एक मध्यम वर्गीय आदमी Ganesh द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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एक मध्यम वर्गीय आदमी

इस नॉवेल के टाइटल से ही पता चलता है, जो भी है वो मध्यम है, ना कम ना ज्यादा। सच बताऊं तो हम जैसे मध्यम वर्गीय आदमियों की कहानी यहीं है। अरे हमारी तो जरुरते, शोख, और पगार भी दोस्तो मध्यम ही होता है। बचपन से ही सिखाया जाता है, ये करना है और इसके आगे नहीं जाना है। और जो भी हो इतने पैसों और यहां तक ही करना है। बचपन में देखे हुए सपनों को बड़े होते होते छोटा कर देना पड़ता है। बस फिर क्या है, यूहीं उसी मध्यम वर्गीय सपनों को पाने में अपना जीवन खर्च कर देता है।ना वो इस मध्यम बाकी रेखा से उपर जाता है ना नीचे। है कुछ होते है , लेहरो को देख के सामने जाने वाले, वो सफल हो जाते है। ये भी सही है, अपने इस मर्यादा से आगे बढ़कर अगर वो देखे तो उसके उपर वाला जो स्तर है वह पोहच सकता है😁। पर पहले वो अपने सपने तो पूरे करे, तो वो अपनों के बारे में सोचे। इन मध्यम परिवारों की कहानी ऐसी है कि वो बस पूरी ज़िंदगी अपने परिवार के सपने पूरे करने मै गुज़ार देता है। परंतु वो अपने परिवार और अपने ज़िंदगी के बीच का संतुलन बड़ी कुशलता से बनाए रखता है। ये वही मध्यम वर्गीय है जो सब ख़बर रखते है, और हमारे देश के वो अर्थतंत्र के सबसे मजबूत स्तंभ है। और जो भी आता है उसकी ज़िंदगी में वो लगता है वो लाया जाता है, उसको जो चाहिए वो तो मिलता ही नई पूरी ज़िंदगी! बस उसे उसमें से ही कुछ अपना जुगाड करना होता है। उसकी ज़िंदगी तो एक दिन का ही खेल है जनाब। सवेरे उठेगा कुछ नए सपने लेकर,और चल पड़ेगा उसे पूरा करने। और शाम घर आके वहीं परिवार की उलझने सुनकर सो जाएगा। इसी तरह नई सुबह , नई सोच, नए सपनों के लिए उड़ान भरेगा, जो कभी पूरे नहीं होने वाले। वो अपने सपने और जरूरत के बीच ऐसा फसा हुआ रहता है कि वो आगे ही नहीं बढ़ पाता।
पर सही बताऊं तो ऐसी ज़िंदगी गुजारते गुजारते वो ऐसा हो जाता है कि वो उसके आगे का सोचता ही नहीं है। उसके लिए वहीं संसार है और वही उसकी दुनिया है और वो अपनी इस दुनिया का राजा।
अगर वो कहीं वो जाएगा तो सब चीज़े मर्यादित अपनाता है, घूमना, खाना, सब चीज़े मर्यादित। और ये एक ऐसा वर्ग है जिसके बारे में कोई सोचता नहीं।उसके नाम ले सिर्फ वोट लिए जाते है, योजनाएं पास जी जाती है, पैसों की योजनएं घोषित की जाती है। पर ये सब चीज़े कभी इस मध्यम वर्गीय आदमी तक पहुंचती नहीं है। बस आसमान में जैसे तारे देख के खुश होते है, वैसे ही ये सब देख के ही खुश होना पड़ता है।
यही है कहानी हमारे जैसे मध्यम वर्गीय लोगो की।।

ये तो मेरे विचार है। सब एक विचार से तो सहमत हो नहीं सकते।सबके अलग अलग विचार है ये मेरे विचार थे, जो मैंने लिखे है। तो अगर किसी को बुरा लगे तो माफ़ करना और सब सलामत रहे यही प्रार्थना🙏🙏।।