इश्क़ जुनून - 3 PARESH MAKWANA द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • स्वयंवधू - 31

    विनाशकारी जन्मदिन भाग 4दाहिने हाथ ज़ंजीर ने वो काली तरल महाश...

  • प्रेम और युद्ध - 5

    अध्याय 5: आर्या और अर्जुन की यात्रा में एक नए मोड़ की शुरुआत...

  • Krick और Nakchadi - 2

    " कहानी मे अब क्रिक और नकचडी की दोस्ती प्रेम मे बदल गई थी। क...

  • Devil I Hate You - 21

    जिसे सून मिहींर,,,,,,,,रूही को ऊपर से नीचे देखते हुए,,,,,अपन...

  • शोहरत का घमंड - 102

    अपनी मॉम की बाते सुन कर आर्यन को बहुत ही गुस्सा आता है और वो...

श्रेणी
शेयर करे

इश्क़ जुनून - 3




ये गाना सुनकर मानो मेरा सर घूमने लगा। कुछ धुंधले धुंधले से दर्शय मानो मेरी आँखों के सामने दिखाई देने लगे।
उन दृश्यों में मुजे किसके चहरे तो साफ नही दिखे बस आवाजे साफ सुनाई दी।
एक लड़की लाल रंग के शादी के जोड़े में किसी बंध कमरे के अंदर एक कोने में बैठी अपनी दर्दभरी सुरीली आवजो में मानो यही गाना गा रही थी।
उसकी वो दर्दभरी आवाज, मानो मेरे कानों में गूंज रही।
मांग मेरी शबनम ने मोती भरे
और नज़रों ने मेहंदी लगाई..
मांग मेरी शबनम ने मोती भरे
और नज़रों ने मेहंदी लगाई..
नाचे बिन ही पायलिया छलकने लगी
बिन हवा के ही चुनरी लहराई..
चुनरी लहराई..
आज ये क्या हो रहा है मेरे साथ, क्यु हरबार यही गाना मेरे सामने आ जाता है। कोन थी वो लड़की जो उस अंधेरे कोने में बैठी थी ? वो इतना दर्दभरा गाना क्यु गा रही थी ? क्या रिश्ता है मेरा उसके साथ ? क्यु हरबार वो मुजे ही दिखाई देती है ?
मानो मेरा दिमाग मेरे ही सवालो से घिरा हुवा था।
चाय खतम किए बिना ही मेने वो प्याली चाय के उस टेबल पर छोड़ दी।
ओर फटाफट अपनी बाइक लेकर वह से भागने लगा। पर मानो वो गाना मेरा पीछा छोड़ने का नाम ही नही ले रहा था।
चाय की उस टपरी से तो में बहुत दूर निकल गया था। फिर भी मेरे कानों में वो गाना वैसे ही गूँजता रहा।
* * *
में अपनी कॉलेज के केम्पस में दाखिल हुवा बाइक पार्क कर के लॉबी में अपने क्लास की ओर जा ही रहा था की, सामने एक लड़की आ गई।
''वीर, कल रात मेरे मैसेज का जवाब क्यु नही दिया ?''
वो माया थी। वही माया जो मुझसे बेहद प्यार करती थी। जिसे में प्यार करता था पर,
उसके प्रश्न को टालते हुवे मैने मुस्कुराकर कहा।
''माया वो मेरे मोबाइल की बैटरी डेड हो गई थी। और रात भी काफी हो गई थी सो..''
कल रात का सारा गुस्सा मानो इस वक़्त मुझपर उतारते हुवे उसने कहा,
''बहाने मत बनावो बहोत अच्छी तरह से जानती हूं में तुम्हे''
''सच मे यार, तेरी कसम..''
उसी पल उसके मोबाइल की रिंगटोन बजी।
तेरे संग प्यार में नही तोड़ना
हो..ओ..तेरे संग प्यार में नही तोड़ना
चाहे तेरे पीछे..
और फिरसे मेरी आँखों के सामने वही धुंधले द्रश्य..
उसने फोन उठाया और फिर गुस्से में काट दिया।
मेने उसे डाटते हुवे कहा।
''तुम्हे कितनी बोला की अपनी रिंगटोन चेंज करो पर तुम..''
''अरे यार एकता कपूर के नागिन की रिंगटोन है। ओर मेरी फेवरिट भी है कैसे चेंज कर दु''
मैने गुस्से में कहा,
''तो मत कर, पर ये तुम्हारा डब्बा मोबाइल मेरे सामने नही बजाना चाहिए''
उसने भी वही शिकायती लहजे में कहा,
''तू इंग्लिश सॉन्ग्स सुनता है मेने कभी तेरे को कहा की मत सुन मुजे पसंद नही। ''
उसके साथ चलते चलते ही मेने उसे अपनी बात समजाते हुवे कहा।
''यार, तु समझ नही रही ये गाना सुनकर मुजे कुछ हो जाता है।, मेरे सामने कई धुंधले चहरे आ जाते है, मेने तुम्हे अपने उस अजीब सपनो के बारे में बताया था ना ? इस गाने का कोई न कोई कनेक्शन मेरे सपनो से है।
ए सुनकर वो मुझपर हसने लगी।
उसकी आँखों मे देखकर मेने कहा।
''माया, में मजाक नही कर रहा सच कह रहा हु..''
अपनी हँसी रोककर उसने कहा
''सच, से याद आया मुजे तुम्हे कुछ बताना है।'' में जानता था की वो क्या पूछेगी। हमारे सामने ही लॉबी में एक खाली बेंच थी। उसने उसकी ओर इशारा करते हुवे कहा।
''चलो बेठकर बाते करते है।''
कुछ देर बाद हम उस बेंच पर एकदूसरे के करीब बैठे थे।
मेने उसकी ओर देखते हुवे पूछा,
''माया तुम कुछ कहने वाली थी ?''
'' हा,'' उसने मेरी आंखों में देखते हुवे कहा
''वीर सच सच बताना क्या तुम मुझसे प्यार करते हो ?''
उसके इस सवाल से ही अचानक ही मुजे बाबाजी की वो बात याद आ गई।
मेरा दोस्त एक बाबाजी को बहुत मानता था।

मेने जब मेरे इन अजीब सपनो के बारे में अपने दोस्त को बताया तो वो मुजे एक दिन उस बाबाजी के पास लेकर गया था। जब मेरे इन अतीत के सपनो के बारे में मेने उस बाबाजी से पूछा तब बाबाजी ने बताया की
''जब तुम इक्कीस साल के हो जावोगे.. तब वो..
वो वापस आएगी तुम्हारी जिंदगी में..?''
में और मेरा दोस्त हैरानी से उस बाबाजी की सामने देखते रहे। बाबाजी ने आगे बताया की
''वो जिसे तुम बहुत प्यार करता थे, वो जो तुम पर जान छिड़कती थी, वो जिसकी सुरीली आवाज पर तु अपना दिल हार बैठा था,''
वो कोन थी इसके बारे में तो बाबाजी ने कुछ नही बताया किंतु इतना जरूर बताया की
''वो तुम्हारे पिछले जन्म की प्रेमिका है। इसीलिए इस जन्म में भी तुम पर बस उसीका हक है''
फिर मेरे दोस्त के सामने देखकर उन्हों ने जोर से कहा की
''ये लड़का बस उसीका है, उसके अलावा ये लड़का किसी ओर का कभी नही हो सकता, ये लड़का किसी से प्यार नही कर सकता, किसी के साथ विवाह नही कर सकता,''

मेने घबराकर पूछा
''क्यु बाबाजी ? क्यो में किसीसे प्यार या शादी नही कर सकता ?''
''क्योकी तुम सिर्फ उसीके हो। उसके अलावा तुम किसी ओर के बारे में सोचोगे भी तो वो उसे मार देगी..''
बाबाजी के बातो में स्पस्ट चेतावनी थी की में किसीसे शादी तो दूर प्यार भी नही कर सकता।
मेरी ही कॉलेज में पहले यर में ट्रुथ एन्ड डेर गेम में मेरे फ्रेंड्स ने मुझे एक डेर दिया,
मुझे कॉलेज की एक नई लड़की मुस्कान को प्रोपोज़ करना था। में माया से प्यार करता था। फिर भी डेर था इसीलिए मेने उस दिन मुस्कान को प्रपोज़ कर दिया,
अगले दिन खबर मिली की मुस्कान की गाड़ी का एक्सीडेंट हुवा है ओर मुस्कान..
उस दीन के बाद मुझ में एक डर सा बैठ गया में प्यार से भागने लगा। कही मेरी वजह से माया को कुछ हो गया तो..?
नही, मेरी वजह से में माया की जान खतरे में नही डाल सकता माया को उससे बचाने के लिए मुजे इस प्यार को ठुकराना ही होगा।
माया ने मेरा हाथ पकड़ते हुवे पूछा
''वीर, कहा खो गए..?''
ख्यालो से में बाहर आया
माया की आंखों में वही सवाल था
जिसका जवाब मुजे ना में ही देना था उसने फिर पूछा।
''तो बतावो वीर, डु यु लव मी..?''
उससे नजरे चुराते हुवे मैने कहा
''माया, सच बतावु तो तुम सिर्फ मेरी एक अच्छी दोस्त हो इसके अलावा और कुछ नही,''
इतना सुनते ही मानो वो फूल सा चहेरा मानो एकदम से मुरजा गया उसकी आंखे भर आईं,
मेने आगे कहा
''सुनो मेने तुम्हे कभी उस नजर से..''
उसने रोते हुवे मेरी आँखों मे देखा और कहा
''कह दो के ए जुठ है, तुम्हारी आंखे बता रही है वीर की तुम मुझसे कितना प्यार करते हो..''
हम जुठ बोल सकते है पर हमारी आंखे नही, वो हमेशा सच ही बोलती है पर मुजे ए इस रिश्ते को यही खतम करना था।
मेने गुस्से में कहा
''में सच बोल रहा हु, में तुमसे प्यार नही करता..''
इतना सुनते ही वो रोते हुवे वहां से उठकर चली गई..

क्रमशः