हूफ प्रिंट - 10 Ashish Kumar Trivedi द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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हूफ प्रिंट - 10

हूफ प्रिंट

Chapter 10

कोर्ट के आदेश पर कत्ल की जगह के आसपास की फिर से कांबिंग की गई।

जिस तालाब से लाश मिली थी उसी से अरमान का फोन बरामद किया गया।

एक और सबूत हाथ लगा। कत्ल की जगह के पास एक जगह झाड़ियां थीं। उसके पास पत्तियों पर सूखा हुआ खून मिला। जांच में सामने आया कि वह खून अरमान का था। यह सबूत उसके कत्ल वाली जगह पर होने की पुष्टि कर रहा था।

अरमान का बरामद फोन और खून की रिपोर्ट दोनों ही जज कार्तिक के सामने पेश की गई थीं।

कार्यवाही शुरू करते हुए आकाशदीप ने अरमान से सवाल किया,

"अब आप क्या कहेंगे ? किसी ने आपका ख़ून भी ले जाकर वहाँ पत्तियों पर लगा दिया। ताकि आपको फंसाया जा सके।"

संजना की तरफ देखते हुए आकाशदीप बोला,

"प्रासीक्यूटर मैडम... मैंने कोर्ट में यह साबित कर दिया कि अरमान कत्ल के समय वहाँ उपस्थित थे। इनके पास कत्ल का मोटिव भी था। कत्ल इन्होंने ही किया है।"

अरमान के खिलाफ जो सबूत मिले थे वह उसे भी शक के घेरे में ले आए थे। पर संजना ने अभी भी हार नहीं मानी थी। वह उठी और जवाब देते हुए कहा,

"निसंदेह जो सबूत मिले हैं वो यह साबित करते हैं कि श्री मानस भगनानी की तरह अरमान बिजलानी भी उसी समय कत्ल की जगह उपस्थित थे। पर इस बात का तो कोई सबूत नहीं है कि कत्ल अरमान ने ही किया है।"

संजना ने मानस की तरफ देखकर कहा,

"दोनों ही कत्ल की जगह पर थे। दोनों के पास कत्ल की वजह थी। इसलिए दोनों ही बराबरी पर खड़े है। हालांकि श्री मानस भगनानी के पास कत्ल करने का सॉलिड मोटिव था।"

"योर ऑनर प्रासीक्यूटर का कहना है कि दोनों बराबरी पर खड़े हैं। बल्कि मानस के पास कत्ल की अधिक ठोस वजह है। पर मैं कहता हूँ कि मेरे क्लाइंट और अरमान बराबरी पर नहीं हैं।"

आकाशदीप ने अरमान की तरफ इशारा किया।

"मेरे क्लाइंट ने अपनी बात सच सच कोर्ट के सामने रखी थी। लेकिन अरमान ने शुरू से ही झूठ बोला। इनका झूठ बोलना साबित करता है कि कत्ल इन्होंने ही किया है।"

दलील सुनकर अरमान घबरा गया। अपना पक्ष रखते हुए बोला,

"योर ऑनर मैं मानता हूँ कि मैंने कोर्ट से झूठ बोला। मैं कत्ल वाले दिन वहाँ उपस्थित था। पर मैंने कत्ल नहीं किया है।"

आकाशदीप ने कहा,

"आपके पास इसका क्या सबूत है ? क्यों माना जाए कि आप सच बोल रहे हैं ?"

संजना ने तुरंत ही अरमान के बचाव में कहा,

"आपके पास क्या सबूत है कि आपके क्लाइंट श्री मानस ने कत्ल नहीं किया है ?"

"वो मैं साबित कर दूँगा। अब मैं अरमान से कहूँगा कि वो सारी बात सच सच बताएं।"

अरमान सारी बात बताने को तैयार हो गया। जज को संबोधित करते हुए वह बोला,

"उस रात होटल जाने से पहले मैं अदा गया था। जब मैं पहुँचा तो वहाँ कोई नहीं था। मुझे मिलिंद के केबिन से उसकी आवाज़ आती सुनाई दी। जब मैं केबिन के दरवाज़े पर पहुँचा तो मिलिंद को कहते सुना कि मानस तुम उस श्वेता को छोड़ दो। मैं तुम्हें बहुत खुश रखूँगा। हमने एक समय इतना अच्छा वक्त साथ बिताया है।"

सभी अरमान की बात ध्यान से सुन रहे थे।

"यह सुनकर मैं वहीं छुप कर सारी बातें सुनने लगा। बात के अंत में मिलिंद ने कहा कि उसके पास कुछ ऐसा है जो मानस की इज्ज़त की धज्जियां उड़ा देगा। मुझे समझ आया कि अगले दिन वह मानस से उसके स्टड फार्म हूफ प्रिंट के पास मिलना चाहता है। मैं बिना मिलिंद से मिले वहाँ से चला आया।"

अरमान कुछ देर रुका। फिर एक निगाह कोर्ट रूम पर डाल कर बोला,

"होटल में दीपिका के साथ कुछ वक्त बिताने के बाद मैं अपने घर चला गया। रात भर मेरे दिमाग में यही घूमता रहा कि आखिर मिलिंद के पास ऐसा क्या है जो वह मानस को धमका रहा था। मैंने वहाँ जाकर पता करने का फैसला किया। अगले दिन मैंने अपनी बाइक ली। मिलिंद की बिल्डिंग के बाहर जाकर इंतज़ार करने लगा। जब उसकी कार निकली तो पीछा करते हुए उस जगह पर पहुँच गया। मैं कुछ दूरी पर झाड़ियों के पीछे छुपकर सब देखने लगा। मिलिंद ने किसी रिकॉर्डिंग की बात कर एक करोड़ मांगे। मानस ने उसे समझाया कि वह उसे समय दे। मैं सब देख रहा था। असावधानी में मुझे एक कांटे से खंरोच लग गई। खून निकलने लगा। तभी मुझे अपने पास कुछ दूरी पर हलचल सी लगी। मुझे लगा कि कोई और भी वहाँ है। मैं डर गया और वहाँ से भाग निकला।"

आकाशदीप ने सवाल किया,

"तुम्हारा फोन तालाब में कैसे गया ?"

"मैं वहाँ से भाग कर घर चला गया। मैं इस उलझन में था कि वहाँ और कौन था जो हम लोगों को देख रहा था। मैंने बहुत देर तक ध्यान नहीं दिया। पर जब मुझे अपने मोबाइल की याद आई तो मैंने पाया कि वह मेरे पास था ही नहीं। तब मुझे लगा कि शायद वहीं गिर गया होगा।‌ पर डर कर मैंने पुलिस को कोई खबर नहीं दी। अगले दिन मनीषा के बुलावे पर मुझे मानस की इंगेजमेंट में जाना पड़ा। मैं यह भी देखना चाहता था कि मानस की हालत कैसी है। पर सर वो तो एकदम निश्चिंत लग रहा था। जिस बेफिक्री से सबसे मिल रहा था उससे लग ही नहीं रहा था कि किसी ने उसे ब्लैकमेल कर एक करोड़ रुपए मांगे हैं।"

अरमान की आखिरी बात सुनते ही संजना ने कहा,

"योर ऑनर अरमान की कही बात पर गौर कीजिए। श्री मानस भगनानी अपनी इंगेजमेंट में एकदम निश्चिंत थे। जबकी मृतक ने उनसे इतनी बड़ी रकम मांगी थी। पार्टी के फोटोग्राफ भी यही गवाही देते हैं। इसका मतलब यही निकलता है कि इन्होंने मिलिंद को मार कर अपने रास्ते का कांटा हटा दिया था।"

आकाशदीप ने फौरन जवाब दिया,

"मेरे क्लाइंट बेफिक्र इसलिए थे कि उन्हें यकीन था कि मिलिंद अभी कुछ नहीं करेगा। क्योंकी उन्होंने पैसे की व्यवस्था करने की मोहलत ले ली थी। पर मैं प्रासीक्यूटर से एक बात का जवाब चाहूँगा कि अरमान का फोन तालाब में किसने फेंका और क्यों ?"

संजना के पास इस बात का कोई जवाब नहीं था। आकाशदीप ने अरमान से पूँछा,

"आपने डर की वजह से अपने फोन के खो जाने की रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई।"

"हाँ यही बात है। उस वक्त फोन के चोरी होने की बात मेरे दिमाग में नहीं आई थी। इंगेजमेंट के अगले दिन न्यूज़ में सुना कि मानस के स्टड फार्म के पास तालाब में मिलिंद की लाश मिली है। बाद की तफ्तीश में सारा इल्ज़ाम मानस पर आ गया। मैं निश्चिंत हो गया। पर जब मुझे कोर्ट का समन मिला तो मेरे दिमाग ने काम करना शुरू कर दिया। मैंने फोन के चोरी होने की बात कह दी।"

केस एक अजीब सी स्थिति में आ गया था। कत्ल के दो संदिग्ध थे। पर ठोस सबूत किसी के विरूद्ध नहीं था।

केस की अगली तारीख देते हुए जज कार्तिक ने कहा कि अरमान की बात पर यकीन कर कत्ल वाली जगह जहाँ अरमान को किसी के होने का शक था, जांच कराई जाए।

मानस तैयार होकर नीचे आया तो देखा कि श्वेता अपने पापा कैलाश के साथ बैठी उसकी राह देख रही थी। कैलाश ने कहा,

"बेटा तुमने कहा था कि जब तक केस चल रहा है श्वेता तुमसे ना मिले। पर इसका मन ही नहीं मान रहा था। इसलिए इसे लेकर आ गया।"

"अंकल ये कोर्ट की सुनवाई में आना चाहती थी। मैंने मना किया क्योंकी वहाँ मीडिया पचास सवाल पूँछती। इसके लिए जवाब देना कठिन हो जाता।"

श्वेता ने जवाब दिया,

"पर तुमने तो कहा था कि मिलना ही नहीं।"

"मैं नहीं चाहता कि इस बीच मीडिया को हमें तंग करने की कोशिश करे। इसलिए कहा था।"

"पर मुझे कितनी तकलीफ़ हो रही है इससे। मैं इस वक्त तुम्हारे साथ रहना चाहती थी।"

कहते हुए श्वेता भावुक हो गई।

"श्वेता मुझे पता है कि तुम मेरे साथ हो। आई एम थैंकफुल फॉर दैट।"

किशनचंद ने कहा,

"इसे अपने कमरे में ले जाओ। कुछ देर इसके साथ बात कर तसल्ली दो।"

मानस श्वेता को लेकर अपने कमरे में चला गया।

किशनचंद और कैलाश आपस में बात करने लगे।

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