बंद तालों का बदला - 3 Swati द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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बंद तालों का बदला - 3

पसीने से लथपथ प्रखर जैसे ही बरामदे में पहुँचा उसने देखा कि चार पाँच लोग काली-पीली शक्ल वाले लोग बरामदे में घूम रहे है, वह लड़की भी वहीं थीं । तथा पहले से भी ज्यादा डरावनी लग रही थीं । चेहरा नीला पड़ा हुआ था । उसकी तरफ़ सभी बढ़ रहे थें । ऐसे लग रहा था सब उसके शरीर के अंदर घुस जायेंगे । और वह कुछ नहीं कर पाएंगा। तभी वह ज़ोर से चीखा और वहाँ सो रहे निशा और सुदेश भी जाग गए और भागते हुए नीचे आए और तभी विपुल और विनय हँसते हुए कैमरा लेकर आ गए । और सबकुछ ठीक हो गया। वह डरावने लोग सही हो गए । दो औरतें और दो आदमी पर वह लड़की नहीं थीं। "ये सब हमारा किया हुआ था । हमने भैया से बात कर ली थीं । हम यह डरावनी वीडियो अपलोड करेंगे और तहलका मचा देंगे । देखना कितने ज़्यादा लाइक आते हैं । और खूब पैसा भी मिलेगा।" विनय ने कहा । "तू पागल है, तूने मेरी जान निकाल दी थीं । प्रखर ने विपुल को धक्का देते हुए कहा । निशा और सुदेश ने भी डाट लगायी । प्रखर ताज़ी हवा लेने छत पर चला गया । निशा और सुदेश भी वापिस कमरे में आ गए। विपुल और विनय वही कैमरा चेक करने लगे। शुरू से वीडियो शुरू की । पूरा घर सब वीडियो में दिख रहा था । पर जब आगे बड़े तो प्रखर के अलावा वहाँ कोई नहीं था। बस वीडियो में प्रखर चीखते हुए दिख रहा था।

"यह क्या बाकी सब लोग कहाँ गए? तूने ढंग से शूट किया था ।" विपुल ने पूछा। "हाँ यार सब सही चल रहा था । पता नहीं क्या हुआ ।" विनय अभी भी कैमरा बार-बार ठीक से देखकर बोल रहा था । मगर बस प्रखर ही दिख रहा था । हम दोबारा शूट कर लेंगे ज़रा भैया से पूछ कर आता हूँ । कहकर विनय पूछने चला गया । ढूंढ़ते-ढूंढ़ते एक कमरे में पहुँच गया । उस कमरे में पहले से कोई पीठ खड़ा कर खड़ा था । घुसते ही विनय ने बोलना शुरू किया । "भैया क्या फिर से वही लोग आ जायेंगे हमारा ठीक से शूट नहीं हुआ है । उस आदमी ने कुछ नहीं कहा । विनय उसके पास चला गया उसका कन्धा पकड़ फिर बोला भैया ।" यह सुनते ही उसने पीछे मुड़कर देखा तो विनय को कांटो तो खून नहीं । उसकी दोनों आँखें नहीं थीं, चेहरा काला पड़ा हुआ था। एक भद्दी और मोटी सी आवाज़ में बोला-"हाँ आ जायेंगे बताओ कब बुलाना है ? यह कहकर उसने विनय की गर्दन पकड़ ली । और विनय की आँखें बाहर आई ।

जब काफी देर तक विनय नहीं पहुँचा तो वह उसे ढूँढने जाने के लिए हुआ था । तभी विनय आ गया। "तू ठीक है? कहा रह गया था ?" विपुल ने पूछा और देखा कि विनय कुछ बोला नहीं बस सिर्फ सिर हिला दिया है । "कब आ रहे है वो लोग ? बस आते ही होंगे।" विनय ने विपुल को घूरते हुए कहा । चल मैं बाकि दोस्तों को भी बता देता हूँ । यह कहकर विपुल ऊपर कमरे में गया तो वहाँ निशा और सुदेश पहले से ही सिर पकड़कर बैठे हुए थे । "क्या हुआ ? विपुल ने पूछा । प्रखर तो यहाँ से जाने के लिए कह रहा है। वो नहीं मानेगा, अब हम यहाँ से निकलेंगे। सुदेश बोला। कैसी बातें करते हो ? एक वीडियो और शूट कर लेते हैं। मैंने सब इंतज़ाम कर लिया है बहुत मज़ा आयेंगा। हम रातों- रात अमीर बन जायेंगे ज़रा सोचो तो।" विपुल ने कहा । "प्रखर नहीं मानेगा । वह वैसे भी बहुत परेशां लग रहा है। और हम उसे नहीं समझा सकते। और उसे अकेला भी नहीं जाने देंगे ।" निशा ने कहा । "ठीक है तुम तीनो नीचे आओ । हम वही थोड़ा सा शूट कर बाहर के दरवाज़े से बाहर निकल लेंगे ।" विपुल ने कहा ।

सभी अपना बैग लेकर नीचे बरामदे में आ गए। नीचे विपुल पहले से ही उनका इंतज़ार कर रहा था। विनय के हाथ में कैमरा था। तभी विपुल ने एकदम से शुरू करना कहा तो सबकी सब डरावनी शक्लें उनकी तरफ बढ़ने लगी और पूरा कमरा भूतों के हजूम से भर गया हो जैसे । प्रखर, निशा और सुदेश ज़ोर से चिल्लाए और भागने लगे । सब दरवाज़े की तरफ भागे तो विपुल ने उन्हें रोकते हुए कहा कि ये सब एक नाटक है पर ऐसा कुछ नहीं है। विनय सबको मना कर मत भागों । उन्होंने जैसे ही पलटकर देखा सब भूत रुक गए । तभी विपुल ने कहा- सभी को धन्यवाद। पर अब हम चलेंगे, चल विनय, चल यहाँ से," यह कहकर उसने विनय का हाथ पकड़ उसे चलने के लिए तो कहा तो उसने पूरी ताकत से विपुल को दीवार की और धकेला । सब विनय को देखने लगे उसकी आँखे लाल हो गयी और उसका सिर घूमने लगा इसका मतलब वह भी एक भूत बन चुका था । "सब के सब भागों यहाँ से" प्रखर ने कहा । चारों दोस्त दरवाज़े की तरफ़ भागने लगे। सबने दरवाज़ा खोला और भागते-भागते सड़क पर आ गए । फिर एक बंद घर के पास हाँफते-हाँफते रुक गए । "मैंने कहा था न कि कोई गड़बड़ है, मगर मेरी सुनता कौन है?" "अब भुगतो", प्रखर ने चिल्लाते हुए कहा। "मैं और नहीं भाग सकता। मैं थक गया हूँ । विपुल यह कहकर उस बंद घर के पास बैठ गया। "जल्दी से जल्दी स्टेशन पहुंचते है और यहाँ से निकलते हैं । सुदेश ने कहा । तभी उन्होंने देखा जहाँ विपुल बैठा हुआ था उस घर का दरवाज़ा अपने आप खुला और ज़ोर की आंधी आयी और विपुल को अंदर खींचकर ले गयी । सब के सब बुरी तरह डर गए और भागने लगे। आगे वो भाग रहे थे और पीछे उनके भूत बन चुका विनय भाग रहा था ।

छोटी-छोटी गलियों में भागते हुए तीनो दोस्त एक खुले घर में पहुंचे। पीछे मुड़कर देखा तो कोई नहीं था । अब क्या करे ! ऐसे तो हम सब के सब मारे जायेंगे । निशा ने रोते हुए कहा । कुछ नहीं होगा बस कुछ घंटो बाद सुबह होने वाली है फिर यहाँ से निकल जायेंगे सुदेश ने उसे गले लगाते हुए कहा। तभी प्रखर ने उस घर की तरफ देखा तो वह भी घर किसी खंडहर से काम नहीं था सामने कुछ तस्वीरें लगी थी। शायद उसी घर के लोग थे । एक जगह पूरा परिवार एक जगह कुछ बच्चों की तस्वीरें । उसी बच्चों में वह छोटी लड़की जो तस्वीर में दिखाई थी । प्रखर ने सुदेश और निशा को भी दिखाया उन्हें उन तस्वीरों में भी वही चाय वाला भैया दिखाई दिया । सब बुरी तरह डर गए। तस्वीर के पीछे लिखा था । '1919' "इसका मतलब यह लोग तो मर चुके हैं । जलियावाला बाग़ में मरने वाले लोगों में यह भी थे और वो जो हमें उस घर में दिखाई दिए वे इनका पूरा परिवार होगा तभी मैं कहो कि उनकी तस्वीर कैमरे में क्यों नहीं आयी । इसका मतलब विपुल और विनय भूतों के सच के भूतों के साथ शूटिंग कर रहे थें ओह माई गॉड" निशा ने सिर पकड़कर कर कहा । "अब क्या होगा?" सुदेश ने भी कहा ।