Ishq Junoon - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

इश्क़ जुनून - 1





ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है। किसी भी घटनाओ का वास्तविकता से कोई सबंध नहीं है।



प्रस्तावना,
हेल्लो, मेरा नाम है परेश मकवाना। मेरी ये कहानी 'इश्क़ जुनून' एक गाने के ऊपर आधारित है। सन १९७६ में आई 'नागिन' फिल्म का वही लोकप्रिय गाना 'तेरे संग प्यार में..' मुझे ये गाना बहुत पसंद है। अक्षर खाली बैठे में यही गाना गुनगुनाता हु। वैसे तो ये गाना इस कहानी का केंद्रबिंदु है। या यु कहु तो ए गाना ही इस कहानी को जीवंत बनाता है।
वैसे तो मेरी ये कहानी भी मेरी बाकी कहानियों की तरह एक प्रेमकहानी है। पर प्रेम के साथ साथ इस कहानी में कुछ ऐसे भी तत्व है जो इस कहानी को नवीनता प्रदान करता है।
जैसे कि त्याग, प्रेम का दूसरा नाम ही तो त्याग है, सिर्फ किसीको पाना प्रेम नही है, बल्कि किसीके लिए अपने प्रेम को त्याग देना ये भी प्रेम है। साथ ही साथ बेपनाह इश्क़ ओर इसी इश्क को पाने के लिए जुनून, हद से आगे बढ़ जानेवाला इश्क़ जुनून। पुनर्जन्म के साथ साथ कुछ आलौकिक शक्तियां यानी की भूतप्रेत की बातों को भी मैने इस कहानी के साथ जोड़ लिया।
दोस्तो उम्मीद करता हु की मेरी बाकी की कहानियों की तरह आपको ये खाने भी काफी पसंद आएगी। मेरी ये कहानी आपको कैसी लगी इस बारे में अपनी राय जरूर दे।
-परेश मकवाणा

* * *

इश्क़ जुनून
इस कहानी की शुरुआत होती है एक छोटे से गाँव लखनपुर से। उस गाँव के बाहर बसे बंजर इलाके में एक छोटा सा घर था। जो शायद काफी सालो से बंध पड़ा था। वहाँ कोई आता जाता नही था इसके पीछे एक बहोत बड़ी वजह थी गाँववालो का मानना था की वहाँ पर काली शक्तियाँ यानी की भूतप्रेत का वास है। आधी रातको, उस घर के एक बंध कमरे से घुंघरू की छम छमाट के साथ किसी लड़की की रोने की आवाजें आती है.. कभी कभी वही लड़की देर रात तले एक बेहद सुरीला दर्दभरा गाना गाती रहती है।
नागिन फ़िल्म का वही लोकप्रिय दर्दभरा गाना
तेरे संग प्यार में नही तोड़ना.. यह गाना मानो उस कमरे में कोई लड़की अपनी सुरली ओर बेदर्द आवाज अक्षर रात को गाती फिरती है।
आज के इस आधुनिक टेक्नोलॉजी वाले समय मे ऐसी बातो पर हरकोई यकीन नही करता। शहर का कोई पढा लिखा आदमी तो बिल्कुल नही। उनके हिसाब से ये भूतप्रेत की बाधाए मनघडंत कहानियों की तरह होती है। वो लोग सोचते है की गाँववाले लोगो को डराने के लिए ऐसी जूठी अफवाएं अक्षर फैलाते रहते है।
मुम्बई जैसे बड़े शहर से आये एक बड़े बिजनेसमैन केवल अग्निहोत्री।
जितना दमदार नाम उतनी ही दमदार पर्सनालिटी उस घर के पास ही एक सुबह उनकी ब्लेक मर्सिडीज़ कार आकर खड़ी हुई।
ड्राइवर ने उत्तरकर दरवाजा खोला तो बड़े सान से केवलजी ने अपना दाहिना पेर कार से बहार रखा..
और कार में से ही उन्हों ने उस घर के पास ही बड़े इलाके में फैली बंजर जमीन देखी.. जिसे देखते ही उन्हों ने मन मे ही थान लिया कि यहाँ बनेगा हमारा एक शानदार होटल।
होटल के इस प्रोजेक्ट के लिए उन्हें इन सारी प्रॉपर्टीज़ के साथ इस घर को भी खरीदना था।
इसी के चलते उन्हों ने गाव के मुख्या को इनाम के तौर पर कुछ बक्षीस देकर ये सारी की सारी बंजर जमीन अपने नाम कर ली।
मुख्या के घर से लौटते वक़्त उन्हों ने गाव के बीचों बीच अपनी कार रोकी इतनी बड़ी गाड़ी देखकर गाँव काफी अनपढ़ लोग वहां इकठ्ठा हो गए..
केवलजी ने गाड़ी में से ही शीशा उतारकर कुछ गाववालो से कहा
''मुजे उस घर का रिनोवेशन कराना है.. किसी को काम पर आना है कल सुबह आ सकता है।''
एक बुजुर्गने हैरानी से उनकी ओर देखा और पूछा
''कोन सा घर सेठजी.?''
''वही जो गाव के बहार काफी सालो से बंद पड़ा है।''
केवलजी इतना ही बोले के सब गाववाले उन्हें घूरने लगे.. केवलजी कुछ समझ पाए उससे पहले ही एक दूसरा बुजुर्ग थोड़ा आगे आया और बोला
''साहब, इस घर में भूतप्रेत की बाढ़ाए है..। हर रात इस घर के एक बंध कमरे में एक लड़की अपनी बेहद सुरीली आवाज में एक दर्दभरा गाना गाती रहती है..। सबने सुना है..।
उनके सुर में दो चार और लोगो ने भी सुर मिलाये दो चार लोग मिलके बोले।
''साहब हम तो कहते है की आप इस घर को ना ले तो ही बहेतर है।''
उनकी इस प्रकारकी बात सुनकर केवलजी उनपर गुस्सा हो गए उन्होंने उन सबको डांटते हुए कहा
''चुप करो, में नही मानता किसी भूतप्रेत में ये सब बेकार की बाते है..।''
और गुस्से में शीशा ऊपर कर के उन्होंने ड्राईवर को गाड़ी निकालने को कहा। ड्राइवरने रास्ते की परवाह किये बिना कच्ची सड़क पर गाड़ी दौड़ा दी।
* * *

दो ही हप्ते में शहर से बुलाए कुछ मजदूरों ने उस घर को बढ़िया तरीके से रिनोवेट कर दिया।
घर की चमक-दमक देखकर केवलजी ने अपनी होटल बनने तक वही उसी घर मे रहने का सोच लिया।
उसी रात तकरीबन साड़े बारा बजे के आसपास केवलजी ने अपना काम खतम किया और अदंर अपने कमरे में सो ने के लिए लॉबी से होकर गुजरे की तभी उनका ध्यान एक बंध कमरे की और गया।
उस कमरे के पुराने से दरवाजे पर लगे बड़े से काटलगे ताले पर लाल ओर सफेद रंग के धागे बांधे गए थे। उसे देख उन्हें ये अंदाजा तो हो ही गया की ए वही भूतिया कमरा है जिसके बारे में वो गाँवभर में तरह तरह की बाते होती रहती है।
''अरे..मेने उन गधो को बोला था की इस कमरे को खोलकर इसका भी रिनोवेशन करना है..। डरपोक साले..''
ताले पर बंधे उस धागे तोड़कर वो मन ही मन बड़बड़ाये ओर आसपास देखा,
पास ही पड़ा एक बड़ा पथ्थर पडा था, उन्हों ने जाकर वो बड़ा सा पथ्थर उठाया ओर आकर उसे उस कमरे के ताले पर मारने लगा।
पथ्थर के दो चार वार से ही ताला बड़ी आवाज के साथ टूटकर नीचे गिरा।
काट लग ने कारण दरवाजी कुंडी जाम हो गई थी। उन्हों ने जोर लगाते हुवे कुंडी खोली ओर दोनों दरवाजे को अंदर की ओर हल्का सा हाथ का धका दिया।
जैसी ही उसने ने दरवाजा खोला.. की अचानक...
अंदर से किसी स्त्री की रोने के साथ साथ एक बेदर्द गाने के कुछ बोल सुनाई दिए।
तेरे संग प्यार में नही तोड़ना..हो..ओ..तेरे संग प्यार में नही तोड़ना..।
वो कुछ समझ पाए उसे पहले ही
एक धुंधली सी घुए जैसी डरावनी मानव आकृति हवा तैरती हुई अचानक दरवाजे से बाहर निकलकर ठीक उसके सामने आ गई..
उन्होंने एकदम करीब से उस साये को देखा जिसके बारे में गाँवभर में चर्चा हो रही थी।
उन्हें एकदम सामने देखकर केवलजी के तो पसीने छूट गए।
डर के मारे उसका पूरा शरीर काँप ने लगा की तभी वो धुंए वाली आकृति ने एक स्त्री का रूप ले लिया...
हवा में तैरती हुई एक बेहद खूबसूरत स्त्री सोला सिंगार में सज्ज लाल रंग के शादी के जोड़े में मानो किसी नवविवाहिता की तरह उनके सामने उनके एकदम करीब गुस्से में खड़ी बस उन्हें ही घुरे जा रही थी।
केवलजी को ख्याल आया की वो उनके रास्ते में खड़े है। उसे देखकर डरके मारे केवलजी अब वहाँ भागने की फिराक में थे की वो स्त्री उनके सामने मुस्कुराई
और फिर उनकी नजरो के सामने ही मानो उन हवाओ में कही खो गई।
लेकिन वो गाना.. उस गाने के बोल वहां की उन हवाओ में वैसे ही गूँजता रहा।
तेरे संग प्यार में नही तोड़ना
तेरे संग प्यार में नही तोड़ना
चाहे तेरे पीछे जग पड़े छोड़ना..
आ..आ..

केवलजी ने उसी वक़्त सोच लिया की.. होटल का प्रोजेक्ट यही रोककर वो कल सुबह ही वापस मुम्बई की और निकल जाएंगे..
* * *
क्रमशः

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