डाला।
एक ही बार में खा लिजिए मैं दुबारा नहीं बुलाने वाली।
क्यों भाई ? क्या मैं इस लायक नही हूँ।
बिलकुल भी नहीं, डरपोक कहीं के अनु ने कहा।
फिर क्या कहा आपने ?
कुछ नही।
नहीं-नहीं, अभी आपने कुछ कहा, प्रथम ने पूछा ?
हाँ, मै बोल रही थी कि मैनें महामाया मंदिर में कल एक पूजा रखी है, क्या आप पूजा में शामिल होना पसंद करेगें ?
बिलकुल, क्यों नही ? बताइये कितने बजे आना है ?
यही 11 बजे के आसपास पंडित जी ने 11 बजे का ही टाइम (समय) दिया है। आपको यदि कॉलेज में कोई दिक्कत ना हो तो आ जाइए।
अरे, कॉलेज में क्या दिक्कत होगी वो तो वैसे भी संविदा नौकरी है 60 रू. पूरे एक दिन का देते है 1800 सौ रू. पूरे महीने भर का बनता है उतने में क्या काम चलेगा इसीलिए कोचिंग और इधर-उधर पढ़ा लेता हूँ।
पर आप ऐसे भटक क्यों रहें है ? अनु ने कहा।
आप तो काफी मेहनतकश और बुद्धिमान आदमी हैं आपको तो सीरियशली (गम्भीरता) काम्पीटिशन (प्रतियोगिता) एक्जाम (परीक्षा) की तैयारी करनी चाहिए और ये तो मैं पहले भी बोल चुकी हूँ ।
सही में आप तैयारी करेंगें तो कही न कहीं सेटल (लग) हो ही जाऐंगे। अनु ने कहा।
पता नही क्यूँ जीवन के लिए इतना गंभीर नही हो पा रहा हूँ। प्रथम ने कहा।
हम सभी भाईयों में सिर्फ मुझमें मेरे पिता को उम्मीदें हैं कि मै किसी बड़े पद पर जाकर उनका नाम रोशन करूंगा, पर मैं हूँ कि कुछ कर ही नहीं पा रहा हूँ।
सब ठीक हो जायेगा निश्चिंत रहिए कहीं न कहीं आपके लिए भी कुछ अच्छा लिखा होगा, अनु ने कहा ।
हाँ आप शायद ठीक कह रही हैं - थैंक यू।
थैंक यूं किसलिए ?
इसलिए कि आप मेरा केयर (ख्याल) करती हैं।
इसलिए कि आपने मेरे विषय मे सोचा, थैंक यू अगेन।
फिर से थैंक्स, दोस्ती में नो थैंक्स नो सॉरी, अनु ने कहा ।
आप मुझे दोस्त मानती हैं ?
क्यों आप मुझे नहीं मानते ?
मैं तो आपको दोस्त भी ज्यादा सम्मान देता हूँ ।
ओ हो, फिर दोस्त की बात मानिए और मुँह छोटा मत करिए। कल पूजा में आइये और अच्छे जीवन के लिए भगवान से प्रार्थना करिये । अनु ने कहा !
वैसे भी अनु जी मैं बेहद आस्तिक हूँ भगवान को बहुत मानता हूँ और सोचता हूँ कि मैने यदि किसी के साथ बुरा नहीं किया तो ईश्वर भी मेरे साथ बुरा नहीं करेगा।
हाँ आप एकदम सही सोचते हैं अच्छा-अच्छा सोचिए तो अच्छा अच्छा होगा।
हाँ आप ठीक कह रही हैं।
आप बहुत अच्छी हैं अनु जी।
हाँ मुझे मालूम है कुछ नयी बात बताइए।
नयी बात ये है कि आप बहुत अच्छी हैं।
फ्लर्ट करने की काशिश मत करिए महोदय, निकलिए यहाँ से और चुपचाप पूजा में आ जाइए।
अरे आप तो आर्डर दे रहीं हैं। चलो ठीक है।
आपकी आज्ञा शिरोधार्य।
कल 11 बजे आता हूँ अपने सुपर-डुपर वाहन से बजाज चेतक इलेक्ट्रानिक।