कर्म पथ पर Chapter 32जय ने उन लोगों को हिंद प्रभात के साथ अपना संबंध बताते हुए उसके मेरठ जाकर माधुरी के अम्मा बाबूजी से मिलने वाली सारी बात विस्तार से बता दी।
जय ने माधुरी से कहा,
"मैं लौट कर आया तो तुम्हारे बाबूजी को दिया गया वचन कि मैं व्यक्तिगत तौर पर तुम्हारे बारे में पता करूँगा, मुझे हर समय बेचैन किए रहता था। मैंने तुम्हारे विषय में पता करना शुरू कर दिया।"
माधुरी ने पूँछा,
"आप यहाँ तक कैसे पहुँचे ?"
स्टीफन भी यह जानने को उत्सुक था। जय ने उन्हें पूरी कहानी सुनाई।
जय ने अपनी शुरुआत उस चर्च से की जहाँ माधुरी की शादी स्टीफन से हुई थी। उसने उस पादरी से बात की जिसने शादी करवाई थी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जय लखनऊ के सिविल लाइंस क्षेत्र में पहुँचा जहाँ स्टीफन की क्लीनिक थी। जब वह क्लीनिक पर पहुँचा तो पता चला कि डॉ. स्टीफन क्लार्क अब वहाँ नहीं बैठते हैं। उसके घर का पता लेकर जय जब वहाँ पहुँचा तो स्टीफन वहाँ भी नहीं था। पड़ोसी सिर्फ इतना बता पाए कि किसी हिंदुस्तानी लड़की से उसने शादी कर ली थी। उसके बाद कुछ परेशान सा रहने लगा था। पहले क्लीनिक जाना बंद कर दिया। उसके कुछ ही दिनों बाद अपनी पत्नी को लेकर जाने कहाँ चला गया।
जय रुक कर बोला,
"मैं निराश हो गया था। किसी को भी नहीं पता था कि अचानक आप लोग कहाँ चले गए। पर फिर भी मैंने हिम्मत नहीं हारी। मुझे लगा कि डॉ. स्टीफन की क्लीनिक के स्टाफ से शायद कुछ पता चले। इसलिए मैं एक बार फिर क्लीनिक पर पहुँचा।"
डॉ. स्टीफन के जाने के बाद उस क्लीनिक पर एक हिंदुस्तानी डॉक्टर नईम कुरैशी बैठने लगे थे। जय ने उनसे बात की। डॉ. नईम ने कहा कि वह डॉ. स्टीफन के बारे में कुछ नहीं जानते हैं। वह अपनी प्रैक्टिस के लिए एक जगह की तलाश कर रहे थे जब उन्हें इस क्लीनिक का पता चला। उन्हें बताया गया कि डॉ. स्टीफन क्लार्क जो यहाँ बैठते थे कहीं बाहर जा रहे हैं। इसलिए इस जगह के मालिक से उन्होंने क्लीनिक किराए पर ले ली है। डॉ. स्टीफन का कंपाउंडर और एक नर्स काम छोड़कर जा चुके थे। इसलिए उन्होंने अपना स्टाफ रखा है।
डॉ. नईम स्टीफन के बारे में इससे अधिक कुछ नहीं बता सके। जय जब क्लीनिक के बाहर आ रहा था तब किसी ने उसे पुकारा। वह डॉ. नईम का कंपाउंडर अब्दुल था। उसने बताया कि जय यदि डॉ. स्टीफन के बारे में जानना चाहता है तो मैरी डिसूज़ा नाम की नर्स से मिले। वह डॉ. स्टीफन के क्लीनिक पर काम करती थी। वह उनके बारे में बहुत कुछ जानती है।
अब्दुल ने बताया कि मैरी कहाँ रहती है और इस समय कहाँ काम करती है उसे नहीं पता है। पर वह इतना बता सकता है कि हर इतवार वह हजरतगंज के कैथ्रेडल चर्च में प्रार्थना करने जाती है। पहचान के लिए अब्दुल ने उसका हुलिया बता दिया था।
अगले संडे को जय चर्च के बाहर खड़े होकर मैरी के निकलने की राह देख रहा था। मास खत्म होने के बाद बाहर निकलते लोगों में उसे एक तेइस चौबीस साल की लड़की दिखाई पड़ी। उसका हुलिया मैरी से मिलता जुलता था। उसने आवाज़ लगाई।
"मैरी...."
अपना नाम सुनकर वह लड़की जय की तरफ घूमी। एक अजनबी के मुंह से अपना नाम सुनकर उसे आश्चर्य हुआ।
"मेरा नाम जयदेव टंडन है। आप नर्स मैरी डिसूज़ा हैं।"
"हाँ....पर अब मैंने नर्सिंग का काम छोड़ दिया है। मेरी शादी होने वाली है। मैं अब मद्रास चली जाऊँगी। इसलिए आप किसी और से बात कर लें।"
"मैरी मुझे नर्सिंग का काम नहीं है। मैं आपसे डॉ. स्टीफन क्लार्क के बारे में कुछ बात करना चाहता हूँ।"
डॉ. स्टीफन का नाम सुनकर वह कुछ परेशान हो गई।
"मैं क्या बता सकती हूँ उनके बारे में ?"
"आप उनके क्लीनिक पर काम करती थीं। आप मेरी मदद कर सकती हैं।"
मैरी असमंजस में खड़ी थी। जय ने कहा,
"मैं अपनी कार लेकर आया हूँ। आप किसी रेस्टोरेंट में चल कर बात कर सकती हैं।"
मैरी समझ नहीं पा रही थी कि क्या करे ? एक अजनबी के साथ वह कहीं जाना नहीं चाहती थी। पर डॉ. स्टीफन का नाम सुनकर वह समझ गई थी कि जय अवश्य उनकी खोज खबर लेना चाहता है।
"आप चर्च के बागीचे में बैठ कर मेरे साथ बात कर सकते हैं।"
मैरी उसे चर्च के बागीचे में ले गई। दोनों एक बेंच पर बैठ गई। शुरूआत मैरी ने की।
"मिस्टर जयदेव.... आप डॉ. स्टीफन के बारे में क्यों जानना चाहते हैं ?"
जय ने उसे माधुरी के घरवालों से मुलाकात के बारे में सब कुछ बता दिया।
"मैरी मैंने डॉ. स्टीफन के बारे में पता करने का प्रयास किया। पर कोई कुछ नहीं बता पाया। डॉ. नईम के कंपाउंडर अब्दुल ने मुझे आपके बारे में बताया। मैरी माधुरी के घरवाले उसके लिए परेशान हैं। आप मुझ पर यकीन रखिए। जो जानती हों सब बता दीजिए।"
मैरी कुछ देर चुप रही। जय ने भी उस पर कोई दबाव नहीं डाला। वह समझ गया था कि मैरी को बहुत कुछ पता है। अतः वह चाहता था कि वह अपना मन पक्का करके सारी बात खुल कर बताए।
मैरी ने बोलना शुरू किया तो चेहरे पर पीड़ा झलक रही थी।
"मैंने डॉ. स्टीफन के साथ चार साल काम किया था। पर मैं समझ नहीं पा रही हूँ कि गॉड ने एक भले इंसान के साथ ऐसा क्यों किया ?"
"क्या हुआ उनके साथ ?"
"मैं बहुत अधिक तो नहीं बता सकती हूँ। पर इतना कह सकती हूँ कि वह बहुत परेशान थे। वह आदमी जो हमेशा खुश रहता था। अपने साथ काम करने वाले लोगों से बड़ी नर्मी से पेश आता था। वह अचानक ही गहरे तनाव में रहने लगा था। हमें पता चला कि उनकी शादी एक हिंदुस्तानी लड़की से हो गई है। हमें लगा कि अपनी इच्छा के विरुद्ध दबाव में आकर उन्हें शादी करनी पड़ी इसलिए तनाव में रहते हैं। पर हमें यह समझ नहीं आ रहा था कि उन पर ये दबाव क्यों आया। बाद में पता चला कि उनके साथ जो हुआ उसके पीछे हैमिल्टन का हाथ था। वह बहुत परेशान थे। आखिरकार उन्हें सब कुछ छोड़कर जाना पड़ा।"
"अच्छा आप ये बता सकती हैं कि वो कहाँ गए हैं ?"
"मैंने सुना था कि डॉ. स्टीफन अपनी पत्नी माधुरी के साथ कानपुर के कर्नलगंज इलाके में गए हैं। पर मैं दावे से कुछ भी नहीं कर सकती हूँ।"
डॉ. स्टीफन के मिलने की संभावित जगह बता कर मैरी ने जय की बहुत मदद की थी। वह कानपुर आ गया।
"मुझे पता था कि मेरे पापा के मित्र ललित नारायण मिश्र जी कर्नलगंज में ही रहते हैं। मैं उनके पास गया। बातों ही बातों में मैंने आपका ज़िक्र किया तो उन्होंने बताया कि वह आपको जानते हैं। उन्होंने ही आपका पता दिया।"
जय अपनी बात बता कर रुक गया। वह जानना चाहता था कि स्टीफन किस तरह से हैमिल्टन के चंगुल से बच कर यहाँ आया। ललित नारायण जी उसे कैसे जानते हैं।
जय ने स्टीफन से कहा,
"मैरी ने बताया कि आपको उस हैमिल्टन के कारण बहुत कष्ट झेलने पड़े। अगर आप उचित समझें तो मैं जानना चाहता हूँ कि आप उस जॉन हैमिल्टन को कैसे जानते हैं ? उसने आप पर माधुरी से शादी करने के लिए क्यों दबाव बनाया ?"
स्टीफन खुद भी सारी बात बताना चाहता था। जिससे माधुरी के घरवाले जान सकें कि उसने शादी क्यों की ?
जय ने महसूस किया कि अपनी आपबीती सुनाने से पहले स्टीफन बहुत दर्द में था। जो कुछ उसने झेला उसे याद करके बताना आसान नहीं था। वह अपनी भावनाओं पर काबू करने की पूरी कोशिश कर रहा था।
माधुरी स्टीफन के मन की व्यथा को समझ रही थी। उसने स्टीफन को अपने सीने से लगा कर उस दर्द से लड़ने की ताकत दी।
माधुरी के स्नेह ने उसमें हिम्मत का संचार किया।
स्टीफन अपनी कहानी सुनाने लगा।