बैल की पूंछ suraj sharma द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

बैल की पूंछ

रमेश अपने दादाजी से मिलने आया था। उसके दादाजी उसे रोज नई कहानियां सुनाते थे । रमेश को पिताजी ने कहा था कि दादाजी ने सच में भूत देखा है तभी से रमेश ने ठान लिया की वो दादाजी को पूछ के रहेगा।

एक दिन उसने अपने तरीके से पूछने कि कोशिश की पर दादाजी बोले नहीं तू छोटा है डर जाएगा । रमेश ने आंख बंद करदी और दादाजी कुछ बोलने लगे
उन्होंने कहा " एक बार वो अपने बैल गाडी से रात को खेत से आ रहे थे। रास्ते मे सुनसान जंगल था। काफी दूर चलने के बाद उनको प्यास लगने लगी। अभी भी वो अपने गांव से बहुत दूर थे। तभी रास्ते में एक औरत रुकने को कहने लगी। कहा की दूर जाना है, दादा जी ने कहा की ठीक है बैठ लो। उसके बैठने के बाद वो चलने लगे। एक गाँव पार करने के बाद वो औरत ज़ोर ज़ोर से हसने लगी। और बोलने लगी की आज सही फँसा है। आज नहीं छोडूंगी । वो थोड़ा बैठे - बैठे आगे बढ़ने लगी, दादा को अपने बचपन की याद आ गयी , उनके पापा ने बताया था की कभी कुछ अजीब हो तो बैल की पूछ पकड़ लेना और जितना हो सके अपने घर की तरफ जल्दी से दौड़ना। उन्होंने वैसे ही किया उन्होंने बैल की पूछ पकड़ ली और अपने डंडे से बैल को तेज दौड़ाने लगे। जैसे ही वो अपने गाव के पास आने लगे तो रास्ते में १ पीपल का पेड़ था। पेड़ देख कर वो उतर गयी और चिल्ला - चिल्ला के कहने लगी अगर फिर मिला तो नहीं छोडूंगी । दादा हाफ़्ने लगे। उनकी जान में जान आई। उन्होंने भगवान का शुक्रिया किया और अपने बैल का भी। " इतने में दादा देखा की रमेश सो गया है और कहने लगे अच्छा हुआ जो ये सो गया नहीं तो डर जाता...

अगले दिन सुबह जब दादाजी ने देखा कि रमेश कहीं नहीं मिल रहा है तो उन्होंने सबको बुलाया और पूरी बात बताई फिर सबने देखा कि रमेश उसी पीपल के पेड़ के नीचे सो राहा था । सबने रमेश को उठाया और पूछा की वो यहां कैसे पहोंचा, रमेश ने कहा जब दादाजी कहानी सुना रहे थे तब मै जाग रहा था पर दादाजी को लगा कि मै सो गया इसीलिए दादाजी सोने के लिए चले गए और मै अपने रूम में जाने के लिए उठा की मुझे दरवाज़े पर कुछ आवाज़ सुनाई दी जैसे ही मैंने दरवाजा खोला सामने एक बैल खड़ा था मेरे पास ऐसे देख रहा था मानो वो मुझसे कुछ कहना चाहता हो..मै धीरे धीरे उसके पीछे चलने लगा और देखा की वहां पीपल के नीचे एक औरत बैठी हुई है।।

उस औरत ने कहा आओ मेरे पास बैठो, मै उसे मना नहीं कर पाया और जाकर उसके पास बैठ गया वो मुझे कहानी सुना रही थी और फिर मेरी नींद लगी और मै सो गया और जब उठा तो आप सब दिख रहे हो.. वो ऐसा बोल ही राहा था कि उसको दादाजी की आवाज़ आई "रमेश बेटा उठ जल्दी सुबह हो गई"


आवाज़ सुनकर जैसे ही रमेश उठा और देखा की वो तो अपने घर पर ही सो रहा है तो वो समझ गया की दादाजी ने कुछ कहानी नहीं सुनाई ये तो वो सपना देख रहा था और रमेश जोर से हसने लगा और दादाजी को गुड मॉर्निंग बोलकर फिर सो गया ।।

।।।।। समाप्त ।।।