बात एक रात की - 25 Aashu Patel द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

बात एक रात की - 25

बात एक रात की

Aashu Patel

अनुवाद: डॉ. पारुल आर. खांट

( 25 )

‘दिलनवाझ हॉल – गैलरी में नहीं है|’ हीना ने फटी आवाज में कहा|

यह सुनकर सभी लोग स्तब्ध रह गये| उस वक्त हीना के पैर आगे नहीं बढ़ रहे थे| वह मुश्किल से खड़ी रह सकती थी|

अमन ने हीना को शांत करने की कोशिश की| उसने कहा कि, ‘डोन्ट पेनिक| वह शायद रेस्ट रुम में....’

लेकिन वाक्य पूरा होने से पहले ही हीना बोली, ‘मैं रेस्ट रुम भी चेक कर आई हूँ| दोनों रेस्ट रुम खाली है|‘

इतनी देर में स्विमिंग पुल के नजदिक खड़े सभी महेमान हॉल के दरवाजे के पास इकठ्ठे हो गये| अमन ने कहा, ‘शायद वह अपर फ्लोर पर गया होगा| हमें चेक करना चाहिए|‘

‘तुम्हारे साथ बात करते वक्त मेरा ध्यान हॉल के दरवाजे पर था| दिलनवाझ हॉल के दरवाजे से बाहर निकला ही नहीं है|‘ हीना ने कहा और फिर जोड़ा, ‘यॉट के उपरी फ्लोर पर जाने के लिए हॉल से बाहर निकलना ही पड़ता है| दिलनवाझ उपर गया होता तो अवश्य किसी-न-किसी की नजर में आ ही गया होता|‘

सारी संभावनाओं के बारे में सोच रहे थे इसी दौरान एनकाउंटर स्पेशियालिस्ट प्रशांत पाटणकर ने मामले को अपने नियंत्रण में ले लिया था|

पाटणकर ने अपने तरीके से खोज शुरु की| वह बहुत अनुभवी पुलिस अफ्सर था| वह हॉल से महेमानों को बिखेरने के लिए सभी को डिरेक्शन देने लगा| उसने दो-दो-तीन-तीन व्यक्तियों का समूह कर के यॉट के अलग-अलग लेवल पर के रुम्स चेक करने का काम सौंप दिया| कुछ लोग फर्स्ट लेवल पर जाकर दिलनवाझ को ढूँढने लगे तो कुछ लोग सेकेंड लेवल पर जाकर ढूँढने लगे| बाद में पाटणकर गैलरी की ओर गया|

--------------

दिलनवाझ गैलरी में गया इसके बाद पाटणकर हॉल के रेस्ट रुम्स मे हो आया था| उस वक्त उसने देखा था कि दिलनवाझ टेन्स होकर मोबाइल फोन पर बात कर रहा था| पाटणकर ने गैलरी ओर हॉल के बीच के दरवाजे पर खड़ा रहकर दिलनवाझ से पूछा था कि, ‘इझ एवरीथिंग ओके?’

उसके सवाल का जवाब दिलनवाझ ने हाँ की मुद्रा में सिर हिलाकर दिया था, लेकिन तुरंत ही उसे आँख से इशारा किया कि वह वहाँ से चला जाये|

पाटणकर समझ गया था कि दिलनवाझ शब्दों से कहता है कि सब ठीक है, लेकिन उसके चेहरे के हाव भाव और इशारा अलग बात कर रहे हैं |

पाटणकर रेस्ट रुम में गया तभी उसने अहेसान मलिक, इश्तियाक अहमद, शैली सागर, रोशनी रौतेला, आकाश महेरा और उसके छोटे भाई आनंद को भी अलग-अलग समय दौरान रेस्ट रुम्स से आते या जाते देखा था|

--------------

उसने सभी को गैलरी से दूर रहने की ताकीद की थी| उसने बारीकी से गैलरी की पड़ताल शुरु की| गैलरी में एक कोफी टेबल और छह कुर्सी पड़ी थी| गैलरी में हॉल जितनी लाइट्स नहीं थी लेकिन एकदम अंधेरा भी नहीं था| पाटणकर ने बारीकी से देखना शुरु किया| उसे कुछ भी नजर नहीं आया| वह गैलरी से बाहर निकलने जा रहा था तभी उसका ध्यान गैलरी के बाये कोने में गया| वहाँ दिलनवाझ का मोबाइल फोन पड़ा था| पाटणकर डर गया| उसने मोबाइल उठाया और समुद्र में फेंकने के लिए हाथ उठाया लेकिन तभी अमन कपूर गैलरी में आया| पाटणकर खिन्न हो गया | उसने कहा, ‘दिलनवाझ का मोबाइल फोन यहाँ पड़ा था|‘

अमन शंका की नजर से उसकी ओर देख रहा था|

…………………….

यॉट के एक-एक रुम्स और कोने-कोने को चेक कर लिया लेकिन किसी भी जगह दिलनवाझ नहीं मिला| हीना पेनिक हो गई थी| एक बार तो चक्कर आने से वह गिर भी गई थी| अमन कपूर उसे शांत करने की कोशिश कर रहा था| अहेसान मलिक, रोशनी रौतेला, आकाश महेरा और प्रिया प्रधान एवम्‌ तपन त्रिपाठी भी हीना के पास खड़े थे और धैर्य रखने के लिए समझा रहे थे| प्रिया प्रधान हीना को जरा भी पसंद नहीं थी क्योंकि इन दिनों दिलनवाझ उसके साथ घूम रहा था, लेकिन अभी इस परिस्थिति में प्रिया उसे बहन की तरह सम्भाल रही थी| वह भी डरी हुई थी फिर भी खुद को भूलकर हीना को सम्भाल रही थी|

‘लगता है कि दिलनवाझ संतुलन खोकर समुद्र में गिर गया है| हमें पुलिस और कॉस्ट गार्ड की मदद लेनी पड़ेगी|‘ प्रशांत पाटणकर ने कहा|

दिलनवाझ की पत्‍‌नी हीना शून्यमनस्क होकर उसे ताक रही थी| सभी का नशा काफूर हो गया था|

उस समय यॉट पर मौजूद किसी को कल्पना भी नहीं थी कि आने वाला दिन उन सबकी जिंदगी का सबसे खराब दिन साबित होने वाला था|

******