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हूफ प्रिंट - 6

हूफ प्रिंट

Chapter 6

मुंबई के गोरेगांव सेशंस कोर्ट के बाहर बहुत हलचल थी। आज मानस भगनानी के केस की पहली सुनवाई थी।

मीडिया ने सुनवाई शुरू होने से पहले ही अपना अपना फैसला सुनाना शुरू कर दिया था। बीती रात एक मशहूर न्यूज़ चैनल के प्राइम टाइम शो में यह घोषणा कर दी गई थी कि केस जल्दी ही खत्म हो जाएगा। हत्या मानस ने ही की है।

कुछ न्यूज़ चैनल मानस के अफेयर्स के आधार पर उसके चरित्र की चीर फाड़ कर रहे थे।

प्रिंट मीडिया का भी ऐसा ही हाल था।

कोर्ट के बाहर खड़े मीडिया के लोगों में अचानक भगदड़ सी मची जब अभियोग पक्ष की वकील संजना बलसावर की गाड़ी कोर्ट के गेट पर पहुँची। सब उनकी एक झलक को कैमरे में कैद कर लेने को परेशान थे।

बावन साल की संजना बहुत ही काबिल वकील थीं। उनका अब तक का रिकॉर्ड बहुत अच्छा था। सरकार का पक्ष रखते हुए कई बार अपनी दलीलों से वह डिफेंस की छुट्टी कर देती थीं। कई नामी डिफेंस के वकील उनसे घबराते थे।

संजना की कार के कोर्ट परिसर में घुसने के कुछ ही देर बाद मानस की कार आई। उसके साथ उसके पापा और आकाशदीप थे।

मानस की गाड़ी देखते ही मीडिया के लोग उस पर टूट पड़े। रिपोर्टर मानस या आकाशदीप से एक बाइट चाहते थे। बड़ी कठिनाई से कार कोर्ट परिसर में दाखिल हो पाई।

इस केस में आकाशदीप की भी बहुत चर्चा हो रही थी। अपने काम के कारण उसकी छवि एक तेज तर्रार वकील की थी। वह बहुत स्मार्ट था। कई बार अपनी वाकपटुता का प्रयोग कर विपरीत परिस्थिति को अपने पक्ष में कर लिया था।

एक बात और थी जिसके कारण वह वकालत के क्षेत्र में जाना जाता था। उसका मज़ाकिया लहज़ा। कई बार जब कोर्ट में बहस के दौरान माहौल बहुत तनावपूर्ण हो जाता था तो वह कुछ ना कुछ ऐसा कह देता था जिससे माहौल का तनाव कम हो जाता था।

संजना बलसावर एक सीनियर वकील थीं। आकाशदीप उन्हें अपना आदर्श मानता था। कोर्ट रूम के बाहर दोनों की भेंट हो गई। आकाशदीप ने उन्हें नमस्ते किया। संजना ने उसके नमस्ते का जवाब देते हुए कहा,

"बहुत सुना है तुम्हारे बारे में। सुना है कोर्ट में चुटकुले सुनाते हो।"

"मैम बस कोशिश करता हूँ कि माहौल कुछ हल्का फुल्का रहे। पर कोर्ट की मर्यादा का ध्यान रखता हूँ।"

संजना मुस्कुरा दीं।

"ऑल द बेस्ट...."

"थैंक्यू मैम आपकी शुभकामनाओं की ज़रूरत है।"

संजना ने पास खड़े मानस की तरफ देखकर कहा,

"इस बार आसान नहीं होगा। बहुत मेहनत करनी पड़ेगी।"

संजना कोर्ट रूम के अंदर चली गईं। आकाशदीप मानस को कुछ बातें समझाने लगा। उसने अपनी घड़ी देखी। कुछ ही मिनटों में केस की सुनवाई शुरू होने वाली थी।

नैना दुबे कोर्ट के बाहर ऑटो से उतरी। उसे पैसे देकर अंदर की तरफ भागी। कुछ ही मिनटों में केस शुरू होने वाला था। तेजी से चलती हुई वह आकाशदीप के पास आई। उसने नैना से पूँछा,

"कहाँ रह गई थीं तुम ?"

"सॉरी सर...मेरी स्कूटी ने धोखा दे दिया।"

"नॉट द फर्स्ट टाइम। तुम इस इस तरह से उससे चिपकी हो जैसे तुम्हारा पहला प्यार हो।"

"सर... उससे कम नहीं है।"

"ओके अब अंदर चलो।"

तीनों लोग कोर्ट रूम के अंदर चले गए।

केस के जज कार्तिक रंगनाथ का यह पहला केस था। उन्हें सीधी सिफारिश से यह ओहदा मिला था। इससे पहले उन्हें क्रिमिनल केस लड़ने का बारह साल का अनुभव था।

जज कार्तिक रंगनाथ के कोर्ट में आने पर सभी ने खड़े होकर उनका स्वागत किया। कोर्ट को ऑर्डर में करने के बाद उन्होंने सुनवाई शुरू करने को कहा।

संजना बलसावर अपना ओपनिंग स्टेटमेंट देने के लिए उठीं। उन्होंने जज रंगनाथ को संबोधित करते हुए कहा,

"योर ऑनर ये केस है फैशन हाउस अदा के मालिक श्री मिलिंद तलपड़े की हत्या का। जिनका मृत शरीर एक तालाब में तैरता पाया गया था। उनकी हत्या तालाब से करीब पचास मीटर दूर जंगल में हुई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक हत्या सर के पीछे किसी भारी वस्तु से वार कर की गई। बाद में लाश को खींच कर तालाब तक लाया गया और फिर उसे तालाब में फेंक दिया गया।"

संजना घूमीं और कटघरे में खड़े मानस की तरफ इशारा करके कहा,

"जिस तालाब में लाश मिली वह कामयाब बिज़नेसमैन श्री मानस भगनानी की प्रापर्टी में है जो कि इनके स्टड फार्म हूफ प्रिंट के पास ही है। पुलिस की जांच में सामने आया कि जो समय हत्या का बताया जा रहा है उस समय श्री मानस भगनानी हत्या की जगह पर मौजूद थे।"

संजना ने कुछ साक्ष्य जज रंगनाथ के सामने प्रस्तुत करते हुए कहा,

"इस बात का सबूत है कत्ल की जगह पर मिले बूट के निशान। जो श्री मानस भगनानी के शू साइज़ से मिलते हैं। साथ ही वहाँ घोड़े के खुर का भी निशान मिला है। श्री मानस भगनानी संभावित समय पर अपने स्टड फार्म गए थे और हमेशा की तरह अपने पसंदीदा घोड़े वायु पर बैठ कर आसपास सैर करने भी निकले थे। जैसा इन्होंने पुलिस को बताया है।"

संजना एक बार फिर रुकीं। कुछ और तस्वीरें सबूत के तौर पर रखते हुए बोलीं,

"इनमें से एक तस्वीर उस पत्थर की है जिससे वार किया गया। इस पर मृतक का खून लगा है। इस संबंध में रिपोर्ट भी आपको पेश की गई है। पत्थर पर उंगलियों के निशान नहीं हैं। कत्ल करते समय दस्तानों का प्रयोग हुआ होगा। दूसरी तस्वीर में लाश को घसीटे जाने के निशान हैं जो कत्ल की जगह से तालाब की दिशा की ओर हैं।"

कोर्ट रऊम में पूरी तरह से शांती थी। आकाशदीप संजना बलसावर के ओपनिंग स्टेटमेंट को ध्यान से सुन रहा था। वह कुछ आवश्यक चीजें नोट कर रहा था।

संजना ने आगे कहा,

"योर ऑनर श्री मानस भगनानी ने मृतक मिलिंद तलपड़े को जानते थे। मृतक मिलिंद तलपड़े उनके लिए ड्रेस डिज़ाइन करते थे। पिछले कुछ दिनों से मृतक और श्री मानस भगनानी की फोन पर बातचीत हो रही थी। हत्या के दिन से एक रात पहले भी दोनों की फोन पर बातचीत हुई थी। शायद श्री मानस भगनानी ने मृतक को वहाँ बुलाया। अगले दिन वह अपने स्टड फार्म गए। अपने घोड़े पर बैठकर उस जगह पहुँचे जहाँ मृतक इनकी प्रतीक्षा कर रहा था। किसी बात पर इनके बीच कहा सुनी हुई। गुस्से में श्री मानस भगनानी ने श्री मिलिंद तलपड़े को मार दिया। उसके बाद लाश को घसीट कर तालाब तक ले गए और उसमें फेंक कर चले आए।"

अपना स्टेटमेंट समाप्त कर संजना बलसावर जाकर अपनी जगह पर बैठ गई।

आकाशदीप उठा और वेल में जाकर खड़ा हो गया। कुछ क्षणों तक वह चुप रहा। सभी इंतज़ार में थे कि वह मानस के बचाव में क्या बोलने वाला है। जज रंगनाथ से मुखातिब होकर उसने अपनी जिरह शुरू की।

"प्रासीक्यूटर एक बहुत ही अनुभवी और काबिल वकील हैं। मैं उनका सम्मान करता हूँ। पर जो कुछ भी उन्होंने कहा उस संबंध में मैं कुछ बिंदुओं की तरफ ध्यान खींचना चाहता हूँ।"

आकाशदीप संजना की तरफ देखकर बोला,

"सबसे पहले प्रासीक्यूशन का यह कहना कि मेरे क्लाइंट मानस के बूट का निशान और घोड़े के खुर का निशान कत्ल की जगह पर मिला। यह साबित करता है कि मेरे क्लाइंट कत्ल की जगह पर गए थे। पर कत्ल के समय गए थे और उन्होंने कत्ल किया इसे पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता। मेरे क्लाइंट ने पुलिस को बताया था कि वह कत्ल के संभावित समय के पास अपने स्टड फार्म पर गए थे। वह अपने प्यारे घोड़े पर बैठकर घूमने भी निकले थे। हो सकता है वह कत्ल से पहले उस जगह पहुँचे हों। वहाँ किसी कारण से घोड़े से उतरे हों। जिसकी वजह से बूट का निशान बना हो। घोड़े के खुर का निशान छूट गया हो। मेरे क्लाइंट के वहाँ से वापस लौटने के बाद मिलिंद वहाँ पहुँचा और उसका किसी और ने कत्ल कर दिया।"

संजना अपनी जगह से उठी और जज की इजाज़त लेकर बोली,

"बचाव पक्ष के वकील अच्छे तर्क दे लेते हैं। पर एक बात का खयाल इन्हें नहीं रहा। श्री मानस भगनानी की मृतक से एक रात पहले बात होती है। अगले दिन वह स्टड फार्म में जाते हैं जिसके पास ही मृतक का शव मिलता है। क्या ये महज इत्तेफाक था। नहीं ये इत्तेफ़ाक नहीं हो सकता। क्योंकी उसके अगले दिन ही श्री मानस भगनानी की सुश्री श्वेता रामचंद्रन के साथ इंगेजमेंट थी। ऐसे में एक दिन पहले उनका इतनी दूर अपने स्टड फार्म पर जाने का मतलब है कि वह मिलिंद से मिलना चाहते थे। उन्होंने ने ही उन्हें वहाँ बुलाया था।"

आकाशदीप ने जवाब दिया,

"चलिए मान लेते हैं कि मेरे क्लाइंट मानस ने ही मिलिंद को बुलाया था। पर ऐसा भी हो सकता है कि उनके मिलिंद से मिल कर जाने के बाद किसी और ने उसे मार दिया हो।"

संजना ने उठ कर कहा,

"आप ऐसा कैसे कह सकते हैं ?"

"ऐसा कहने के पीछे एक कारण है। अगर मेरे क्लाइंट ने कत्ल किया होता तो वह लाश को ऐसी जगह फेंकते जहाँ कोई देख ना पाता। लाश को तालाब में ना फेंकते बल्कि कत्ल वाली जगह से महज तीस मीटर दूर एक गढ्ढा है। उसमें फेंक देते। जिसने मिलिंद को मारा वह मेरे क्लाइंट मानस को फंसाना चाहता था। उसे पता था कि स्टड फार्म का साईस नंदन अक्सर उस तालाब पर जाता है। लाश फूल कर ऊपर आ जाएगी। नंदन उसे देखकर पुलिस को फोन कर देगा।"

"कौन हो सकता है वह ?"

"मैम अभी मैं उसके बारे में नहीं बता सकता हूँ। पर वो जो भी हो उसकी मेरे क्लाइंट मानस से दुश्मनी होगी। मैं कोर्ट से आग्रह करूँगा कि अगली सुनवाई तक कुछ समय दिया जाए।"

जज कार्तिक रंगनाथ ने केस की सुनवाई वहीं रोक कर दस दिन बाद की तारीख दे दी।

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