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तौबा

तौबा..!!

देखिए ना पिताजी__
कह रहा हैं कि उससे प्यार करता है,लिव-इन में रहना चाहता है!!
मुकेश उपाध्याय ने अपने पिता गुलाबचंद उपाध्याय से कहा___
लेकिन मुझे तो लगा था कि हम इंसान हैं लेकिन ये तो जंगल के जानवरों की तरह रहने की बात कर रहा है, गुलाबचंद उपाध्याय बोले।
मैंने भी तो वहीं समझाने की कोशिश की थी लेकिन मान ही नहीं रहा, कहता है कि शहर में तो लड़के और लड़के, लड़कियां और लड़कियां लिव-इन में रहते हैं, मैं तो किसी लड़की के साथ रहने की बात कर रहा हूं,इसकी इतनी हिम्मत बढ़ गई है,मुकेश उपाध्याय बोले।।
जो भी इसका दिल करे, करने दो,ये भी जरा जी ले अपनी मन मर्जी के मुताबिक और फिर हमारे मना करने पर मान थोड़े ही जाएगा,रहने दो उस लड़की के साथ और फिर इंसान समझाने से नहीं गच्चा खाने से समझता है,शायद इसे कोई सीख लग जाए और फिर लिव-इन से ये तौबा कर लें, गुलाबचंद उपाध्याय बोले।।
आखिरकार सुधांशु उपाध्याय को उस लड़की के साथ लिव-इन में रहने की इजाजत मिल गई और वो खुशी खुशी फिर से शहर लौट आया।।
सुधांशु भी अब मृणालिनी के साथ उसके फ्लैट में शिफ्ट हो गया था,लेकिन रात में उस फ्लैट का माहौल अजीब सा हो जाता,रात को अजीब सा मंजर हो जाता था उस फ्लैट।।
एक रात सुधांशु की आंख खुल गई, उसने देखा तो बिस्तर पर मृणालिनी नहीं थी, उसने सोचा बाथरूम में होगी, लेकिन तभी उसी समय उसे किसी समान के गिरने की आवाज़ आई,वो दौड़कर उस आवाज़ वाली दिशा में गया ।।
देखा तो मृणालिनी बाथरूम से निकली और रसोई की ओर चली गई लेकिन करीब पन्द्रह साल मिनट हो गए मृणालिनी किचन से निकली ही नहीं तब सुधांशु ने किचन में जाकर देखा तो मृणालिनी उधर थी ही नहीं,अब सुधांशु की हालत खस्ता थी, उसने बाथरूम में झांका लेकिन मृणालिनी वहां भी नहीं थीं,अब सुधांशु की शक्ल देखने लायक थी।।
लेकिन तभी बेडरूम से मृणालिनी की आवाज आई___
कहां हो सुधांशु?
सुधांशु के माथे पर अब तो पसीना ही झलक आया।‌।
दबी आवाज़ में बोला__ आ रहा हूं।।
सुधांशु बेडरूम में पहुंचा और धीरे से डर के मारे सिकुड़ कर अपनी जगह पर लेट गया।।
तभी मृणालिनी उसके करीब आई लेकिन सुधांशु बोला__
नींद आ रही है. ..!!
पूरी रात सुधांशु डर के मारे सो ना सका।।
अब तो सुधांशु , मृणालिनी से डरने लगा था,वो करीब आना चाहती तो सुधांशु कोई ना कोई बहाना बनाकर टाल जाता।।
एक रात फिर मृणालिनी बिस्तर से गायब थीं, सुधांशु धीरे से उठा और मृणालिनी को ढूंढने लगा,उसे कुछ आवाज आई वो उसने ओर जाकर देखा कि मृणालिनी ने एक कटोरे में कच्चा मांस ले रखा है और उसे बेतरतीब तरीके से खा रही है, जबकि वो तो नानवेज नहीं खाता और मृणालिनी भी बोली थी कि वो भी नहीं खाती लेकिन ये क्या? वो तो कच्चा ही खा रही थीं, दूर से ही तमाशा देखकर सुधांशु डर के मारे चुपचाप बेडरूम में आकर लेट गया।।
थोड़ी देर में मृणालिनी भी आ गई और चुपचाप लेट गई।।
अब तो सुधांशु बुरी तरह डर चुका था,सुबह उसने चुपचाप अपना सामान बांधा और मृणालिनी को बिना बताए वहां से निकल गया, उसने मन में सोचा बड़े बुजुर्ग हमेशा सही कहते हैं,जो वो हमारे लिए चुनते हैं वहीं सही होता,अब तो आज के बाद मैंने लिव-इन से तौबा कर ली है!!

समाप्त__
सरोज वर्मा__
सर्वाधिकार सुरक्षित__


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