कर्म पथ पर - 33 Ashish Kumar Trivedi द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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कर्म पथ पर - 33




कर्म पथ पर
Chapter 33


स्टीफन के पिता विलियम क्लार्क जॉन हैमिल्टन के दोस्त थे।‌ दोनों ने साथ ही लंदन में पढ़ाई की थी। उसके बाद दोनों एक साथ भारत आ गए। दोनों ही अल्मोड़ा में रहते थे।
विलियम एक प्रकृति प्रेमी व्यक्ति थे। उन्हें पहाड़ों पर पाई जाने वाली जड़ी बूटियों के औषधीय गुणों का भी बहुत ज्ञान था। यह ज्ञान उन्होंने अपने पिता से प्राप्त किया था। उनके पिता ने एक वैद्य से आयुर्वेद का अच्छा ज्ञान अर्जित किया था।
बचपन में विलियम जब अपने पिता को जड़ी बूटियों से दवाएं बनाते देखते तो स्वयं भी उनकी सहायता करते थे। वह काम करते हुए जड़ी बूटियों के बारे में बहुत सी बातें पूँछ लेते थे।
विलायत से लौटने के बाद उन्होंने जड़ी बूटियों के प्रति अपने लगाव को जारी रखा। अक्सर वह जड़ी बूटियों के चक्कर में जंगल में दूर तक निकल जाते थे। उन्हें पता था कि पहाड़ों पर बसी जनजातियों के पास इस ज्ञान का भंडार है। जब भी मौक़ा मिलता था तो वह कुछ दिनों के लिए उनके बीच जाकर रहते थे।
एक बार वह कुछ जड़ी बूटियों की खोज में गहरे जंगल में चले गए। वहाँ एक दुर्घटना में घायल होकर वह बेहोश हो गए।
होश में आने पर उन्होंने अपने आप को एक झोपड़ी में पाया। उन्हें बताया गया कि उन्हें दो दिन के बाद होश आया है। वह कबीले के मुखिया को नदी के किनारे मिले थे। ठंड से शरीर नीला पड़ गया था। मुखिया कुछ लोगों की मदद से उन्हें अपने साथ ले आए। उनका उपचार किया। तब उनके प्राण बच पाए हैं।
कबीले के मुखिया ने कहा कि पूरी तरह से स्वस्थ होने के लिए विलियम को कुछ दिनों तक उनके कबीले में ही रहना होगा।
विलियम की देखभाल का जिम्मा मुखिया के छोटे भाई की बेटी शैला को दी गई थी। वह बड़ी ही लगन के साथ विलियम के खाने और दवा का खयाल रखती थी। उसकी सेवा से विलियम कुछ ही समय में स्वस्थ होकर वापस अपने घर चले गए।
घर आने पर विलियम का ध्यान सदैव ही शैला की तरफ लगा रहता था। वह उससे मिलने के लिए बेचैन रहते थे। विलियम ने महसूस किया कि शैला के रूप और गुण ने उनके दिल में उसके लिए प्यार के बीज रोपित कर दिए थे।
विलियम को जब भी मौका मिलता वह किसी ना किसी बहाने से कबीले पहुँच जाते थे। लेकिन अब वो केवल दूर से ही शैला को देख पाते थे। हर बार जब वह लौट कर आते शैला के लिए उनकी चाहत पहले से बढ़ जाती थी।
यह स्थिति केवल विलियम की ही नहीं थी। जिस आग में विलियम जल रहे थे वही आग शैला के दिल में भी लगी थी। वह विलियम का हाल भी समझती थी। पर इस बात की राह देख रही थी कि विलियम इज़हार करने में पहल करें।
लेकिन ऐसा हो पाना मुश्किल था। विलियम जब भी कबीले जाते तो मुखिया और अन्य लोग उन्हें घेर कर बैठ जाते थे। शैला केवल जलपान देने के लिए ही उन तक पहुँच पाती थी। विलियम और वो केवल दूर से ही एक दूसरे को देखते थे।
एक बार जब विलियम कबीले से लौट रहे थे तो उन्हें एक लड़के ने रोक लिया। उसकी उम्र कोई दस बारह साल की होगी। विलियम पहचान गए कि वह शैला का छोटा भाई है। उस लड़के ने उन्हें शैला का संदेश दिया कि शैला ने उन्हें पहाड़ी के पार मिलने बुलाया है। विलियम फौरन बताई गई जगह की तरफ चल दिए।
उस दिन विलियम और शैला ने दिल खोलकर एक दूसरे से अपने प्यार का इज़हार किया। अब जब भी विलियम कबीले में पहुँचते तो यह शैला के लिए इशारा होता कि आज पहाड़ी के पीछे मिलने का दिन है।
इस तरह कई माह बीत गए। एक बार जब शैला विलियम से मिलकर लौटी तो देखा कि माहौल में तनाव था। किसी ने मुखिया से इस बात की चुगली कर दी थी कि वह विलियम से छिप छिप कर मिलती है।
कबीले वालों ने मिलकर तय कर लिया कि अगले दिन सुबह ही शैला की शादी कबीले के एक युवक से कर दी जाएगी। शैला बहुत रोई गिड़गिड़ाई पर किसी ने उसकी एक नहीं सुनी।
शैला भी विलियम के अतिरिक्त किसी से शादी नहीं कर सकती थी। उसके लिए ज़रूरी था कि किसी तरह से वहाँ से निकल कर विलियम के पास चली जाए।
उसके पास एक ही मौका था। कबीले की परंपरा के अनुसार उसे तड़के ही पहाड़ी पर बने देवी मंदिर के कुंड में स्नान के लिए जाना था। यदि वह वहाँ से भागने में कामयाब रही तो फिर काम बन सकता था।
कबीले में दो ही लोग थे जो उसके और विलियम के प्रेम के बारे में पहले से ही जानते थे। एक उसका छोटा भाई। दूसरी थी उसकी सहेली चंपा। रात को जब चंपा उसे खाना खिलाने आई तो उसने अपनी योजना बताते हुए कहा कि वह उसके लिए एक घोड़े की व्यवस्था कर दे। चंपा ने आश्वासन दिया कि वह अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेगी।
अगले दिन सुबह सुबह कबीले की एक स्त्री उसे कुंड में स्नान कराने के लिए ले गई। मौका पाते ही शैला वहाँ से भाग गई। चंपा ने घोड़े का इंतज़ाम कर दिया था। शैला एक अच्छी घुड़सवार थी। जब तक कोई उसे पकड़ पाता वह कबीले से दूर निकल गई।
विलियम के पास पहुँचने के बाद उसे कोई ‌डर नहीं था। शैला और विलियम की शादी हो गई। कबीले वालों के विरोध का उस पर कोई असर नहीं हुआ। वह एक अंग्रेज़ अधिकारी था। उसने सबको शांत करा दिया। हैमिल्टन ने उनकी बहुत ‌सहायता की।
शैला और विलियम सुख से रहने लगे। कुछ दिनों के बाद स्टीफन का जन्म हुआ। वह एक कुशाग्र बुद्धि का बालक था। अपने पिता की तरह वह भी प्रकृति से प्रेम करता था।
विलियम और शैला पारंपरिक चिकित्सा पद्धति का प्रयोग कर जड़ी बूटियों द्वारा आसपास के ग्रामीण लोगों की मुफ्त चिकित्सा करते थे। बीमार लोग जब स्वस्थ ‌होकर उसके माता पिता ‌को आशीर्वाद देते ‌थे तो उसे बहुत अच्छा लगता था। वह भी चाहता था कि बड़ा होकर लोगों की इसी तरह सहायता ‌करे। लेकिन उसकी इच्छा आधुनिक चिकित्सा पद्धति का अध्ययन ‌करने की थी। उसने अपनी ‌यह इच्छा ‌अपने पिता ‌को बताई थी। उन्होंने उसे ‌आश्वासन दिया था कि वह उसे ‌एक‌ डॉक्टर बनाएंगे।
परंतु ‌दस साल की उम्र में ही स्टीफन के सर से उसके पिता का साया उठ गया। विलियम की मौत से शैला टूट गई। विलियम अच्छी खासी संपत्ति छोड़ कर गए थे। पर अपने दुख में डूबी शैला अकेले स्टीफन की ज़िम्मेदारी ‌सही से नहीं उठा पा रही थी।
उस नाजुक दौर में हैमिल्टन एक बार फिर मदद के लिए आगे आया। वह स्टीफन का अभिभावक बन गया ‌और उसकी परवरिश की ज़िम्मेदारी ले ली।
जब स्टीफन के मेडिकल कॉलेज में दाखिले का समय आया तो हैमिल्टन ने ‌उसे बुलाकर कहा,
"तुम्हारे पिता ने जो पैसे ‌छोड़े थे उनमें से ‌बहुत से अब तक की पढ़ाई में खर्च ‌हो गए। जो थोड़ा ‌बहुत बचा है वह मेडिकल कॉलेज की पढ़ाई के लिए पर्याप्त ‌नहीं है। फिर तुम्हारी माँ के लिए ‌भी कुछ पैसे रखने ‌आवश्यक‌ हैं। जिससे जब तक‌ तुम अपने पैरों में ‌ना खड़े हो जाओ वह अपना जीवन चला सकें।"
हैमिल्टन की बात सुनकर स्टीफन उदास ‌हो गया। उसे लगा कि डॉक्टर बनने का उसका सपना पूरा नहीं हो पाएगा। उसे उदास देखकर हैमिल्टन ने एक सुझाव दिया।
"स्टीफन मैं तुम्हारी ‌आगे की पढ़ाई ‌का खर्च‌ उठा लूँगा। पर ‌यह तुम पर एक क़र्ज़ होगा। तुम्हें ‌वह रकम बाद में लौटनी पड़ेगी।"
स्टीफन किसी भी तरह ‌डॉक्टर बनने का अपना सपना पूरा करना चाहता था। वह मान गया।
जब स्टीफन मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहा था ‌तभी अचानक उसकी माँ गंभीर रूप से बीमार ‌पड़ गईं। हैमिल्टन ने उसे खबर ‌भिजवाई। वह छुट्टी लेकर आया।
उसकी ‌माँ की बीमारी ‌बढ़ती जा रही थी। लेकिन स्टीफन के लिए वापस जाना ज़रूरी था। हैमिल्टन ने उससे कहा कि वह सब ‌संभाल लेगा। दिक्कत केवल एक बात की है कि इलाज के लिए पैसे नहीं बचे हैं। हैमिल्टन को अपनी जेब से बहुत खर्च करना ‌पड़ा है।
हैमिल्टन ने स्टीफन को मना लिया कि ‌वह अपने पिता द्वारा छोड़ा गया घर उसके नाम कर दे। घर हैमिल्टन के नाम कर स्टीफन चला गया।
छह महीने बाद शैला की मृत्यु हो गई। उसकी मृत्यु के कुछ ही दिनों बाद हैमिल्टन ने सूचना भिजवाई कि उसका स्थानांतरण लखनऊ हो गया है।