Vasundhara gaav - 5 books and stories free download online pdf in Hindi

वसुंधरा गाँव - 5

इन्द्र को भानु की पत्नी यानी संगीता की बातों ने बेहद हैरान परेशान सा कर दिया, इन्द्र के मुताबिक वो आज से पहले कभी नही जानता था की भानु की कोई पत्नी भी है।


लेकिन इन्द्र ने संगीत की आवाज़ में एक ख़ौफ़ महसूस किया था, एक ऐसा डर जो बनावटी नही हो सकता था। अब तक आधी रात हो चुकी थी लेकिन इन्द्र इसकी परवाह किए बिना पहले वो सीधा पुलिस चौकी जाता है ताकि भानु का पता ले सके, उसके बाद उसको जो पता मिलता है सीधा उसकी ओर निकल जाता है।
इस बीच रास्ते में वो लगातार संगीता के फ़ोन पर कॉल करता रहता है, पर उसका फ़ोन स्विच ऑफ बता रहा था।
जब इन्द्र उस घर पर पहुँचा तो उसको वहां सब कुछ सामान्य लगा और घर पर ताला मिला, आस पड़ोस से पूछताछ करने पर इन्द्र को पता चला कि वो घर सच मे भानु का है लेकिन वो शुरू से ही अकेला रहता था।
इन्द्र और भी निराश हो गया और एक गेहरी उदासी में अपने घर पहुँचा, वो कई दिनों से सोया नही था ऊपर से उसकी जी तोड़ मेहनत के कारण वो बेहद थक चुका था, इसलिए वो बेड पर लेटते ही सो गया।

रात भर इन्द्र को विचित्र भयंकर सपने आते रहे और अंत में उसको भानु की आत्महत्या का सपना आया जिसमें भानु वही सब दोहरा रहा था जो उसने इन्द्र के सामने अपने अंतिम समय में किया था, इसके बाद जैसे ही भानु खुद को गोली मरता है इन्द्र की उसी समय डर से आंखे खुल गई, इन्द्र पसीने में लतपत बुरी तरह से हाफ रहा था तभी उसके जेहन में एक भूली हुई बात वापिस गूंजने लगी, वो बात भानु के मरने से पहले के आखिरी शब्द थे।

"मुझे माफ़ करना इन्द्र, मेरे पास अपने परिवार की सुरक्षा का केवल एक ही मार्ग है।"

इन्द्र को यकीन हो गया कि भानु शादीशुदा था तभी तो उसने अपने परिवार की सुरक्षा का जिक्र किया था, बल्कि उनकी सुरक्षा के लिए ही भानु ने खुदखुशी की थी। और अब इन्द्र ये भी समझ चुंका था जिस से उसका सामना है वो इन्द्र की सोच से भी दो कदम आगे है तभी तो उसने पिछली रात इन्द्र के पहुँचने से पहले ही भानु का पता बदल दिया था, और ये भी पक्का है कि बिना भीतरी और बड़े ओहदे की सहायता के ऐसा करना असंभव है।

अब इन्द्र एक योजना बनाता है। जिसके चलते वो अपने चौकी में पहुँच कर सभी बड़े अफसरों के सामने भानु की पत्नी की बात बताएगा लेकिन एक एक करके और उनकी प्रतिक्रिया से इन्द्र भाप जाएगा कि कौन कौन इन सब मे शामिल है।
और इन्द्र जानता था इस समय वो लोग ये मान कर बैठे होंगे कि उन्होंने इन्द्र को भानु के इस दुनिया मे अकेले होने का विश्वास दिला दिया है और यही बात इन्द्र के लिए फायदेमंद सिद्ध होगी,

और होता भी कुछ ऐसा ही है। जब इन्द्र थाने पहुँचता है। तो एक एक कर वो सभी सीनियर ऑफिसर से बात करके अनुमान लगाता है की इन सब पर उनकी क्या प्रति क्रिया होगी।
जैसा कि इन्द्र ने सोचा था लगभग सभी अफसरों की प्रतिक्रिया सामान्य थी सिवाए एक को छोड़ कर। वो शख्स एस एच ओ इक़बाल था इन्द्र द्वारा पूछे अनअपेक्षित प्रश्न के कारण उसके माथे का पसीना बहने लगा उसकी आवाज़ लड़खड़ाने लगी पर ऐसा कुछ ही क्षणों के लिए हुआ था और अगले ही क्षण इक़बाल बड़ी चतुराई से अपने मनोभावों को दबा कर " इन्द्र को भ्रम हुआ है ऐसा विश्वास दिलाने का प्रयास करता है।
इक़बाल की इस चालबाजी को देखते हुए इन्द्र भी एक जबरदस्त अभिनय कर ऐसा व्यक्त करता है जैसे इन्द्र को इक़बाल की बातों पर विश्वास हो गया हो। इक़बाल इन्द्र को एक मनोवैज्ञानिक के पास जाने की सलाह देता हुआ किसी डॉक्टर का विजिटिंग कार्ड पकड़ाता है जिसे इक़बाल खुद का काफी अच्छा मित्र बोलता है उस कार्ड को देख कर इन्द्र चौक सा जाता है क्योंकि इसी डॉक्टर का कार्ड एक बार इन्द्र को भानु ने भी दिया था। लेकिन इन्द्र इक़बाल के सामने कुछ ना बोल कर वहाँ से निकल अपने केबिन में आ गया। उसको भानु की पत्नी और उसके बच्चे की गंभीर चिंता होने लगी लेकिन वो खुद को इस मामले में असहाय सा महसूस करता है फिर वो उस डॉक्टर के पास जाने का निश्चय करता है, क्योकि इन्द्र का मानना था कि भानु और इक़बाल के पास इस डॉक्टर का विजिटिंग कार्ड मिलना कोई सयोंग मात्र नही था।


इन्द्र डॉक्टर के पास पहुंचने के लिए बीच रास्ते पर होता है, तभी उसके वायर लैस पर किसी महिला के अपहरण की सूचना आती है।
वारदात की जगह से इन्द्र काफी नज़दिग था, इसलिए वो वही चला गया, वारदात के स्थान पर इन्द्र को पता चलता है कि वहाँ एक महिला का अपहरण हुआ है जिसको वहाँ के एक स्थायी निवासी ने देखा है ये चश्मदीद गवाह ओर कोई नही राजेश की माँ का पड़ोसी होता है। और जिसका अपहरण हुआ है, वो राजेश की माँ है। इसको सुन इन्द्र काफी हैरान होता है और उसको ये भी यकीन हो जाता है कि जरूर इसके पीछे उन ही लोगो का हाथ है और वो ये सब सबूतों को मिटाने के लिए कर रहे है इन्द्र को उस महिला की जान की काफी चिंता होती है और वो चश्मदीद गवाह से बारीकी से पूछ ताछ कर रहा होता है तभी उसकी नज़र एक आदमी पर पड़ती है।
वो आदमी रुमाल से अपना मुंह छुपाए एक कोने में खड़ा इन्द्र पर ही नज़र गड़ाए हुए था, जिसको देख कर इन्द्र उसको एक आवाज़ देता है, मगर वो व्यक्ति ये सब देख वहाँ से भागने लगता है, और उसको भागता हुआ देख इन्द्र भी उसको पकड़ने के लिए उसका अपनी पूरी शक्ति से पीछा करता है। पर वो व्यक्ति काफी शातिर था वो जान बूझ कर इन्द्र को उन तंग और भीड़ भाड़ वाली गलियों में ले जाता है जहाँ इन्द्र उस जितना फुर्ती से नही दौड़ पाता, एक जगह इन्द्र को वो व्यक्ति नज़र आना बंद हो जाता है और वो रुक कर हांफने लगता है। इन्द्र मान बैठा था कि उसने उस आदमी को खो दिया है, तभी अचानक वो व्यक्ति इन्द्र के पीछे से किसी फुर्तीले बंदर की तरह निकल कर उसको जान बूझ कर धक्का दे कर वहाँ से उछल कूद करता हुआ, आगे निकलता है ये सब देख इन्द्र को लगा कि वो व्यक्ति इन्द्र को चिड़ा कर ये बता रहा है कि तुम मुझे नहीं पकड़ सकते, और इसको सोच इन्द्र दुगने क्रोध में आ कर उसका पीछा करता है और अबकी बार इन्द्र अपनी पूरी एड़ी चोटी का जोर लगा कर उस व्यक्ति पर एक छलांग लगा कर दबोच ही लेता है।
मगर जब इन्द्र अपने दोनों हाथों से दबोचे उसको देखता है तो उसका मुंह रुमाल से कवर होने के कारण केवल उसकी आँखों को ही देख पाता है जिस से इन्द्र को दो बातें पता चलती है पहली की वो कोई पुरुष नही एक सुंदर सी युवती है और दूसरी वो इन्द्र की पकड़ में होने के बाद भी इन्द्र को ऐसे देख रही थी जैसे इन्द्र ने उसको नही बल्कि उसने इन्द्र को पकड़ा हो।
और तभी हवा में दो बार आवाज़ होती है जैसे कोई हंटर को हवा में लहरा रहा हो और इन्द्र के पैरों के आस पास की पड़ी रस्सी तेजी से इन्द्र के पैरों को जकड़ती है और उसको खिंच कर उल्टा लटका देती है। असल में वो हंटर जैसी आवाज़ और कुछ नही बल्कि उन रस्सियों द्वारा बिछाए जाल के कसने की थी।

जब इन्द्र खुद को उल्टा लटका पाता है तो वो अपने आस पास देख कर समझ जाता है कि वो एक सुमसान गेराज में जान बूझ कर लें आया गया है, वो युवती अपने नकाब को नही हटाती बस चुप चाप खड़ी इन्द्र को घूरती रहती है।

एक दम इन्द्र बोला " देखो आज नही तो कल तुम पकड़ी जाओगी और जिनके लिए तुम काम करती है वो लोग काफी पॉवर फुल है और जिस दिन तुम पकड़ी गई उस दिन वो लोग साफ बच कर निकल जाएंगे और सारा इल्ज़ाम तुम्हारे सर डाल दिया जाएगा, मेरी मानो तो तुम मेरा साथ दो में वादा करता हूँ। तुम्हे कुछ नही होगा, और मैं तुम्हारे द्वारा सब को जेल भिजवाऊंगा।

ये सुन कर उस युवती की हँसी छूट पड़ी और वो बोली " जितना तुम सोचते हो गेम उससे कई गुना बड़ी है।
और ये भी समझ लो मैं उनकी तरफ नही तुम्हारी तरफ हूँ।

फिर वो युवती आगे बोली

" क्या तुम इतना भी नही समझ पाए कि जो लोग अपने द्वारा किए क्राइम की किसी को कानो कान खबर तक नही लगने देते वो लोग खुले आम सब के सामने एक महिला का अपहरण करे तो जरूर इसके पीछे कुछ और है।
और तुम्हारा ठीक उसी समय उसी जगह पर होना और फिर तुम्हें ही वहाँ भेजना क्या तुम्हें ये सब कोई सयोंग लगता है।

उस युवती बात सुन इन्द्र सोच में पड़ गया...

वो युवती आगे बोली " तुम्हारा वहाँ होना उनकी एक गहरी साजिश का हिस्सा था वो लोग तुम्हें उस महिला के पीछे आने पर मजबूर कर, तुम्हे और उस महिला दोनों को जान से मार डालते उसके बाद दुनिया को ये दिखाया जाता कि तुम एक अपहरण के मामले को सुलझाते हुए अपराधियों के हाथों मारे गए हो।
मैं चाहती तो तुम्हे उसी जगह ये सब बता सकती थी पर वहाँ तुम पर कुछ लोगों की नज़र थी जिसके लिए मुझे ये सब करना पड़ा, खेर अब तुम्हें हर कदम फूक फूक कर चलना होगा।

युवती के इतना बोलते ही इन्द्र को उसके बोलने के अंदाज़ से समझ आ गया, कि ये वही है जिसने उसको फोन करके फ़ाइल दी थी और फोन पर उसने अपनी आवाज़ बदलने के लिए कुछ उपकरणों का उपयोग किया होगा लेकिन उपकरणों द्वारा आवाज़ पतली और मोटी हो सकती है। पर बात करने का अंदाज़ नही बदला जा सकता और इस दुनिया में बहोत से लोग ऐसे है जिनके बात करने का अंदाज़ अपने में ही एक लोता होता है और उन्हीं में से एक ये युवती थी इन सब को समझ इन्द्र के जेहन में एक साथ कई सवाल गूंजने लगते है ताकि वो उस युवती से अपने प्रश्न पूछे पर इन्द्र इतना ही पूछता है कि उस फ़ाइल को कैसे डिकोड करे, और वो युवती इन्द्र को ऐसे उल्टा लटके ही छोड़कर जाते हुए बोलती है सही समय आने पर सब पता चल जाएगा और वो युवती एक अंधेरे कोने में चली जाती है और वहाँ अंधेरे में कही गुम हो जाती है। उस युवती के गायब होते ही इन्द्र जिस रस्सी पर उल्टा लटका था वो रस्सी झटके से कट कर इन्द्र को जमीन पर पटक देती है। थोड़ी ऊँचाई पर लटका होने के कारण इन्द्र को गिरते ही थोड़ी चोट आई, पर इसकी परवाह किये बिना वो दर्द से कार्रहता हुआ अपने पैरों के फंदे को खोल उस दिशा की ओर जाता है जहाँ वो युवती गायब हो गई थी पर अबतक इन्द्र के हाथ से वो लड़की निकल जाती है।
इन्द्र एक लंबी सांस खिंच कर वहाँ से निकल जाता है।

लेकिन वो युवती जहाँ उस रस्सी का दूसरा छोर था वहाँ एक दम गुप अंधेरे में बैठी थी और उसी ने इन्द्र को रस्सी काट कर गिराया था मगर उधर गुप्त अंधेरा होने के कारण इन्द्र उसको वहाँ नही देख पाया और वैसे भी इन्द्र का सारा ध्यान उस दिशा में था जहाँ वो युवती उसके सामने गई थी, इसलिए इन्द्र ने उस जगह की छत पर ज्यादा ध्यान केंद्रित ही नही किया, और वो युवती इन्द्र को चकमा देने में कामयाब हो गई।

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