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इश्क़ जुनून - 2






रात को तकरीबन ग्यारह बजे तक मेने अपने मोबाइल में साउथ की एक मूवी देखी ये मेरा रोज का था।
उसे पहले में अपना इंट्रोडक्शन देदु हेल्लो मेरा नाम है वीर, इस कहानी का एक लोता हीरो। अब कहानी में आते है।
मूवी चल ही रही थी की बीच मे माया की वॉट्सऐप नोटिफिकेशन आई.. फिर मूवी को वही स्टॉप करके में माया से चेट करने लगा.. कुछ घण्टे बाद नींद से मेरी आँखें भी कहने लगी की भाई अब तो आराम करने दे और मोबाइल भी मानो बोल पड़ा रहम करो मालिक.. मेरी बैटरी 5% पर है..
उन दोनों पर तरस खा कर मेने माया को बाय बोल दिया मोबाइल को सायलेंट मोड़ में दालकर मेने उसे टेबल पर रख दिया। फिर लाइट्स ऑफ करके बेड पे आकर चद्दर खिंच के में आराम से सो गया।
अभी नींद को आये कुछ घण्टे हुए थे की मेरी आंखों के सामने कुछ धुंधले धुंधले से द्रश्य मानो किसी फ़िल्म की रील की तरह घूमने लगे।
उन दृश्यों में मेने देखा की
की एक गाँव मे, एक सरकारी स्कूल के आंगन में मास्टरजी ओर कुछ विशेष अतिथियों की हाजरी में एक बड़े से स्टेज पर हाथ मे माईक लिए स्कूल की यूनिफॉर्म में खड़ी एक सोला साल की दो चोटीवाली खूबसूरत लड़की जो उस वक़्त अपनी खूबसूरत मीठी आवाज में एक गाना गा रही थी।
वही नागिन फ़िल्म का वो गाना जो हरबार मुजे मेरे उन अजीब सपने में ले जाता था। कुछ पुराने बिसरे पलो की याद दिलाता था।
तेरे संग प्यार में नही तोड़ना..हो..ओ..तेरे संग प्यार में नही तोड़ना..
अचानक ही दृश्य बदला।
अगले ही दृश्य में कुछ गुंडे उसी दो चोटीवाली लड़की को एक वेन में उठकर ले जा रहे थे। और अगले दृश्य में अपने आप को देखता हु किसी फ़िल्म की हीरो की तरह उसे बचाने के लिए में उन गुंडो से लड़ रहा था।
फिर दृश्य बदला,
ओर उसमे मेने एक शादीवाला कमरा देखा सुहागरात की सेज पर दुल्हन के लिबास में लंबा घूंघट ताने एक लड़की शर्माकर मानो अपने दूल्हे का इंतजार कर रही थी। अगले ही दृश्य मेने उसे क्रूरता से गला दबाकर मार डाला,
किसी झील के किनारे शादी के जोड़े में लोहिलुहान पड़ी एक लड़की को में अपनी बाहों में उठाकर दौड़ते हुए में उसे गाँव की ओर ले जा रहा था की तभी पीछे से किसीने मुझपर वार किया और..
ओर आधी रात को में घबराकर उठ गया... इन्ही घटनाओ के बारे में सोचते हुए में कुछ पल वैसे ही बैठा रहा फिर थोड़ा पानी पीकर में वापस सोने की कोशिश की पर इस बार मुजे गहरी नींद आ गई।
और सुबह एक ओर सपना आया जिसने मेरी नींद ही उड़ा दी।
मेने सपनो में देखा की एक गाँव की वो सीम तक ले जाती वीरान पगडंडी, एक भागती हुई लड़की के साथ उसका हाथ थामे भागता हुवा में,
अगले ही दृश्य में गुंडो का हमदोनो को घेर लेना, मेरा उनके साथ लड़ाई करना
एक चींख के साथ उस लड़की का वही गिर पड़ना, मेरा उसकी ओर मुड़ना ओर मेरे सर पर पीछे से किसका मारना ओर..
और मेरी आँख खुल जाना.. में एकदम से बैठ खड़ा हुवा।
ये सपना था या हकीकत.. शायद ये एक ही सपना था, नही.. ए कोई सपना नही.. कुछ तो है.. जो मुजे याद नही मेरे साथ मेरे अतीत में कुछ तो हुवा है..
वरना क्यों बार बार वही घटनाए सपने की तरह मेरी आंखों के सामने आ जाती है।
टाइम देखा तो सुबह के सात बजे थे। आज फिर से वही डरावने सपने आये क्या राज था इन सपनो का..? क्यु ये बारबार मुजे ही दिखाई देते थे ?
मेरे पास थे तो सिर्फ सवाल उनके जवाब मुजे खुद ही ढूंढने थे।
आठ बजे तैयार होकर में मेरी बाइक लेकर अपनी कॉलेज के लिए निकल गया। रास्ते में एक चाय की टपरी आई रोज की तरह मैने वहाँ अपनी बाइक रोकी
''गोवर्धन टी स्टोल''
में यहां रोज आया करता था यहां की चाय मेरी फेवरिट थी मेने वही खड़े एक नए लड़के को चाय के लिए बोल दिया।
''अरे ये..छोटू एक हाफ कटिंग चाय देना''
चाय के आने तक मे अपने मोबाइल में व्हॉट्सएप देखने लगा।
माया का लास्ट सिन था बारा बजकर पैतालीस मिनिट।
मतलब कल रात में तकरीबन एक बजे के आसपास सोया था। इसीलिए शायद मेरी आंखे अब भी नींद से भरी हुई थी ।
आज वो शर्मा सर के असाइमेंट्स ना होते तो में कॉलेज जाता ही नही। अपने कमरे में ही बारा बजे तक सोता रहेता ।
माया से ऐसी तो क्या खास बाते कर ली.. के कल रात वक़्त का पता ही ना रहा। शायद कल रात उसने मुजे आई लव यु कहा था। पर में उसे खास कोई रिप्लाय दे पाता उसे पहले ही मेरे मोबाइल की बैटरी डेड हो गई और हमारी बाते अधूरी रह गई।
बारा बजकर चालीस मिनिट पर मैने उसे कहा था की
''अब हमें सो जाना चाहिए रात बहुत हो गई है कल बात करेंगे''
आज वो इसके बारे में फिर पूछेगी की क्या तुम मुझसे प्यार करते हो और मुजे अगली बार की तरह इस बार भी उसे यही कहना होगा की हम सिर्फ दोस्त है ओर दोस्त बनकर रहे तो ही अच्छे है ये प्यार ब्यार का चक्कर छोड़ दो।
ऐसा नही की में उससे प्यार नही करता
करता हु, बहुत करता हु पर,
इतने में वो लड़का हाथमे चाय की प्याली लेकर आया और कहा।
''साहब, आपकी चाय.. ओर हँसते हुवे बोला मेरा नाम छोटू नही, कार्तिक है। ''
उसकी आवाज ने मुजे मानो उन ख्यालो से बाहर निकाला। मेने उसके हाथ से चाय लेते हुवे मुस्कुरा कर उसके सामने देखा।
''कार्तिक, बहुत ही अच्छा नाम है..फिर तुम्हे सब छोटू क्यु बुलाते है..?''
उसने कहा
''क्योंकि में चाय बेचता हु, चायवाले लड़के का एक कॉमन नाम होता है छोटू वो कितना भी बड़ा क्यु ना हो सब उसे छोटू ही कहते है। ''
मेने उसकी ओर मुस्कुराकर कहा।
''आज से, में तुम्हे छोटू नही कार्तिक ही बुलाऊँगा। चलेगा ना..?''
और वॉलेट में से एक दश रुपये की नॉट निकाल कर उसके हाथों में थमा दी।
उसने मुजे एक हल्की सी मुस्कान दी और पैसे लेकर चला गया।
चाय की हल्की सी घूंट मे मानो, में उसके नशे में खो गया।
चाय में भी यार गहरा नशा होता है। और वो नशा हर किसको नही दिखता। उसे ही दिखता है जो चाय को दीवानों की तरह पीते है।
में चाय की प्याली में कही खोया हुवा था। की अचानक उस चायवाले लड़के ने रेडियो ऑन किया।
रेडियो पर नागिन फ़िल्म का एक दर्दभरा गाना बज रहा था वही गाना जो में अपने सपनो में कई बार सुन चुका हु।
तेरे संग प्यार मैं नहीं तोडना
हो..ओ..तेरे संग प्यार में नही तोड़ना
चाहे तेरे पीछे जग पड़े छोड़ना..
तेरे संग प्यार मैं नहीं तोडना
तेरे संग प्यार में नहीं तोडना
आ… ओ…..तेरे संग प्यार मैं नहीं तोडना
चाहे तेरे पीछे जग पड़े छोड़ना
ओ…..तेरे संग प्यार मैं नहीं तोडना
ये गाना सुनकर मानो मेरा सर घूमने लगा। कुछ धुंधले धुंधले से दर्शय मानो मेरी आँखों के सामने दिखाई देने लगे।

क्रमशः

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