Vasundhara gaav - 4 books and stories free download online pdf in Hindi

वसुंधरा गाँव - 4

इन्द्र और भानु उस अज्ञात कॉलर की बताई जगह के पास पहुँच कर रुकते है।

" भानु उसने अकेले आने की शर्त रखी थी, तुम यहाँ मेरा इंतजार करो अगर मुझे कोई गड़बड़ लगी तो तुम्हें वायरलेस से कॉन्टेक्ट करूँगा।
इन्द्र ये बोल कर भानु को कुछ दूरी पर खड़ा कर उस अज्ञात व्यक्ति के बताए स्थान पर पहुँच जाता है।
इन्द्र देखता है, वो एक पुराना गेराज है जो लम्बे अरसे से बंद पड़ा हुआ था।
इन्द्र बड़ी सावधानी से आगे बढ़ता है, उसके चारों ओर देखने पर उसको सिर्फ सन्नाटा ही नज़र आया, उसने दो तीन बार :कोई है: कह कर पुकारा पर कोई जवाव नही मिला।
थोड़ा आगे बढ़ने पर इन्द्र को एक अजीब सा निशान दिखा जो एक डब्बे की तरफ संकेत कर रहा था, इन्द्र को इस समय उस डब्बे में किसी विस्फोटक सामग्री के होने का भी भय हो रहा था इसलिए इन्द्र काफी डरा हुआ था।
लेकिन इस भयंकर भय पर भी वो अपने ऊपर नियंत्र कर बड़ी सावधानी के साथ उस डिब्बे को खोलता है।
और ईश्वर की कृपा से कोई दुर्घटना नही घटी, इन्द्र को उस डब्बे में एक कांफीडेंसीएल फ़ाइल दिखी, इन्द्र उस फ़ाइल को उठा कर खोलता है, तो सबसे पहले उसको कई लोगों के ब्लैक एंड वाइट पॉसपोर्ट साइज के फ़ोटो लगे दिखे, जिसमे इन्द्र का भी फ़ोटो था, इसको देख कर इन्द्र झट से फ़ाइल के पेज पलट कर कुछ पता लगाने की कोशिश करता है। तभी किसी ने पीछे से आ कर इन्द्र को एक सर पर जोरदार वार कर मूर्छित कर दिया।


जब इन्द्र को होश आया तो उसने अपने पास भानु को पानी से भरा गिलास लिए बैठा देखा, इन्द्र को समझ आ गया कि भानु ने ही उसके मुंह पर पानी छिड़क कर उसको जगाया है।

इन्द्र को होश में आता देख भानु खुशी से भगवान को धन्यवाद करता है और इन्द्र को सहारा देकर उठाता है।
इन्द्र खड़े होते हुए भानु से सबसे पहले उस फ़ाइल का पूछता है, जिसपर भानु बोला,
" जब तुम काफी देर तक बहार नही आए तो मैं तुम्हें देखने के लिए यहाँ चला आया और यहाँ आ कर तुम्हें बिहोश देखा उस समय मुझे तुम्हारे पास कोई फ़ाइल नही मिली....

ये सुन इन्द्र को काफी अफसोस होता है और वो फ़ाइल के खो जाने से अत्यंत दुखी हो गया, लेकिन जब भानु इन्द्र को अपने साथ सहारा दे कर गाड़ी पर ला रहा था तो उस समय इन्द्र का हाथ भानु की पीठ पर था जिसके कारण इन्द्र को भानु के पीछे कुछ महसूस होता है। जैसे भानु ने वो फ़ाइल अपने पीछे ही छुपा रखी हो, इन्द्र को भानु पर संदेह होने लगा, इन्द्र उसी समय अपनी हाथ की घड़ी में देखता है तो 3:10 का समय हुआ था।
इन्द्र को याद आया की जिस समय वो अंदर गया था ठीक 3 बज रहे थे, इसपर इन्द्र भानु से शक भरे लहज़े से बोला:
" भानु तुमनें मेरी कितनी देर तक प्रतीक्षा की थी

" यही कोई आधे घण्टे तक मैंने तुम्हारा इंतज़ार किया था। और जब तुम आधे घंटे तक भी नही लौटे तो मुझें अंदर आना ही ठीक लगा, इसलिये मैं सीधा अंदर आ गया, लेकिन तुम ये क्यों पूछ रहे हो।

भानु बड़ी ही हिचकिचाहट से इन्द्र के प्रश्न का उत्तर देते समय बोला। और इसको सुन इन्द्र फुर्ती से भानु से अलग होता हुआ अपनी पिस्तौल निकाल कर इन्द्र पर तान देता है।

" ये क्या कर रहे हो तुम्हारा दिमाग ठिकाने पर है भी या नही।
भानु इन्द्र की इस हरकत पर आश्चर्य से बोला, और प्रतिउत्तर में इन्द्र बोला।

" मेरा दिमाग पूरी तरह से स्वस्थ है अब तुम अपने पीछे से वो फ़ाइल निकाल कर दो।
इन्द्र की आँखो में भानु को साफ नजर आ रहा था कि उसका भेद खुल चुंका है कि इन्द्र को उसने ही बिहोश किया था, वो इन्द्र को समझाने के इरादे से बोला " देखो इन्द्र बात अभी भी काबू से बहार नही हुई है मेरी मानो तो हम सब की भलाई इसी में है कि तुम ये सब यही पर बन्द कर दो, और इस केस को भूल जाओ।

मगर इन्द्र पर भानु की बात का कोई असर नही हुआ और इन्द्र अपने मजबूत हाथो से अपनी पिस्तौल को भानु पर ताने रहता है। जिसके चलते भानु को मजबूरन वो फ़ाइल इन्द्र को लौटानी पड़ती है। फ़ाइल के हाथ में आते ही इन्द्र भानु से पूछता है उसने ये सब क्यों और किसके कहने पर किया..?

तो भानु बड़ा ही भावुक हो कर बोला " मैं तुम्हें ये सब नही बता सकता, तुम बस इतना समझ लो कि इन सब को करवाने वाले लोग बेहद पॉवर फूल है जो रातों रात इस धर्ती से किसी का भी नामों निशान मिटा सकते है जैसे वो कभी इस दुनिया में था ही नही और वो अपना काम इतने गुप्त रूप से करते है कि उनका भेद खोलने वाले को उसके परिवार समेत ही मार कर बच निकल सकते है। तुम कभी नही जान सकते कि इनके साथ कौन कौन मिला हुआ है, तुम किसी पर भरोसा नही कर सकते।

इतना बोलते ही भानु के आँखो से आंसू बहने लगे और भानु ये बोल कर " मुझे माफ़ करना इन्द्र, मेरे पास अपने परिवार की सुरक्षा का केवल एक ही मार्ग है।" झट से अपनी बंदूक निकाल कर खुद के सर में शूट कर खुदखुशी कर लेता है।

इन्द्र को भानु के ऐसा करने की दूर-दूर तक कोई भनक नही थी और जब भानु अपनी बंदूक से खुदखुशी करता है। तो वो बेहद हैरान हो जाता है। इन्द्र सोच भी नही सकता था कि भानु ऐसा भी कुछ कर सकता है।
और भानु के ऐसा करने से इन्द्र को इतना तो अंदाजा हो गया कि जिस से उसका सामना है वो कोई ऐरा गेरा नही है। बल्कि बेहद ताकतवर है, इतना ताकत वर की भानु ने उनके ख़ौफ़ से खुद को मार डाला।

फिलहाल इन्द्र उस फ़ाइल को दुबका कर हेड कुआटर फोन कर भानु की मौत की सूचना देता है।
देखते ही देखते वहाँ पर करवाई शुरू हो गई इन्द्र का पूरा दिन इसी तरह की चीज़ों में निकल गया, रात को इन्द्र ने मौका पा कर उस फ़ाइल को अभी की छुपाई जगह से निकाल कर बड़ी ही सावधानी और चतुराई से अपने घर के किसी गुप्त और सुरक्षित स्थान पर छुपा दिया।


अगले दिन सुबह जब इन्द्र थाने पहुँचा तो ये देख कर उसको बड़ी हैरानी हुई कि इन्द्र से भानु की मौत को लेकर किसी भी प्रकार की पूछताछ बड़े अफसरों द्वारा नही की गई,
यहाँ तक कि भानु की रिपोर्ट में इन्द्र के भानु के साथ होने का कोई जिक्र ही नही किया गया था। इस बात पर इन्द्र को काफी अचम्भा हुआ और उसने इस बात को अपने सीनियर अफसरों से पूछा तो उन्होंने ये बोलकर इन्द्र को समझाया कि अगर भानु की फ़ाइल में इन्द्र का नाम डाला जाता तो इन्द्र की छवि को गेहरा नुकसान होता। इसलिए ऐसा नही किया गया।

किसी अन्य समय पर ये बात इन्द्र को शायद हजम भी हो जाती पर अभी इस वक्त जो सब इन्द्र के साथ घट रहा है उन सब को देखते हुए इन्द्र के लिए ये सब हज़म करना असंभव था।
फिलहाल इन्द्र ने कोई उत्तर नही दिया, और साधारण व्यवहार ही करता रहा, रात को घर पहुँच कर इन्द्र अपने घर के सारे खिड़की दरवाज़े बन्द कर लेता है और घर में अंदर जाकर फ़ाइल को निकाल कर उसमें फ़ोटो देखने लगा, उनमे कई लोगों के फोटो थे जिनमें लगभग सभी इन्द्र के लिए अनजान चेहरे थे सिवाय दो चार को छोड़ कर, जिनमें से एक तो वो खुद था। और दो चेहरे उन माता पिता के थे जिन्होंने अपने बच्चे को निर्दयता से मारा था एक उस बूढ़ी औरत का भी था जिसके बेटे को स्वयं इन्द्र ने जीवित देखा था, और सबसे चौकाने वाला चेहरा वो रेस्तरॉ के ओनर का था जहाँ अक्सर इन्द्र और भानु शाम को जाया करते थे। इनके अतिरिक्त सभी लोगों से इन्द्र अज्ञात था। इन्द्र उस फ़ाइल को पढ़ने की कोशिश करता है पर पड़ नही पाता क्योंकि वो कोड वर्ड में लिखी हुई थी, इन्द्र बेहद शांति और ध्यान से उस फ़ाइल को डिकोड करने का प्रयास कर रहा होता है कि तभी कोई कांच के टूटने की भयंकर आवाज़ इन्द्र को डरा देती है। इन्द्र थोड़ी देर के लिए सहम सा जाता है पर उसके बाद खुद को सम्भाल कर सावधानी से अपने घर की सभी खिड़कियों के कांच की एक एक कर जांच करता है जिस पर उसको एक खिड़की का काँच टूटा हुआ दिखा,
किसी ने एक कागज को किसी पत्थर पर लपेट कर इन्द्र के घर में फेंका था और इसी पत्थर से काँच के टुकड़े हुए थे इन्द्र उस कागज़ को खोल कर पड़ता है और उसमें कुछ इस प्रकार की चेतावनी थी।

" अक्सर रहस्यों को खोद कर निकालने वाले खुद की ही कब्र खोद लेते है.............


इस चेतावनी से स्पष्ट संदेश मिल रहा था कि इन्द्र जो कुछ भी कर रहा है यदि जल्द हि वो सब इन्द्र नही रोकेगा तो उसको मार दिया जाएगा।
इन्द्र अभी इन सब बात की उलझनों में से निकला भी नही था कि इन्द्र के फोन पर किसी की कॉल आने लगी, इन्द्र के देखने पर उस पे संगीता भाभी लिखा था।

संगीता नाम की किसी भी महिला को इन्द्र नही जानता था वो सोच में पड़ गया कि अगर वो इस महिला को नही जानता तो उसका नोम्बर मेरे फोन में कैसे सेव है।
बरहाल इन्द्र कांपते हाथों से कॉल पिक करते हुए " हेल्लो कौन ? बोलता है।

" भाईसाहब मैं संगीता बोल रही हूँ। (दहशत से भरी आवाज़ में कोई महिला बोली )

इन्द्र " माफ कीजियेगा मैंने आपको पहचाना नही...?

वो महिला किसी के भय से अपने सुर को थोड़ा धीमा करते हुए ऐसे बोली जैसे कोई उसके आस पास हो।

" मैं बोल रही हूं संगीता आपके दोस्त भानु की विधवा..... आज सुबह से ही मेरे घर के आस पास कुछ अजीब से नकाब पोश चक्कर लगा रहे है। और अब वो मेरे घर में घुस आए, मैं उनसे दुबक कर एक कमरे में अपने बेटे के साथ छुपी हूँ। मुझे काफी डर लग रहा है, जल्दी से हमारी मदद कीजिए..........
और इस से आगे वो महिला कुछ ना बोल पाई फोन लाइन कट गई, उस महिला की आवाज़ में इन्द्र को साफ तौर पर दहशत महसूस हो रही थी। मगर इन्द्र के दिमाग पर लाख जोर डालने पर भी उसको याद नही आ रहा था कि भानु की कोई पत्नी भी है जिस को वो जनता था।

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