हाँ जी और नहीं जी Sneh Goswami द्वारा बाल कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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हाँ जी और नहीं जी

हां जी और नहीं जी

किसी गांव में दो भाई रहते थे। बड़ा और छोटा। बड़ा बेहद गंभीर, समझदार और सयाना था ।पर छोटा उतना ही लापरवाह और कुछ कुछ मूर्ख किस्म का । समय बीता। बड़े भाई की शादी हुई। बीबी को कभी मायके लेने जाता,कभी मिलाने।
एक दिन बड़े भाई की पत्नी मायके गई। छोटे भाई ने कहा – “ भइया ! मैं भी तुम्हारे ससुराल जाना चाहता हूं।“
भाई ने कहा –“नहीं , तुम तो ढंग से बात भी नहीं कर सकते।
छोटे ने जिद पकड़ ली- भाई ! तुम जैसे कहोगे , मैं वैसे ही बात करूंगा।बस एक बार भाभी के घर वालों को मिल आने दो।
हार कर बङे भाई ने कहा-“ठीक है जाओ लेकिन कोई बात करे तो हां जी में ही जवाब देना। समझे। कुछ उल्टा सीधा मत बोलना ।“
छोटे ने बड़े के पैर छुए और भाई की ससुराल चल दिया। सारे रास्ते याद करते हुए गया कि वहां हां जी ही कहना है।
वहां लोग उसे प्यार से मिले।
आओ बेटा
हां जी
पानी लो
हां जी
चाय पियोगे
हां जी
ये समोसे
हां जी

चाय पिलाने के दस मिनट बाद उन्होंने पूछा-
रोटी अभी खाओगे
हां जी
उसके लिए रोटी परोस दी गई। जैसे तैसे उसने पहली रोटी खत्म की। दूसरी रोटी खाने की बिल्कुल इच्छा नहीं हो रही थी कि भाई के साले ने एक और रोटी डालते हुए पूछा-“एक रोटी” ।
छोटे ने लगभग रोते हुए कहा-“ हां जी। “
रोटी परस दी गई।छोटे ने मौक़ा देखा और दौड़ कर घर पहुंचा। सीधा शौचालय।
बड़े ने पूछा-क्या हुआ। ऐसी शक्ल क्यों बनाई है ?
“यह सब तुम्हारे कारण हुआ है।“ छोटे ने आपबीती सुनाई।
बड़े ने गुस्से से कहा-“ बेवकूफ ! हर बार हां थोड़ा कही जाती है। कभी नहीं भी कहा जाता है।“
छोटे ने कहा”-ठीक है,समझ गया। एक बार हां जी कहना है। एक बार न जी ।“
वह दोबारा वहां पहुंचा तो वहां सब लोग परेशान हो रहे थे कि छोटा खाने की थाली छोड़ कर कहां चला गया। उसे आता देख सास ने कहा- “घर गए थे ?”
“हां जी”
“भाई ठीक है?”
“नहीं जी”
“ बुखार है?”
“हां जी “
“घर पर ही हैं ?”
“ नहीं जी”
“ अस्पताल में “
“ हां जी “
“बुखार फिर उतरा !”
“ नहीं जी “
“ भाभी को लेकर जाओगे ?”
अब छोटे के समझ तो आ रही थी कि वह उटपटांग बोले जा रहा है फिर भी बोला -
“ हां जी “
और तुरंत भाग लिया।
सबको लगा कि भाई शायद ज्यादा बीमार है तो वो भी जैसे थे वैसे ही पीछे पीछे चल दिये।
अब तो छोटा और भी घबरा गया और तेज़ भागने लगा। सामने से बड़ा आ रहा था। छोटा उसके पीछे छिपने की कोशिश करने लगा।
घर के लोगों ने बड़े को स्वस्थ देखा तो उन्हें बहुत खुशी हुई।
छोटे की समझ में नहीं आ रहा था कि उसने गलत कहां बोला। उसने तो हां और ना ही कहा था।अब कोई ग़लत समझ ले तो वह क्या करे। उसे ऐसी स्थिति में देख सब हंस हंस कर लोटपोट हो रहे थे।

स्नेह गोस्वामी