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कब्रिस्तान का रहस्य

मै कहती हूं रामू के काका आज के बाद रामू पानी भरने वहां नहीं जाएगा। जाना होगा तो तुम ही जाओ नहीं तो मै खुद ही जा कर पानी भर लाऊंगी। अरे लेकिन रामू की काकी, ऐसी क्या बात हो गई जो रामू पानी भरने नहीं जाएगा? किसी ने कुछ कहा क्या? वहां भूतों के सिवा है ही कौन जो कोई कुछ कहेगा। और रही बात पानी की तो रामू वहां नहीं जाएगा, जाना ही होगा तो दूर ही सही पहाड़ी के उस पार चला जाएगा। एक तो कान जब्त है और उस पर से घर में भी पगड़ी लगी रहती है सिर पर। अरे रामू की काकी अब बताओगी की बात क्या है ?

बात ये है कि, रास्ते में वो जो बबूल के पेड़ के पास कब्रिस्तान पड़ता है। एक तो वह बबूल का पेड़ इतना पुराना होने के बाद भी जैसा का तैसा है कांटे बिखेरता हुआ। और वह कब्रिस्तान हमेशा आवाज जैसी शंका बनी रहती है रामू के मन में। वहां पहुंचते ही जैसे कोई उसे पास बुलाना चाहता हो और बेटा कह कर बुलाता हो। यह सब बात रामू ही कह रहा था, मुझे तो बहुत डर लगता है उसे उस रास्ते से पानी के लिए भेजते हुए।

अरे रामू की तुम भी खामखा चिंता करती हो, रामू कोई बच्चा तो है नहीं, अब तो वह पूरे तेरह साल का हो चुका है। जल्द ही उसका विवाह भी कर दूंगा फिर तुम्हे भी खाना - दाना से कुछ तो फुरसत मिल ही जाएगी। काका - काकी मै आज कब्रिस्तान वाले कुएं से ही पानी भर लाता हूं नहीं तो अंधेरा हो जाएगा फिर आज पानी नहीं मिल पाएगा। ठीक है बेटा रस्सी कोठरी में रख दी हूं ले लेना। रामू रस्सी और बाल्टी लेकर जैसे ही उस कब्रिस्तान वाली जगह पहुंचा अचानक आवाज आई सलीम तुम मेरे सलीम हो। रामू आस पास देखने लगा पर वहां कोई नजर नहीं आया, रामू कुआं तक जा पहुंचा और पानी निकालने के लिए जैसे ही रस्सी ढीली अचानक ऐसा लगा जैसे रस्सी किसी ने खींच ली हो, और बड़ी चंचलता से रामू ने रस्सी बचाई। रामू डर गया था कि आज क्या कुछ होने वाला है क्या उसके साथ। तभी एकाएक पीछे से किसी ने आवाज दी तुम पानी लेने आए हो, रामू ने झट से पलट कर देखा तो एक लड़की सूट दुपट्टा में उसके सामने खड़ी थी। रामू ने कहा हां पानी लेने आया हूं, लेकिन तुम कौन हो ? यहां तो पहले कभी नहीं देखा। लड़की ने कहा मै तुम्हारी मदद करने आई हूं, लाओ रस्सी दो मै पानी निकाल देती हूं। इतना कह कर लड़की ने रस्सी ले लिया और कहने लगी - तुम कल भी पानी लेने यहीं आना मै कल भी आऊंगी। लेकिन तुम हो कौन ? और मै कल से यहां नहीं आऊंगा मुझे डर लगता है, उस कब्रिस्तान से और उस बबूल के पेड़ से गिरे कांटो से। नहीं बेटा तुम्हे डरने की आवश्यकता नहीं है वह कब्रिस्तान मेरा घर है और मै वहीं रहती हूं, तुम आना वहां कुछ नहीं होगा। लो पानी और रस्सी लो और जाओ लेकिन यहां आना बंद मत करना नहीं तो मै हमेशा तड़पती रहूंगी। रामू घर आया और काकी को सारा किस्सा कह सुनाया। काकी बहुत चिंतित हुई और बीती बातें सोचने लगी जब कमला और सरजू शाम को खेत का काम कर के लौट रहे थे और अचानक किसी के रोने की आवाज सुन कर दौड़ पड़े उस सुनसान कब्रिस्तान की तरफ जहां अंधेरे में दर्द से कराहती एक बच्ची किसी बच्चे को जन्म देकर असहनीय पीड़ा को दबाने की कोशिश कर रही थी। कमला देखते ही, अरे भगवान यह क्या गजब खेल है ईश्वर कह कर बच्चे को गोद में उठा लिया और लड़की से पूछने लगी, तुम कौन हो बेटी ? और कहा से आई हो ? मै एक बेबस और लाचार स्त्री हूं जिसे ना ही लड़की कहा जा सकता है और ना ही औरत। मै किसी के हवस का शिकार और अब तक मंजिल की तलाश में भटकते हुए यहां आ पहुंची, अब कब्रिस्तान ही मेरी मंजिल है। कमला ने कहा नहीं बेटी मै तुम्हे अपने साथ ले चलती हूं मेरे घर वहां सब ठीक हो जाएगा। लड़की ने कहा काकी यदि तुम ले जाना चाहती हो तो इस बच्चे को ले जाओ और इसे अपने साथ रखना अब मेरी हिम्मत नहीं हो रही है कि मै जीवित रह सकूंगी। सरजू कुछ बोल पाता तब तक लड़की की सांस टूट चुकी थी। अंधेरा पूरी तरह से छा चुका था तब भी सरजू ने कुदार लेकर गड्ढा खोद कर उसे उसी कब्रिस्तान में दफ़न कर दिया और बच्चे को लेकर दोनों घर आ गये। कमला ने रामू की सारी बातें सरजू को का सुनाई तब सरजू बहुत कुछ सोचने के बाद कहा रामू से कहना - बेटा कल तुम उसके पास जाना तो पूछ लेना तुम इस कब्रिस्तान में रहना चाहती हो या कहीं और जाना है। रामू अगले दिन फिर उसी समय पानी लेने पहुंचा तो वहां कोई नहीं था लेकिन पानी लेकर लौटने की तैयारी में ही था कि तभी लड़की की आवाज आई बेटा रुको आज तुम्हे जी भर कर देखना चाहती हूं। रामू ने कहा - काकी ने कहा है कि तुम यहां रहना चाहती हो या कहीं जाना है। लड़की ने कहा बेटा उनसे कहना मै अपनी अवधि पूरी कर चुकी हूं, और अब तुम्हे तुम्हारे काका - काकी के साथ हमेशा के लिए छोड़ कर जा रही हूं। तुम हमेशा पानी भरने यहां आना लेकिन इस नाजायज कब्रिस्तान में कभी मत आना। रामू ने कहा ठीक है लेकिन तुम हो कौन ? तब लड़की ने कहा बेटा मै तुम्हारी मां हूं और तुम्हे प्यार से सलीम कहा करती हूं। लेकिन मै तो रामू हूं और मेरी मां मेरी काकी हैं। लड़की ने कहा हां बेटा तुम्हारे जीवन पर सिर्फ तुम्हारे काका - काकी का ही अधिकार है, जन्म देने वाले का जितना अधिकार होता है उतना ही अधिकार परवरिश करने वाले का भी होता है। मेरा उन्हें सलाम कहना और तुम सदैव उनके रामू ही बन कर रहना। इतना कह कर लड़की चली गई और देखते ही देखते आंखों से ओझल हो गई। रामू डरा सहमा सा घर आया और काकी को सब कुछ का सुनाया। काकी की आंखों से आंसू छलक पड़े और एक मां की अंतः वेदना को महसूस करने लगी। तत्पश्चात रामू सब कुछ जान कर भी रामू ही बनकर जीवनयापन करने लगा।

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