हूफ प्रिंट - 9 Ashish Kumar Trivedi द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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हूफ प्रिंट - 9

हूफ प्रिंट

Chapter 9

आकाशदीप जानता था कि अरमान अभी भी पूरा सच नहीं बता रहा है।

उसने अरमान की तरफ देख कर कहा,

"आप एक पढ़े लिखे इंसान हैं। जानते होंगे कि मोबाइल फोन के चोरी होने की रिपोर्ट लिखाना आवश्यक है। आपके फोन का दुरुपयोग हो सकता है। पर आपने रिपोर्ट नहीं लिखाई।"

"मुझे सब पता है पर मैं नहीं चाहता था कि वह बात सबके सामने आए।"

"आपकी बात गले नहीं उतर रही है। क्योंकी अभी भी आप पूरी बात नहीं बता रहे हैं।"

आकाशदीप ने कोर्ट के सामने एक अहम जानकारी रखते हुए कहा,

"योर ऑनर इन्होंने अपने हैवेन होटल जाने की बात स्वीकार की है। पर एक बात नहीं बताई। होटल जाने से पहले ये मिलिंद के फैशन हाउस अदा पर कुछ देर रुके थे। इस बात की पुष्टि अदा के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज से हो रही है। मैं चाहूँगा कि अरमान बताएं कि वो अदा क्या करने गए थे।"

"हाँ मैं मानता हूँ कि मैं अदा में कुछ समय के लिए रुका था। वो उस रात मिलिंद से बात हुई तो उसनमुझे बताया कि ईवेंट के लिए ड्रेस तैयार है। वह उस समय अपने ऑफिस में है। मैं आकर ट्रायल ले लूँ ताकि जो ऑल्टरेशन आवश्यक हैं किए जा सकें।"

"तो आपने ट्रायल लिया था ?"

"हाँ सब कुछ ठीक था। मैं वहाँ से होटल चला गया।"

"नहीं.... आपने ट्रायल लिया ही नहीं।"

आकाशदीप ने जज कार्तिक से मिलिंद के लिव इन पार्टनर रमन सिंघवी को विटनेस बॉक्स में बुलाने की इजाज़त मांगी।

रमन सिंघवी विटनेस बॉक्स में हाजिर हुआ। आकाशदीप ने उससे सवाल किया,

"उस रात आपने अरमान को अदा में देखा था ?"

"जी..."

"क्या देखा आपने ?"

"मैं मिलिंद से मिलने अदा गया था। जब मैं वहाँ पहुँचा तो मैंने अरमान को बाहर निकलते देखा। मैंने जब मिलिंद से इस बारे में पूँछा तो उसने बताया कि वह अरमान से मिला ही नहीं।"

"थैंक्यू....अब आप जा सकते हैं।"

रमन चला गया। आकाशदीप ने अरमान को दोबारा विटनेस बॉक्स में आने को कहा।

"अब बताइए अरमान जब आप मिलिंद से मिले ही नहीं तो ट्रायल कैसे लिया ? आप करीब बीस मिनट वहाँ रहे। इतनी देर तक आप क्या करते रहे ?"

रमन की गवाही से अरमान का झूठ पकड़ा गया था। कुछ पल चुप रहने के बाद वह बोला,

"ये सही है कि मैं मिलिंद से नहीं मिला। जब मै वहाँ पहुँचा तब मिलिंद मानस से बात कर रहा था। मैंने मिलिंद को बातें करते सुना। बातचीत से मुझे मामला गंभीर नज़र आया। मैं वहाँ से निकल गया।"

"योर ऑनर फोन चोरी हो जाने की कहानी इनकी बनाई हुई है। दरअसल जब इनको पता चला कि मिलिंद और मानस स्टड फार्म के पास मिलने वाले हैं तो अगले दिन ये उसका पीछा करते हुए वहाँ पहुँचे। इन्होंने मिलिंद को ब्लैकमेल करते सुना। मानस के जाने के बाद इन्होंने मिलिंद को मार कर लाश तालाब में फेंक दी। जिससे मानस को फंसाया जा सके।"

आकाशदीप की दलील सुनकर अरमान बोला,

"मैं फोन चोरी होने की झूठी कहानी क्यों बताऊँगा। यह बता कर कि मैं एक प्रास्टीट्यूट के साथ था मैं अपनी बदनामी का रिस्क क्यों लूँगा।"

"एक बड़े रिस्क से बचने के लिए आपने छोटा रिस्क लेना बेहतर समझा। आप उस दिन होटल हैवेन में एक प्रास्टीट्यूट के साथ थे। पर आपका फोन चोरी नहीं हुआ। ये बात तो आपने इसलिए कही कि साबित कर सकें कि कोई और आपका फोन लेकर कत्ल की जगह पर गया था।"

संजना अब तक चुप थी। वह अपनी जगह से उठी और अपनी दलील देते हुए बोली,

"योर ऑनर.... अरमान बिजलानी ने कहा है कि उनका फोन चोरी हो गया था। हाँ उनसे यह बड़ी भूल हुई कि उन्होंने उसके चोरी की रिपोर्ट नहीं लिखाई। उसी भूल के कारण बचाव पक्ष के वकील बात को अपने पक्ष में मोड़ रहे हैं। पर मैं उनसे पूँछना चाहूँगी कि अरमान के पास कत्ल का क्या मोटिव हो सकता है ? जैसा इनके क्लाइंट श्री मानस भगनानी के पास था।"

संजना के सवाल ने एक बार फिर कोर्ट में उपस्थित लोगों में हलचल पैदा कर दी।

संजना का सवाल वाजिब था। बिना कत्ल का मोटिव साबित किए अरमान पर इल्ज़ाम लगाना कोई मायने नहीं रखता था।

आकाशदीप ने अरमान से सवाल किया,

"आप मेरे क्लाइंट मानस की बहन मनीषा भगनानी के साथ एक लंबे समय से डेट कर रहे हैं। क्या ये सही है ?"

"जी सही है। मैं और मनीषा एक दूसरे को स्कूल के समय से जानते हैं। पिछले चार साल से हम एक दूसरे को डेट कर रहे हैं।"

"पर मनीषा के भाई मेरे क्लाइंट मानस आप दोनों के रिश्ते को बिल्कुल भी पसंद नहीं करते थे। एक बार आप लोगों का इस बात को लेकर झगड़ा भी हुआ था। उस झगड़े का मैं भी गवाह रहा हूँ।"

संजना ने आकाशदीप को टोंकते हुए कहा,

"मान लेते हैं कि श्री मानस और इनके बीच मनमुटाव था। पर ध्यान देने वाली बात ये है कि हत्या मिलिंद की हुई है। मिलिंद की हत्या अरमान क्यों करेंगे ?"

"योर ऑनर मैं उसी प्वाइंट पर आ रहा था। मेरे क्लाइंट मानस अरमान और मनीषा के रिश्ते को पसंद नहीं करते थे। अरमान उन्हें अपने रास्ते से हटाना चाहते थे। अतः इन्होंने मिलिंद की हत्या कर दी। ताकि उसके इल्ज़ाम में मानस को फंसा सकें।"

यह सुनकर अरमान बोला,

"ये बेकार की बात है। मैं मानता हूँ कि मानस हमारे रिश्ते के खिलाफ था। पर मुझे मनीषा का पूरा सपोर्ट था। जरुरत पड़ने पर अपने भाई के खिलाफ जाकर भी मेरा साथ देती। फिर भला मैं मानस को अपने रास्ते से क्यों हटाना चाहता।"

संजना ने अरमान की बात को आगे बढ़ाते हुए कहा,

"योर ऑनर एक बात और भी है। बचाव पक्ष के वकील का कहना है कि कि अरमान ने सुना कि मिलिंद मानस को ब्लैकमेल कर रहे हैं। फिर उन्हें कत्ल करके मानस को फंसाने की क्या जरूरत थी। मानस बदनाम हो जाता तो कुछ करने की स्थिति में ही नहीं रहता।"

"योर ऑनर क्योंकी अरमान जानते थे कि मानस पैसे देकर मिलिंद को शांत करा देंगे। तब इन्हें लगा कि मानस फंसाने के लिए मिलिंद की हत्या कर लाश तालाब में फेंक दें। इन्होंने वैसा ही किया। बाद में इन्हें लगा कि मोबाइल लोकेशन से पकड़े जा सकते हैं। इसलिए फोन स्विच ऑफ कर वहीं कहीं फेंक दिया। अब उसके चोरी होने की झूठी कहानी रची।"

आकाशदीप ने जज कार्तिक से कहा,

"मेरी माननीय कोर्ट से गुज़ारिश है कि कत्ल की जगह के आसपास फोन की तलाश कराई जाए।"

आकाशदीप की बात मान कर जज ने फोन तलाश करने का आदेश देकर कार्यवाही अगली सुनवाई तक के लिए टाल दी।

मानस घर लौटा तो सीधे मनीषा के कमरे में पहुँचा। वह जानता था कि आज कोर्ट में जो कुछ हुआ उससे मनीषा अपसेट थी। कार्यवाही के बीच में ही उठ कर चली गई थी।

मानस ने दरवाज़ा नॉक किया। मनीषा ने दरवाज़ा खोला। वह बहुत दुखी लग रही थी।

मानस कमरे में चला गया।

"मनीषा आई नो कि आज जो कुछ भी कोर्ट में हुआ उससे तुम्हें बहुत तकलीफ़ हुई। मैं तुम्हें तकलीफ नहीं देना चाहता था। लेकिन अरमान को कोर्ट में बुलाना ज़रूरी था।"

मनीषा ने हाथ पकड़ कर मानस को बैठाया।

"पहले मुझे बुरा लगा था कि आप लोग क्यों इस केस में अरमान को घसीट रहे हैं। मुझे उम्मीद थी कि अरमान बेगुनाह साबित हो जाएगा। तब मैं आप लोगों से सवाल करूँगी। पर अरमान ने जो खुलासा किया उसके बाद मुझे लगा कि जो हुआ वह ठीक था। अब चाहे वह केस से बच भी जाए। पर मैं उसे माफ नहीं करूँगी।"

"मनीषा... अरमान के चरित्र के बारे में बोलने का मुझे कोई हक नहीं है। मैंने खुद बहुत सी गलतियां की हैं। पर आकाशदीप की दलीलों ने उसे फंसा अवश्य दिया है।"

"अरमान बेगुनाह साबित होगा या गुनहगार मैं नहीं जानती। पर आप बेगुनाह हैं इसका मुझे पूरा यकीन है।"

अपनी बहन का सपोर्ट पाकर मानस को बल मिला। वह बोला,

"थैंक्यू मनीषा...आई नीड दिस सपोर्ट। मेरी वजह से इस उम्र में भी पापा को यह सब झेलना पड़ रहा है।"

"पापा का भी पूरा सपोर्ट है भाई। वो हियरिंग में नहीं जाते। पर उन्हें एक एक डीटेल पता है।"

मनीषा के कमरे से निकल कर मानस अपने पापा के पास गया। उनके गले लग कर अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगी।

किशनचंद्र ने उसे सीने से लगा कर ढांढस बंधाया।

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