हूफ प्रिंट - 2 Ashish Kumar Trivedi द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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हूफ प्रिंट - 2

हूफ प्रिंट

Chapter 2

मानस भगनानी के स्टड फार्म का नाम हूफ प्रिंट था। कई एकड़ में फैले इस फार्म में मारवाड़ी नस्ल के घोड़े थे। इन्हें रेस के लिए ट्रेन किया जाता था।

इस स्टडी फार्म की देखभाल करने के लिए मानस ने नंदन नाम के साईस को रखा था। नंदन रोज़ सुबह फार्म की एक घोड़ी पर चढ़कर पूरे फार्म का चक्कर लगा कर आता था। साथ में उसका जर्मन शेफर्ड नस्ल का कुत्ता शेरू गति के साथ साथ भागता था।

आज सुबह रोज़ की तरह नंदन गति नाम की उस घोड़ी पर सवार होकर फार्म का चक्कर लगाने गया था। उसका कुत्ता शेरू भी साथ था। फार्म का चक्कर लगाने के बाद वह उसके पास के जंगल में चला गया। वहाँ एक तालाब था। कभी कभी वह गति को यहाँ नहलाने के लिए ले जाता था। गति को यह बहुत पसंद था।

तालाब पर पहुँच कर वह गति को नहला रहा था जब शेरू ज़ोर ज़ोर से भौंकने लगा। नंदन ने उसे बेवजह भौंकने के लिए डांटा। शेरू बार बार भौंक रहा था और तालाब में कुछ दूर तक जाता था। नंदन को लगा कि शायद तालाब में कुछ है।

नंदन कुछ आगे बढ़ा। उसने ध्यान से सामने की तरफ देखा। जो कुछ उसने देखा उससे वह डर गया।

तालाब में एक फूली हुई लाश तैर रही थी।

नंदन के हाथ पांव फूल गए। फौरन गति पर सवार होकर शेरू के साथ वहाँ से भाग गया।

स्टड फार्म से जुड़े कुछ एकड़ जंगल भी मानस की प्रापर्टी था। वह तालाब मानस की प्रापर्टी में ही आता था।

नंदन ने पहले मानस को पूरे मामले से अवगत कराया। उसके बाद पुलिस को फोन किया।

मानस जब वहाँ पहुँचा तब पुलिस अपने दल के साथ वहाँ मौजूद थी। लाश को तालाब से बाहर निकाला जा रहा था।

एसपी नताशा पिंटो ने मानस से कहा,

"मिस्टर भगनानी। स्टड फार्म से लगा ये हिस्सा आपकी प्रापर्टी है। यहाँ ये लाश कैसे आई ?"

"मैडम मैं खुद ही हैरान हूँ।"

"आपने फेंसिंग नहीं कराई है।"

"कराई है। फार्म के चारों ओर दीवार बनी है। यह हिस्सा फार्म के बाहर आता है। यहाँ बार्ब्ड वायर की फेंसिंग थी। लगता है किसी ने बीच से काट कर रास्ता बना लिया है।"

लाश बाहर आ गई थी। इंस्पेक्टर अर्सलान ने आकर एसपी नताशा को सूचना दी। वह मानस के साथ लाश के पास पहुँची। लाश फूल चुकी थी। मानस ने लाश को देखा तो चेहरे पर परेशानी का भाव उभरा। एसपी नताशा समझ गई कि मानस पहचान गया है कि यह किसकी लाश है।

"मिस्टर भगनानी...आप पहचानते हैं इसे ?"

"ये मिलिंद तलपड़े है।"

इंस्पेक्टर अर्सलान ने पूँछा,

"वही फैशन डिजाइनर। इसके फैशन हाउस का नाम अदा है।"

"जी...."

एसपी नताशा ने कहा,

"आप इसे जानते थे।"

"मैं भी इसका एक क्लाइंट था।"

फारेंसिक टीम आसपास से सबूत एकत्र कर रही थी। मिलिंद की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया।

मानस ने एसपी नताशा से कहा,

"मैडम ये सब देखकर मेरी तबीयत ठीक नहीं लग रही है। मैं अपने घर जा सकता हूँ।"

"अभी जाइए। पर हम आपको पूँछताछ के लिए बुलाएंगे। लाश आपकी प्रापर्टी में मिली है।"

"सिर्फ इस बात के अलावा मेरा इस केस से कोई संबंध नहीं है। फिर भी मैं आपके साथ पूरा सहयोग करूँगा।"

मानस चला गया। एसपी नताशा इंस्पेक्टर अर्सलान से बात करने लगी।

"अर्सलान जिस तरह से मानस लाश को देखकर परेशान हो गया वह कुछ ठीक नहीं लगा।"

"मैम जहाँ तक परेशान हो जाने की बात है तो यह कोई बड़ी बात नहीं है। लाश की हालत खराब थी। हम लोगों को तो रोज़ ही ऐसी चीज़ें देखने की आदत है। पर मानस के लिए तो यह नया अनुभव है।"

"नहीं अर्सलान ...इसके अलावा दो बातें ध्यान देने वाली हैं। एक यह कि लाश उसकी प्रापर्टी में मिली। दूसरी कि वह मिलिंद को जानता है।"

"मैम आपकी बात सही है। लाश का मानस की प्रापर्टी में मिलना उस पर शक पैदा करता है।"

"ऐसा करो अर्सलान तुम इस मिलिंद के बारे में पता करो। मानस और मिलिंद के बीच कैसा रिश्ता था पता करने की कोशिश करो।"

"ओके मैम...."

अर्सलान चला गया। एसपी नताशा वहाँ मौजूद फारेंसिक टीम को हिदायत देने लगी।

मीडिया में यह खबर ज़ोरों पर थी कि मशहूर व्यापारी किशनचंद भगनानी के पुत्र मानस भगनानी के स्टड फार्म हूफ प्रिंट के पास जंगल में अदा फैशन हाउस के मालिक मिलिंद तलपड़े का शव मिला है। यह हिस्सा मानस भगनानी की प्रापर्टी है।

शव के पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह बात सामने आई है कि मिलिंद की हत्या सर के पिछले हिस्से में किसी भारी चीज़ के वार से की गई है। बाद में लाश को तालाब में फेंक दिया गया। हत्या का समय लगभग अड़तालिस घंटे से अधिक बताया गया था।

पुलिस की जांच जारी थी। आरंभिक जांच से यह बात निकल कर आ रही थी कि हत्या तालाब से कोई पचास मीटर दूर की गई थी। वहाँ पुलिस को एक पत्थर मिला था जिस पर मिलिंद का खून लगा था। लेकिन पत्थर पर उंगलियों के निशान नहीं थे। वहाँ से लाश को लाकर तालाब में फेंक दिया गया था। लाश को तालाब तक घसीट कर ले जाने के निशान थे।

इंस्पेक्टर अर्सलान ने अपनी आरंभिक जांच में मानस और मिलिंद के बारे ‌में कुछ बातें पता की थीं।

मिलिंद तलपड़े एक उच्च मध्यम वर्गीय परिवार से था। उसके पिता का रेडीमेड कपड़ों का एक शोरूम था।

मिलिंद का रुझान कम उम्र से ही फैशन की तरफ था। वह फैशन मैगजीन से कई डिज़ाइन देखकर अपना डिज़ाइन बनाता था। उसके बाद अपनी माँ से उसके अनुसार ड्रेस सिलने को कहता था।

अपने शौक को अपना प्रोफेशन बनाने के इरादे से उसने मुंबई के टॉप फैशन डिजाइनिंग इंस्टीट्यूट में दाखिला लिया। अपना कोर्स पूरा करने के बाद वह एक मशहूर डिजाइनर के साथ काम करने लगा। पर उसका सपना अपना फैशन हाउस खोलने का था।

मिलिंद मानस के साथ स्कूल में पढ़ा था। उसने मानस से अपना सपना पूरा करने में सहायता मांगी। मानस ने उसकी हर संभव मदद की।

मिलिंद के बारे में एक और बात पता चली। वह गे था। इन दिनों अपने पार्टनर रमन सिंघवी के साथ रह रहा था।

मानस की हाल की गतिविधी चौंकाने वाली थी। मानस अपनी इंगेजमेंट से एक दिन पहले ही अपने स्टड फार्म पर गया था। हमेशा की तरह वह अपने फेवरेट घोड़े वायु को लेकर घूमने भी गया था।

पुलिस ने मानस को बुला कर तीन घंटे तक पूछताछ की। पुलिस ने उससे कई तरह के सवाल किए। पुलिस ने महसूस किया कि कई सवालों के जवाब देते समय मानस परेशान सा दिखा।

पुलिस के पास उ‌से हिरासत में लेने के लिए यह काफी था कि हत्या के संभावित वक्त पर मानस अपने स्टड फार्म फूट प्रिंट गया था।

पर मानस के वकील आकाशदीप भुल्लर ने पहले ही उसकी एंटीसिपेट्री बेल ले रखी थी।

मानस ने कहा था कि वह अपने स्टड फार्म गया था। वह अक्सर वहाँ जाता रहता था। उसे वायु की सवारी करना अच्छा लगता था। लेकिन ना ही वह मिलिंद से मिला था और ना ही उसने उसकी हत्या की थी।

एसपी नताशा को पूरा यकीन था कि मिलिंद की हत्या मानस ने ही की है। वह चाहती थी कि उसके खिलाफ सबूत इकट्ठे कर जल्द से जल्द चार्जशीट फाइल करे।

उसने इंस्पेक्टर अर्सलान को मानस के खिलाफ सबूत इकट्ठे करने को कहा। इंस्पेक्टर अर्सलान फौरन अपने काम में लग गया।

श्वेता इस अचानक पैदा हुई समस्या से बहुत दुखी थी। मानस के साथ अपने भावी जीवन के उसने ढेर सारे सपने संजोए थे। इंगेजमेंट ने उन सपनों के पूरा होने पर मोहर लगा दी थी।

मिस एशिया पैसिफिक का खिताब जीतने के बाद बॉलीवुड के माने हुए निर्माताओं में उसे साइन करने की होड़ लग गई थी। वह बॉलीवुड को अपनी मुठ्ठी में कर लेने के ख्वाब देखने लगी। उसने भी एक साथ कई फिल्में साइन कर लीं।

श्वेता को पूरा यकीन था कि वह अपनी खूबसूरती से दर्शकों को अपना दीवाना बना लेगी। उसकी फिल्में रिलीज हुईं‌। लोगों ने उसके ग्लैमरस लुक की खूब तारीफ की। लेकिन फिल्में अच्छा बिजनेस नहीं कर पाईं। क्रिटिक्स ने उसके औसत अभिनय की जम कर आलोचना की। उसके बाद आई फिल्मों का भी वही हस्र हुआ।

उ‌सके बाद श्वेता ने फिल्मों का चुनाव बड़ी सावधानी से किया। उसने ऐसी फिल्में साइन कीं जिनमें अभिनय की कम और सुंदर दिखने की अधिक ज़रूरत थी। इन फिल्मों में वह अधिकतर सेकेंड लीड में रहती थी। इन फिल्मों ने अच्छा कारोबार किया।

श्वेता की इमेज एक बिंदास एक्ट्रेस की बन गई थी। अक्सर उसका नाम उसकी फिल्म के हीरो से लिंक किया जाने लगा। वह भी सुर्खियों में बने रहने के लिए ऐसी खबरें को हवा देती थी।‌ एक समय ऐसा आया जब वह फिल्मों के कारण नहीं बल्कि अपने लिंक अप्स के कारण चर्चा में रहती थी।

दो साल पहले एक पार्टी में वह मानस से मिली। दोनों एक दूसरे को डेट करने लगे। श्वेता अब आए दिन के नए अफेयर्स से ऊब चुकी थी। वह मानस के साथ सीरियस थी।

मानस ने उसे प्रपोज किया और वह शादी के लिए मान गई।

पर इंगेजमेंट के अगले दिन ही यह कांड हो गया।

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