इश्क़ जुनून - 11 PARESH MAKWANA द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • नज़रिया

    “माँ किधर जा रही हो” 38 साल के युवा ने अपनी 60 वर्षीय वृद्ध...

  • मनस्वी - भाग 1

    पुरोवाक्'मनस्वी' एक शोकगाथा है एक करुण उपन्यासिका (E...

  • गोमती, तुम बहती रहना - 6

                     ज़िंदगी क्या है ? पानी का बुलबुला ?लेखक द्वा...

  • खुशी का सिर्फ अहसास

    1. लालची कुत्ताएक गाँव में एक कुत्ता था । वह बहुत लालची था ।...

  • सनातन - 1

    (1)हम लोग एक व्हाट्सएप समूह के मार्फत आभासी मित्र थे। वह लगभ...

श्रेणी
शेयर करे

इश्क़ जुनून - 11




इधर पूरी संजीवनी हॉस्पिटल को कुछ गुंडो ने घेर के रखा था। हॉस्पिटल केे सेकेंड फ्लोर पर सात नंबर का कमरा था वही कमरा जहाँ संध्या को रखा हुवा था।
माया ने उन गुंडो को आदेश दिया था की जैसे ही उधर उसकी ओर वीर की शादी होगी इधर इस संध्या को जान से मार दे।
हॉस्पिटल के स्टॉफ के साथ सारे पेशंट्स ओर उनके रिलेटिव्स इस वक़्त काफी हद तक डरे हुए थे। उन सबको लेजाकर एक कमरे में बंद कर दिया था।
सात नंबर के कमरे में एक डॉ.तिवारी, नर्स रोमा ओर पांच खतरनाक बॉडीबिल्डर गुंडे भी थे। जो हाथ मे मशीनगन्स लेकर इधर उधर घूम रहे थे।

कुछ देर बाद हार्दिक वहाँ पोहचा। वो संध्या से मिलने फ़ौरन सात नंबर के कमरे की ओर भागा पर तभी उसी वक्त पीछे से उसके ऊपर किसीने गन तान दी। दोनो हाथ ऊपर उठकर घबराते हुवे उसने पीछे देखा तो उसके सामने एक नकाब वाला आदमी खड़ा था।
उसने जोर से कहा
''कोन है बे तु..? इधर क्या कर रेला है..?''
हार्दिक ने उसे कहा
''मेरा नाम हार्दिक है।'' ओर फिर संध्या से मिलने के लिए उसने जुठमुठ ही यह कह दिया
''में सात नंबर वाली पेशंट संध्या का भाई हु..अपनी बहन से मिलने आया हु जाने दो ना..''
वो गुंडा उसके कमीज़ की कॉलर पकड़ते हुवे उसे सात नंबर के कमरे में ले गया। ओर अंदर खड़े गुंडो में से एक से कहा
''भाई ये लड़की का भाई है..अपनी बहन को मिलने आया है''
उस गुंडे ने हँसते हुवे कहा
''मिलने आया है तो मिलने देते है वैसे भी आज इसकी बहन मरने वाली है।''
हार्दिक संध्या के बेड के पास बैठ गया और सामने जिंदा लाश की तरह कोमा में पड़ी संध्या का हाथ अपने हाथ मे लेते हुए कहा
''संध्या फिकर मत करो, में आ गया हूं ना..तुम्हे कुछ नही होगा।''

हार्दिक संध्या को नही जानता था फिर भी मेरे कहने पर वो उस से मिलने हॉस्पिटल चला गया। ओर मानो संध्या उसकी सगी बहन हो वैसे वो उससे से बात भी करने लगा पर मेरी संध्या मानो उस वक़्त गहरी नींद में सोई हुई थी। उस नींद से लौट आना मानो उसके बस में था ही नही।

* * *

अचानक ही हॉस्पिटल के उस गहरे सन्नाटे के बीच किसी के गाने की एक सुरीली आवाज पूरी हॉस्पिटल में गूंजने लगी।
हो..ओ..तेरे संग प्यार मैं नहीं तोडना
हो..तेरे संग प्यार में नही तोड़ना..
चाहे तेरे पीछे जग पड़े छोड़ना..
तेरे संग प्यार मैं नहीं तोडना नहीं तोडना
हो..तेरे संग प्यार में नही तोड़ना..
हो..तेरे संग प्यार में नही तोड़ना..
आ… ओ…..तेरे संग प्यार मैं नहीं तोडना
चाहे तेरे पीछे जग पड़े छोड़नाओ…..
रुम नंबर सात के अंदर से अचानक किसके गाने की इतनी सुरली आवाज सुनकर बाहर लॉबी में इधर उधर पहरा दे रहे बाकी गुंडे भी उस रूम के अन्दर आ गए। पांच गुंडे पहले से ही अंदर थे। और तीन बाहर से आए।
बाहर से आये तीन गुंडो में से एक नए कहा।
''अरे..ये क्या हो रहा है..? ए गाना कोन गा रहा है..?''
सबलोग घबराए से एकदम हैरानी से एकदूसरे को देखने लगे।
तभी अचानक बेड पर गहरी नींद में सोई हुई संध्या एकदम से जाग उठी उसकी आंखें खुली और आँखों का रंग एकदम श्वेत सा हो गया, ओर वो एकदम से बेड पर बैठ खड़ी हुई।
उसके खुले बाल मानो हवाओ में लहरा रहे थे और उसकी ऑंखे मानो किसी शैतानी शक्ति ने उसके शरीर पर क़ब्ज़ा कर लिया हो वैसे ही आँखों ने एकदम से श्वेत रंग पकड़ लिया था..कुछ देर वो अपनी गर्दन जुकए अपनी जगह पर खामोशी से बैठी रही। हार्दिक ने उसके पास जाने की कोशिश की पर डॉक्टर तिवारी ने उसे रोक लिया। वैसे तो डॉक्टर तिवारी भूतप्रेत में बिल्कुल यकीन नही करते थे पर ये जो कुछ भी हो रहा था उसे देखकर वो इतना मान ही चुके थे की संध्या के शरीर मे इस वक़्त कोई शैतानी शक्ति है।
उसे देखकर गुंडो के अलावा उस कमरे में मौजूद डॉक्टर तिवारी, नर्स रोमा ओर मेरा दोस्त हार्दिक सब डर से घबराए हुवे थे।
संध्या ने पास ही में खड़े हार्दिक, डॉक्टर और नर्स की और अपनी गर्दन घुमाई उसका वो डरावना चहेरा देखकर.. नर्स रोमा चींख पड़ी..
हार्दिक ने डॉक्टर को दरवाजे की ओर इशारा किया अब बचने का एक ही रास्ता था यहाँ से जान बचाकर भाग जाना।
डॉ. तिवारी हार्दिक का इशारा समझ गए और वो दरवाजे की ओर भागे उसके पीछे नर्स रोमा ओर उसके पीछे हार्दिक ओर हार्दिक के पीछे वो खतरनाक गुंडे..

जैसे ही वो तीनो (डॉ. तिवारी,नर्स रोमा ओर हार्दिक) रूम नंबर सात से बाहर निकले दरवाजा अंदर से अपने आप बंध हो गया। सारे के सारे गुंडे अंदर उस कमरे में कैद हो गए।
कुछ देर बाद उस कमरे में से गुंडो की कुछ खतरनाक चींखें सुनाई दी.. फिर एकदम से सबकुछ नॉर्मल हो गया..
डॉक्टर और नर्स और हार्दिक ने मिलकर उस रूमका दरवाजा खोला जिसमे उन गुंडो ने बाकी के स्टाफ और पेशंट्स ओर उनके रिलेटिव्स कैद किया था। वो सब आजाद तो हो गए लेकिन सब के चहरे पर अभी भी डर के साथ साथ कई सवाल थे। जब डॉ. तिवारी ने उन सबको रूम नंबर सात में जो हुवा वो बताया तो सबलोग डर के मारे कांपते हुवे एकदूसरे की ओर देखने लगे।
अचानक रूम नंबर सात का दरवाजा अपने आप खुला
घबराते घबराते सब एक साथ रूम नंबर सात में क्या हुवा ये देखने के लिए अंदर गए लेकिन वहाँ का नज़ारा देखकर सबलोग हैरान रह गए। ऐसा लगा की वहाँ कुछ हुवा ही नही है। सबकुछ नॉर्मल था। एकदम पहले की तरह ही संध्या उसी बेड पर अपनी जगह सोई हुई थी। ओर वो आठ खतरनाक गुंडे..वहाँ से गायब थे। ऐसा कैसे हो सकता है ?
सबलोग हैरान हो गए की आखिर ऐसा तो क्या हुवा इस कमरे में की आठ जिंदा इंसान एकसाथ गायब हो गए।
उन गुंडो का वो राज मानो राज ही रहा क्योंकि वहाँ जो कुछ भी हुवा था वो किसी इंसान ने नही पर एक अलौकिक शक्ति ने किया था

* * *

इधर शहर से दूर एक पहाड़ी पर देवो के देव महादेव का एक पुराना मंदिर था। जिसे सब पहाड़ीवाला मंदिर कहते थे।
उसी मंदिर में वो माया मेरे साथ शादी के फेरे ले रही थी।

हमारा आखरी फेरा बचा था की हार्दिक का फोन आया
मेने माया की ओर देखा ओर कहा
''मेरे दोस्त का कोल है एक मिनिट बात कर लूं..?''
उसने उस वक़्त आसानी से कह दिया की जावो जाकर बात कर लो..
शायद उसे लगता था की उधर हॉस्पिटल में उसके भेजे गुंडो ने अबतक तो संध्या को जान से मार दिया होगा।

मंदिर के बाहर निकल कर मेने मोबाइल कान पर लगाया
''हार्दिक..बता तु कहा है..? वहाँ क्या हो रहा है..ओर संध्या.. संध्या ठीक तो है ना..?''
उसने हँसते हुवे कहा
''रिलेक्स, यार भाभी एकदम ठीक है उसे कुछ नही हुवा.''
उसकी बात सुनकर मुजे थोड़ी राहत हुई..
फिर उसने मुजे सारी बात विस्तार से बताई..की उस हॉस्पिटल में सात नंबर के कमरे में क्या क्या हुवा..
कोल रखते ही मैने सोच लिया की अब मेरी प्रकुति को इस माया से कोई खतरा नही है.. मेने सोच लिया की अब ये शादी नही होगी, मुझे पाने की कावेरी की ख्वाइश इस जन्म में भी पूरी नही होगी।
मेने मंदिर के अंदर खड़ी माया से जोर से कहा,
''माया, अब में तुमसे शादी नही करूँगा।''
माया मुझे गुस्से से देखा,
''क्या कहा तुमने..? तु मुझसे शादी नही करेगा..?''
मेने ऊपर आसमान की ओर देखकर जोर से चिल्लाकर कहा,
''हा नही करूँगा''
उसी पल, मानो एकदम से हवा का एक तेज जोखा आया। मंदिर के सारे के सारे घण्ट एक दूसरे से टकराकर एक ही साथ जोरशोर से बजने लगे उसकी आवाज मानो आसपास के वातावरण में गूँजेने लगी। साथ ही ऊपर आसमान में बादलो ने अपना रुख बदला चारो ओर काला अंधेरा सा छा गया। वातावरण मानो एकदम से भयानक लगने लगा।
साथ ही हवावो ने अपना रुख बदला ओर उन हवावो में सरो के गाने की वो दर्दभरी आवाज लहराई..

क्रमशः