Vasundhara gaav - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

वसुंधरा गाँव - 1

एक 12 वर्ष का बालक डरा सहमा खुद को एक अंधेरे स्टोर रूम बन्द करके बैठा है। उससे देख कर पता लगता है। वो किसी के भय से छुपा बैठा है। थोड़ी देर के बाद वहां बेहद शांति हो गई थी। बालक को लगा जिनसे वो छुप रहा है। शायद वो चले गए, और वो काँपता हुआ दरवाज़े की तरफ आगे बढ़ने लगता है। तभी दरवाज़े पर एक जोर दार कुल्हाड़ी का प्रहार होता है। जिसपर वो बच्चा दहशत से वही वापिस बैठ गया। और कुछ ही क्षणों में उस लकड़ी के दरवाजे को कुल्हाड़ी से चीर कर एक महिला और एक पुरुष वहाँ आते है। जिनको देख कर वो बालक रोता हुआ बड़ी मासूमियत से बोलने लगा " मम्मी नही डैडी प्लीज़ मम्मी नो•••
और अगले ही पल वो स्टोर रूम बच्चे के खून से लत पत हो गया। उस बच्चे की उसके ही माता पिता ने दर्द नाक हत्या कर दी.…...


इंस्पेक्टर इन्द्र इनकी पोस्टिंग अभी सप्ताह भर पहले इस वसुंधरा नाम के गाँव मे हुई है। इससे पहले ये अपने बीवी बच्चों के साथ मुम्बई में थे, लेकिन अचानक हुई इस पोस्टिंग के कारण अकेले ही इस दिहात मे आना पड़ा। क्योंकि बच्चों की पढ़ाई बीच मे ही नही रुकवा सकता था उसने फैसला किया कि इस वर्ष के बच्चों की परीक्षा के बाद उन्हें भी यहाँ ले आएगा और यही उनका एडमिशन भी करा देगा।
खेर एक दिन तबीयत नाज़ुक होने के कारण वो सुबह देर तक सोते रहे। और उनकी नींद उनके बजते फ़ोन के कारण टूटी।

कॉल पिक करते ही इन्द्र को ऐसे केस की सूचना मिली जिसमे एक माता पिता ने अपने ही सगे बेटे की कुछ अज्ञात कारणों से निर्मम हत्या कर दी।
इन्द्र फ़ौरन इन्वेस्टिगेशन के लिए वहाँ पर पहुँचा। उसने हिरासत में लिए माता पिता से अलग अलग बात की तो दोनों ही बिना कुछ सुने बस एक ही बात बार बार दोहराते पाए गए, ये हमारा बेटा नही है। ये हमारा बेटा नही है।

इन्द्र को उनका ये बेहेविर कुछ पागलो के जैसा लगा। उसके बाद इन्द्र ने सारे सबूतों को इकठ्ठा करवा कर आस पड़ोस के लोगो से पूछताछ की तो सबने यही बताया कि वो दोनों पति पत्नी अपने बेटे से जान से भी ज्यादा प्यार करते थे, अगर उसको खरोच भी आ जाए तो आसमान सर पर उठा लेते थे। हमें तो विश्वास ही नही हो रहा के वो लोग ऐसा कर सकते है।
यहाँ तक कि कुछ लोगो ने इंद्र को ये तक बोल दिया, जरूर कोई भूत प्रेत का साया है। उन पति पत्नी पर,

इन्द्र के लिए ये भूत प्रेत वाली बात एक अंधविश्वास थी।

इन्द्र उस जगह की छान बिन करके, अपने स्टेशन वापिस जा रह था तभी उसके फ़ोन पर उसकी पत्नी सीता का फ़ोन आया।

इन्द्र " हेल्लो स्वीट हार्ट क्या कर रही हो।

सीता " बस अभी बच्चों के स्कूल से आई थी।

इन्द्र " इस समय..? बात क्या है इतना गुस्सा किस लिए हो।

सीता " बात क्या होती तुम्हारा लाडला सुमित उसने नाक में दम कर रखा है। आये दिन उसकी स्कूल से कंप्लेंट आती रहती है। जब देखो तब कोई नया बतंगड़ खड़ा कर देता है।

इन्द्र " अमित..? अमित तो ऐसा नही था।

सीता " अमित नही सुमित... बेचारा अमित तो हरदम पढ़ाई में लगा रहता है। काश अमित के कुछ गुण सुमित में भी होते तो इतना तंग होना नही पड़ता। और ये सब तुम्हारे लाड प्यार का नतीजा है।

इन्द्र " भाग्यवान पहले ये तो बताओ ये सुमित है। कौंन..?

सीता " हर दम मजाक अच्छा नही होता।

और सीता इन्द्र की इस बात से नाराज़ हो कर कॉल काट देती है। इन्द्र वापिस कॉल करना चाहता है। पर तबतक पुलिस स्टेशन आ गया था। इसलिए रात को आराम से कॉल करने का तय कर थाने में चला जाता है।
थाने में जाते ही एक महिला इन्द्र के सामने हाथ जोड़ कर आंखों में आंसू लिए सहायता की गुहार लगाती हुई आती है।
इन्द्र के पूछने पर वो महिला बताती है। आज सुबह से उसका बेटा कही दिख ही नही रहा और मेरे कंप्लेंट को कोई भी लिखता नही कहते है। मिसिंग रिपोर्ट कम से कम 24 घंटो के बाद ही लिखी जाती है। साहब मेरा दिल बहोत घबरा रहा है। कुछ अनर्थ होने से पहले मेरे बेटे का पता लगा लो।
इन्द्र उस महिला को शांत कर एक हवलदार के पास बिठा देता है। और उस हवलदार से एफ आई आर लिखने को बोलकर अपने कैबिन में चला गया।
आज के सुबह वाले विचित्र और भयानक केस ने उसके भीतर कुछ अजीब सी सनसनी दौड़ा दी, उसके भी एक बच्चा है। स्थिति चाहे कितनी भी खराब क्यों ना हो वो अपने बच्चे की हत्या कभी नही करेगा। ना जाने आज कल लोगों को क्या हो गया है।
इन्द्र इन्ही खयालो में खोया हुआ था कि तभी इंस्पेक्टर भानु वहाँ आ जाता है। जब से इन्द्र इस गांव में आया है। भानु इन्द्र के लिये एक विशेष दोस्त साबित हुआ है।
भानु इन्द्र को एक केस की सूचना दे कर अपने साथ बुलाता है। जगह पहुँचने से पहले इनके बीच मे केस की चर्चा होती है।

भानु " बताओ यार कैसे कैसे लोग है। इस दुनिया मे।

इन्द्र " क्यों क्या हुआ..?

" क्या होता यार एक घोंचू का फोन थाने में आया और बोला सर हमारे घर के सामने वाले घर मे कुछ लोग रहने आये है।

इन्द्र " तो फिर इसमें क्या है।

भानु " वही तो मैं बोला, जिसपर वो बोला सर वो लोग 10 साल पहले मर चुके थे और उनका घर पिछले 10 सालों से खाली पड़ा था लेकिन आज सुबह से वो सब अपने घर मे दिखाई दे रहे है। मुझे डर लग रहा है। सर मुझे बचा लो, और जल्दी जल्दी अपना अड्रेस लिखवाने लगा, तभी किसी ने उससे फ़ोन छीन कर काट दिया और अब हमें उसके पास जाना पड़ रहा है।

इन्द्र " दिलचस्प वाक्या है।

भानु " है। तो चलो ये घर भी आ गया।
भानु और इन्द्र दोनों ने अपनी गाड़ी एक ओर खड़ी की और वो दोनों उस घर पर पहुँच कर उसकी घंटी बजा ने लगे।
घर में से एक महिला घुघट कर के निकली और बोली " जी कहिए।

भानु " अभी अभी आपके यहाँ से एक कॉल आई थी।

महिला " जी हाँ वो हमारे ससुर ने की थी, माफ कीजियेगा असल मे वो मानसिक रोगी है। दिन भर कुछ भी बड़बड़ाते रहते है। सुबह से रट लगा रखी है। कि सामने वाले गुप्ता जी का पूरा पदिवार दस वर्ष पहले एक हादसे में मारा गया था जबकि आप मोहल्ले में किसी से भी पूछ लो गुप्ता जी के बारे में सभी जानते है वो जीवित सकुशल अपने परिवार के साथ रहते है।

भानु " चलिए ठीक है। आगे से ध्यान रहे वो ऐसी कोई हरकत ना करे जिससे हमारा समय खराब हो नही तो आप पर सख्ती बरती जाएगी।

महिला " जी बिल्कुल।
इन्द्र और भानु दोनों वहाँ से वापिस चौकी के लिए मुड़ते है। तभी इन्द्र की नज़र एक घर पर पड़ती है। जिसे देख कर इन्द्र बोला " राजेश से कहा था वो घर मुझे ही चाहिए।

भानु " कोनसा घर..?

इन्द्र " अरे ये सामने वाली कोठी अभी दो दिन पहले राजेश ने मुझे दिखाई थी कह रहा था पिछले कुछ वर्षों से खंडर की तरह वीरान है। मैंने तभी बोल दिया था ये किसी और को न देना सप्ताह भर में पेमेंट भिजवा दूँगा और देखो कमीने ने दो दिन भी नही हुए जो किसी ओर को दिलवा दी। उसके अंदर साफ साफ लोग दिख रहे है। और अब घर भी साफ सूत्रा दिख रहा है।

भानु " अच्छा.. चलो आओ देखे तो सही राजेश ने कितने की टोपी पहनाई है। इन लोगों को, फिर साले की खबर लेंगे।

भानु और इन्द्र उस कोठी पर पहुँचे तो उसके बाहर गुप्ता परिवार की तख्ती लटकी थी। डोर बेल बजाने पर एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति बाहर आया, और दोनों पुलिस कर्मी को देख कर दोनों हाथों से नमन करके बोला " कहिए मैं आपकी किस प्रकार सेवा कर सकता हूँ।

भानु " जनाब आपने ये घर कब और कितने में लिया..?
वो व्यक्ति थोड़ा अचम्भित सा हो गया, शायद उसने इस प्रश्न की अपेक्षा ना कि थी फिर भी वो उत्तर देता हुआ बोला " सर ये घर पुश्तेनी है। यहाँ पर हम अपने दादा परदादा के समय से रह रहे है।

इन्द्र " क्या बकवास कर रहे हो अभी दो दिन पहले ही तो ये घर खाली था।

व्यक्ति " सर मैं भला आप से झूठ क्यों बोलूंगा आप चाहे तो किसी से भी पूछ लें।

इन बातों को सुन इन्द्र तिलमिला सा गया, उसको पूरा विश्वास था उसने दो दिन पहले ये घर खाली देखा था।उसके हिसाब से ये व्यक्ति झूठ बोल रहा है। इसलिये इन्द्र उस पर क्रोधित होने लगा। माहौल को खराब होता देख भानु उसको कैसे तैसे गाड़ी में ला कर बिठा देता है। और बोला " यार इतना हाइपर क्यों होते हो अभी तुम यहाँ बैठो मैं दूध का दूध और पानी का पानी कर दूँगा। मैं कुछ आस पास के लोगों से पता करता हूँ।

इतना बोल कर भानु वहाँ से चला गया और लगभग घंटे भर बाद आ कर बोला " सुनो इन्द्र वो व्यक्ति सही कह रहा था। लेकिन इसका मतलब ये नही के तुम गलत हो, देखो तुम इस जगह पर नए हो।
हो सकता है। तुमने जो घर देखा हो वो हूबहू इसके जैसा हो पर किसी और इलाके या महोल्ले में हो। देखो तुम अपने उस राजेश को कॉल करो। असली पता वो बताएगा। और सही जगह भी क्लियर पता चल जाएगी।

ये सुन कर इन्द्र अपना फ़ोन निकालता है। और राजेश का नंबर ढूंढने लगा। पर उसको राजेश का नंबर नही मिला। तो इन्द्र भानु को उसके आफिस का पता बता कर उसको वहाँ चलने के लिए बोलता है।
दोनों जन राजेश के आफिस पर पहुँचे।
पर ये क्या वहाँ पर तो आफिस की जगह पर एक मंदिर था जो बेहद ही प्राचीन था।
अब भानु को इन्द्र की मानसिक स्थिति पर थोड़ा शक होने लगता है। और भानु इन्द्र को कुछ दिनों की छुट्टी ले कर आराम करने की सलाह देता है। जिस पर इन्द्र भी एक लंबी सांस छोड़ कर सहमति देता है।
शाम होने को थी तो दोनों अपना रुख एक रेस्टोरेंट की ओर कर लेते है। जहाँ अक्सर इन दोनों की शाम गुजरती थी।

( कहानी में हर भाग पहले से अधिक रोमांचक और रहस्यमय होगा ये मेरा वादा है।)

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